कालीबंगा संस्कृति | kalibangan in hindi: कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है काले रंग की चूड़ियां.यह स्थल हनुमानगढ़ के निकट घग्गर नदी के किनारे विकसित हुआ था.कालीबंगा की खोज 1951 -52 में अमलानंद घोष द्वारा की गई.
कालीबंगा की सभ्यता एवं संस्कृति | Kalibangan In Hindi
कालीबंगा की खुदाई 1961 से 1969के बीच बी बी लाल तथा बी के थापर द्वारा की गई. यह सभ्यता सिंधु सभ्यता की तीसरी राजधानी मानी जाती है जो विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं के समकक्ष है.
कालीबंगा सभ्यता राजस्थान राज्य के उत्तरी जिले हनुमान गढ़ में स्थित है. इस सभ्यता के पास सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष भी प्राप्त हुए है. कालीबंगा सभ्यता हनुमानगढ़ के वर्तमान घग्घर नदी क्षेत्र के पास में एक छोटा सा नगर हुआ करता था. यहाँ खुदाई के समय किले के कुछ अवशेष मिले है.
इस सभ्यता में नगरी जीवन तथा कृषि से जुड़े जन जीवन के साक्ष्य मिलते है। इसकी खोज अम्लानंद घोष द्वारा 1952 में की गई। यहां का जनजीवन कांस्य काल का माना गया है।
यह सभ्यता राजस्थान की प्राचीनतम सभ्यताओ में से एक है. इसका इतिहास काफी पुराना रहा है. यह ४०० ईस्वी सन की मानी जाती है. सर्वप्रथम अमलानंद घोष ने 1952 में इसकी खोज कार्य शुरू किया. इसके बाद बी.के थापर व बी.बी लाल ने 1961-69 में इसका दुबारा उत्खनन किया.
कालीबंगा सभ्यता 3 हजार ईसा पूर्व का एक समृद शहर माना जाता है. यहाँ पर विश्व में पहली बार खेती के साक्ष्य इसी सभ्यता में देखने को मिले. कालीबंगा वर्तमान में हनुमान गढ़ जिले में स्थित है. यह पीलीबंगा से कुछ मील ही दूर है.
कालीबंगा एक सिन्धु भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है. काली+ बंगा अर्थात काली चूड़िया. इससे इस पुरातात्विक स्थल की समृद्ध स्थिति को जाना जा सकता है.
कालीबंगा सभ्यता सरस्वती नदी के किनारे पर बसी हुई थी. इसके आलावा इस नदी के तट पर सैकड़ो शहर हुआ करते थे. जिस कारण कई इतिहासकार इसे सिन्धु सभ्यता की बजाय इसे सरस्वती सभ्यता भी कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
पुरातात्विक सामग्रियाँ
भारत की प्राचीन सभ्यताओ की खोजबीन का कार्य जैसे ही क्रियान्वन हुआ उसके साथ ही कई सभ्यताओ की खोज की गई तथा उस समय भारत की स्थिति का पता लगाया गया. राखलदास बनर्जी एवं दयाराम साहनी के द्वारा मोहनजोदड़ो और हडप्पा का उत्खनन किया गया.
इसके बाद इन्होने राजस्थान की इस सभ्यता का उत्खनन के द्वारा इसे तीसरी बड़ा शहर बताया तथा इससे अनेक पुरातात्विक सामग्रियों एकत्रित की जिसने यहाँ के दैनिक जीवन की उपयोगिता तथा संसाधनों का पता लगाया.
कालीबंगा सभ्यता की खोजबीन में जब उत्खनन का कार्य किया गया तो पाया कि यहाँ किले के अवशेष मिले जो यहाँ की सुरक्षात्मक और आत्मज्ञान का प्रतिक है. इसके साथ ही यहाँ के लोगो को खेती के प्रति जानकारी भी थी.
दुर्ग के आलावा भी यहाँ ताँबे के औजार व मूर्तियों के अवशेष मिले है. धातु के बर्तन का मिलना यह दर्शाता है, कि यह तम्रकलिन युग का समय रहा होगा. यहाँ प्राप्त तांबे की चूडियो के कारण ही इसका नाम कालीबंगा यानि काली चूड़िया रखा गया.
इसके आलावा यहाँ किये गए उत्खनन में मुहरे मिली है, जिसमे लिपिबद्ध तरीके से कुछ अंकित किया गया है. पर आज भी इस भाषा का अध्ययन किया जाना संभव नहीं हुआ है. इसके आलावा मुहरो पर वृषभ के चित्र बनाए गए मिले है. जो उस समय पशुपालन के साक्ष्य के रूप में उभरता है.
यहाँ उत्खनन के दौरान कई प्रकार की मुर्तिया बर्तन तथा कृतिया मिली है. जिसमे पशुओं में बैल, बंदर व पक्षियों की मुर्तिया मिली है. तथा अन्य कृषि से सम्बंधित औजारों की मुर्तिया भी मिली है. यहाँ बैल व बारहसिंघ की अस्थियों भी मिली है. इसके आलावा बैलो के खिलौने भी प्राप्त हुए है.
यहाँ पर जोते हुए खेत के साक्ष्य मिले है. कपास की खेती के साक्ष्य मिले है. साथ ही गेंहू और चने जैसे खाद्यान्नों के अवशेष भी प्राप्त हुए है, जो उस समय की कृषि के प्रति ज्ञान को उजागर करती है.
कालीबंगा सभ्यता में उत्खनन के समय अनेक आभूषण, बर्तन, तराजू जो पत्थर से बना हुआ था. खिलौने धर्म सम्बंधित जानकारी तथा नगर नियोजन की व्यवस्था के अवशेष मिले है. यहाँ के नगरो में सडको की व्यवस्था तथा यहाँ के नल और कुँए तथा ईंटो से बने घर यहाँ मिले है.
कालीबंगा से प्राप्त होने वाले साक्ष्य इस प्रकार है:-
यहां से साधारण चुल्हे व तंदूरी चुल्हे के साक्ष्य मिले हैं.
- एक मोहर पर भी व्याघ्र का अंकन किया गया है.
- यहां पर परकोटे के बाहर जूते हुए खेत के साक्ष्य मिले जो विश्व में जूते हुए खेत का पहला प्रमाण है इस खेत में दोहरी जुताई की गई जिसमें चना और सरसों था.
- कालीबंगा में समकोण पर दिशा में जूते हुए खेत के प्रमाण मिले जिसमें गेहूं और जौ बोए गए थे कपास की खेती के प्रमाण सर्वप्रथम यहीं से मिले हैं.
- सिंधु सभ्यता का एकमात्र स्थल जहां मात्रदेवी की मूर्ति नहीं मिली है.
- यहां से तांबे के बैल की आकृति ,भूकंप के प्रमाण तथा ईटों के मकान के प्रमाण भी मिले हैं.
- कालीबंगा की लिपि बाएं से दाएं और लिखी जाती थी .
- कालीबंगा में सड़कें समकोण पर काटती थी सड़कों की चौड़ाई 7.2 मीटर तथा गलियों के चौड़ा 1.8 मीटर थी.
- भवनों के द्वार सड़कों पर न खुलकर गलियों में खुलते थे.
- कालीबंगा के प्रमुख पशु गाय बैल भैंस ,बकरी , सूअर व ऊंट थे इनमें से कुत्ता सबसे प्रिय पशु था.
- कालीबंगा में कुए के समीप 7आयताकार यज्ञवैदियाँ मिली.
- शिशु की खोपड़ी प्राप्त जिसमें कंपाल दोहन प्रक्रिया की गई है.
- लोग मुख्यतः शव को दफनाते थे.
कालीबंगा सभ्यता का पतन अमला नंद घोष के अनुसार जलवायु परिवर्तन तथा डेल्स के अनुसार नदियों के मार्ग परिवर्तन से हुआ परंतु इसके पतन का प्रमुख कारण भूकंप माना जाता है.