Essay on Commitment In Hindi - प्रतिबद्धता पर निबंध: प्रिय दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ आज के निबंध में प्रतिबद्धता के बारे में पढेगे. प्रतिबद्धता का अर्थ परिभाषा मीनिंग तथा महत्व को इस शोर्ट एस्से में समझाने का प्रयत्न करूँगा.
नेहरू ने 1964 में स्वयं को इस अर्थ में विफल माना कि वे नौकरशाही के रुढ़िवादी चरित्र को नहीं बदल जाए. 1968 में इंदिरा गांधी ने एक प्रतिबद्ध नौकरशाही की मांग की. वे यह पहले ही कह चुकी थी कि वे नौकरशाही को नचाना चाहती हैं. परन्तु यह प्रश्न भी उठ खड़ा हुआ कि क्या नौकरशाही को प्रतिबद्ध होना चाहिए, अगर प्रतिबद्ध होना चाहिए तो यह प्रतिबद्धता किसके प्रति हो.
प्रतिबद्धता पर निबंध Essay on Commitment In Hindi
प्रतिबद्धता एक आंतरिक गुण है. प्रतिबद्धता व्यक्ति, विचारधारा या मूल्यों के प्रति हो सकती हैं. प्रतिबद्धता में संज्ञानात्मक व भावनात्मक पक्ष तो होता है, प्रायः व्यवहारात्मक पक्ष भी होता हैं. अंग्रेजों के समय में राज्य पुलिस राज्य था और नौकरशाही अभिजात, रूढ़िवादी और असंवेदनशील थी.नेहरू ने 1964 में स्वयं को इस अर्थ में विफल माना कि वे नौकरशाही के रुढ़िवादी चरित्र को नहीं बदल जाए. 1968 में इंदिरा गांधी ने एक प्रतिबद्ध नौकरशाही की मांग की. वे यह पहले ही कह चुकी थी कि वे नौकरशाही को नचाना चाहती हैं. परन्तु यह प्रश्न भी उठ खड़ा हुआ कि क्या नौकरशाही को प्रतिबद्ध होना चाहिए, अगर प्रतिबद्ध होना चाहिए तो यह प्रतिबद्धता किसके प्रति हो.
प्रतिबद्दता एक मानवीय गुण है, जो हमें जीवन में सफल बनने के लिए तथा निरंतर मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है. यह सफलता और समृद्ध व्यक्ति के निर्माण की एक महत्वपूर्ण कुंजी है.
यह गुण हमें जीवन में कभी गिव अप नही करने देता है. यह एक मानसिक क्षमता या स्थिति है, जो हमें जीवन की हर परस्थिति में लग्न, निष्ठा, दृढ संकल्प, कार्यक्षमता, ध्यान तथा पूर्ण समर्पण के साथ कार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.
प्रतिबद्धता के गुण वाले व्यक्ति हमेशा अपने लक्ष्य के प्रति अवेयर रहते है. तथा कार्य को करने के लिए दृढ संकल्पित होते है. एक कुशल व्यक्ति जिसमे अपने कार्य को करने के लिए जो मेहनत करता है, वो गुण प्रतिबद्धता की श्रेणी में ही आता है.
यह एक प्रकार का सामर्थ्य है, जो एक व्यक्ति को जीवन में सफल बना देता है. इस गुण मे इतनी शक्ति होती है, कि यह हमें कभी हार नही मानने देता है, तथा हमेशा हर संभव प्रयास करने, अपना पूर्ण समर्पण करने तथा अपने कार्य के प्रति दृढ बना देता है, जो असंभव से लगने वाले टास्क को भी प्राप्त करने में काम आता है.
क्या नौकरशाही को प्रतिबद्ध होना चाहिए
भारत एक कल्याणकारी राज्य है पुलिस राज्य नहीं हैं. कल्याण की प्रक्रिया में सिविल सेवक सबसे महत्वपूर्ण एजेंट होते हैं. अगर उनका रवैया कल्याण के प्रति निष्क्रिय या उदासीन होगा तो हमारे संवैधानिक उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाएगी. इसलिए उन्हें प्रतिबद्ध तो होना चाहिए. असली प्रश्न यह है कि प्रतिबद्ध किसके प्रति होना चाहिए. इस प्रश्न के सन्दर्भ में निम्नलिखित निष्कर्षों पर पहुंचा जा सकता हैं.
- प्रतिबद्धता मूलतः संविधान के प्रति होनी चाहिए और निपेक्ष रूप में होनी चाहिए और संवैधानिक विचार धारा में विरोध है तो भी संविधान को प्राथमिकता देनी चाहिए.
- सामाजिक न्याय व कल्याणकारी उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए. इसके लिए जरुरी है कि लोक सेवक वंचित वर्गों के प्रति संवेदनशील तथा करुणावान हो. उन्हें इस बात से आंतरिक संतोष मिलना चाहिए कि वंचित समूहों को मुख्यधारा में लाने में उन्होंने सकारात्मक भूमिका निभाई हैं.
- संसद द्वारा पारित विधानों तथा नीतियों के प्रति भी सामान्यतः उसे प्रतिबद्ध होना चाहिए. अगर किसी संसदीय नीति की नैतिकता पर गहरा विवाद है और सर्वोच्च न्यायालय में यह नीति प्रश्नगत है तो कुछ समय के लिए उसके प्रति तटस्थ रहा जा सकता हैं. संसद की जो नीतियाँ संविधान के अनुरूप है उसके प्रति प्रतिबद्धता होनी ही चाहिए.
- चूँकि लोक सेवक को किसी विशेष दल या संगठन की सरकार के अधीन काम करना होता हैं इसलिए साधारणतः सरकारी नीतियों, नियमों व आदेशों का प्रतिबद्धता से पालन करना चाहिए. नीति निर्माण के समय उसे स्पष्टता से अपनी राय रखनी चाहिए किन्तु नीति बना दिए जाने के बाद उसे नीति को प्रतिबद्धता से लागू करना चाहिए. इसके विपरीत आचरण केवल उन नीतियों के सन्दर्भ में किया जा सकता हैं. जो संविधान की मूल भावना के प्रतिकूल है तथा जिनकी न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया चल रही हैं.
- सिविल सेवक को अपनी आचरण संहिता तथा नीति संहिता के प्रतिबद्ध होना चाहिए.
- किसी राजनीतिक दल या नेता विशेष के प्रति प्रतिबद्ध नहीं होना चाहिए. यदि किसी दल की विचारधारा से प्रभावित है तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि यह प्रभाव उसके व्यक्तिगत जीवन तक सीमित रहे और सरकारी कार्य में हस्तक्षेप न करे. राजनीतिक दल को भी उसकी मनः स्थिति का अनुमान न हो तो बेहतर हैं.
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