जीन थेरेपी या जीन चिकित्सा | Gene Therapy In Hindi- नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका आज हम Gene Therapy जीन थेरेपी यानि जीन चिकित्सा को उदहारण सहित समझने का प्रयास करेंगे.
कोई भी दोषपूर्ण अंग की कोशिका के जीन को हटाकर या नया जीन प्रतिस्थापित करने को हम जीन थेरेपी कहते है. आज के इस लेख में हम जीन थेरेपी को बेहतर ढंग से आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे.
जीन थेरेपी या जीन चिकित्सा | Gene Therapy In Hindi
जीन थेरेपी शरीर के अनुवांशिक रोगों के इलाज करने की एक तकनीक है, जिसमे कोशिका के जीन को प्रतिस्थापित या उसकी मरम्मत की जाती है. जैसे वंशानुगत रूप से फ़ैल रहे रोगों के लिए दोषपूर्ण जीन का पता लगाकर उसकी जगह पर क्रियाशील जीन को प्रतिस्थापित किया जाता है.
वैज्ञानिको के अनुसार जीन थेरेपी में एक जीन से उत्पन्न होने वाले रोगों को सही ढंग से सही किया जा सकता है. इसके लिए चिकित्सक अस्वस्थ जीन को हटाकर उसकी जगह स्वस्थ जीन स्थापित करते है.
जीन थेरेपी या चिकित्सा अनुवांशिकी अभियांत्रिकी तथा प्रत्यारोपण पर आधारित है जिसके अंतर्गत विकृत जिनकी पहचान की जाती है तथा उसे स्वस्थ जीन के द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है, जिससे और असाध्य तथा अनुवांशिक बीमारियों का इलाज किया जा सके उदाहरण के लिए हिमोफीलिया वर्णांधता कैंसर जैसे रोग
जीन थेरेपी या जीन चिकित्सा gene therapy in hindi
जीन उपचार में में तीन प्रकार की विधियों का उपयोग किया जाता है
1. जीन प्रतिस्थापन के अंतर्गत विकृत जीन की पहचान कर उसे दोषमुक्त जीन से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है
2. जीन सुधार के तहत जीन में पाए जाने वाले आणविक विकारों को दूर करने का प्रयास किया जाता है
3. जीन आग्यूमन्टेशन के द्वारा दोष युक्त जीन के साथ ही दोषमुक्त जीन को स्थापित कर दिया जाता है ताकि यह दोषमुक्त जीन स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए दोष युक्त जीन की विकृतियों को दूर कर सके
2. जर्म सेल लाइन जीन चिकित्सा
इस तकनीक के द्वारा जीन के स्तर पर जा कर उपचार किया जाता है सबसे पहले विकृत जीन की पहचान की जाती है उसके बाद स्वस्थ जीन के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है जिससे कई प्रकार की अनुवांशिक बीमारियों का इलाज संभव है
इस विधि के अंतर्गत शुक्राणुओं तथा अंडाणु में सक्रिय जीन को डाल दिया जाता है जिससे परिवर्तन अनुवांशिक होंगे तथा इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा अर्थात अनुवांशिक बीमारियों से भी निजात मिल सकता है
इसके द्वारा अनुवांशिक विकारों को भी दूर किया जा सकता है परंतु कई प्रकार के नैतिक तथा तकनीकी मुद्दे हैं जिनके कारण मानव पर इस तकनीक का प्रयोग फिलहाल प्रतिबंधित है.
1. जीन प्रतिस्थापन के अंतर्गत विकृत जीन की पहचान कर उसे दोषमुक्त जीन से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है
2. जीन सुधार के तहत जीन में पाए जाने वाले आणविक विकारों को दूर करने का प्रयास किया जाता है
3. जीन आग्यूमन्टेशन के द्वारा दोष युक्त जीन के साथ ही दोषमुक्त जीन को स्थापित कर दिया जाता है ताकि यह दोषमुक्त जीन स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए दोष युक्त जीन की विकृतियों को दूर कर सके
जीन थेरेपी दो प्रकार की होती है
1. सोमेटिक कोशिका जीन चिकित्सा के अंतर्गत दोष युक्त जीन की पहचान की जाती है तथा यह भी पता लगाया जाता है कि कौन से जीन के द्वारा कौन से प्रोटीन का निर्माण नहीं हो रहा है.
इसके बाद जिस प्रोटीन का निर्माण नहीं हो रहा है, उसे बाहरी स्रोतों के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाता है किंतु हमारे शरीर को हर समय प्रोटीन की आवश्यकता होती है
जिसको हर समय उपलब्ध करवाना संभव नहीं है इसलिए इस तकनीक का उपयोग सीमित हो जाता है इसके अलावा इसका प्रभाव व्यक्ति तक ही सीमित हो जाता है अगली पीढ़ी तक नहीं जा सकता
2. जर्म सेल लाइन जीन चिकित्सा
इस तकनीक के द्वारा जीन के स्तर पर जा कर उपचार किया जाता है सबसे पहले विकृत जीन की पहचान की जाती है उसके बाद स्वस्थ जीन के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है जिससे कई प्रकार की अनुवांशिक बीमारियों का इलाज संभव है
इस विधि के अंतर्गत शुक्राणुओं तथा अंडाणु में सक्रिय जीन को डाल दिया जाता है जिससे परिवर्तन अनुवांशिक होंगे तथा इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा अर्थात अनुवांशिक बीमारियों से भी निजात मिल सकता है
इसके द्वारा अनुवांशिक विकारों को भी दूर किया जा सकता है परंतु कई प्रकार के नैतिक तथा तकनीकी मुद्दे हैं जिनके कारण मानव पर इस तकनीक का प्रयोग फिलहाल प्रतिबंधित है.
आने वाले समय में नैतिक दायरे में रहते हुए या तकनीकी सुदृढ़ता या उच्च तकनीकी की माध्यम से इसका प्रयोग मानव के लिए भी किए जाने की संभावना है फिलहाल इस तकनीक का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में इसके परीक्षण की अनुमति दी गई है.
जीन थेरेपी की विधियाँ
जीन थेरेपी या जीन चिकित्सा के अंतर्गत मुख्य रूप से तीन विधियों द्वारा बीमारियों का इलाज किया जाता है. जिसमे जीन को अलग अलग तरीके से प्रतिस्थापित, आवर्धन या उसकी मरम्मत की जाती है.
1. जीन प्रतिस्थापन विधि :- इस विधि के द्वारा शरीर के ऊतक या किसी भी कोशिका के बीमारी से ग्रस्त जीन को प्रतिस्थापित किया जाता है, तथा उसके स्थान पर समान कार्य करने वाले स्वस्थ जीन को स्थापित कर दिया जाता है.
2. जीन आवर्धन :- इस विधि में जीन को प्रतिस्थापित नही किया जाता है. अस्वस्थ जीन को अपने गत स्थान पर ही रखा जाता है. तथा उसका कार्य करने वाले स्वस्थ जीन का DNA में प्रवेश किया जाता है.
3. जीन मरम्मत :- इस विधि के द्वारा जीन की मरम्मत की जाती है. तथा बिना प्रतिस्थापन के जीन को उचित तकनिकी के द्वारा उसी जगह रखकर उसमे सुधार किया जाता है.
ये भी पढ़ें
- दैनिक जीवन में विज्ञान पर निबन्ध
- विज्ञान पर निबंध
- विज्ञान वरदान या अभिशाप बढ़ते कदम
- विज्ञान की उपलब्धियों पर निबंध
- यदि मैं वैज्ञानिक होता पर निबंध
प्रिय दर्शको आज का हमारा लेख जीन थेरेपी या जीन चिकित्सा | Gene Therapy In Hindi आपको कैसा लगा कमेन्ट मे अपनी राय दें। तथा पसंद आया तो इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर करें।