मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi
विद्यालय वह स्थान होता है। जिससे हम विद्या ग्रहण करते है। विद्यालय का शाब्दिक अर्थ है। विद्या का आलय मतलब विद्या का घर ही विद्यालय है। विद्यालय मे समय पर आकर नियमित पढ़ाई करना हमारा धर्म है। विद्यालय शिक्षा ग्रहण कराने के लिए बनाए जाते है। विद्यालय मे अनुशासन रखना सबसे जरूरी माना जाता है। विद्यालय जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है।
निबंध – 1 (1000शब्द)
प्रस्तावना
जीवन मे बचपन सबसे महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। बचपन मे जिम्मेदारियो का बोझ भी नहीं होता है। बचपन को खुल कर बिताना चाहिए। यही जीवन का सबसे शांत भाग माना जाता है। इस बचपन मे अपने भविष्य की कोई फिकर नहीं होती है।ऐसे मस्त जीवन के पीछे कारण होता है। हमारा विद्यालय। मेरा विद्यालय मुझे बहुत अच्छा लगता है। विद्यालय हमारे भविष्य को बेहतर बनाते है। हमारे अंदर की प्रतिमा को खोज देता है। स्वय को उसके लायक बना देता है।
मेरे विद्यालय का स्थान
मै राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय होडु मे पढ़ता हूँ। ये विद्यालय गाँव के बीच मे स्थित है। यहा पर शांति का माहौल बना रहता है। हमारे विद्यालय के आगे तथा पीछे दो बगीचे है। जिससे हरियाली बनी रहती है। हरियाली होने के कारण चारो तरफ का वातावरण शुद्ध होता है। हम बगीचे मे बैठकर शांति का माहौल बनाते है। बगीचे से हमे शुद्ध वायु भी मिलती है। मेरा विद्यालय मेरे घर से 2 किमी दूरी पर स्थित है। मै विद्यालय पैदल जाता हूँ। मेरे विद्यालय को मै मेरा घर समझता हूँ। मेरा विद्यालय बाकी विद्यालयो से काफी आगे है हमारे विद्यालय मे हर वर्ष बहुत अच्छा बोर्ड का रिज़ल्ट आता है। इससे हमारा और हमारे गाँव का नाम रोशन होता है। हमे हमारे विद्यालय पर गर्व है।
विद्यालय की विशेषताएं
मेरे विद्यालय की कई विशेषताए है। मेरे विद्यालय का भवन बहुत सुंदर तथा बड़ा है। मेरे विद्यालय मे पढ़ाई बहुत अच्छी चलती है। मेरे विद्यालय मे सभी बच्चे अनुसाशन के साथ पढ़ते है। हमारे शिक्षक भी हमसे बहुत प्यार कराते है। हमारे विद्यालय मे लगभग 500 पेड़-पौधे है। हम हर वार्षिक उत्सव को विद्यालय मे पौधे लगते है।
तथा उनकी सेवा करते है। हमारे विद्यालय स्वच्छता के बारे मे जिले मे सबसे आगे है। हमारे विद्यालय मे प्रधानाचार्य से लेकर छात्र-छात्राओ तक सभी अपनी श्रद्धा तथा पूर्ण मन से विद्यालय की सफाई कराते है। विद्यालय को स्वच्छ रखने के लिए सभी को जागरूक होना जरूरी होता है। जैसा कि हमारे विद्यालय मे विधित है। हमारे विद्यालय मे दो पानी के प्याऊ है। जिससे हम सभी पानी पीते है।
बालक तथा बालिकाओ योग करते है। हमारे विद्यालय मे आठ मीठे पानी के टांके भी है । हम उसकी सफाई एक साल मे एक बार करते है। हमारे विद्यालय मे एक विद्या कि देवी माता सरस्वती का एक बहुत सुंदर तथा बड़ा मंदिर है। जिसमे हम हर गुरुवार को माँ सरस्वती को प्रसाद चढ़ाते है। माँ सरस्वती को प्रसाद चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते है। हमारे विद्यालय मे लगभग 35 कमरे है जिसमे हम सब बैठकर पढ़ाई करते है। हर कमरे मे पंखो की व्यवस्था की गई है। अपने-अपने कमरो की सफाई अपने आप कर लेते है। जिससे सभी कमरो मे सफाई बनी रहती है।
हमारे विद्यालय के पीछे दो बड़े मैदान भी है। जिसमे हम ब्रेक के समय खेलते है। तथा शाम को भी खेलते है। हमारे विद्यालय की चारदीवारी बहुत विशाल तथा सुंदर बनी हुई है। जिससे हमारे विद्यालय की शोभा बढ़ती है। हमारे विद्यालय के पीछे हॉस्टल की सुविधा भी है। जिसमे बच्चे रहते है। हमारे विद्यालय मे एक ''लाइब्रेरी रूम''भी है। जिसमे किताबे रखते है। हमारे विद्यालय मे ''स्टाप रूम''भी है जिसमे शिक्षक आराम करते है। एक ''कंप्यूटर रूम''जिसमे कंप्यूटर का कार्य किया जाता है। हमारे विद्यालय मे एक ''प्रधानाचार्य रूम'' है जिसमे हमारे प्रधानाचार्य बैठते है।
विद्यालय की परिकल्पना
विद्यालय आज के जमाने से शुरू नहीं हुए। विद्यालय बहुत पूर्व काल मे भी हुआ करते थे। हमारा भारत सदियो से ज्ञान का स्रोत बना हुआ था। पूर्व कालो मे विद्यालय की जगह गुरुकुल हुआ करते थे।आदि काल से ही राजा महाराजा सभी गुरुकुल मे ही पढ़ा करते थे। बड़े-बड़े राजा अपना रजवाड़ा छोड़कर ज्ञान-प्राप्ति के लिए गुरुकुल मे जाया करते थे।भगवान और क्रष्ण भी गुरुकुल मे जाते थे। इस संसार मे गुरु का पद भगवान से भी बढ़कर है। क्योकि जो भगवान नहीं सिखाते वह गुरु सिखाते है।
विद्यालय की भूमिका
हमारा सबसे महत्वपूर्ण समय बाल्यकाल मे गुजरता है। ये समय ज़िंदगी का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है।इस समय मे हम अपने मित्र बनाते है। तथा मित्रो के साथ खेलते है हंसी-मज़ाक करते है। हम दोस्तो के साथ रहकर आनंद अनुभव करते है। बालक अपनी परेशानी शिक्षक को बताता है। विध्यार्थी के लिए सही रास्ता उनके शिक्षक बताते है।
मेरे विद्यालय मे स्वछ्ता
मेरा विद्यालय बहुत ही स्वच्छ है मेरे विद्यालय मे कभी गंदगी हम नहीं रहने देते है।विद्यालय कि सफाई के लिए सभी को जागरूक होना जरूरी है। हमारे विद्यालय मे समय-समय पर साफ-सफाई के कार्यक्रम किए जाते है। हम हर बार इसमे भाग लेते है। तथा मन लगाकर अपने विद्यालय की सफाई करते है।
स्वच्छता के नियम
हमारे विद्यालय के नियमो का सभी पालन करते है। हमारे शिक्षक और हम विद्यालय की स्वच्छता का ध्यान रखते है। हमारे विद्यालय मे स्वच्छता के नियम बनाए गए है। जो कि निम्न है-
1. प्रत्येक कक्षा के बाहर छोटे-छोटे कूड़ेदान रखे होने चाहिए।विद्यार्थी को कूड़ा खुले में नहीं डालना चाहिए। बल्कि उन्हें कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
2.विद्यार्थी को कूड़ा खुले में नहीं डालना चाहिए। बल्कि उन्हें कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
3. स्कूल के मैदान की सफाई प्रतिदिन करनी चाहिए। क्योंकि बच्चे के खेलने का मैदान वही है।
4. पानी की टंकी की प्रतिमाह सफाई होनी चाहिए और स्कूल में आने वाले पानी की समय-समय पर जाँच करनी चाहिए।
5. विद्यार्थियों को अपनी और अपने कपड़ो को स्वच्छ रखना चाहिए।
6. बच्चों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
7. समय-समय पर स्कूल में साफ सफाई संबंधी प्रतियोगिताएँ करवाई जानी चाहिए।
8. शौचालयों तो नियमित रूप से सफाई की जानी चाहिए।
उपसंहार
हम जब विद्यालय मे प्रवेश करते है तो हम छोटे पौधे की तरह होते है। हमारे शिक्षक हमे ज्ञान देकर बड़ा बनाते है। हमे इस संसार का ज्ञान कराते है। हमारा विद्यालय का परिणाम हमेशा सभी विद्यालयो से टॉप पर रहता है।
हमारे विद्यालय का परिणाम शत परिणाम ही रहता है। मै हर वर्ष मेरी क्लास मे प्रथम स्थान लाता हूँ। और मुझे हर वर्ष इनाम मिलता था। मुझे खुद पर ग्रव होता है की मेरा नाम हजारो बच्चो के बीच बोला जाता है। और बड़े नेता मुझे ईनाम भेंट करते है। इससे हमे यह शिक्षा मिलती है कि हर बच्चा मेहनत करके बड़ा बन सकता है।विद्यालय मे सभी गरीब,अमीर,अनाथ के प्रति समान रूप से व्यवहार किया जाता है। बच्चे के मन मे पढ़ने की जिज्ञासा होनी चाहिए। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद विद्यालय के यादगार पलो को बाद मे याद करते है। मे मेरे विद्यालय से बहुत प्यार करता हूँ।