स्कूल के बाद का जीवन पर निबंध Essay On Life After School In Hindi
हर व्यक्ति का अपना स्कुल का जीवन बहुत आरामदायक तथा यादगार माना जाता है. स्कूली जीवन व्यक्ति का सबसे सुखी जीवन होता है. आज हम इस लेख के माध्यम से स्कूल के बाद का जीवन पर निबंध Essay On Life After School In Hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
अपना बचपन सबको अच्छा लगता है. अपने बचपन के दोस्त बचपन का स्कुल जीवन बहुत यादगार होता है. ये जीवन बहुत मनोरम होता है. इस जीवन में न तो भविष्य की चिंता होती है. और न ही किसी प्रकार का कोई तनाव होता है.
जब तक हम स्कूल में पढ़ते है. तब तक हमें आगे क्या होगा? उसके बारे में जरा भी चिंता नहीं होती है. पर जब हम अपना स्कूली जीवन पूर्ण कर लेते है. तो फिर हमें अपने जीवन तथा अपने भविष्य के बारे में सोचना पड़ता है. और हमें अपना भविष्य बनाने का मौका मिलता है.
यह समय किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे कठिन समय होता है. वह अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता है. इस समय लिए गए निर्णय के अनुसार सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करना पड़ता है.
यदि इस समय मेहनत करने का निर्णय लेकर मेहनत की तो जीवन सफल तथा आरामदायक बन जायेगा. और यदि इसी समय पढाई को छोड़कर किसी दुसरे कार्य पर लग गए. तो सम्पूर्ण जीवन वहीँ कार्य करना पड़ेगा. यदि कारण है. कि हमारे देश में बेरोजगारों की संख्या बहुत ज्यादा है.
हमारा भविष्य कैसा होगा? तथा हमें क्या करना चाहिए. यह वो समय होता है. जिसमे व्यक्ति अपने भविष्य को निर्धारित करता है. ये जीवन का सबसे कठिन और महत्वपूर्ण समय होता है.
ये समय ही भविष्य का निर्धारण करता है. जो इस समय को समझ गया वह अपना जीवन सफल बना लेगा. अन्यथा पुरे जीवन ठोकरे खानी पड़ेगी. यह व्यक्ति की सबसे बड़ी परीक्षा होती है.
सही कैरियर का चुनाव
हमें अपने जीवन में स्कुल जीवन तक माता-पिता तथा शिक्षक हेंडल करते है. पर स्कुल के बाद का जीवन हमें खुद को ही हेंडल करना पड़ता है. हमें स्कूली जीवन के बाद एक रास्ते का चयन करना पड़ता है.
जो हमारे भविष्य के लिए लाभदायक हो तथा हमें अपनी सफलता तक पहुँचाने में हमारी सहायता करें. इस समय हम अपने किसी भी बड़े से या गुरुजन से राय ले सकते है. क्योकि जो बड़े होते है. उन्हें इन सभी बातो का अनुभव होता है.
इस समय बड़े से सलह लेकर कार्य करना ही हमारे भविष्य के लिए कल्याणकारी हो सकता है. वरना कई लोग अपना भविष्य तय नहीं कर पते है. और इसी चक्कर में वे अपने अमूल्य समय को बर्बाद कर देते है.
इसलिए हमें अपने जीवन का भविष्य अपनी योग्यता के अनुसार बड़ो से सलह लेकर हमें तय करना चाहिए. हमें अपने लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिए. हमें उस रास्ते पर चलाना चाहिए.
जो हमारे लिए योग्य हो तथा उसमे हमारी रूचि हो. हमें अपने जीवन में छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर चलाना चाहिए. जिससे हमें अपना लक्ष्य बड़ा न लगे.
हमारे जीवन का लक्ष्य हमारी रूचि के अनुसार बनाना चाहिए. किसी की देखा-देखी नहीं करनी चाहिए. हर व्यक्ति की अपनी अलग योग्यता होती है. इसलिए हमें अपनी योग्यता के अनुरूप ही लक्ष्य तय करना चाहिए.
किसी की सफलता को देखकर हमें अपनी लक्ष्य नहीं बदलना चाहिए. अपने लक्ष्य को बनाने से पूर्व हजारो बार सोच लेना चाहिए.
पर एक बार लक्ष्य निर्धारित करने के बाद सफलता तक पहुँचने तक अन्य किसी के बारे में नहीं सोचना चाहिए. हमारी क्या खासियत है? हम किस क्षेत्र में सफल हो सकते है. इसी सोच से हमें लक्ष्य निर्धारण करना चाहिए.
हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक लगने वाले व्यय को भी मध्यनजर रखना चाहिए. कभी ऐसा नहीं होना चाहिए. कि आर्थिक रूप से हमें अपना लक्ष्य प्राप्त न हो.
अपनी परस्थिति के अनुसार ही लक्ष्य बनाना चाहिए.असफल होने पर भी अपने सपनो की जिन्दा रखना सबसे महत्वपूर्ण होता है. अपनी उम्मीदों को हर समय जिन्दा रखना तथा खुद पर आत्मविश्वास बनाये रखना ही सफलता का मूल मन्त्र है.
''उम्मीद वह विश्वास है जो हमें अपने लक्ष्य की और आकर्षित करती है. जीवन में सफल होने के लिए उम्मीद और आत्मविश्वास का होना आवश्यक होता है. इसके बिना सफल होना असंभव है.''
हमें कभी भी अपनी रूचि के विपरीत कार्य नहीं करना चाहिए. जिस कार्य में हम प्रतिभाशाली है. वो ही कार्य करना चाहिए.
किसी दुसरे की नक़ल करने से हमारा समय बर्बाद होता है. तथा हमें सफलता भी नहीं मिलाती है. इसलिए अपनी पहुँच तथा अपनी रूचि के अनुसार कार्य करें.
संतुलन बनाना तथा संतुलन का महत्व
जीवन में हर कार्य को करने के लिए व्यक्ति में संतुलन होना आवश्यक होता है. संतुलन बनाना पड़ता है. संतुलन के महत्व का अंदाजा हम साईकल चलाकर भी कर सकते है.
यदि संतुलन बिगड़ा तो हम साइकिल से गिर जायेंगे. इसी प्रकार हमारे जीवन में भी संतुलन का बहुत महत्व होता है. संतुलन हमें सिखाने के दौरान बनाना चाहिए.
बिना संतुलन व्यक्ति दवाब में बना रहता है. जिससे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति के जीवन की प्रगति तब तक नहीं रुक सकती जब तक उसका संतुलन बना हुआ रहता है.
संतुलन बनाने के लिए हमें नियमित रूप से व्यायाम तथा नित्यकर्म करने चाहिए. तथा हमें अपने भविष्य के बारे में पूर्व से ही सोच लेना चाहिए.
जिससे भविष्य में दवाब आने का कोई मौका न बने. हम जिस कार्य को करना चाहते है. उसके बारे में पूर्व से अपने दोस्तों के साथ विचार-विमर्श तथा उस कार्य को करने का नियमित अभ्यास ही हमें सफलता तक पहुंचा सकता है.
संतुलन एक दिन से नहीं बनाया जा सकता पर जो मेहनत करते है. नियमित अभ्यास करते है. तो एक दिन अवश्य ही उन्हें संतुलन प्राप्त होता है.शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवन में संतुलन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.
हम खुद पर हर समय नियंत्रण रखना चाहिए. जिसमे- किसी के साथ व्यवहार करना या किसी के बातचीत करने में भी नियंत्रण होना जरुरी है.
जो व्यक्ति नियन्त्रण में होता है. वास्तव में उस व्यक्ति की बहुत इज्जत होती है. यदि जीवन में सफल होना है. तो हमें अपने मनोरंजन करने के समय को निर्धारित करना होगा.
हमें अपनी दिनचर्या को टाइम टेबल के माध्यम से बांधकर करना चाहिए. जिससे हम अपने कार्य को समय पर कर पायेंगे. और समय पर किया गया कार्य ही हमारे लिए लाभदायक होता है.
हर कार्य को करने के लिए उसे अपना लक्ष्य बनाये जिससे हमें कार्य करने में आसानी होगा. अपना हर कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए. जिससे हमें बाद में पछताना न पड़े.
अपने जीवन को हमें हर समय नए-नए लक्ष्यों में बांधकर रखना चाहिए. हमें अपने जीवन में हर समय मेहनत करनी चाहिए. कभी-बभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए.
तथा अपनी मेहनत पर घंमड नहीं करना चाहिए. क्योकि जो घमंडी(अहंकारी) होते है. वे अपने ही अहंकार में खुद फंस जाते है. इसलिए खुद की मेहनत पर कभी अहंकार नहीं दिखाना चाहिए.
हम मेहनत करेंगे. तो कल हमारी मेहनत हमारे लिए ही उपयोगी होगी. न कि दोस्तों और रिश्तेदारों के इसी कारण हमें हर समय कठोर मेहनत करनी चाहिए.
अपने जीवन में अपनी सफलता के लिए कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए. जिससे किसी दुसरे की आत्मा को ठेस पहुंचे. सदैव मेहनत करें. तथा खुद पर विश्वास रखें. सफलताए एक दिन अवश्य आपके शरणों में होगी.
''मेहनत कर रे मानवी मेहनत राखे मान
बिन मेहनत रिजे नही,गुरु धणी भगवान."