सांप्रदायिकता पर निबंध | Essay on Communalism in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में आपका स्वागत है आज हम साम्प्रदायिकता क्या है इसका अर्थ परिभाषा प्रभाव, विशेषताएं आदि के बारें में जानेगे, इस लेख को आप कम्युनलिज्म पर निबंध भाषण अनुच्छेद के रूप में भी पढ़ सकते हैं.
Essay on Communalism in Hindi
साम्प्रदायिकता वह हठवादी मनोवृत्ति है जिसमें अपने सम्प्रदाय एवं धर्म को अन्य धर्मों से श्रेष्ठ समझा जाता हैं तथा अन्य सम्प्रदायों एवं धर्मों को हेय, यहाँ तक कि राष्ट्रीयता को भी साम्प्रदायिक लोगों के लिए सम्प्रदाय प्राथमिक महत्व का होता हैं एवं राष्ट्र आदि गौण मात्र हैं.
प्रो विपिन चन्द्रा ने साम्प्रदायिकता के लिए क्रमिक रूप से तीन कारणों को उत्तरदायी माना हैं. अपने पन्थ एवं समूहों को महत्व देना, दूसरों के पन्थ एवं समूहों को पंथिय हितों से पृथक समझना और अपने साम्प्रदायिक हितों को दुसरे के साम्प्रदायिक एवं धार्मिक हितों के विरोधी समझना.
स्मिथ के अनुसार साम्प्रदायिक व्यक्ति अथवा समूह वह है जो अपने धार्मिक भाषा या भाषा भाषी समूह को एक ऐसी पृथक राजनैतिक तथा सामाजिक इकाई के रूप में देखता है जिसके हित अन्य समूहों से पृथक होते है और अक्सर उनके विरोधी भी हो सकते हैं.
एक समाज या धर्म के लोगो का दुसरे जाति या धर्म के लोगो के लिए नकारात्मक विचार जातिगत भेदभाव तथा एक दुसरे को निचा दिखाने की प्रवृति को हम साम्प्रदायिक भेदभाव कहते है.
यह अधिकतर धार्मिक ही होता है. जिसमे एक धर्म के लोगो के मत दुसरे धर्म के प्रति होते है, जो विवाद का कारण बन जाते है. समाज में साम्प्रदायिक भेदभाव तेजी से बढ़ता जा रहा है.
सभी अपने धर्म को श्रेष्ठ घोषित करने में तुले है, जो हमारी संस्कृति के लिए नुकसानदायक है. साम्प्रदायिक भेदभाव से किसी प्रकार का लाभ नही है, इससे समाज में अंतर्भाषी तनाव, असहयोग, विश्वासघात, और हिंसा जैसी समस्याओ का सामना करना पड़ता है.
देश में कई बार इन्ही कारणों से दंगे हुए है. इसी वजह से भारत का विभाजन भी हुआ था. हमारा देश धर्म के नाम पर ही अलग हुआ. आज भी हमारे देश के राजनेता लोग और मीडिया धर्म के भेदभाव को बढ़ाने में लगे है, जो एक आमजन के लिए उचित नही है.
साम्प्रदायिकता कट्टरता का भाव उत्पन्न करती है. जिससे एक दुसरे के प्रति नफरत की भावना उत्पन्न होती है. एक समाज के लिए जो शांत, सुखी और उन्नतिशील जीवन होना चाहिए, उसको सबसे अधिक प्रभावित साम्प्रदायिक मामले ही करते है.
अनेक धर्मो में आपसी मतभेद का कारण साम्प्रदायिकता ही है. हम सभी को समाज में एक मानवीय भाव से सभी को एक मानकर जीवन यापन करना चाहिए. हमें किसी के लिए जहर रखने की आवश्यकता नही है, व्यक्ति का धर्म अलग होने से कोई व्यक्ति अलग नही होता है.
हम सभी भारतीय है, तथा सभी इन्सान है, सभी मिलकर भाईचारे के साथ जीवन जिए जिससे सुख, शांति और एक सुरक्षित समाज का गठन किया जा सकें.
साम्प्रदायिकता की विशेषताएं (Characteristics of communalism)
- साम्प्रदायिकता का सम्बन्ध धार्मिक समूहों से है
- साम्प्रदायिकता में स्वजातिवाद की भावना पाई जाती है.
- साम्प्रदायिकता से समाज में विघटन पैदा होता है.
- साम्प्रदायिकता समाज के अल्पसंख्यक वर्ग में भय उत्पन्न करती हैं.
साम्प्रदायिकता के लिए उत्तरदायी कारक
- ऐतिहासिक
- मनोवैज्ञानिक कारक
- सांस्कृतिक भिन्नता
- भौगोलिक कारक
- राजनीतिक स्वार्थ
- धार्मिक असहिष्णुता
- असामाजिक तत्व एवं निहित स्वार्थ
- धर्मनिरपेक्षता का दुरूपयोग
- साम्प्रदायिक संगठन
- पूजास्थलीय विवाद
साम्प्रदायिकता के दुष्परिणाम (The consequences of communalism)
- देशव्यापी दुष्प्रभाव
- राष्ट्र की एकता में बाधक
- भावनात्मक एकता हेतु खतरा पैदा करना
- तनाव एवं संघर्ष का जन्मदाता
- विभाजन घ्रणा एवं अविश्वास की भावनाओं में वृद्धि
- धन जन की हानि
- राजनीतिक दुष्परिणाम
- आर्थिक विकास में बाधक
- असामाजिक तत्वों में वृद्धि
- सामाजिक सांस्कृतिक विघटन
साम्प्रदायिकता निवारण हेतु सुझाव (Tips for prevention of communalism)
16 जून 1962 को राष्ट्रीय एकता परिषद का गठन किया गया जिसका उद्देश्य साम्प्रदायिकता की समस्या को हल करना है.
डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने साम्प्रदायिकता को समाप्त करने हेतु विभिन्न सम्प्रदाय के लोगों द्वारा सहजीवन व्यतीत करने का सुझाव दिया हैं. गांधीजी एवं विनोबा भावे ने साम्प्रदायिकता को समाप्त करने हेतु शक्ति सेना बनाने का सुझाव दिया हैं.
साम्प्रदायिकता को दूर करने के प्रमुख सुझाव
- प्रजातंत्रीय मूल्यों का विकास
- देश के नागरिकों हेतु सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करना
- साम्प्रदायिक संगठनों पर रोक
- शिक्षा प्रणाली का समुचित प्रबंध
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार एवं प्रसार
- समान नागरिक संहिता लागू करना
- राजनीति से धर्म को अलग करना
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