भीमराव अंबेडकर पर निबंध Essay On Bhimrao Ambedkar In Hindi हमारे समाज से जातिवाद जैसी कलंक को दूर करने के लिए प्रयासरत रहे भीमराव अम्बेडकर को भारतीय सविंधान का निर्माता कहा जाता है. नमस्कार दोस्तों आज का हमारा लेख, निबंध अनुच्छेद, पैराग्राफ डॉ भीमराव अम्बेडकर पर हिंदी भाषा में सरल तथा साधारण निबंध है.
भीमराव अंबेडकर पर निबंध Essay On Bhimrao Ambedkar In Hindi
Here Is Short And Long Essay On Dr Bhimrao Ambedkar For School Students Of Class 1 To 12th, Let's Read Essay On Your Leanth.
भीमराव अंबेडकर पर संक्षिप्त निबंध Short Essay On Bhimrao Ambedkar in Hindi
सविंधान के जनक दलितों के भगवान भीमराव आंबेडकर को आज कौन नहीं जानता है. भीमराव ने भारत के श्रेष्ठ कानून सविंधान का लेखन कर देश के क़ानूनी अलख जगाई.
दलित वर्ग के लोगो के सहायक तथा समाज पर्वतक भीमराव आज हमारे लिए प्रेरणा के श्रेष्ठ साधन है. भीमराव ने अपने कार्यो से सभी को प्रभावित किया.
राष्ट्र निर्माण में भीमराव ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत का सबसे बड़ा कानून सविंधान को लिखने का कार्य भीमराव अम्बेडकर जी ने किया था.
संविधान निर्माता भीमराव जी का जन्म महाराष्ट्र राज्य के रत्नगिरि जनपद में हुआ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को माहिर जातीय समुदाय में हुआ. भीमराव के पिता का नाम रामजी राव सकपाल था.
भारतीय सेना में कार्यरत थे. एक सैनिक होने के बाद भी सकपाल जी धार्मिकता को अधिक महत्व देते थे. आंबेडकर की माता का नाम भीमाबाई था. जो एक गृहणी महिला था.
भीमराव के समय में छुआछूत रंगभेद जैसे भेदभाव देखने को मिलते थे. जिस कारण अम्बेडकर ने बचपन में ही इसे समाप्त करने की ठानी. कई बार इन्होने भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई पर उन्हें कोई सहारा नहीं मिला.
समाज में भेदभाव का स्तर बहुत अधिक हो गया था. यहाँ तक कि लोगो की जान भी ली जाती थी. इन अपराधो के खिलाफ भीमराव ने आवाज उठाई.
इस समय दलित वर्ग के लोगो के हालात बहुत खराब थे. इस स्थिति में दलितों को हर कार्य से वंचित कर दिया जाता था. उन्हें कार्य नहीं दिया जाता था. गाँव में स्वतंत्रता रूप से जाने का अवसर नहीं मिला था. इस प्रकार दलित लोगो को अनेक कष्ट सहने पड़ रहे थे.
अम्बेडकर जी ने अंपने बचपन में ही अपने अपमान को सहन किया है. भीमराव को शुरूआती शिक्षा में ही प्रधानाध्यापक से कई बार खुद का अपमान झेला है.
यहाँ तक की भीमराव को कई बार विद्यालय से बाहर भी कर दिया और बोला आप शिक्षा प्राप्त कर क्या करोगे? पर भीमराव ने व्यग्य की भाषा में जवाब दिया और कहा आपका कर्तव्य शिक्षा देने का है. न कि पूछने का
डॉ अंबेडकर पर दीर्घ निबंध Bhimrao Ambedkar Long Essay In Hindi
भारतीय सविंधान सभा के प्रमुख निर्माता तथा देश के महा नायक भीमराव अम्बेडकर हमारे लिए आज भी प्रेरणा का स्रोत है. भीमराव अम्बेडकर ने अपने सम्पूर्ण जीवन में छुआछुत तथा भेदभाव को मिटाने के लिए लगा दिया था.
भीमराव अपने समय के सबसे शिक्षित व्यक्ति थे. इन्होने सविधान सभा को आकार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगो को उनके अधिकार प्राप्त कराने के लिए अपने जीवन की आर्पित कर दिया.
दलितों के मसीहा के रूप में उभरने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महार जाति (अनुसूचित जाति ) में रत्नगिरि जिले महाराष्ट्र में हुआ था.
इनको अनेक नामो से जाना जाता था. जिसमे-बाबा साहेब, बोधिसत्त्व, भीम, भिवा आदि प्रमुख थे. इनके पिता का नाम श्रीराम राव सकपाल था. जो कि सेना के सूबेदार का पद संभालने का कार्य करते थे.
अंबेडकर की माता का नाम भीमाबाई सकपाल था. जो कि बहुत शांत प्रवृति की थी. भीमा बाई बहुत सरल स्वाभाविक थी. अंबेडकर के पिता भगवान के बहुत बड़े भक्त थे. वे हर समय भक्ति में ही लीन रहते थे. हर रोज पूजा-अर्चना करते थे.
तथा अपने सम्पूर्ण परिवार को भक्ति करने की सलाह देते थे.पर भीमाबाई और श्रीराम दोनों की भक्ति कुछ अलग ही थी. इसी प्रकार अंबेडकर अपने माता-पिता की तरह उन दोनों से भी अलग किस्म के थे.इनके दो भाई भी थे. जिनका नाम बाला राव और आनंद राव था.
बाल्यावस्था Childhood
अंबेडकर अपनी बाल्यावस्था से बहुत चंचल तथा शरारती स्वभाव के थे. अंबेडकर पढाई में काफी होशियार थे. पर वे अपना ध्यान पढाई से ज्यादा खेलखुद तथा अपने मनोरंजन में लगाते थे.
उनके पिता की तरह अंबेडकर भी बचपन से हट्टेकट्टे थे. इसलिए वे अपने आयु के बच्चो के साथ हर रोज मारपीट करते थे. उन्हें डराते थे. वे बाल्यवस्था से ही हठीले स्वभाव के थे. जो सोचते उसे पूरा कर लेते थे. ये उनकी प्रमुख विशेषता थी.
उनके विद्यालय में छुआछुत बहुत सर्चा में था. वहा के बच्चो के साथ भेदभाव किया जाता था. जिसको देखकर अंबेडकर ने मन में छुआछुत को बंद करने की ठान ली.
उस समय अछूतों के साथ अमानवीय व्यवहार किये जाते थे. ये व्यवहार अंबेडकर को अच्छा नहीं लगता था. इसका विरोध अंबेडकर ने अपने बचपन से ही करना शुरू कर दिया था.
शिक्षा एवं नौकरी Education and Job
भीमराव आंबेडकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतारा स्कुल में ही प्राप्त की तथा इसे उत्तीर्ण करने के बाद 1912 में अंबेडकर ने स्नातक डिग्री प्राप्त की. वे पढाई में बहुत होशियार तथा होनकर छात्र थे.
उनका शिक्षा का स्तर उच्च होने के कारण उन्हें बड़ौदा रियासत के होनहार छात्रो में गिना जाता था. बडौदा रियासत की और से छात्रवृत्ति प्राप्त अंबेडकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए अमेरिका जाने वाले छात्र संघ का सदस्य बन गए. और संघ से साथ अमेरिका चले गए.
अंबेडकर ने अमेरिका में एम.ए तथा पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की. पर वे डीएससी की डिग्री (उपाधि) पाना चाहते थे. लेकिन उनकी छात्रवृत्ति काल समाप्त हो जाने के कारन वे इस उपाधि को हासिल नहीं कर सके. तथा वापस भारत लौट आये.
इसके बाद अंबेडकर को 1917 में बडौदा रियासत में मिलिट्री सचिव पद सौपा गया. पर कर्मचारियों तथा अंबेडकर की आपसी विवाद तथा अंबेडकर अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार को देखते हुए.
उन्होंने इस जॉब को छोड़ दिया. तथा 11 साल बाद यानि 1928 को उन्होंने मुंबई के सिडेनहम कॉलेज में अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया था.
रुचियाँ Interests:- अंबेडकर हर समय किताबे पढ़ते रहते थे. उनकी प्रमुख रुचियाँ किताबे पढ़ना,संगीत सुनना तथा यात्राए करना उनकी रुचियाँ थी. वे रेडियो के माध्यम से संगीत सुनते थे.
जहा भी अंबेडकर के माता-पिता जाते वहा वे यात्रा के लिए साथ जाते थे. गौतम बुद्ध उनके गुरु थे. जिन्हें ये बहुत प्यार करते थे. और इनके सबसे पसंदीदा व्यक्ति गौतम बुद्ध ही थे.
विवाह तथा संतान Marriage And Children
डॉ भीमराव अम्बेडकर ने प्रथम विवाह 1906 को रमाबाई अम्बेडकर के साथ किया था.जिससे 12 दिसम्बर 1912 को अम्बेडकर को पुत्र रत्न यशवंत राव अम्बेडकर की प्राप्ति हुई.
रमाबाई ने इनका बहुत सहयोग किया पर 1935 में रमाबाई की मृत्यु हो गई. और कुछ सालो बाद अम्बेडकर ने दूसरा विवाह डॉ सविता अम्बेडकर के साथ 1948 में कर लिया था.अम्बेडकर के कोई बेटी नहीं थी. एक ही पुत्र प्राप्त हुआ था. जिससे वे बहुत प्यार करते थे.
समाज व राष्ट्र के लिए योगदान Contribution to Society and Nation
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बचपन से ही समाज में हो रही व्याप्त विषमता,सामाजिक भेदभाव और अपराजिता को समाप्त करना चाहते थे.वे अछूते के साथ हो रहे अन्याय और दुर्व्यवहार का अंत करवाना चाहते थे.
वे चाहते थे. कि समाज से किसी भी प्रकार की कोई छुआछुत या सामाजिक भेदभाव न हो. इसके लिए उन्होंने हिन्दू धर्म में चल रहे. व्यापक सामाजिक भेदभाव का अंत कराने के लिए काफी संघर्ष किया.
वे अपने जीवन में अछूतों को न्याय दिलाना चाहते थे.यही उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य था. इसे पूरा करने के लिए उन्होंने अनेक कष्ट सहन किये. तथा 1913 में दलितों के समूह का प्रतिनिधित्व भी किया.
उन्होंने अपनी सूझ-बुज के साथ हिन्दू धर्म की जाति-प्रथा पर अनेक प्रहार किये. जिससे आने वाले कुछ ही दिनों में वे दलित संघ के सबसे लोगप्रिय नेता बन गए.
उन्होंने हिन्दुओ के प्रति काफी संघर्ष किया पर वे हिन्दुओ को झुकाने में असमर्थ रहे. तो उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ महीने पहले अपने 1965 में अपने लाखो साथियों के साथ बौद्ध धर्म में शरण ले ली.
सविंधान सभा में योगदान Contribution To The Constituent Assembly
क्रांतिकारी व्यक्तित्व युग पुरुष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विधिशास्त्र के बड़े प्रकांड विद्वान थे. उनके इस ज्ञान के बदोलत अंबेडकर को 1947 में निर्मित भारतीय सविंधान सभा की प्रारूप सिमित से अध्यक्ष थे.
उनकी इस समिति में 6 सदस्य शामिल थे. पर सविंधान की अधिकांश सभाओ में ये सभी सदस्य अनुपस्थिति थे. इसलिए प्रारूप समिति का पूरा काम अंबेडकर पर आ गया.
अंबेडकर ने अध्यक्ष होने के नाते अपने इस कार्य को बखूबी निभाया और अकेले ही इस समिति का कार्य किया जिसके कारण अंबेडकर को सविंधान सभा का जनक कहते है.
अपने सम्पूर्ण जीवन में व्याप्त असमानता, अस्पृश्यता और सवर्णों के दुर्व्यवहार का विरोध करने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन में अनेक कष्ट सहन किये.अनेक बाधाओं को सहकर.
युग पुरुष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 6 दिसंबर 1956 (65 वर्ष की आयु में) इस संसार को हमेशा के लिए छोड़कर चले गए.उन्हें लम्बे समय से मधुमेह बीमारी थी. भारत सरकार ने उन्हें श्रेष्ठ पदक ''भारत रत्न'' से नवाजा गया.
प्रसिद्ध विचार Famous Idea
- बुद्धि का विकास मानव-अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
- शिक्षित बनो ! संगठित रहो ! संघर्ष करो !
- शिक्षा शेरनी का दूध है, इसे जो पियेगा वह शेर की भांति दहाड़ेगा।
- यदि नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष किया जाए.तो उसमे जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है।
- किसी भी कौम (जाति) का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से होता है।
short essay on ambedkar jayanti in hindi अम्बेडकर जयंती पर निबंध: भारत ही नहीं दुनियां भर में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर का नाम बड़े सम्मान व आदर के साथ लिया जाता हैं. वे भारत में महापुरुष थे आज के लोकतांत्रिक भारत के निर्माण में उनका अहम किरदार था. आज हम अम्बेडकर जयंती पर संक्षिप्त निबंध यहाँ जानेगे.
अम्बेडकर जयंती पर निबंध Short Essay On Ambedkar Jayanti In Hindi
अंबेडकर जयंती निबंध : भारत के महान कानूनी ज्ञाता, दलितों के मसीहा तथा संविधान के निर्माता डॉ भीम राव रामजी अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के मऊ में हुआ था.
दलित परिवार में जन्में बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के जन्मदिन 14 अप्रैल को ही अम्बेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता हैं. इनके पिताजी का नाम रामजी मालोजी सकपाल तथा माताजी का नाम भीमाबाई था.
जब वे पिछड़े दबे समुदाय के लोगों के सर्वमान्य नेता बने तो इन्हें लोगों ने बाबा साहेब की उपाधि दी. भारत के आजादी के दौर में सबसे बड़े कानूनी जानकार के रूप में सामने आए.
वे भारतीय समाज में उच्च जाति एवं निम्न जाति के मध्य के सामाजिक भेदभाव के विरोधी थे. जीवनभर अम्बेडकर ने सामाजिक समानता के लिए कार्य किया.
जब 1947 में भारत स्वतंत्र हो गया तब इन्हें नेहरु केबिनेट में कानून मंत्री का पद दिया गया. वे भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष थे.
इन्ही के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार हुआ और इसके निर्माण का कार्य पूरा हुआ. दुनिया अम्बेडकर को सदी का सबसे बड़ा समाज सुधारक, दलित उद्धारक कानूनी विशेष्यज्ञ के रूप में स्मरण करती हैं.
उन्होंने आजीवन भारत की पूर्ण निष्ठा से सेवा की, राष्ट्र ने अम्बेडकर को सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया. हर साल 14 अप्रैल के दिन देशभर में अम्बेडकर जयंती को धूमधाम से मनाया जाता हैं.
सरकारी एवं सामुदायिक स्तर पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं. इस अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित की जाती हैं शहर, गली में उनकी शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं.
अम्बेडकर जयंती के दिन विद्यालयों में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. तथा विद्यार्थियों द्वारा इस अवसर पर भाषण,कविता और नाट्यकला की प्रस्तुति कर इस दिवस को बेहतर ढंग से मनाया जाता है.
इस दिन सोशल मिडिया तथा सार्वजानिक स्थलों पर भीमराव जी को जन्मदिन की बधाईयाँ दी जाती है. तथा इस दिवस को सभी धर्म के लोग सामान रूप से देखते है. क्योकि भीमराव जी ने सभी धर्मो को समान दृष्टिकोण से देखा करते थे.
अम्बेडकर जयंती का उत्सव बाजारों में भी देखा जाता है. अम्बेडकर जी को इस दिन मालार्पण किया जाता है. इस दिवस का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है.
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