अनुशासन पर निबंध Short Essay on Discipline in Hindi: नमस्कार दोस्तों हम आपका स्वागत करते हैं आज हम अनुशासन के महत्व (Importance) पर भाषण स्पीच निबंध बता रहे हैं. जीवन में अनुशासन क्यों जरुरी हैं इस पर निबंध बता रहे हैं.
Short Essay on Discipline in Hindi
अनुशासन शब्द दो हिंदी शब्दों से मिलकर बना हैं अनु+शासन अर्थात अपने पर शासन करना अथवा शासन के अनुसार स्वयं को ढालना ही अनुशासन कहलाता हैं. मानव जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व माना गया हैं. प्रत्येक व्यक्ति को अपने समाज के कानून कायदों के अनुसार जीवन निर्वहन करना पड़ता हैं. समाज के ये नियम कानून व्यक्ति की बेहतरी के लिए बनाए जाते हैं.अतः सुख सम्पन्न जीवन के लिए इन सामाजिक बन्धनों का पालन करना परिहार्य हैं.
इन सामाजिक जीवन के नियमों को हम साधारनतया कानून के रूप में जानते हैं. सरकार, प्रशासन तथा पुलिस इन्ही नियमों को लागू करने तथा क्रियान्वयन के लिए कार्य करते हैं. अनुशासन के कारण ही व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से व्यक्ति संतुलित जीवन जी सकता हैं. इसलिए जीवन का अनुशासित होना बेहद जरुरी हैं.
मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी तथा परिवार को उसकी पहली पाठशाला माना जाता हैं एक अच्छे आचरण और सभ्य परिवार में पलने वाला बालक आगे जाकर अच्छा नागरिक स्वतः बन जाता हैं. बडो तथा माता पिता की आज्ञाओं का पालन करना अनुशासन का पहला चरण हैं. व्यक्ति के जीवन में अनुशासन के गुणों का विकास करने में परिवार के बाद दूसरी भूमिका विद्यालय की होती हैं. जहाँ योग्य शिक्षक उन्हें अनुशासित वातावरण के बीच शिक्षा प्रदान करते हैं. ऐसे वातावरण में बालक के मानसिक एवं बौद्धिक विकास सही ढंग से हो पाता हैं.
आज के बालक और विद्यार्थी ही हमारे समाज और देश के कल के भाग्य विधाता हैं. ये उन नव पल्लवित पुष्प की भांति होते हैं जिनके विकास के काल में यदि कोई कमी रह जाए तो वे पल्लवित नहीं हो पाएगे और उपवन में वह रौनक नहीं रह पाएगी. एक अनुशासित स्टूडेंट देश के लिए सकारात्मक योगदान देने वाला नागरिक बनेगा वही अनुशासनहीन छात्र आगे जाकर असभ्य व्यवहार करते हैं जो समाज के लिए कंटक का कार्य करते हैं.
बच्चें में अनुशासन के गुणों का विकास करने का सबसे बढ़िया समय और स्थान विद्यालय काल ही होता हैं इसके बाद वह प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक जीवन में प्रवेश करता हैं, जहाँ उसे हर कदम पर अनुशासन और धैर्य के साथ आगे बढ़ना होता हैं. ऐसे में अनुशासनहीन नागरिक न केवल समाज के लिए बल्कि देश के लिए भी घातक साबित होते हैं.
किसी महाशय ने अनुशासन के महत्व को स्पष्ट करते हुए इसे सफलता की कुंजी के रूप में बताया है जो सही भी प्रतीत होता हैं. श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद जी ने अनुशासन के बारे में कहा था कोई भी व्यक्ति मर्यादा, परिश्रम और अनुशासन के बिना जीवन में महान कार्य नहीं कर सकता.
इससे स्पष्ट हैं अनुशासन हमारे जीवन का अहम भाग हैं जिसकी हमें हर पल आवश्यकता पड़ती हैं खेल के मैदान से लेकर राजनीति, व्यवसाय सभी में इसकी महत्ती आवश्यकता हैं. घर हो विद्यालय, सभा हो या सोसायटी अथवा समाज हो या देश सभी के सही संचालन के लिए अनुशासन के नियमों की आवश्यकता पड़ती हैं.
कुछ लोग अनुशासन के नकारात्मक अर्थ निकालते हैं तथा इसे व्यक्ति पर अनावश्यक बंधन मानते हैं जबकि वाकई में अनुशासन तो व्यक्ति के समुचित विकास व उन्नति के लिए निर्धारित सामान्य कानून कायदे हैं जिसका स्वेच्छा से सभी नागरिकों को पालन करना होता हैं. इसका अर्थ बाहरी दवाब या डर से पालना नहीं हैं वरन अतः प्रेरणा से अपने जीवन की सही दिशा देने के लिए अनुशासन की पालना हमें हर समय करनी चाहिए.