पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation essay in Hindi: नमस्कार प्यारे दोस्तों आज हम पर्यावरण संरक्षण पर सरल भाषा में निबंध, भाषण, स्पीच लेकर आए हैं, आज हम जानेगे कि पर्यावरण क्या है इसके संरक्षण की समस्या, आवश्यकता, महत्व और उपाय क्या हैं. चलिए निबंध पढ़ते हैं.
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation essay in Hindi
प्रस्तावना: पर्यावरण शब्द परि+ आवरण के योग से मिलकर बना हैं. यहाँ परि का आशय चारो ओर एवं आवरण का अर्थ परिवेश से हैं. सरल शब्दों में कहे तो हमारे आसपास जो भी सजीव निर्जीव दिखाई देती है अथवा अस्तित्व में हैं.
वह सब कुछ पर्यावरण हैं. उक्त परिभाषा के मुताबिक़ पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि को सम्मिलित किया जा सकता हैं.
मानव भी पर्यावरण का ही एक अभिन्न अंग है, इसलिए हमें अपने मानवीय धर्म को निभाते हुए अपने परिवेश को संरक्षित करना होगा, यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यो का सही से निर्वहन करेगा तो हमारे लिए चिंता का विषय बन रहे मुद्दे हमारी स्ट्रेंथ के रूप में सामने आएगी.
हमारा अपना परिवेश हमें हर प्रकार के संसाधन प्रदान करता है, जिसमे वायु से लेकर औषधि जैसी अनेक बहुमुल्यी चीजे प्रदान करता है, तो हमारा यह दायित्व बनता है, कि हमारे कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले इस परिवेश को अपनी तरफ से संरक्षण दिया जाए.
पर्यावरण संरक्षण की समस्या- आज की विज्ञान मानव के मस्तिष्क की उपज हैं. इसकी बेलगाम प्रगति तथा नयें आविष्कारों की होड़ के चलते मनुष्य ने प्रकृति पर विजय की अभिलाषा को जगा दिया हैं.
यही कारण है कि प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया हैं. दूसरी तरफ जनसंख्या में हो रही अबाधित वृद्धि, जंगलों की कटाई कर कल कारखानों व नयें शहर बसाने और समस्त प्राकृतिक संसाधनों के अतिशय दोहन व प्रदूषण आदि के कारण हमारा पर्यावरण पूरी तरह से दूषित हो गया हैं तथा ऐसे में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ना नितांत अनिवार्य हो गया हैं.
पर्यावरण संरक्षण का महत्व- सभी प्राणियों का हमारे प्राकृतिक परिवेश के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध हैं. इसका हमारे जीवन में महत्व क्या हैं इसे इस बात से समझा जा सकता हैं.
हमारा जीवन पांच तत्वों जल, जमीन, वायु, अग्नि और आकाश से बनता है तथा मृत्यु के बाद पुनः इसी में विलीन हो जाता हैं. प्रकृति के बिना जीवन, ये सोच से परे की बात हैं.
यदि पर्यावरण के संरक्षण की ओर हमारा ध्यान नहीं गया तो निश्चित ही एक दिन पृथ्वी भी मंगल आदि अन्य ग्रहों की भांति जीवन विहीन हो जाएगी.
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए सबसे पहले हमें इसके संतुलन को बिगाड़ने वाले कारकों को नियंत्रित करना होगा. जिन भी कारकों से हमारी वायु, परिवेश आदि प्रभावित हो रही है उनमें कमी करने के उपाय अपनाने चाहिए.
यज्ञ, अन्न, जल, वायु, औषधि ये पर्यावरण संरक्षण के सर्वोत्तम उपाय हो सकते हैं. भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनियों ने नित्य यज्ञ की परम्परा अपनाई जाती थी. वही वृक्ष लगाने को पुत्रोत्पादन जैसा पुण्य कार्य माना गया हैं.
पर्यावरण संरक्षण और भारतीय मूल्य: हमारी संस्कृति के मूल में प्रकृति रही है जिसके साथ सह अस्तित्व की भावना के साथ जीने की पद्धति हमारे पूर्वजों ने अपनाई थी. प्रकृति, पेड़, नदियाँ, पहाड़ को हमने पूजनीय मानकर इन्हें पवित्र रखने का विचार भी इसे संरक्षित करने से प्रेरित था.
वेदों एवं ग्रंथों में पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया गया हैं. प्रकृति की ऋतुओं पर हमारें त्यौहार और मान्यताएं रही हैं. पर्यावरण संरक्षण की बात करे और विश्नोई समाज की बात न करें तो यह ज्यादती होगी, उनके बलिदान का अपमान ही होगा.
वर्ष 1730 में जोधपुर के पास खेजडली गाँव में अमृता देवी के नेतृत्व में 363 विश्नोई स्त्री पुरुषों ने पेड़ों को बचाने के लिए अपना बलिदान दे दिया था. आज भी उनकी याद में खेजडली मेला लगता हैं.
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता: विगत कुछ वर्षों से विश्व का ध्यान पर्यावरण की समस्याओं की ओर गया हैं. शीर्ष पर्यावरणप्रेमी नागरिकों, केंद्रीय सरकारों, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिक, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने विश्व के कई कोनो में अकाल, सूखा, इंर्धन की कमी, जलाने की लकड़ी और चारा, वायु और जल प्रदूषण, रासायनिको और विकिरणो की समस्या के प्रति सतर्कता दिखाई हैं.
मनुष्य पूरी तरह से प्रकृति के पंचतत्वों पर आश्रित हैं. इस कारण भी प्रकृति के संसाधनों के प्रति अधिक सतर्क और सजग होने की आवश्यकता हैं.
आने वाले एक दो दशकों में इन पर्यावर्णीय मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठाए गये तो मानव जाति एक गहरे संकट में होगी. हमारी धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए नहीं रहेगी.
मानव के भविष्य का प्रश्न प्रकृति के साथ जुड़ा हैं यदि थोड़े संजीदा होकर इस दिशा में प्रयास किये जाए तो प्रकृति परिवर्तनकारी हैं जो स्वयं को पुनर्जीवित कर देगी. अब सभी देशों की सरकारों एवं नागरिकों को जनसंख्या नियंत्रण, जीवाश्म ईंधन में किसी भी तरह भारी कमी लानी ही होगी.
उपसंहार- चूँकि पर्यावरण की समस्या एक भयावह और वैश्विक समस्या हैं अतः इसके निदान के लिए भी समूचे संसार को एक साथ आना होगा. सभी के समेकित प्रयासों से ही इस समस्या से निपटा जा सकता हैं.
एक नागरिक के रूप में हमें अधिकाधिक वृक्ष लगाकर प्राकृतिक संसाधनों के कम से कम दोहन करने की आदत विकसित की जानी चाहिए.