ये त्यौहार बोद्ध धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाता है.बोद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म,मृत्यु तथा ज्ञान इसी दिन मिला था.इसलिए बोद्ध धर्म के लोग इस त्यौहार को मनाते है.आज के इस आर्टिकल में हम बुद्ध पूर्णिमा पर निबंध के माध्यम से सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
बुद्ध पूर्णिमा पर निबंध Essay on Buddha Purnima in Hindi
भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन हुआ था, जिस कारण हर वर्ष इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. जो इस वर्ष 5 मई को मनाई जा रही है.
यह पूर्णिमा बौध धर्म के लोगो के लिए सबसे बड़ा और महत्व रखने वाला उत्सव है. जिसे हिन्दू भी मानते है. बुध को हिन्दू ग्रंथो के अनुसार भगवान् विष्णु का नौवा अवतार माना गया है. बौध धर्म के संस्थापक माने जाने वाले बुद्ध की पूर्णिमा पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
महात्मा बुध द्वारा दिए गए उपदेश आज जन कल्याणकारी साबित हो रहे है. तथा सभी उनके उपदेशो की पालना कर रहे है. उन्होंने अपने जीवन में प्रेम करुना और सहिष्णुता के पथ पर चलने के लिए सभी को प्रेरित किया.
बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जन्मदिन के अवसर पर मनाई जाती है। यह हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, ज्ञान की प्राप्ति हुई तथा मोक्ष की प्राप्ति भी इसी दिन हुई जिस कारण यह दिन महात्मा बुध के लिए पवित्र दिन माना जाता है।
बौद्ध धर्म के लोगों के लिए यह विशेष पर्व होता है। महात्मा बुध का बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था। उनका जन्म वैशाख पूर्णिमा को हुआ तथा ज्ञान की प्राप्ति भी वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे हुई जिस वृक्ष को आज हम बोधि वृक्ष के नाम से जानते हैं। जो कि बिहार में स्थित है।
ज्ञान की प्राप्ति से पूर्व महात्मा बुद्ध को सिद्धार्थ के नाम से जानते थे, ज्ञान की प्राप्ति के बाद इन्हें महात्मा बुद्ध अर्थात तार्किक बुद्धि से ऊपर नाम दिया।
बुद्ध का पहला उपदेश सारनाथ में दिया जैसे धर्म चक्र प्रवर्तन का नाम दिया गया। इन्होंने अपने उपदेश इससे संपूर्ण विश्व में ज्ञान का संचार किया।
इनका जन्म लुंबिनी नेपाल में हुआ लेकिन इन्होंने अपने ज्ञान के पराक्रम से संपूर्ण भारत और विश्व में उपदेश दिए तथा लोगों का कल्याण किया।
महात्मा बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है। सिद्धार्थ ने 16 वर्ष की आयु में यशोधरा के साथ विवाह किया। सिद्धार्थ अपना गृहस्थी जीवन बिता रहे थे।
एक बार वे शिकार के लिए गए तो उन्होंने यह तो बीमार व्यक्ति, एक वृद्ध व्यक्ति और एक व्यक्ति की अंतिम यात्रा का दर्शन किया जिससे सिद्धार्थ अपने गंतव्य बिंदु के बारे में जान गए और उन्होंने गृहस्ती जीवन को छोड़कर सन्यास धारण कर लिया।
कई सालों की कठोर तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हो गई जिस कारण सिद्धार्थ को महात्मा बुध कहने लगे। जिस वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई उस वृक्ष को बोधि वृक्ष कहने लगे और गांव का नाम बोधगया रख दिया गया।
महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति वैशाख पूर्णिमा के दिन हुई जिस कारण जिस दिन को बौद्ध धर्म के लोग ही नहीं बल्कि संपूर्ण धर्म के अनुयाई इस पर्व को मनाते हैं।
Short Essay on Buddha Purnima in Hindi 2024
बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जन्म दिवस,ज्ञान प्राप्ति तथा मृत्यु के प्रतिक के रूप में मनाई जाती है,ये बौद्ध धर्म का प्रमुख त्यौहार है.ये हर साल को वैशाख माह की अमावस्या को मनाई जाती है.
इसे बौद्ध में काफी महत्व दिया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा 2024 गुरुवार, 23 मई को मनाई जाएगी.ये त्यौहार बौद्ध धर्म की शोभा को बढाता है.इसी कारण इस त्यौहार को बौद्ध धर्म के लोग बड़ी धूम-धाम के साथ मनाते है.
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
वैशाख की अमावस्या को लुम्बिनी नमक स्थान पर शुद्धोधन तथा मायादेवी के घर में पुत्र रत्न के रूप में सिद्धार्थ का जन्म हुआ. यही सिद्धार्थ बड़े होकर गौतम बुद्ध अथवा महत्मा बुद्ध कहलाये थे.
महत्मा बुद्ध के जन्म के सात दिन पश्चात्अ ही उनकी माता मायादेवी की मृत्यु हो गई.जिसके बाद महात्मा बुद्ध का लालन-पालन उनकी सौतेली माँ ने किया था.
29 वर्ष की आयु में महत्मा बुद्ध ने गृह को त्याग दिया और भक्ति करने चले गए.लगातार सात साल की कठोर तपस्या के बाद महात्मा बुद्ध की 35 वी जयंती पर वैशाख की अमावस्या को उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ.जिसके बाद उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था.
इसके बाद 483 ईसा पूर्व वैशाख की अमावस्या एक व्यक्ति के द्वारे परोसे गए.विषाक्त भोजन करने के कारण 80 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध की मृत्यु हो गई.पर इसके खास बात ये थी.कि बुद्ध का जन्म,ज्ञान तथा मृत्यु वैशाख की आमवस्या को हुआ था.इसलिए ये दिन बौध धर्म के लोगो केव लिए और भी ख़ास है.
इस पर्व को मनाने की परंपरा- बुद्ध पूर्णिमा को परम्परागत तरीके से मनाई जाती है.इस त्यौहार की शुरुआत प्रार्थना के साथ होती है. इसके बाद सभी लोग दीपक जलाते है.
बुद्ध की प्रतिमा को फुल चढाते है.तथा पीपल के पेड़ की पूजा करते है. इस वृक्ष को बोधि वृक्ष कहते है.इस वृक्ष की सुरक्षा की जाती है.इसके एक से बढ़कर एक व्यक्ति भाग लेते है.और इस त्यौहार को बड़ी धूम धाम से मनाते है.
इस दिन सभी लोग बुद्ध के मंदिरों में पूजा पाठ करते है.तथा झंडा रोहण करते है. इस दिन बुद्ध से सभी मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है.पर ये त्यौहार प्रमुख रूप से बिहार में मनाया जाता है.क्योकि वहां पर बुद्ध का भव्य मंदिर है. इस सभी लोग सफ़ेद पौशाक पहनकर आते है.
बुद्ध पूर्णिमा पर निबंध
सबसे पहले आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक बधाईयाँ तथा ढेर सारी शुभकामनाए.बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा तथा प्रमुख त्यौहार बुद्ध पूर्णिमा को माना जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा महात्मा बुद्ध की याद में मनाई जाती है.माना जाता है.कि इस दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था.इसी दिन महत्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ.तथा इसी दिन महात्मा बुद्ध का स्वर्गवास हुआ.इसलिए बौद्ध धर्म के लोग इसे पवित्र त्यौहार के रूप में मनाते है.
बुद्ध पूर्णिमा वैशाख महीने की अमावस्या को मनाई जाती है.ये अंग्रेजी केलेंडर के अनुसार मई महीने में आती है. इस वर्ष यानि 2024 में बुद्ध पूर्णिमा गुरुवार, 23 मई को मनाई जाएगी. ये हर साल बौद्ध धर्म के लोगो द्वारा मनाई जाती है.
ये भारत सहित कई देशो में मनाई जाती है.जहाँ बौद्ध धर्म के लोग बसते है.जैसे-नेपाल और बांग्लादेश थाईलैंड आदि.इसे अलग-अलग देशो में अलग-अलग नामो से जाना जाता है.जैसे- विशाखा में बुका, इंडोनेशिया में वैसाक और श्रीलंका और मलेशिया में वेसाक कहा जाता है.और भारत में इसे बुद्ध पूर्णिमा कहते है.
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध के जन्म दिन की याद में इस त्यौहार को मनाया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा की ताइवान सरकार द्वारा शुरुआत की गई.जिसके बाद ये प्रति वर्ष बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है.
ये त्यौहार एशिया के कई देशो में मनाया जाता है.और ये त्यौहार बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र त्यौहार है.इसे अलग-अलग रीती रिवाज द्वारा मनाया जाता है.
समारोह और अनुष्ठान Celebration of Buddha Jayanti or Purnima
वैसे तो बुद्ध पूर्णिमा सम्पूर्ण भारत में मनाई जाती है.पर इसका प्रमुख स्थान बोध गया है.जो कि गौतम बुद्ध का तीर्थ स्थल है. ये स्थान महत्मा बुद्ध के लिए विख्यात है.
ये स्थान बिहार राज्य में स्थिति है.और इसे महात्मा बुद्ध से जोड़ा गया है.इसी कारण इस स्थान पर बुद्ध की पूजा की जाती है.और बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है.
जिस तरह हिन्दू भगवान राम के उत्सव पर दीपक जलाकर मनाते है.उसी प्रकार बौद्ध धर्म के लोग भी महात्मा बुद्ध के इस त्यौहार को दीपक जलाकर मनाते है.
इस दिन दूर-दूर से बौद्ध धर्म के लोग भारत में आते है.तथा महात्मा बुद्ध की पूर्णिमा को मनाते है.इस दिन सभी लोग अपने-अपने घरो को रंगीन झंडी से सजाते है.क्योकि महात्मा बुद्ध का पसंदीदा रंग रंगीन ही था.बौद्ध धर्म के अनुनायी दो प्रकार के होते है.जिसमे सन्यासी लोगो को भिक्षु तथा गृह बस्ती के लोगो को उपासक कहते है.
इस दिन भिक्षु तथा उपासक दोनों महत्मा बुद्ध की पूर्णिमा को मानाने के लिए एकत्रित होते है.इस दिन बौद्ध धर्म के लोग बुद्ध की प्रार्थना गाते है.कई लोग उपदेश देते है.और कई लोग जुलुस निकालकर अपनी खुशी को प्रकट करते है.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सभी लोग सफ़ेद कपडे धारण कर पूर्णिमा को मानाने के लिए आते है.कई लोग इस दिन पीपल के पेड़ को फुल चढाते है.दीपक जलाते तथा मोमबत्तिया क]जलाते है.क्योकि इसी दिन महात्मा बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था.
इस दिन सभी लोग एक दुसरे के घर जाते है.और पकवान बनाते है.इस दिन खासकर खीर पूरी बनाई जाती है.इस दिन को बौद्ध सबसे पवित्र मानते है.इस त्यौहार को मानाने के बाद सभी लोग ख़ुशी-खुशु अपने-अपने घर लौट जाते है.और इस प्रकार ये त्यौहार मनाया जाता है.
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं व नियम Lord Buddha’s teachings
भगवान बुद्ध ने अपना पहले उपदेश में चार सत्य बाते बताई जो बौद्ध धर्म की नीव बनी.बुद्ध के सभी उपदेश आज सभी के लिए वरदान साबित हुए है.उनके उपदेश आज भी लोगो को शिक्षा का पथ दिखाते है.महत्मा बुद्ध का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतीत्य समुत्पाद है.
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न
- बुद्ध
- धम्म
- संघ
चार परम सत्य
- पहला परम सत्य मानव का दुःख है.
- दूसरा परम सत्य दुःख का कारण है.
- तीसरा परम सत्य दुःख का निदान है.
- चौथा परम सत्य दुःख निदान का साधन है.
आठ पथ
- सम्यक दृष्टि
- सम्यक संकल्प
- सम्यक वाणी
- सम्यक कर्मान्त
- सम्यक आजीव
- सम्यक व्यायाम
- सम्यक स्मृति
- सम्यक समाधि
बुद्ध के दस शील
- जीवन किसी की हत्या न करना
- कभी-भी चोरी न करना
- धन का नहीं रखना
- जीवन ने नशा नहीं करना
- नाच या गायन नहीं करना
- बिन समय भोजन नहीं करना
- धन को एकत्रित नहीं करना
- कभी बिस्तर धारण नहीं करना
- महिलाओ के पास न जाना
- हमेशा सत्य का साथ देना
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महत्मा बुद्ध के रोचक तथ्य Interesting facts of Mahatma Buddha
- महत्मा बुद्ध को एशिया का ज्योति पुंज कहा जाता है.
- बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था.
- महात्मा बुद्ध के गृह त्याग को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण कहते है.
- आलारकलाम बुद्ध के प्रथम गुरु थे.
- बुद्ध ने 6 वर्ष लगातार बिना अन्न तपस्या करने के बाद उन्हें पीपल के वृक्ष के नीचे वैशाख की पूर्णिमा को ज्ञान प्राप्त हुआ था.
- बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया जिसे बौद्ध धर्म में धर्मचक्रपर्वतन कहा गया था.
- बौद्ध ने सबसे अधिक उपदेश श्रावस्ती में दिये.
- बौद्ध की मौत को बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा जाता है.
- शरीर के खत्म हो जाने को बुद्ध ने निर्वाण कहा था.
- पर वे पुनर्जन्म को मानते है.