भानगढ़ किले की कहानी और इतिहास Bhangarh Fort Story & History In Hindi :- हमारे देश में अनेक पर्यटन स्थल है. पर्यटन स्थलों में कई स्थल ऐसे है. जो डरवाने और भयानक होते है.वहां जाना जान को दावत देने के समान है.आज के आर्टिकल में हम भानगढ़ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
भानगढ़ किले की कहानी और इतिहास Bhangarh Fort Story & History In Hindi
हमारे देश का सबसे डरावना तथा भुतिया किला भानगढ़ है. भानगढ़ किला राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का अभ्यारण के पास अरावली पर्वतमाला पर स्थिति गढ़ है. इस गढ़ का निर्माण 15 शताब्दी में करवाया गया था.डरावने पर्यटन स्थलों में भारत का सबसे प्राचीनतम गढ़ भानगढ़ का सर्वोपरि है.
इस दुर्ग का निर्माण मानसिंह ने अपनी भाई माधो सिंह के लिए बनवाया था. माधो सिंह के पितामह का नाम भानसिंह था.इसलिए इस दुर्ग का नाम भी भानगढ़ का किला रखा गया था.भानगढ़ को वर्तमान में भूतो का गढ़ भी कहते है.
भानगढ़ के किले की शासिका रत्नावती थी. जो कि एक श्रेष्ठ शासिका के साथ साथ विद्वान भी थी. इस शहर के सभी लोग बहुत ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन व्यापन कर रहे थे. अपने समय में भानगढ़ भारत का सबसे श्रेष्ठ गढ़ था.ये अपनी शिल्पकला और चित्रशैली के लिए प्रसिद्द था.
भानगढ़ के किले में अनेक हवेलिया, मंदिर, शाही महल, छतरिया, मकबरा हुआ करते थे. पर आज अधिकांश सुरक्षित नहीं है. पर निशानी के लिए उपस्थित है. इस गाँव को भूतो का गाँव कहा जाता है. पर इस गाँव में चार प्रमुख मंदिर भी थे.
देवताओ के चार मंदिरों गोपीनाथ, सोमेश्वर, केशवराय एवं मंगला देवी में से दो आज भी सुरक्षित है. इस किले में एक विशाल मकबरा भी बनी हुई है. और सभी घर और अधिकांश मंदिर आज खंडर बन चुके है.
भानगढ़ किले की कहानी Bhangarh Fort Story in hindi
राजस्थान अपने ऐतिहासिक स्थलों के लिए विख्यात राज्य है. यहाँ जगह-जगह पर बड़े बड़े तथा भव्य किले बनाए गए है. जिसमे एक नाम भानगढ़ का भी आता है. ये किला एक आज खौपनाक किला बन गया है. इस किले में रात के समय में अन्दर प्रवेश निषेध किया गया है.
भानगढ़ का किला आखिर किन कारणों और किस घटनाओ के बाद इतना डरावना बन गया.क्या है? इसकी प्रचलित मान्यताए क्यों आज भानगढ़ का गाँव खाली है.इसके पीछे कई कहानिया प्रचलित है. जो हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है.
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित एक गाँव जिसका नाम भानगढ़ है. इस गाँव का नाम भानगढ़ इसलिए रखा गया क्योकि इस गाँव में भानगढ़ का किला है. ये किला अरावली की दुर्गम पहाडियों के बीच बनाया गया है.
भानगढ़ की शासिका रत्नावती थी. जो कि एक श्रेष्ठ शासिका थी. ये शासिका के साथ-साथ एक विद्वान् भी थी. भानगढ़ में लगभग हजार घर थे. सभी लोग शांति से अपना जीवन व्यापन कर रहे थे. इस गाँव को उस समय का सबसे शांत गाँव माना जाता था.
इस गाँव में एक आघोरी साधू भी रहता था. जो कि काले जादू, टोने-टोटके आदि अनेक विधियों जनता था. ये साधू होने पर भी इसकी नियत ख़राब निकली कई बार साधुओ को महल में बुलाकर खाना खिलाया जाता था.
इस गाँव की शासिका रत्नावती रूप की सरूप थी. दिखने में सबसे सुन्दर दिखने वाली रानी भानगढ़ की शासिका रत्नावती थी. ये हमेशा बड़ो का आदर करती तथा सभी गाँव के लोगो की सहयता करती थी. जिससे सभी लोग बहुत खुश थे.
प्रत्येक व्यक्ति की कुछ खासियत तो कुछ कमज़ोरियाँ भी छुपी होती है. रानी रत्नावती इतर के बिना कुछ समय भी नहीं रह पाती थी. इतर को अपना जीवन साथी मानती थी.
इस गाँव के एक साधू को रानी रत्नावती से प्रेम हो गया था. एक साधू के कहने पर गाँव की रानी उसके साथ कुटिया में नहीं रह सकती है. इस बात से साधू भलीभांति परिचित था. इसलिए सीधे रानी को कहने की बजाय दूसरा रास्ता चुना.
उसके पास अनेक शक्तियों मौजूद थी. जिससे वह रानी को वस् में कर सकता था. इसलिए उसने रानी की कमजोरी का फायदा उठाते हुए. रानी के लिए एक इतर का निर्माण किया और उसमे अपनी शक्तियों को समाहित कर दिया था.
उस इतर में समाहित शक्तियों का प्रभाव बहुत गहरा था. इतर में प्रयुक्त शक्ति ये थी. कि जो भी इस इतर को लगाएगा वह सीधा साधू बाबा की और रवाना हो जायेगा. साधू के इस काले जादू के अनेक प्रयोग सिद्ध हुए.
साधू इस इतर का प्रयोग कर रानी से चल करना चाहता था. और रानी को अपने वस् में करना चाहता था. अपनी इस योजना से रानी को अपना बनाने के ख्याल से साधू ने काले जादू इतर को रानी के महल में पहुंचा दिया.
रानी के महल में इतर रानी को सौपा गया. पर रानी ने उसे स्पर्श करते ही उसकी काली शक्तियों की पहचान कर ली थी. रानी काफी विद्वान् थी. इसलिए उसने इस इतर का प्रयोग न करते हुए. इसे किले से बहार फेंक दिया.
इतर जिस पर गिरा वह एक चट्टान थी. और साधू के नियम के अनुसार ही रानी के स्थान पर एक चट्टान साधू की और रवाना हुई. साधू इस बात को समझ गया पर अपने ही जादू के जाल में फंस गया. और चट्टान के नीचे दबकर मर गया.
साधू के अपनी अंतिम श्वासों में सभी गाँव वासियों और रानी को श्राप दे दिया. और इस गाँव की बर्बादी हो. ये कहकर मर गया. एक कठोर तपस्वी के इस श्राप से बचना संभव नहीं था. इसलिए कई लोगो ने इस गाँव का त्याग भी किया.
साधू की मौत के कुछ महीनो बाद साधू के श्राप की शुरुआत होती है. और भानगढ़ किले पर मुगलों द्वारा हमला बोला जाता है. इस हमले में एक हजार से अधिक लोग किले के नीचे दबकर मर गए. तथा शेष गाँव के लोगो को भी मार दिया गया था.
मुगलों ने इस किले पर अधिकार कर लेने के बाद मुगलों पर अनेक आक्रमण हुए. तथा हर रोज आंतरिक मामलों से लोगो की जान जाने लगी. इस प्रकार सम्पूर्ण गाँव में अशांति का वातावरण बन गया था. हर रोज लोग मर रहे थे.
मौतों का सिलचिला कुछ महीनो तक चलने के बाद इस गाँव के अधिकांश लोग मर गए. और कुछ शेष लोग इस गाँव को छोड़कर चले गए. इस प्रकार कुछ ही सालो में साधू के श्राप के मुताबित इस गाँव की बर्बादी हो गई.
भानगढ़ का ये विशाल गाँव अब दूर दूर तक वीरान हो गया. इस घटना को आज लगभग चार सौ साल हो गए है. और आज तक इस गाँव में कोई व्यक्ति निवास नहीं करता है. तथा अभी तक ये गाँव एक वीरान गाँव है.
अब ये भानगढ़ गाँव की बजाय भूतो का गाँव बन गया. और यहाँ लोगो की बजाय भूतो का अपना निवास हो गया है. अब ये गाँव ध्वंस हो गया है. और भानगढ़ का किला केवल एक पर्यटन स्थल ही रह गया है. आज इस किले को भारत का सबसे डरावना किला माना जाता है.
भानगढ़ का इतिहास History Of Bhangarh In Hindi
भानगढ़ का किला वर्तमान में भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है. ये स्थल राजस्थान के अलवर जिले में स्थिति है. इस किला का निमार्ण माधोसिंह से 1573 को करवाया था.माधोसिंह ने इस किले का नाम अपने दादाजी भागसिंह के नाम पर रखा.
इस किले का निमार्ण सुरक्षा के उदेश्य से किया गया था. इसी कारण इस किलो को अरावली की पहाडियों के मध्य बनाया गया था. इस किले में धन संपदा भी रखी जाती थी. इस किले का आकार बड़ा होने के कारण इस किले में 10 हजार लोग रह सकते थे.
इस किले में की बर्बादी श्राप के कारण शुरू हुई. और इसके बाद भूतो का घर कहलाया. ये किला भलेकी भूतो का घर कहलाता हो पर इस किले में अनेक मंदिर बने हुए है. इस किले के प्रवेश द्वारा पर हनुमान जी का मंदिर है. तथा इसके भीतर शिवजी तथा विष्णु के मंदिर है.
भानगढ़ का किला का रहस्य Mystery of Bhangarh Fort In Hindi
इस किले के रहस्य को जानने के लिए कई लोगो और वैज्ञानिको ने अपने प्रयास किये है. पर आज तक इस किले के रहस्य का कोई प्रमाण हासिंल नहीं कर पाया है. इस किले में रात के समय यात्रा वर्जित की गई है.
कहा जाता है कि इस किले में रात को जो भी अकेला गया वह वापस लौटकर नहीं आ पाया. और ये बात सच भी है. क्योकि इस किले में आज भी अनेक कंकाल नजर आते है. इस किले में कई बार भारत की बड़ी बड़ी न्यूज एजंसी की टीम यहाँ पर पहुँच चुकी है. पर किसी को कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
माना जाता है. कि रात के समय में इस किले में वही पुराना समय वापस आता है. वही रानी पद्मावती तथा वही सैनिक और गाँव के लोग रात के समय में इस किले में निवास करते है. और कई बार इस किले से शौरगुल की आवाज भी चुनाई देती है.
इस किले में प्रवेश करने वाला इस घटना को देख नहीं सकता पर वह महसूस करता है. और ये काफी हद तक सही भी है. पर रहस्य की बात ये है. कि इस किले का पुराना दर्शन करने वाला व्यक्ति भी उन लोगो के साथ शामिल हो जाता है.
इस किले में कई बार खोजे की गई पर इन खोजो दौरान काफी रहस्यों को सुलझाया गया था. जिसमे से एक रहस्य है. कि इस किले में आवाज कहा से आती है. कई लोगो की मान्यता ये है. कि इस किले में भूतो का निवास है. उनके शौर की आवाज है.
पर इस पर खोज करने के बाद पाया गया कि इस किले में होने वाली अधिकांश मौतों का कारण ये आवाज ही है. और ये आवाज भूतो की नहीं बल्कि इस किले के नीचे से बह रही नदी की है. इस बात में कितनी सच्चाई है. ये अभी सामने नहीं आई है.
इस किले का दूसरा रहस्य ये है. कि इस किले में एक कमरा है. मान्यताओ के अनुसार ये वह कमरा है. जिस कमरे में रानी नाच करती थी. इसी कारण आज भी इस किले में रानी नाचती है. इस पर विज्ञान का कोई तर्क सामने नहीं आया है.
इस किले का एक रहस्य ये है. कि इस किले में कमरों के अनुसार अलग-अलग सुगंध आती है. कही फूलो की तो कही इतर की माना जाता है. कि रानी के कमरे में आज भी इतर की सुगंध आती है. और ये एक सच्चाई है. जिसे विज्ञानं भी मानता है.
इस कमरे के आलावा एक कमरा है. जहाँ पर बहुत खुशबूदार सुगंध आती है. काल्पनिक कहानियो ने आधार पर ये सुगंध जिन की होती है. और मान्यताओ के अनुसार ही यहाँ जिन रहते थे. और शायद आज भी रहते हो. इस पर विज्ञान कोई तर्क नहीं दे पाई है. इसलिए ये भी एक रहस्य है.
इस किले में यंत्रो द्वारा प्रयोग में पाया गया कि इस किले में कई जगहों पर नकारात्मक ऊर्जा पाई जा रही है. इसी कारण महसूस होता है. जैसे कोई हमें स्पर्श कर रहा हो. ये एक सच्चाई है.
इस किले में कई जगहों पर ऐसा लगता है. जैसे कोई हमारा गला दबा रहा हो. पर सच्चाई ये है. कि इस किले के आस-पास पहाड़िया होने के कारण इस किले में प्रयुक्त वायु न पहुँच पाने के कारण श्वांस लेने में तकलीफ होती है. और इस स्थिति में गले दबने लगता है.
कई लोग कहते है. कि इस किले के उपरी भाग में जहा रानी रहती थी. वहा पर यहाँ हर रोज एक फुल मिलता है. इस पर किये प्रयोगों के परिणाम स्वरूप ये लोगो द्वारा फैलाई गई. एक झूठी अपवाह है.
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