वर्षा ऋतु पर निबंध Essay On Rainy Season In Hindi
गर्मी का मौसम गुजरते गुजरते ही बरसात का मौसम अपनी दस्तक वातावरण में देने लगता है। जहां गर्मी के मौसम में लोग तेज चिलचिलाती धूप से परेशान होते हैं.
वही बरसात के मौसम का आगमन होते ही सभी के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार होने लगता है और सभी वर्षा ऋतु का स्वागत करने के लिए बेताब होने लगते हैं। सिर्फ इंसान ही नहीं गर्मी से बेहाल पशु पक्षी और धरती माता भी व्याकुलता के साथ वर्षा ऋतु की राह देखने लगती है।
वर्षा ऋतु आने पर चारों और नए दृश्य दिखाई देते हैं जो मन को रोमांचित करते हैं। इंसानों के अलावा जीव जंतु और पेड़ पौधे भी बेसब्री के साथ वर्षा ऋतु के आगमन का इंतजार करते हैं।
गर्मी का प्रकोप मई-जून के महीने में एकदम चरम पर होता है परंतु वर्षा ऋतु गर्मी के प्रकोप को कम करने के लिए अपनी दस्तक जून के आखिरी दिनों में देने लगती है।
जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तब कैलेंडर के हिसाब से सावन भादो का महीना चल रहा होता है क्योंकि अक्सर वर्षा ऋतु सावन के महीने में ही आती है।
जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तब पानी की बूंदे धरती पर गिरना प्रारंभ हो जाती है जिसकी वजह से गर्मी के मौसम में जो नदी, तालाब, सूख गए होते हैं.
उनमें फिर से पानी भरने लगता है साथ ही जो पेड़ पौधे सूख गए होते हैं उन्हें भी पानी मिलता है और वह फिर से हरे भरे होने लगते हैं, वही गर्मी से व्याकुल जीव-जंतुओं को भी पीने के लिए हर जगह पानी मिलने लगता है।
जब वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है तो आसमानों में चमकदार सफेद अथवा नीले बादल दिखाई देना प्रारंभ हो जाते हैं। कभी कभी यह बादल काले रंग के भी होते हैं।
अक्सर वर्षा ऋतु के दरमियान आकाश में दूर तक फैला हुआ इंद्रधनुष भी दिखाई देता है जो सतरंगी होता है जिसे देखने के लिए सभी लोग बहुत ही व्याकुल होते हैं।
वर्षा ऋतु आने पर वातावरण में ठंडी हवाएं चलने लगती है साथ ही हरियाली का स्तर भी चारों तरफ बढ़ जाता है। खेतों में लगाई हुई फसलें भी लहराने लगती है और किसानों के चेहरे भी खिलने लगते हैं।
चारों तरफ अलग-अलग प्रकार के पशु पक्षियों की चहचहाहट भी सुनाई देती है। मोर भी इस मौसम में अपने सभी पंखों को फैला कर के नाचने गाने लगता है और वर्षा ऋतु का स्वागत करता है। वर्षा ऋतु में पशु पक्षी जानवर सभी बहुत ही खुश होते हैं।
इंसानों के लिए हर मौसम का महत्व होता है परंतु उसके लिए बरसात के मौसम का एक अलग ही महत्व होता है, क्योंकि हम सभी बचपन से ही यह जानते हैं कि जल ही जीवन है अर्थात हमारे जीवन में जिस प्रकार से भोजन का महत्व है उसी प्रकार से पानी का भी अत्यधिक महत्व है।
अगर हमें पीने के लिए पानी ना मिले तो हम शायद अधिक देर तक जिंदा ना रह सके। इसलिए अगर बरसात नहीं हो तो धरती पर पानी की कमी हो जाए जिससे अकाल का सामना करना पड़ सकता है।
इंसानों के अलावा जंगलों में रहने वाले पशु पक्षियों और जानवरों के लिए भी बरसात के मौसम का विशेष महत्व होता है क्योंकि उन्हें भी पीने के लिए पानी की आवश्यकता होती है और भोजन के लिए पेड़ पौधों की आवश्यकता होती है और पेड़ पौधे तभी बड़े होते हैं जब उन्हें पानी मिलता है।
कृषि प्रधान देश होने के नाते हमारे भारत देश में तकरीबन 60% की आबादी खेती पर ही आधारित है और खेती तभी अच्छे से होती है जब सही समय पर फसलों की सिंचाई की जाए और फसलों की सिंचाई सही समय पर तभी की जा सकती है.
जब नदी तालाब में पानी हो और यह पानी बरसात के द्वारा ही धरती पर आता है इस प्रकार से किसानों की आमदनी में विशेष तौर पर वर्षा ऋतु का महत्व है।
इसलिए किसान भाई बड़ी बेसब्री से बरसात के मौसम के आने का इंतजार करते हैं और कई बार जब किसी जगह पर लंबे समय तक बरसात नहीं होती है तो किसानों के द्वारा कुछ प्राचीन टोने टोटके का भी इस्तेमाल किया जाता है और इंद्र देवता को बरसात करने के लिए मनाया जाता है।
वर्षा ऋतु के आगमन से वातावरण में से गर्मी छूमंतर हो जाती है और वातावरण में शीतलता अधिक हो जाती है। इस ऋतु में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। पेड़ पौधे और नदी, तालाब में काफी सुधार होता है।
किसानों के द्वारा लगाई गई फसलें भी पानी प्राप्ति के बाद लहराने लगती है और जानवरों को भारी मात्रा में हरी घास भी खाने के लिए प्राप्त होती है।
वर्षा ऋतु से जमीन के जल स्तर में भी सुधार होता है और इसी मौसम में लोगों को मोर जैसे पक्षियों को पंख फैलाते हुए देखने में आनंद आता है।
वर्षा ऋतु के फायदे के अलावा इसके कुछ नुकसान भी है। इस ऋतु में चारों तरफ पानी ही पानी हो जाता है जिसकी वजह से आवागमन में काफी समस्याएं पैदा होती है। इसके अलावा अधिक बरसात हो जाने पर बाढ़ जैसी समस्या का सामना भी लोगों को करना पड़ता है।
कई बार जलभराव होने की अवस्था में किसानों की फसलें भी खराब हो जाती है वही किसी जगह पर पानी इकट्ठा होने की वजह से गंदगी होती है और हानिकारक मच्छर भी पैदा होते हैं जिसके कारण मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां भी लोगों को होने लगती हैं। इसके अलावा चारों तरफ गंदगी और कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है।
वर्षा ऋतु में ही कुछ प्रमुख त्यौहार भी आते हैं। जैसे की जन्माष्टमी, तीज, रक्षाबंधन, ईद-उल-जुहा, मोहर्रम, ओणम, गणेश पूजा, प्रकाश पर्व इत्यादि। यह सभी त्यौहार वर्षा ऋतु में ही मनाया जाते हैं। इसलिए वर्षा ऋतु को त्योहारों का मौसम भी कहा जाता है।
वर्षा का होना सभी जीव जंतुओं और जीवित प्राणी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर बरसात नहीं होगी तो हमें पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा और बिना पानी के कोई भी सजीव अधिक दिनों तक जिंदा नहीं रह सकेगा। कभी-कभी वर्षा के कारण कुछ नुकसान भी हो जाते हैं परंतु नुकसान की अपेक्षा वर्षा के फायदे अधिक हैं।