पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध- आज हमारा देश भारत ही नहीं, सारा संसार पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त हैं. संसार की प्रत्येक वस्तु किसी न किसी रूप में प्रदूषित हो रही हैं. पानी, हवा, मिट्टी, अनाज आदि सभी प्रदूषण से ग्रस्त हो रहे हैं.
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Essay on Environmental Pollution in Hindi
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250 शब्दों में
इंसानों ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके साइंस के फील्ड में बहुत ज्यादा तरक्की हासिल कर ली है। हालांकि तरक्की हासिल करने के साथ उसने बहुत कुछ खोया भी है जिसमें से प्रदूषण का नाम भी आता है।
प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं। अगर हम पर्यावरण प्रदूषण की बात करें तो इससे हमें सबसे ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि जब पर्यावरण प्रदूषित होता है तो उसके खराब इफेक्ट कई चीजों पर प्रभाव पड़ता है, जो इंसानों के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होती हैं।
जब पर्यावरण प्रदूषण फैलता है तो उसके कारण प्राकृतिक संतुलन में समस्याएं पैदा होने लगती हैं। पर्यावरण प्रदूषित होने के कारण ना तो हमें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिल पाती है ना ही हमें पीने के लिए साफ और स्वच्छ पानी मिल पाता है, ना हीं खाने के लिए हमें सही फैसल प्राप्त हो पाती हैं।
इसके अलावा हमारे आसपास काफी ज्यादा शोरगुल भी होने लगता है। बता दें कि प्रदूषण के प्रकार कई होते हैं जैसे की ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण इत्यादि।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए इंसानों को कई उपाय करने चाहिए। जैसे कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पेड़ लगाना चाहिए, क्योंकि पेड़ ही वह चीज है जो पर्यावरण प्रदूषण को रोकने का सबसे ज्यादा काम करते हैं।
पर्यावरण के बचाव के लिए हमें सड़क के किनारे और अपने घरों में भी वृक्ष लगाने चाहिए। इसके अलावा जो इंडस्ट्रियल एरिया है उसे शहर से दूर रखना चाहिए और उनमें से निकलने वाली खराब चीजों का उचित प्रबंध करना चाहिए।
Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi Language.
पर्यावरण प्रदुषण आज के समय का सबसे बड़ा संकट है, जो मानवीय क्रियाओ द्वारा लगातार बढ़ता जा रहा है. नवीनतम टेक्नोलॉजी से नए नए संसाधन बनाए जा रहे है, जो पर्यवरण को दूषित कर रहे है.
नगरों में यह समस्या अधिक है, क्योकि गंदे जल, मल, कारखानों से निकलने वाली गैसें तथा गंदे पदार्थ, यातायात के साधन, परमाणु रेडियोधर्मिता एवं कचरा आदि के कारण पर्यावरण में प्रदूषण फ़ैल रहा हैं.
गाँवों में पेड़ काटे जा रहे हैं. हरियाली घट रही हैं. इससे भी प्रदूषण बढ़ रहा हैं. इस तरह पर्यावरण प्रदूषण मानव जीवन जीवन के लिए एक खतरा बन रहा हैं.
पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव-निरंतर बढ़ रही जनसंख्या तीव्र गति से शहरों एवं उद्योगों का विस्तार, प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से दोहन, यातायात के साधनों का विस्तार तथा परमाणु गैसीय कणों के कारण धरती पर प्रदूषण फ़ैल रहा हैं.
आज पवित्र गंगा यमुना नदी भी प्रदूषित हो गई हैं. पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव भूमि, जल, वायु, खाद्यान्न आदि अनेक स्तरों पर दिखाई दे रहा हैं. इससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा हैं. तथा अनेक नये रोग पनप रहे हैं.
जल प्रदूषण से सभी प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ रहा है, इससे अनाज और फल सब्जियां भी दूषित हो रही हैं. रेगिस्तान का बढ़ना, भूकम्प आना, बाढ़ एवं भूस्खलन आदि अनेक आपदाएं पर्यावरण में असंतुलन के कारण आ रही हैं.
वैज्ञानिकों ने इस सम्बन्ध में अनेक हानियाँ एवं आशंकाएं भविष्य में घटित होने की घोषणा की हैं. अतः पर्यावरण प्रदूषण का सारे संसार पर बुरा प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा हैं.
पर्यावरण संतुलन के उपाय- संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन पर्यावरण संतुलन के अनेक उपाय कर रहे हैं. हमारे देश में भी सरकार ऐसे उपाय कर रही हैं. इसके लिए वनों की कटाई रोकी जा रही हैं.
तथा नयें वृक्ष लगाये जा रहे हैं. जलाशयों एवं नदियों को स्वच्छ रखने का अभियान चल रहा हैं पर्यावरण संतुलन के लिए जन जागरण किया जा रहा हैं.
पर्यावरण संतुलन के उपाय- संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन पर्यावरण संतुलन के अनेक उपाय कर रहे हैं. हमारे देश में भी सरकार ऐसे उपाय कर रही हैं. इसके लिए वनों की कटाई रोकी जा रही हैं.
तथा नयें वृक्ष लगाये जा रहे हैं. जलाशयों एवं नदियों को स्वच्छ रखने का अभियान चल रहा हैं पर्यावरण संतुलन के लिए जन जागरण किया जा रहा हैं.
ध्वनि और वायु प्रदूषण रोकने के उपाय किये जा रहे हैं. इसी तरह अनेक अन्य उपाय किये जा रहे हैं, ताकि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके.
उपसंहार- पर्यावरण प्रदूषण एक विकराल समस्या हैं. यह मानव सभ्यता के सामने एक चुनौती हैं. पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने के लिए सरकार अनेक उपाय कर रही हैं, परन्तु जब तक जनसंख्या का नियंत्रण नहीं हो सकता, तब तक इस समस्या का निवारण संभव नहीं हैं. पर्यावरण में संतुलन रहने से ही धरती पर खुशहाल जीवन का विकास हो सकता हैं.
उपसंहार- पर्यावरण प्रदूषण एक विकराल समस्या हैं. यह मानव सभ्यता के सामने एक चुनौती हैं. पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने के लिए सरकार अनेक उपाय कर रही हैं, परन्तु जब तक जनसंख्या का नियंत्रण नहीं हो सकता, तब तक इस समस्या का निवारण संभव नहीं हैं. पर्यावरण में संतुलन रहने से ही धरती पर खुशहाल जीवन का विकास हो सकता हैं.
Essay on Environmental Pollution in Hindi
पर्यावरण वह क्षेत्र है, जिसके केंद्र में हम अपना जीवन व्यापन करते है. यानि हमारे चारो ओर का आवरण ही पर्यावरण है. पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है. परि+आवरण= आस पास का आवरण.
हमारे चारो और उपस्थित जैविक अजैविक कृत्रिम प्राकृतिक सभी संसाधन पर्यावरण के अंतर्गत आते है. पर्यावरण में आज मानव निर्मित अर्थात् कृत्रिम वस्तुओ की मात्रा बढ़ रही है.
प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़-पौधे, झाडिया, नदिया, झीले तथा बगीचा आदि शामिल है. जो हमारे पर्यावरण को शुद्ध तथा सुन्दर बनाते है. प्रकृति पर्यावरण को सजाए रखती है.
मानव निर्मित/ कृत्रिम पर्यावरण में किले, सड़के, घर, स्कूल,इमारते, फैक्ट्रिया तथा धुँआ आदि पर्यावरण में मिलकर इसे अशुद्द तथा असुरक्षित बनाते है. पर्यावरण में अवांछित तत्वों का मिल जाने को हम पर्यावरण प्रदुषण कहते है.
पर्यावरण के सभी संसाधन हर प्रकार से हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करते है. पेड़ पौधे हमें शुद्ध हवा देते है, तो नदिया शुद्ध जल वहीं बगीचा हमें फूलो की मुस्कान देता है.
पर्यावरण के भाव में ही हमारा विकास संभव है. इस पृथ्वी पर आज हम जीवन व्यापन कर रहे है. यह पर्यावरण की ही देन है. पर लोग विपरीत पर्यावरण को ही प्रदूषित कर रहे है.
पर्यावरण प्रदुषण से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है. मानव जाति को ही पर्यावरण प्रदुषण का भोगी माना जाता है. जो पर्यावरण हमें माँ की भांति सुरक्षा देता है. उसी पर्यावरण को हम क्षति पंहुचा रहे है. ये हमारी सबसे बड़ी भूल है.
आज मानव निर्मित संसाधनों जैसे- वाहन,फैक्ट्रिया, संचार के साधन आदि पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे है. पर्यावरण प्रदुषण के कारण ही पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. और हमें अनेक प्राकृतिक आपदाओ का सामना करना पड़ता है. जिसमे- बाढ़, भूकंप, सुनामी तथा ज्वालामुखी स्पॉट आदि.
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए तथा पर्यावरण की सुरक्षा का जिम्मा मानवजाति को है. मानवीय संसाधनों से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. और मानव को ही इसकी सुरक्षा करनी चाहिए.
पर्यावरण के प्रति जागरूकता के अभाव में आज पर्यावरण दिवस मना रहे है. हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उदेश्य पर्यावरण की सुरक्षा ओर जागरूकता को बढ़ाना है.
पर्यावरण की सुरक्षा के उदेश्य के मनाया जाने वाले पर्यावरण दिवस भारत सहित पुरे विश्व में मनाया जाता है. इस दिवस के दिन कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगो को अपशिष्ट पदार्थो तथा अवांछित तत्वों से पर्यावरण को बचाने तथा इसकी सुरक्षा के लिए जागरूक किया जाता है.
पर्यावरण अनेक तरीको से हमारी सुरक्षा और हमें सुविधाएं देता है. हम पर्यावरण में नए पेड़ पौधे लगाकर तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर पर्यावरण को बचा सकते है.
आज हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की जरुरत है. जागरूकता से ही पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है. हर व्यक्ति के सहयोग से पर्यावरण को बचाया जा सकता है.
हमें पर्यावरण को प्रदूषित करने तथा कचरे और धुल के कणों और अवांछित तत्वों के मिलने से रोककर हमें नए पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण को सुन्दर को प्रदुषण रहित बनाना होगा.
पर्यावरण प्रकृति का अनूठा उपहार है. हमें ये सुविधा देता है. इसलिए हमें भी इसे बनाए रखना जरुरी है. पर्यावरण की सुरक्षा ही हमारी सुरक्षा है.
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