सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध- हमारे देश में अनेक स्वतंत्रता सेनानी हुए.जिनमे सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम अग्रणी है.वल्लभभाई पटेल को भारत का लौह पुरुष के नाम से जानते है.क्योकि वह लोहे की तरह मजबूत थे.वल्लभभाई ने हमारे देश को आजाद कराने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
वल्लभभाई पटेल ने देश के नागरिको को देश की आजादी के लिए आगे आने को प्रेरित किया जिस कारण हमारा देश एकजुट होकर ब्रिटिश सरकार को देश से भगाने में समर्थ रहा.
सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध Essay on Sardar Vallabh Bhai Patel in Hindi
हमारे देश की आजादी तथा देश के एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को हम नहीं भुला सकते है. सरदार ने न केवल क्रांतिकारी की भांति अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया. बल्कि आजाद हिन्द को एक भी किया.
वल्लभभाई झावेरभाई पटेल जिन्हें हम सरदार पटेल और लौह पुरुष के नाम से जानते है. इन्होने देश के एकीकरण में अपनी नीति का उपयोग कर देश का विलय किया, जिसमे पुलिस प्रशासन से लेकर सामान्य नीति के द्वारा विलय करने में अपना योगदान दिया.
लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को एक समृद्ध कृषक परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम झवेर भाई था. जो एक सैनिक थे. वे झाँसी की रानी दल के सैनिक थे.
इनकी माता लाडवा देवी थी, जो शिक्षा की ओर काफी आकर्षित थी. तथा वल्लभभाई की पहली शिक्षक के रूप में इन्होने उन्हें अच्छे संस्कार दिए. तथा ज्ञान का पाठ पढाया.
वल्लभभाई पटेल बचपन से ही शिक्षा में होनहार विद्यार्थी थे. ये शिक्षा तथा संस्कार के अच्छे वक्ता थे. इन्होने न केवल 22 वर्ष की आयु में शिक्षा पूर्ण की. बल्कि लन्दन में जाकर बैरिस्टर की उपाधि भी प्राप्त की.
गाँधी जी द्वारा जब अहमदाबाद में आन्दोलन किया जा रहा था, तो उस समय वल्लभभाई की मुलाकात गाधीजी से हुई. गांधीजी के प्रोत्साहित कर देने वाले भाषणों ने पटेल को अपनी ओर आकर्षित किया.
वल्लभभाई इस भाषण के बाद गांधीजी का समर्थन करने लगे तथा देश की आजादी के लिए हो रहे आंदोलनों में भाग लेने लगे. इन्होने सबसे पहले ब्रिटिश सरकार के कानूनों का विरोध किया.
अंग्रेजी हुकूमत का विरोध के साथ ही ये एक महान नेता का कार्य भी करने में सक्षम थे. ये अपने समय के सबसे श्रेष्ठ नेताओ में से एक थे. पटेल की देशभक्ति तथा जूनून को देखकर 1917 में कौंग्रेस पार्टी ने सचिव के रूप में चुना.
वल्लभभाई ने देश के किसानो के साथ हो रहे जुर्म तथा अत्यधिक कर लगान चुकाने के कारण इनके साथ मिलकर उनकी सहायता की. तथा देश के सभी किसानो को कर न देने की बात कही.
ये आन्दोलन जब शुरू किया गया. अंग्रेजो ने किसानो से जमीन छीन ली. जिससे किसानो का हौसला टूट गया. पर आख़िरकार किसानो को अपना हक़ मिला तथा करो से मुक्ति मिली. इसी आन्दोलन के बाद इन्हें सरदार की उपाधि दी गई.
सरदार का मानना था, कि देश की आजादी के लिए या किसी भी विरोध के लिए सभी को एकजुट होकर लड़ना होगा. कोई एक समूह या एक संस्था इनका विरोध नहीं कर सकता.
देश की जनता को जागरूक करने के लिए पटेल के प्रयासों को सफलता तब मिली जब हजारो की संख्या में आम लोग देश की स्वाधीनता संग्रामो में जान की परवाह किये बिना उतर गए.
सरदार वल्लभभाई ने गांधीजी के साथ मिलकर अनेक आन्दोलन किये तथा देश की आजादी के लिए संघर्ष किया. ये देश की आजादी के समय काफी लोकप्रिय नेता भी बन गए थे.
सरदार के पक्ष में देश की जनता थी. सरदार देश के पहले प्रधानमंत्री हो सकते थे. पर गाधीजी के मन करने पर जवाहरलाल नेहरु को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया. तथा एकीकरण का कार्यभार पटेल को सौपा गया.
सरदार अपने दिमाक ओर कार्यशक्ति से देश को एकत्रित कर रहे थे. उन्होंने देश की सभी देसी रियासतों को देश में मिला लिया. बिना किसी संघर्ष के पर हैदराबाद एकमात्र ऐसी रियासत थी. जहा शक्ति का प्रदर्शन कर इसे देश में मिलाया गया.
देश के एकीकरण में अपन श्रेष्ठ योगदान देश के कारण इन्हें लोह पुरुष भी कहते है. जिस प्रकार जर्मन के एकीकरण में बिस्मार्क ने अपनी योजना के अनुसार कार्य किया तथा देश में रियासतों को मिलाया.
उसी प्रकार भारत में वल्लभभाई पटेल ने योजनाबद्ध रूप से देश का विलय किया जिस कारण इन्हें भारत का बिस्मार्क भी कहते है. पहली बार गांधीजी ने इन्हें लौहपुरुष के नाम से संबोधित किया.
वर्ष 1950 में ख़राब स्वास्थ्य की वजह से देश के मसीहा महान क्रन्तिकारी तथा एकीकरण कर्ता सरदार वल्लभभाई पटेल का दिहांत हो गया. पुरे देश में शौक की लहर उठ गई.
सरदार पटेल के जीवन से बहुत कुछ सिखने को मिलता है. आज भी हम ऐसे ही नेताओ और ऐसे देशभक्तो की जरुरत है. जो देश के लिए अपनी क़ुरबानी तक देने को तैयार हो.
Short and Long Essay on Sardar Vallabh Bhai Patel in Hindi Language
हमारे देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी वल्लभभाई पटेल ने भारत को आजदी दिलाने में अपना अहम योगदान दिया.इन्होने प्रत्येक आन्दोलन में भाग लिया.
सरदार वल्लभभाई पटेल ''सरदार पटेल'' के नाम से विख्यात थे.ये भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी तथा राजनीतिज्ञ थे. उन्होंने भारत के उपप्रधानमंत्री के पद पर कार्य किया साथ ही वकील के रूप में भी भूमिका निभाई.
ये कांग्रेस पार्टी के आदर्श नेता रहे.ये भारत के आन्दोलन में भी अपना योगदान देते थे.इन्होने भारत के लिए गृह मंत्री का पद भी संभाला था.
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर 1875 को गुजरात राज्य के लेवा पटेल जाति में हुआ था.सरदार पटेल के पिता का नाम झवेर भाई पटेल तथा माता लाडबा देवी था.सरदार पटेल के तीन बड़े भाई थे.
जिनका नाम क्रमश सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई था. सरदार पटेल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर में रहकर ही की जिसके बाद उन्होंने लन्दन जाकर पढाई की और वकील बन गए.कई सालो तक वकालत करने के बाद सरदार पटेल ने गांधीजी द्वारा किये जा रहे स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया.
खेडा संघर्ष- सरदार पटेल ने अनेक आन्दोलन में भाग लिया पर उनका सबसे पहला आन्दोलन किसानो के लिए था.इस आन्दोलन का नाम खेडा संघर्ष था.ये आन्दोलन गुजरात के किसानो द्वारा अकाल की स्थिति में किया जा रहा था.पर ब्रिटिश सरकार ने इसे अनसुना कर दिया.
जिसके बाद सरदार पटेल और गांधीजी ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया और अंग्रेज सरकार से करो की छुट प्राप्त करवाई. ये सरदार पटेल का प्रथम सफल आन्दोलन था.ये आन्दोलन 1918 में किया गया था.
बारडोली सत्याग्रह- बारडोली सत्याग्रह आन्दोलन गुजरात के किसानो के 28 प्रतिशत तक लगान कर देने पर चलाया गया.इस आन्दोलन की नेतृत्व सरदार पटेल ने किया था.
इस आन्दोलन का ब्रिटिश सरकार ने विरोध भी किया पर आख़िरकार सरकार को भी झुकना पड़ा और किसानो के 28 प्रतिशत कर को कम कर 6 प्रतिशत लगा दिया.इस आन्दोलन के बाद सरदार पटेल को काफी लोगप्रियता तथा प्रसिद्धी मिली.
इस आन्दोलन की महत्मा गांधीजी ने भी प्रशंसा करते हुए कहा हमारे देश को आजाद कराने के लिए ऐसे आंदोलनों की जरुरत है.और ये आन्दोलन हमें अपनी स्वतंत्रता की और अग्रसर कर रहा है.इस आन्दोलन के बाद से वल्लभभाई पटेल को ''सरदार''की उपाधि प्राप्त हुई.
भारत छोड़ो आंदोलन में सरदार वल्लभ भाई पटेल की सक्रिय भागीदारी- ब्रिटिश सर्कार को देश से भागने के लिए मजबूर करने वाला आन्दोलन भारत छोडो आन्दोलन था.
इस आन्दोलन में सभी भारतीयों ने मिलकर अंग्रेजो को देश से भागने का प्रण लिया था.और सभी को जागरूक करने में वल्लभभाई पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
भारत छोडो आन्दोलन का नेतृत्व महत्मा गांधीजी ने किया था.पर इस आन्दोलन में वल्लभभाई पटेल ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया.इस आन्दोलन का गठन वल्लभभाई ने किया पर इसका नेतृत्व महात्मा गाँधी को सौपा गया.
भारत की और से सबसे प्रभावशाली आन्दोलन भारत छोडो आन्दोलन को माना जाता है.इस अभियान में वल्लभभाई पटेल ने भारतीय नागरिको और महत्मा गाँधी मिलकर अंग्रेजो को देश से भगाने की स्थति में ला खड़ा किया.
इस आन्दोलन में देश के लिए जनता का जोश नजर आया और जब पूरा देश एक जुट हो जाता है.तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है.इस आन्दोलन का पूरा श्रेय वल्लभभाई पटेल को जाता है.
इस आन्दोलन अपना अपना सक्रिय योगदान देने के कारण वल्लभभाई पटेल को अपने कई दोस्तों के साथ जेल की सजा भी काटनी पड़ी.पर अब इन्हें दिल में देशभक्ति का वास था.इन्होने प्रण ले रखा था.कि देश को आजाद करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है.
आजादी के बाद- आजादी से देश को स्वतन्त्र नहीं माना जा सकता जब तक नागरिक स्वतन्त्र नहीं हो तब तक देश भी स्वतन्त्र नहीं होता है.देश की स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल ने अपने प्रयासों के चलते बिना झगडा किये हैदराबाद को छोड़क सभी देशी रियासतों को देश में मिला लिया.
सरदार पटेल अंतिम श्वास तक गांधीजी का सम्मान करते थे.इसलिए उन्होंने गांधीजी के कहने पर कभी प्रधानमंत्री के पद को ग्रहण नहीं किया.पर गांधीजी ने सरदार को गृह मंत्री उप प्रधान मंत्री बनाया.
लेकिन सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू के सम्बन्ध अच्छे नहीं थे.कई बार ये एक दुसरे को पद त्याग करने तक की धमकिया देते थे.और कांग्रेसी सरकार का विरोध करते थे.
भारत के एकीकरण के में अपनी अहम भूमिका अदा करने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को ''लौह पुरुष'' के नाम से जाना जाने लगा.
सरदार वल्लभ भाई पटेल के अंतिम दिन- सरदार वल्लभ भाई पटेल अपनी ताकत के लिए विख्यात थे.वे हर समय सकारात्मक सोच रखते थे.पर देश को आजाद कराने के बाद वल्लभभाई पटेल बुढापे में आ गए.
और 1950 तक वे बहुत नाजुक स्थिति में आ गए.इसके 15 दिसम्बर 1950 को दिल के दौरे के कारण इन्ही मौत हो गई.इस दिन सभी देशवासियों ने शौक व्यक्त किया.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा/मूर्ति )- सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में हमारे देश में ''स्टैच्यू ऑफ यूनिटी'' प्रतिमा स्थापित की गई है.और ये भारत की सबसे बड़ी मूर्ति है.
इसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) तथा आधार सहित जोड़ा जाए तो इसकी लम्बाई 240 मीटर (790 फीट) है.इस पर पटेल जयंती के दिन पूजा की जाती है.
2018 में नरेन्द्र मोदी जी के शासनकाल में इस प्रतिमा का निर्माण किया गया.स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में 3000 करोड़ रुपये लागत लगी.
सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती- सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिन के अवसर पर हर वर्ष 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती मनाई जाती है.सरदार पटेल ने देश की रियासतों को देश में मिलाया था.
इसी कारण इनके जन्म दिन के अवसर पर राष्ट्र एकता दिवस भी मनाते है.सरदार पटेल ने अपनी चतुराई तथा ज्ञान के बाल पर बिना किसी बहस के सभी रियासतों को देश में मिला लिया था.प्रथम बार राष्ट्र एकता दिवस 2014 को मनाया गया था.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर 10 वाक्य 10 Lines On Statue Of Unity in Hindi
देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले वल्लभभाई पटेल के बलिदान को स्मृति के रूप में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण किया गया है. यह भारत की सबसे मजबूत तथा दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है.
इस प्रतिमा की सुन्दरता और नक्काशी देखते ही बनती है. इसका निर्माण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करवाया गया था. देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले पटेल ने अपने तार्किक बुद्धि और मानसिकता का प्रयोग कर भारत को एकीकृत किया जिस कारण उनकी इस प्रतिमा को स्टेच्यु ऑफ़ यूनिटी नाम दिया गया जिसका अर्थ होता है. एकता का स्मारक.
यह प्रतिमा गुजरात राज्य में स्थित है. जो वर्तमान समय की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है. वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन पर 31 अक्टूबर 2013 को मोदीजी द्वारा इस प्रतिमा का शिलान्यास किया गया. यह प्रतिमा नर्मदा जिले में स्थित है. यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर है. जहा हर साल लाखो सैलानी इसके दर्शन करने आते है.
वल्लभभाई की इस प्रतिमा की लम्बाई 182 मीटर है. जो सबसे लम्बी है. इसकी बाद बुद्ध मंदिर है, जो 153 मीटर है. इस प्रतिमा की कुल लागत 3 हजार करोड़ थी, जिसमे इस प्रतिमा में कई धातुओ का प्रयोग किया गया है.
इसके निर्माण कार्य में 5 साल का समय लगा तथा २०१८ में इसका कार्य सम्पन्न हुआ. लौहपुरुष जी की जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर 2018 को इसका उद्घाटन किया गया.
10 Lines on Statue of Unity in Hindi
1) स्वतन्त्र भारत के पहले गृहमंत्री तथा देश की एकीकृत करने वाले लौहपुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में स्टेच्यु ऑफ़ यूनिटी का निर्माण करवाया गया.
2) इस प्रतिमा का निर्माण प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करवाया गया. जो गुजरात राज्य के नर्मदा जिले में स्थित है.
3) यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर बनी हुई है, जो सरदार सरोवर बाँध के पास स्थित है.
4) इस स्टैच्यू के निर्माण की घोषणा 2010 में की गई थी. तथा इसका निर्माण कार्य २०१३ में पटेल की जयंती के अवसर पर शुरू किया गया.
5) इसका निर्माण कार्य ५ साल तक चला और 2018 में इसका निर्माण सम्पन्न हुआ 31 अक्टुम्बर को जयंती के अवसर पर इसका उदघाटन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया.
6) यह प्रतिमा वर्तमान समय की दुनिया की सबसे बड़ी तथा लम्बी प्रतिमा है. यह 182 मीटर लम्बी है. जो सर्वाधिक ऊंचाई वाली प्रतिमा है.
7) इसके निर्माण में 3 हजार मजदूरो ने तथा ३०० इंजीनयर ने निरंतर ५ साल तक कार्य किया.
8) इस प्रतिमा की कुल लागत 3000हजार करोड़ रूपये थी.
9) इस प्रतिमा की आकृति श्री राम वी सुतार द्वारा निर्धारित की गई, जो पद्म पुरस्कार से सम्मानित किये गए.
10 ) इसकी मजबूती बनाए रखने के लिए कांसे की क्लेडिंग व स्टील की फ्रेमिंग से इसका निर्माण किया गया है. जो इसे दीर्घायु प्रदान करेगा.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर 10 लाइन
1) स्टैचू ऑफ यूनिटी इंग्लिश शब्द है, जिसका अर्थ होता है. एकता की प्रतिमा.
2) यह प्रतिमा एक द्वीप पर बनाई गई है, जो नर्मदा नदी पर साधु द्वीप पर बनाई गई है. जो गुजरात में स्थित है.
3) स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री की स्मृति में बनाई गई है.
2) यह प्रतिमा एक द्वीप पर बनाई गई है, जो नर्मदा नदी पर साधु द्वीप पर बनाई गई है. जो गुजरात में स्थित है.
3) स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री की स्मृति में बनाई गई है.
4) इस प्रतिमा को बनाने में 3 हजार करोड़ का खर्चा आया इसे बनाने में 6500 टन स्टील, 25000 टन लोहा, 1850 टन कांस्य और 90000 टन सीमेंट का उपयोग किया गया है.
5) इस प्रतिमा को बनाने में सभी मापदंडो का प्रयोग किया गया है, जिसमे यह 6.5 रिक्टर के भूकंप तक सहन कर सकती है.
6) यह प्रतिमा 200 प्रति किलोमीटर की गति से चल रही हवा में भी सुरक्षित रह सकती है.
7) यह प्रतिमा भारत की सबसे दर्शनीय स्थलों में से एक है. यहाँ हर साल लाखो की तादाद में सैलानी यात्रा के लिए आते है.
8) इस प्रतिमा का निर्माण धातुओ से किया गया है, तथा इस पर पीतल का लेपन किया गया है. जो इसके क्षय से रक्षा करेगी.
9) यह प्रतिमा भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है.
10) राष्ट्रीय एकता के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाले महान देशभक्त की यह प्रतिमा हमें हमेशा उनकी स्मृति दिलाती रहेगी.
सरदार पटेल के देश के लिए समर्पण को कभी हम भुला नहीं सकते है. पटेल इस संसार में नही रहे पर ये हमेशा हमारी यादो में तथा दिल और अखंड भारत की जुबा पर रहेंगे. देश के लिए एकता की मिशाल देने वाले देशभक्त की प्रतिमा का दर्शन करना हमारे लिए सौभाग्य की बाय होगी.
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