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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध  Essay On Mahatma Gandhi In Hindi- नमस्कार दोस्तों आज हम भारत के राष्ट्रपिता प्यारे बापूजी के नाम से विश्व विख्यात महात्मा गांधी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.

महात्मा गांधी पर निबंध  Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
महात्मा गांधी जिन्हें हम बापू राष्ट्रपिता के नाम से जानते है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भाद्रपद द्वादशी 1925  विक्रमी संवत को हुआ था.

इनका जन्म गुजरात के पोरबंदर यानी सुदामापुरी में हुआ। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

इन्हें बचपन में मोनिया के नाम से बुलाते थे। गांधी के माता का नाम पुतलीबाई तथा पिता का नाम करमचंद गांधी था।

करमचंद के पिता उत्तमचंद को ओता गांधी के नाम से जानते थे। तथा मोहनदास के पिता को कब गांधी के नाम से जानते थे। मोहनदास का परिवार पिछली तीन पीढ़ी से दीवान का कार्य कर रहा था।

जिसमें गांधी भी शामिल थे। इससे पूर्व उनके पूर्वज पंसारी का धंधा करते थे। गांधीजी बचपन से डरपोक तथा शर्मीले स्वभाव के थे.

महात्मा गाँधी की सगाई 14 वर्ष की आयु में 6 माह बड़ी पुतलीबाई से हुई. 1885 में उत्तमचंद गाँधी का दिहांत हो गया. ये मोहनदास के लिए सबसे बड़ा सदमा था.

गाँधी जी को सन 1888 में वकालत की पढाई की लिए इंग्लैण्ड भेज दिया गया था. इस दौरान माता कस्तूरबा ने गाँधी जी को तीन वचन निभाने के लिए कहा जिसमे मांस को न खाना भी शामिल था.

तीन साल की पढाई के बाद 1891 में गाँधी जी स्वदेश लौटे. इंग्लैण्ड में गाँधी जी को काफी भेदभावो को सहन करना पड़ा. 2 साल तक भारत में वकालत करने के बाद 1893 में सेठ के कहने पर गांधीजी केश लड़ने के लिए अफ्रीका गए.

मोहनदास 1893 में अफ्रीका गए. अफ्रीका जाते समय उन्हें कई बार अपमानित किया गया.जिसमे इन्हें एक बार रेल से बहार फेंक दिया था.

गाँधी जी ने अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों को आन्दोलन के लिए प्रेरित किया. तथा उनके साथ हो रहे भेदभाव को दूर करने के लिए प्रयास किये. जिसमे गांधीजी काफी हद तक सफल रहे.

महात्मा गाँधी ने अश्वेत लोगो के साथ हो रही हिंसा के खिलाफ कई पत्र भी निकाले जिसमे इंडियन ओपेनियन प्रमुख था. गांधीजी ने अश्वेत लोगो का नेतृत्व किया तथा अफ्रीका में नेटाल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की.

गाँधी जी अफ्रीका के कई लेखको से प्रभावित हुए. गांधीजी ने रुसी लेखक लियो टोलस्टोय को अपना आध्यात्मिक गुरु बताया तथा अपनी आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग में इन्हें अपना अध्यात्मिक गुरु बताया.

अफ्रीका में लम्बे संघर्ष के बाद 1906 में गांधीजी ने पहली बार सत्याग्रह की शुरुआत की जिसकी प्रेरणा गाँधी को डेविड थोरो से ,मिलती है. 1910 में गांधीजी ने अफ्रीका में टॉलस्टॉय नामक आश्रम की स्थापना की थी.

मोहनदास करमचंद गाँधी 9 जनवरी 1915 को 21 वर्ष तक अफ्रीका रहने के बाद भारत लौटे. इस दिन को हम प्रवासी दिवस के रूप में मनाते है. बीच-बीच में कई बार स्वदेश लौटे पर 9 जनवरी को अफ्रीका छोडकर आ गए.

अफ्रीका यात्रा के बाद गांधीजी ने देश में सैनिको की संख्या बढाने के लिए सभी को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया. जिस कारण गाँधी को केसर ए हिन्द की उपाधि ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई.

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महात्मा गाँधी भारत के राष्ट्रपिता तथा बापू के नाम से जाने जाते है. महात्मा गांधी एक समाजसुधारक तथा राष्ट्रभक्त थे. इन्होने जीवनभर अंग्रेजो से संघर्ष किया.

महात्मा गाँधी का जन्म भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में हुआ. गाधीजी का जन्म 2 अक्टुम्बर 1869 को हुआ था. इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था.

इनके पिताजी का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था. ये गुजरात में रहते थे. गांधी के पिताजी अंग्रेजी देवान थे. तथा इनकी माता गृहणी ओर भगवन भक्त थी.

गांधीजी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर के निजी विद्यालय से संपन्न की. और लन्दन में जाकर अपनी शिक्षा पूर्ण की.

गांधीजी ने देश की आजादी के लिए शांतिमय ढंग से युद्ध किया. ओर अंग्रेजो से भारत को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

गांधीजी के राजनैतिक गुरु श्री गोपाल कृष्ण गोखले को माना जाता है. इनका मार्गदर्शन कर गांधीजी ने राजनीती में प्रवेश किया. और एक कुशल राजनेता भी बने.

गांधीजी का निधन 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में नाथूराम गोडसे और उनके साथियों द्वारा कर दिया गया. गांधीजी का अंतिम शब्द हे राम था.

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हमारे देश के राष्ट्रपिता आदर्शवाद व्यक्ति बापू के नाम से विख्यात गांधी को श्रेष्ठ समाज सुधारक भी माना जाता है।

गांधी जी ने अपने संपूर्ण जीवन में समाज सुधार बढ़ावा दिया तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। देश की आजादी में बापू का अहम योगदान रहा.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर 1869 को हुआ था। महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था.

गांधी जी के पिताजी राजकोट के दीवान थे। पर महात्मा गांधी पर उनकी माता का गहरा असर पड़ा महात्मा गांधी की माता हर समय पूजा-अर्चना करती रहती थी.

अपनी माता की इस भक्ति से गांधी जी का भी प्रभावित हुए और इस संसार में सत्य और असत्य हिंसा-हिंसा धर्म-अधर्म आदि के बारे में समझने लगे  इस प्रकार महात्मा गांधी का बचपन व्यतीत हुआ।

महात्मा गांधी ने अपने आरंभिक शिक्षा अपने गांव पोरबंदर से ही की फिर महात्मा गांधी के पिताजी को देवान घोषित करते हुए. अपना घर छोड़ना पड़ा.

राजकोट जाना पड़ा उनके पिताजी के साथ महात्मा गांधी का पूरा परिवार वहां राजकोट चला गया महात्मा गांधी शिक्षा से श्रेष्ठ विद्यार्थी नहीं थे पर वे अपने अनुशासन ईमानदारी और सत्य भावना से सभी को प्रभावित करते थे। 

महात्मा गांधी अन्य विद्यार्थियों से काफी भिन्न थे महात्मा गांधी का मानना था कि वे अपनी ईमानदारी को बरकरार रखेंगे चाहे वह परीक्षा में फेल क्यों ना हो जाए.

वे अपने नामांकन बढ़ाने के लिए कभी भी नकल नहीं करते थे जो याद होता था वही लिख देते थे इस प्रकार गांधी ने  अपने विद्यार्थी जीवन में सभी को प्रभावित किया। 

महात्मा गांधी ने अपनी मैट्रिक शिक्षा  1886 में राजकोट से  पूर्ण की  और इसके बाद भावनगर में स्थित कॉलेज में दाखिला लेने के लिए गए पर कुछ ही दिनों वापस पोरबंदर लौट गए।

अपनी वकालत की शिक्षा गांधी ने लंदन से की थी। महात्मा गांधी ने अपने संपूर्ण जीवन में शिक्षा को बहुत ही महत्व दिया उनका मानना था कि हमारे देश में समाज सरकार के अधीन है  सभी को शिक्षा ग्रहण करने के लिए बढ़ावा दिया।

महात्मा गांधी ने कहा कि मेरे जीवन के कुछ सपने हैं कि हमारा देश शिक्षित हो सदा कुछ सिद्धांत बनाई जाए और इस पर हमारे देश में ध्यान देते हुए महात्मा गांधी के कई के दांत बनाए हैं.

जो  उनके सपने थे उन्हें पूरे करने का प्रयास किया गया है. 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाए इसके लिए भारत सरकार बाल शिक्षा को बढ़ावा दे रही

हमारे देश में सभी नागरिकों को मातृभाषा की शिक्षा मिले देश के लिए हमारे देश में काफी नियम बनाए गए हैं पर कोई ठोस नियम नहीं है कि हमारे देश का नागरिक हिंदी की शिक्षा प्राप्त कर सकता है.

पर हिंदी दिवस जैसे वार्षिक उत्सव मना कर मातृभाषा की शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। बालकों को मानवीय गुण की शिक्षा देना।

आज हमारे देश में कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बालकों को शिक्षा से ज्यादा मानवीय गुणों को सिखाया जाता|
केवल साक्षरता को शिक्षा नहीं माना जा सकता।

शिक्षा दिलाने का केवल यही उद्देश्य नहीं है कि साक्षरता को बढ़ावा दिया जाए शिक्षा का उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति शिक्षित होकर कुछ करने लायक बने और आत्मनिर्भर बन सके।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता के नाम से महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने संबोधित किया था। गांधी को सर्वप्रथम महात्मा गांधी रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा था।

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के साथ साथ इन्हें बापू के नाम से भी जानते हैं इन्हें सर्वप्रथम बापू बिहार के किसानों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए किए जा रहे आंदोलन में सहयोग किया इसी दिन से इन्हें बाबू के नाम से जाना जाता है।

महात्मा गाँधी के नेतृत्व मे किये गये आंदोलन

हमारे देश के महान क्रांतिकारी आंदोलन मैं सबसे प्रमुख नाम महात्मा गांधी का आता है महात्मा गांधी ने हमारे देश में अनेक आंदोलन चलाकर देश के नागरिकों को जागरूक किया जिसमें कुछ प्रमुख आंदोलन यहां दिए गए हैं।

असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी तथा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने किया था इस आंदोलन की शुरुआत सितंबर 1920 से हुई तथा यह आंदोलन फरवरी  1922 तक चला.

इस आंदोलन का प्रमुख कारण 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड था। इस आंदोलन की शुरुआत गोरखपुर गांव से हुई थी। पर कुछ समय बाद आंदोलन को वापस ले लिया गया.

असहयोग आंदोलन वापस लेने का प्रमुख कारण यह था कि गांधीजी का मानना था कि चोरा चोरी घटना कम होने के कारण उन्होंने इस आंदोलन को रोक दिया था।

नमक सत्याग्रह
 नमक सत्याग्रह नमक आंदोलन किसानों द्वारा  चलाया गया था और यह आंदोलन अंग्रेज सरकार के विरुद्ध था इस अभियान की शुरुआत साबरमती आश्रम से 12 मार्च 1930 को हुई ऐसे आंदोलन का प्रमुख कारण एकाधिकार के खिलाफ था इस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कर रहे थे।

दलित आंदोलन

दलित में लोग होते हैं जिनके साथ छुआछूतऔर आर्थिक व सामाजिक भेदभाव किया जाता है दलित लोगों के प्रति हो रहे भेदभाव को कम करने के लिए तथा उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने के  लिए इस अभियान को चलाएं गया था। यह आंदोलन गांधी जी के प्रमुख आंदोलनों में से एक है। 

भारत छोड़ो आंदोलन
अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की इस आंदोलन में उनका प्रमुख उद्देश्य था कि अंग्रेजों को देश से भगाया जाए इस समय करो या मरो की स्थिति बनी हुई थी.

9 अगस्त 1942 को आखिरकार इस अभियान की शुरुआत की इस आंदोलन  और अंग्रेजों को देश से भागने की स्थिति बना दी. जो हमारी मजबूती को दर्शाती है.

इस आंदोलन के बाद अंग्रेज सरकार ने जवाहर लाल नेहरू और उनके कई साथियों को जेल में बंद भी किया इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो नामक नारा दिया था।

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन

चंपारण सत्याग्रह नमक आंदोलन बिहार के चंपारण गांव से शुरू हुआ था इसी कारण इस अभियान को चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है.

इस अभियान का नेतृत्व महात्मा गांधी कर रहे थे इस आंदोलन में महात्मा गांधी को "महात्मा" की उपाधि मिली थी। इसके बाद से हम मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी के नाम से जानते है.

महात्मा गांधी पर निबंध Mahatma Gandhi Essay in Hindi

देश के राष्ट्रपिता,बापू तथा महत्मा गाँधी नाम से मसहूर गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था. इनका जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर गाँव में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.

इनके पिता का करमचंद गाँधी था. जो कि राजोकोट के प्रसिद्ध दीवान थे. तथा महत्मा गाँधी की माता का नाम पुतलीबाई था. जो कि गृहणी थी. तथा वे हर समय भगवान की भक्ति करती थी. वे भगवान के प्रति प्रेम-भाव रखती थी.

गाँधी जी के बारे में महत्वपूर्ण बाते 
  • गाँधी एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे. जिन्हें 5 बार शांति पुरस्कार के लिए चयन किया गया. पर उन्हें ये पुरस्कार एक बार भी नहीं मिला. 
  • गांधीजी ने अपने सम्पूर्ण जीवन में अंग्रेजो से संघर्ष किया और गाँधी जी की मृत्यु के उसी अंग्रेजी सरकार 21 साल बाद गांधीजी के नाम पर डाक टिकट जारी की. गांधीजी एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे. जिनके नाम पर अंग्रेजी सरकार ने डाक-टिकट जारी की.
  • अफ्रीका में महात्मा गाँधी ने 3 फुटबाल कल्ब स्थापित किये.
  • महात्मा गाँधी जी का चरखा आज आत्मनिर्भरता का प्रतिक माना जाता है.
  • महत्मा गाँधी जी भारतीय सविंधान सभा में शामिल नहीं थे.
  • गाँधी जी अपने जीवन में हर रोज 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते थे.
  • गाँधी जी को याद रखने के लिए उनके नाम पर भारत में 53 तथा अन्य देशो में 48 सडको का निर्माण किया गया है.
  • गाँधी जी ने अपने सम्पूर्ण जीवन में देश को आजद कराने के लिए संघर्ष किया पर जिस दिन भारत आजद हुआ. उस रात महत्मा गाँधी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मौजूद नहीं थे.
  • गाँधी जी ने अपने जीवन में कभी-भी कोई राजनेता का पद ग्रहण नहीं किया.
महात्मा गाँधी के नारे 
  • भारत छोडो 
  • करो या मरो
  • भगवन का कोई धर्म नहीं होता है.
  • जहाँ पवित्रता होगी वहा निर्भयता का वास होगा.
  • श्रद्धा का ही आत्मविश्वास है और आत्मविश्वास में ही भगवान होते है..
  • शान्ति से कुछ भी संभव है.
  • मनुष्य का वास्तविक सोन्दर्य उसकी ह्रदय की पवित्रता में होता है.
  • खुद आत्मनिर्भर बने जो कार्य खुद कर सकते है.उसके लिए किसी का अधीन नहीं बनाना चाहिए.
  • जब तक गलती करने की आजादी न हो तब तक स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं होता है.
महत्मा गाँधी के प्रसिद्ध कथन 
  • डर जैसा कोई रोग नहीं ये तन को नहीं मन को मरता है.
  • हर व्यक्ति कुछ-न कुछ सिखाता है पर जरुरी नहीं है कि सभी का तरीका एक ही हो.
  • मेरे विचारो की स्वतंत्रता चाहता हूँ.
  • मनुष्य को हर भूल से कुछ-न कुछ सिखने को मिलता है.इसलिए भूल भी जरुरी है.
  • यदि मनुष्य सिखाना चाहे तो उसके लिए भूल ही काफी है.
  • जिज्ञासा बिन ज्ञान नहीं बिन दुःख सुख नहीं.
  • अहिंसा एक ऐसा धर्म है जो कभी नहीं बदलता है.
हमारे देश के स्वतंत्रता आंदोलनों करने वाले व्यक्तियों में सबसे श्रेष्ठ महत्मा गाँधी को माना जाता है. गांधीजी ने अपने जीवन में अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया.

तथा अंग्रेजो को देश से भगाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसलिए तो इन्हें राष्ट्रपिता कहते है. राष्ट्रपिता की उपाधि गांधीजी को सुभाष चन्द्र बोस ने दी थी.

गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक तक की शिक्षा राजकोट में ही प्राप्त की फिर वे आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए. इंग्लैण्ड से शिक्षा प्रदान कर गांधीजी ने वकील के रूप में कार्यरत रहे. फिर इन्होने मुंबई में वकील के रूप में कार्य को शुरू किया.

महत्मा गाँधी शान्त स्वभाव के थे. उन्होंने अपनी पराक्रम से पुरे विश्व को प्रभावित किया. गाँधी जी का एक करीबी दोस्त अफ्रीका में निवास करता था.

गाँधी जी के उस दोस्त ने गाँधी जी को अफ्रीका आने के लिए बुलावा भेजा गांधीजी वहा गए. और इसके बाद से गाँधी का अपना राजनैतिक जीवन जी शुरुआत हुई. अफ्रीका में गाँधी जी ने परस्थितियो को देखकर इसे अपने देश में लागु करने का निश्चय किया.

Essay On Mahatma Gandhi in hindi

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्हें इस सदी का सबसे महान पुरुष भी कहा जाता हैं. जिन्होंने सत्य एवं अहिंसा जैसे मूल्यों के दम पर दमनकारी अंग्रेजी हुकुमत को हर बार परास्त कर भारत छोड़ने पर मजबूर किया था.

भारत की स्वतंत्रता में महात्मा गांधी का बड़ा योगदान था. उनके एक इशारे पर सड़के जाम हो जाया करती थी. ऐसे महान पुरुष का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. 

महात्मा गांधी का नारा व अहम बाते
  • 2 अक्टूबर 1869 को महात्मा गांधी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबन्दर शहर में हुआ था, उनकी माता का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचन्द गांधी था. इनके बचपन का नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था.

  • गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर के दिन ही भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्म हुआ था अतः इस दिन शास्त्री जयंती भी हैं.
  • गांधी जयंती पर देशभर में राजकीय अवकाश होते हैं. तथा राष्ट्रपिता के सम्मान में विद्यालयों में निबंध व भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन भी कराया जाता हैं.
  • गांधीजी ने कई आन्दोलनों का नेतृत्व कर भारत को आजादी दिलाई थी.
  • करो या मरो और भारत छोड़ों ये दो नारे महात्मा गांधी के सबसे लोकप्रिय हुए, तथा इनकें पीछे छिपे संदेश से गांधीजी के चरित्र एवं उनके प्रभाव को स्पष्ट देखा जा सकता हैं.
  • उन्होंने कहा था बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहों. जो गांधीजी के तीन बन्दर की अवधारणा के रूप में प्रसिद्ध हुई थी.
  • बापू कहा करते थे. बुरा सुनने से मन अपवित्र एवं अशांत हो जाता था. वो स्वच्छता को जीवन में बड़ा महत्व देते थे, उनका नारा था पवित्रता है, वहीं निर्भयता, स्वच्छता ही ईश्वर हैं.
  • हे राम भी राष्ट्रपिता का अंतिम नारा था, जब दिल्ली की प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मारी तो उनके ये आखिरी शब्द थे.
  • 1942 में महात्मा गांधी ने करो या मरो और अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे (भारत छोड़ो आन्दोलन) के समय दिए थे.
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. राजघाट दिल्ली में गांधीजी का स्मारक बना हुआ हैं.

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