पेट्रोलियम संरक्षण पर निबंध Petroleum Conservation Essay In Hindi: नमस्कार मित्रों का प्रत्येक संसाधन बहुमूल्य हैं तथा सिमित मात्रा में उपलब्ध होने के कारण हमें उसके संरक्षण की आवश्यकता पड़ती है ताकि आने वाली पीढियां उसका उपयोग कर सके. पेट्रोल मानव की मूल आवश्यकताओं से जुड़ा हैं इसके संरक्षण की महत्ती आवश्यकता हैं. आज के निबंध में हम पेट्रोलियम के संरक्षण की आवश्यकता महत्व, उपाय आदि के बारे में विस्तार से जानेगे.
पेट्रोलियम संरक्षण पर निबंध Petroleum Conservation Essay In Hindi
भूगर्भ से खनन द्वारा निकाले जाने वाले उत्पादों में पेट्रोलियम प्रमुख हैं. भारत पेट्रोलियम का बड़ा उपभोक्ता देश हैं. हमारे यहाँ इसके पर्याप्त भंडार की कमी होने के कारण सदा से आयात पर निर्भर रहना पड़ा हैं.
साल दर साल देश में खपत की दर बढ़ती ही जा रही हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ यदि हम इसी तरह पेट्रोलियम का दोहन करते रहे तो आने वाले कुछ ही दशकों में इसके अधिकतर भंडार समाप्त हो जाएगे, ऐसे में हमें अब से ही इन संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
हमारे देश के परिवहन, उद्योग, कृषि एवं घरेलू इन चार क्षेत्रों की निर्भरता पेट्रोलियम पदार्थों पर ही हैं. यदि किसी तरह यह संसाधन समाप्त हो जाता हैं अथवा कमी पड़ने में इसकी दरों में वृद्धि होने पर इन सेक्टर पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा.
पेट्रोलियम संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर कार्यक्रम बनाकर उन्हें क्रियान्वित किये जाने की आवश्यकता हैं. तकनीक में सुधार, वित्तीय प्रोत्साहन, कानूनी सुधार के जरिये इसकी खपत को कम करके अन्य विकल्प को प्रोत्साहित करने की जरूरत हैं.
यदि हम आंकड़ों के हिसाब से बात करे तो हमारे देश में परिवहन के क्षेत्र में पेट्रोलियम की खपत सर्वाधिक 50 फीसदी हैं. पेट्रोल तथा डीजल से चलने वाले वाहन जो सड़क परिवहन के अंतर्गत आते हैं. कुल पेट्रोलियम की खपत का 37 प्रतिशत भाग स्थलीय परिवहन का हैं.
वही कृषि क्षेत्र में हल्के डीजल तेल का उपयोग होता हैं, पम्प, सिंचाई तकनीक और सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों की ओर ध्यान देकर पेट्रोलियम संरक्षण किया जा सकता हैं.
भारत में तेल और गैस उद्योग: भारत में प्राकृतिक गैस और तेल के भंडारों की खोज वर्ष 1889 में शुरू हुई थी, भारत का पहला गैस भंडार असम के डिगबोई में मिला था.
इसके बाद गुजरात और देश के अन्य हिस्सों में भी पर्याप्त पेट्रोलियम भंडारों को चिन्हित किया गया. वर्ष 2018 में भारत में कच्चे तेल भंडार का अनुमान 594.49 मिलियन टन (MT) और 1339.57 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) के प्राकृतिक गैस भंडार का अनुमान लगाया था.
देश अपने कुल पेट्रोलियम जरूरतों का 82 प्रतिशत भाग आयात करता हैं. सरकार ने नई खोजों, नवीकरणीय ऊर्जा और इथेनाल के जरिये वर्ष 2022 तक आयात को 67 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा हैं. 31 मार्च 2018 को, भारत में 23 कच्चे तेल रिफाइनरी थी.
भारत में कुल तेल शोधन क्षमता 248 MMT थी, जो पिछले वर्ष में 234 MT थी। भारत में रिफाइनरियों ने 2017-18 में 251.935 एमएमटी तेल का प्रसंस्करण किया जो 106.6% की क्षमता का उपयोग करता है।
69.2 मिलियन टन प्रति वर्ष की कुल प्रसंस्करण कैपिसिटी के साथ , सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन क्षमता के हिसाब से देश का सबसे बड़ी रिफाइनरी कम्पनी हैं.
पेट्रोलियम के मुख्य उपयोग क्या हैं: पेट्रोलियम उत्पाद क्या हैं, और पेट्रोलियम का उपयोग किन कामों के लिए होता हैं. पेट्रोलियम उत्पादों में परिवहन ईंधन, ताप और बिजली उत्पादन के लिए ईंधन तेल, डामर और सड़क तेल , और रसायन, प्लास्टिक आदि शामिल हैं इन सभी चीजों का प्रत्यक्ष रूप से हमारे दैनिक जीवन में भी उपयोग होता हैं.
भारत में पेट्रोल की खपत कितनी है: भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत की मात्रा वित्त वर्ष 2019 में लगभग 211 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान लगाया गया था। देश दुनिया भर में प्राथमिक ऊर्जा खपत के मामले में तीसरे स्थान पर था ।
भारत में पेट्रोलियम अधिकतर कहाँ पाया जाता है: संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है. भारत द्वारा सर्वाधिक तेल का आयात ईराक, सउदी अरब और इरान से किया जाता हैं. हमारे देश में मुख्यतः असम, गुजरात, मुंबई हाई में और गोदावरी और कृष्णा की नदी की घाटियों में पेट्रोलियम भंडार पाए जाते हैं.
पेट्रोलियम को काला सोना क्यों कहा जाता है: क्या आप जानते है कि पेट्रोलियम को ब्लैक गोल्ड अर्थात काला सोना कहा जाता हैं, पेट्रोलियम को जमीन से खुदाई करके कच्चे तेल के रूप में निकाला जाता हैं. यह हमारे जीवन के महत्वपूर्ण संसाधनो में से एक हैं इसलिए इसे काला सोना कहा जाता हैं.
पेट्रोलियम संरक्षण पर निबंध pdf
यदि हम ईंधन (Fuel) अथवा पेट्रोलियम को परिभाषित करे तो आसान शब्दों में ये वो पदार्थ हैं जिनका उपयोग हम वाहनों, मशीनों आदि में ऊर्जा के रूप में करते हैं. इन्हें भूगर्भ से खनन द्वारा क्रूड ऑयल के रूप में प्राप्त किया जाता हैं तथा इसके प्रमुख उत्पाद पेट्रोल या गैसोलीन,डीज़ल ,केरोसिन या मिटटी का तेल, ए टी ऍफ़ ,नेपथा ,प्राकृतिक गैस ,एलपीजी हैं.
इनका निर्माण लाखों वर्षों में जमीन के नीचे दबे मृत वनस्पति, जीवों आदि के अपघटन के फलस्वरूप होता हैं. इन्हें जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं. एक बार उपयोग के पश्चात इन्हें पुनः उत्पादित नहीं किया जा सकता हैं, अतः इन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता हैं.
पेट्रोलियम ईंधन सिमित मात्रा में उपलब्ध हैं, मगर इनके दोहन की गति बेहद तीव्र हैं. पेट्रोलियम संरक्षण के द्वारा हम आने वाली पीढ़ियों के लिए इस संसाधन को सुरक्षित कर सकते हैं साथ ही पर्यावरण प्रदूषण को भी कम कर सकते हैं.
कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं पेट्रोलियम संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं, जिनमें पीसी आर ए पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ भी एक हैं.
यह केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1978 में गठित संस्था हैं, जो पेट्रोलियम पर निर्भरता को कम करने और पेट्रोलियम संरक्षण नीति में सरकार की मदद करने का कार्य करती हैं.
आम नागरिक भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं. एक नागरिक के रूप में हम निम्न कार्य करके पेट्रोलियम संरक्षण में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं.
दैनिक जीवन में हम सार्वजनिक वाहनों के अधिकाधिक उपयोग करें, स्वय के वाहन को अधिक समय तक चालु करके न रोके. घर में एलपीजी के समुचित उपयोग को बढ़ावा देवे तथा इनकी बचत के उपायों को अमल में लावे. समय समय पर अपने वाहनों के इंजन की देखभाल करें.
टायरों में उचित दवाब उपयोग करें. कम दुरी के सफर में साइकिल अथवा पैदल चलने को प्रमुखता देवे. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देकर हम पेट्रोलियम संरक्षण में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं.
उम्मीद करता हूँ दोस्तों पेट्रोलियम संरक्षण पर निबंध Petroleum Conservation Essay In Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा, यदि आपकों इस स्पीच, अनुच्छेद, एस्से में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.