राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में आपका हम स्वागत करते हैं. भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर यह भाषण, निबंध, अनुच्छेद दिया गया हैं. यहाँ हम जानेगे कि राष्ट्रीय एकता क्या है क्यों जरुरी है तथा इसके खतरे क्या हैं.
Essay on National Unity in Hindi
एकता एक भावनात्मक इकाई है. सम्पूर्ण राष्ट्र के सभी नागरिको के साथ मानवता और भाईचारे से जीवन यापन ही एकता है. हमारे देश में अनेक धर्म के लोग निवास करते है. यहाँ विविधता पाई जाती है.
देश में अनेक समूह है, जो धर्म, जाति,भाषा, संस्कृति तथा भूभागो में विभाजित है. देश में इतनी विभिनता होने के बाद भी एकता को देखा जा सकता है. भारत जैसी बड़े देश में एकता इसकी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को दर्शाती है.
भारत में एकता का परिचय इसी से देखा जा सकता है, यहाँ हजारो अलग अलग बोलिया, धर्म, जाति, समुदाय तथा अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रो के लोग एक साथ एक ही वायदे के साथ देश के साथ जुड़े रहते है.
जब राष्ट्र की बात की जाती है. तो सभी समुदाय अपने आपसी भेदभाव को दूर कर राष्ट्र की ओर ध्यान केन्द्रित करते है. प्राचीन समय में हमारा देश एकता के बंधन में बंधा हुआ था.
उस समय सभी नागरिक एक दूसरो को भाई भाई मानकर जीवन में अपनी गुलामी से मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ रहे थे. कई सालो की लम्बी गुलामी के बाद देश की एकता ने हमें आजादी दिलाई.
ओर आज भी हमें एक व्यवस्थित जीवन जीने के लिए एकता का होना बेहद जरुरी है. और इसलिए हमारे देश में एकता की ओर ध्यान दिया जा रहा है. हमारे देश को आज हम एकता का देश नहीं कह सकते है. क्योकि यहाँ सामाजिक भेदभाव आज भी विशेष तौर पर देखा जा सकता है.
लोग आपसी भेदभाव को छोड़कर अपने धर्म से बाहरी आवरण को जानने का प्रयास भी नहीं कर रहे है. जब आंतरिक कमजोरी बढ़ जाती है. उसी समय मुसीबत को फायदा मिलता है.
ये हम इतिहास में पढ़ सकते है. कई बार भारत पर आक्रमण किये गए. लेकिन भारत जब तक अखंड रहा कोई प्रवेश तक नहीं कर सका. और बाहरी आक्रमण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था.
लेकिन जब अपने प्रदेश और शासन के लिए आपसी जंग छिड़ी इसी कारण बाहरी लोगो ने इस देश में आक्रमण किया. और लुट डाला. इसका कारण आपसी भेदभाव था.
आज हमें अपनी इस पुरानी गलतियो को नहीं दोहराना है. बल्कि हमें अपनी इस गलती को सुधारकर आपसी प्रेमभाव को बनाए रखना है.
राष्ट्रीय एकता पर निबंध हिंदी में
किसी भी देश के निवासियों में राष्ट्रीय एकता का होना अनिवार्य है यह अपनेपन की भावना है जो एक दूसरे नागरिक के प्रति होती हैं. जिन्हें हम भाईचारा भी कहते हैं. एकता ही व्यक्ति के देश के प्रति लगाव एवं अपनेपन के भाव को प्रदर्शित करती हैं.
राष्ट्रीय एकता किसी देश के लोगों को संगठित करती हैं. इस भावना के द्वारा सभी तरह की विविधता के भाव एकाकार हो जाते हैं. तथा देशहित के बारे में सोचते है.
अनेक धर्म, भाषा, मत, पंथ, क्षेत्र तथा संस्कृति के लोगों को एक करने वाली भावना ही राष्ट्रीय एकता है. जिसके फलस्वरूप नागरिकों में विविधताएं होने के उपरान्त भी वे राष्ट्र के लिए एक स्वर में व्यवहार करते हैं.
भारत बेहद विशाल एवं विविधता सम्पन्न राष्ट्र हैं, हमारे देश की विविधता में एकता का उदाहरण दुनिया के लिए मिशाल हैं. भारत में विभिन्न धर्म, जाति, भाषा एवं संस्कृति के लोग बसते है.
भारत बेहद विशाल एवं विविधता सम्पन्न राष्ट्र हैं, हमारे देश की विविधता में एकता का उदाहरण दुनिया के लिए मिशाल हैं. भारत में विभिन्न धर्म, जाति, भाषा एवं संस्कृति के लोग बसते है.
जिनकी भाषा, पहनावा, खान पान एवं विचारों की भिन्नता के उपरान्त भी सभी लोग राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंधे हुए स्वयं को भारतीय के रूप में प्रदर्शित करते हैं.
किसी राष्ट्र की भलाई एवं विकास के लिए राष्ट्रीय एकता एक अहम कारक हैं. क्योंकि इसके बिना कोई भी राज्य अधिक समय तक एक नहीं रह सकता हैं. यदि राष्ट्र की एकता मजबूत हो तो किसी भी बाह्य शक्ति को आसानी से परास्त किया जा सकता हैं.
किसी राष्ट्र की भलाई एवं विकास के लिए राष्ट्रीय एकता एक अहम कारक हैं. क्योंकि इसके बिना कोई भी राज्य अधिक समय तक एक नहीं रह सकता हैं. यदि राष्ट्र की एकता मजबूत हो तो किसी भी बाह्य शक्ति को आसानी से परास्त किया जा सकता हैं.
भारत के इतिहास में ऐसी कई घटनाओं के द्रष्टान्त मिल जाएगे. जब जब देश की राष्ट्रीय एकता कमजोर हुई है तब तब इसका फायदा बाहरी शक्तियों ने उठाया है व देश को लम्बे अरसे तक गुलामी झेलनी पड़ी हैं.
राष्ट्रीय एकता एवं जाग्रति के चलते ही भारत ने अंग्रेजों की सत्ता से मुक्ति पाई थी. किसी एक देश की एकता अखंडता तथा सम्प्रभुता को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना नितांत परिहार्य हैं.
राष्ट्रीय एकता एवं जाग्रति के चलते ही भारत ने अंग्रेजों की सत्ता से मुक्ति पाई थी. किसी एक देश की एकता अखंडता तथा सम्प्रभुता को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना नितांत परिहार्य हैं.
इसके बिना बड़ी से बड़ी सुपर पॉवर का लम्बे समय तक बने रहना संभव नहीं हैं. भारत ने परतन्त्रता के बड़े वीभत्स काल को झेला हैं.
अतः आज के समय उस काले इतिहास की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए राष्ट्रीय एकता का होना आवश्यक हैं. सांप्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रीयता भारत की राष्ट्रीय एकता के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं.
जो देश की एकता को समय समय पर खतरे में डालकर लोगों को बाटने का कार्य करती हैं. अल्प बुद्धि के लोग इन भावनाओ से ग्रसित होकर राष्ट्रीय मूल धारा से अलग होकर अलगाववादी सोच को बढ़ावा देते हैं.
ये सोच ही आगे बढकर देश में अशांति, खून खराबे व साम्प्रदायिक दंगों का रूप ले लेती हैं. जब जब देश में इन अलगाववादी ताकतों को प्रश्रय मिला है राष्ट्र ने इसके गंभीर परिणाम भुगते हैं.
भारत को विभिन्न तरह के फूलों से सजा बगीचा कहा जाता हैं. इसकी सांस्कृतिक एवं भौगोलिक विविधता के बावजूद भी सभी धर्म, जाति, क्षेत्र के लोग राष्ट्र के विषय में एक स्वर में बात करते हैं.
कई बार यह विविधता किन्ही कारणों से राष्ट्रीय एकता के लिए विघटनकारी ताकतों का रूप धारण कर लेती हैं. उसके उग्र रूप से एकता और अखंडता को बड़ी क्षति पहुँचती हैं.
राष्ट्रीय एकता और अखंडता को न केवल आंतरिक शक्तियाँ प्रभावित करती हैं. बल्कि बाहरी शक्ति भी इसमें अपना बड़ा दखल रखती हैं बहुत से देश जो दूसरे राष्ट्र की स्वतन्त्रता एवं सम्प्रभुता से जलते हैं.
राष्ट्रीय एकता और अखंडता को न केवल आंतरिक शक्तियाँ प्रभावित करती हैं. बल्कि बाहरी शक्ति भी इसमें अपना बड़ा दखल रखती हैं बहुत से देश जो दूसरे राष्ट्र की स्वतन्त्रता एवं सम्प्रभुता से जलते हैं.
वे उस देश के लोगों को भ्रमित करना चाहते हैं. पाकिस्तान एक ऐसा ही देश है जो जम्मू कश्मीर के माध्यम से देश में एकता को खंडित करने एवं युवाओं को अलगाववाद की ओर प्रेरित करने के कुकर्म कर रहा हैं.
राष्ट्रभाषा, संविधान, राष्ट्रीय चिह्नों, राष्ट्रीय पर्व व सामाजिक समानता जैसे मूल्यों को समाज में स्थापित कर उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता को अक्षुण बनाया जा सकता हैं.
राष्ट्रभाषा, संविधान, राष्ट्रीय चिह्नों, राष्ट्रीय पर्व व सामाजिक समानता जैसे मूल्यों को समाज में स्थापित कर उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता को अक्षुण बनाया जा सकता हैं.
राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व बलिदान देने वाले वीरों की गाथाएं एवं उनके योगदान तथा महापुरुषों के आदर्शों को प्रसारित कर भावी पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता में बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा सकता हैं.
समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को चाहिए कि वे कोरे सिद्धांत एवं बाते करने के अतिरिक्त स्वयं के आचरण में देश की एकता को बढ़ावा देने वाली चीजों को आत्मसात करे.
समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को चाहिए कि वे कोरे सिद्धांत एवं बाते करने के अतिरिक्त स्वयं के आचरण में देश की एकता को बढ़ावा देने वाली चीजों को आत्मसात करे.
तथा विभिन्न राष्ट्रीय अवसरों एवं जन सम्मेलनों के विमर्श का विषय बनाकर एकता की भावना को अधिक प्रगाढ़ किया जा सकता हैं.
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