मदर टेरेसा पर निबंध Mother Teresa Essay in Hindi
मदर टेरेसा जिसे हम रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता संत टेरेसा के नाम से जानते है, इनका जन्म अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य में हुआ इनका नाम आन्येज़े गोंजा बोयाजियू रखा गया.
यह रोमन कैथोलिक नन के रूप में प्रसिद्ध थी. इन्होने 1948 के साल में अपनी ईच्छा तथा मानसिक रूप से भारत के साथ जुड़ाव के कारण इन्होने भारतीय नागरिकता ले ली तथा भारत में रहने लगी थी।
मानवता की मूरत कही जाने वाली मदर टेरेसा का जन्म सन 1910 में 26 अगस्त के दिन स्कापजे मसेदोनिया में हुआ था। यह जिस परिवार में पैदा हुई थी वह एक साधारण परिवार था और मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजीजु था।
8 साल की उम्र में ही इनके पिताजी का देहांत हो गया था। पिताजी के देहांत के बाद माता के द्वारा इन्हें पाल पोस करके बड़ा किया गया। मदर टेरेसा कुल पांच भाई बहन थे और यह पांचों भाई बहन में सबसे छोटी थी।
जब यह पैदा हुई थी तब इनकी बड़ी बहन 7 साल की थी और इनके भाई की उम्र 2 साल थी। इसके अलावा दो बचे हुए बच्चे बचपन में ही मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।
मैं वह कर sakti हूं जो तुम नहीं कर सकते, तुम वह कर सकते हो जो मैं नहीं कर सकता; हम साथ मिलकर महान कार्य कर सकते हैं।”
मदर टेरेसा पढ़ाई में काफी होशियार थी साथ ही यह अद्भुत प्रतिभा की मालकिन भी थी। इन्हें गाना गाना भी अत्याधिक पसंद था और यह अक्सर घर के पास में मौजूद चर्च में गाना गाने जाती थी।
मदर टेरेसा इसाई मजहब को मानती थी और 12 साल की उम्र आते आते ही इन्हें अंदर से यह अनुभव होने लगा था कि यह अपनी सारी जिंदगी मानव की सेवा करने के लिए ही व्यतीत करेंगी
और इस प्रकार से मदर टेरेसा ने सिर्फ 18 साल की उम्र में ही सिस्टर बनने का फैसला लिया और इसके लिए वह आयरलैंड में जाकर के अंग्रेजी भाषा सीखने लगी।
मदर टेरेसा के द्वारा शुरुआत से ही ईसाई धर्म के प्रचारक के तौर पर काम किया जा रहा था साथ ही यह मानव सेवा में भी रुचि ले रही थी।
उन्होंने भारत देश में भी लोगों की काफी सेवा की और भारत में काफी अधिक ख्याति हासिल की। उन्होंने भारत के कोलकाता शहर में मौजूद सेंट मैरी हाई स्कूल में भी विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम किया था।
मदर टेरेसा के द्वारा मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना दुनिया के 120 से भी अधिक देशों में की गई थी। यह एक रोमन कैथोलिक धार्मिक संगठन है जो मानव सेवा के लिए काम करता है जिसके अंतर्गत 4500 से भी ज्यादा ईसाई मिशनरी एक्टिव है।
दीन दुखियों की सेवा करने की वजह से मदर टेरेसा को अनेक प्रकार के पुरस्कार हासिल हुए थे। इन्हें साल 1962 में पद्मश्री पुरस्कार, 1979 में नोबेल पुरस्कार और साल 1980 में भारत रत्न पुरस्कार मिला था।
इसके अलावा 1985 में इन्हें मेडल ऑफ फ्रीडम का पुरस्कार भी मिला हुआ था। मदर टेरेसा को प्राप्त नोबेल पुरस्कार के तौर पर 192,000 डॉलर की रकम उन्होंने गरीबों के कल्याण के लिए दान कर दी थी।
मदर टेरेसा ने भारत के गरीब लोगों की एक मां बनकर की सेवा की। इसके अलावा उन्होंने भारत में 80 विद्यालय भी खोलें, साथ ही उनकी चैरिटी के द्वारा भारतीय गरीब लोगों को फ्री में खाना भी उपलब्ध करवाया गया.
साथ ही अनाथ बच्चों के लिए 70 से अधिक केंद्र बनाए गए। इसके अलावा वृद्ध लोगों के लिए 81 से ज्यादा वृद्ध आश्रम तैयार किया जाए।
पोप जॉन पॉल द्वितीय से मुलाकात करने हेतु साल 1983 में मदर टेरेसा गई थी, जहां पर उन्हें पहला हृदयाघात हुआ था।
इसके पश्चात दूसरा हृदयाघात उन्हें साल 1989 में हुआ और साल 1997 में उनकी मौत हो गई। हालांकि अपने सेवा कार्यों से उन्होंने अपने नाम को इतिहास में अमर कर लिया।