poem on martyrs in hindi - शहीद पर कविता: भारत के जाबाज जवानों तथा देश पर मर मिटने वाले वीर शहीदों के नाम poem on martyrs in hindi में सुंदर हिंदी कविता आपके साथ साझा कर रहे हैं. आशा करते हैं. सेना के एक जवान पर लिखी कविता आपकों अवश्य ही पसंद आएगी.
शहीद पर कविता poem on martyrs in hindi
एक भारतीय सैनिक जो देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान देता है. देश के लिए खुद का बलिदान शहीद कहलाता है. एक देश के लिए रक्षा करते हुए. शहीद होना बड़े गर्व की बात है.
आज हमारे देश में अनेक सैनिक सीमा पर तह्नात है, जो दिन रात अपनी परवाह किये बिना हमारी रक्षा करते है. ये भारत की सबसे सम्मानीय नौकरी होती है. इसे हर कोई सेल्यूट करता है.
हर रोज आतंकवादी हमलो के कारण हमारे देश के सैनिक देश के लिए अपना बलिदान देते है. आज हम भारत के लिए शहीद सैनिको के लिए छोटी बड़ी कविताएँ लेकर आए है.
जिसने पहला दीप जलाकर
अंधियारे को ललकारा है
उजियारे के उस सपूत को
सादर नमन हमारा है.
जिसने पहला बढ़ाकर
पथ का रूप संवारा है
निर्जन वन उस पथिक को
सादर नमन हमारा है.
जिसने पहला हाथ बढ़ाकर
सबको दिया सहारा है
मझधारों उस्मान जी को
सादर नमन हमारा है.
जिसने पहला शूल हटाकर
फूलों को सत्कारा है
मानवता के उस मालिनी को
सादर नमन हमारा है.
जिसने पहला तिलक लगाकर
जय का मंत्र उचारा है
मातृभूमि के उस शहीद को सादर नमन हमारा है.
शहीद सैनिकों पर कविता
लौट़ के वापस आ जाओ,
अ़ब याद तुम्हारी आती़ है़,
कहाँ गए तु़म लाल़ मेंरे,
मां दिल से आवा़ज लगा़ती है।
रहमों-करम से पाला तुझ़को,
तू़ ही तो सहा़रा घ़र का था़,
बूढे़ कंधों को भार दिलाकर,
मेरे लाल कहाँ तू़ चला गया।
अग़ली छुट्टी़ में मिलूंगा़ कहकर,
मै़ अरमान जगाए बैठी़ हूँ,
मे़हंदी का रंग़ न गया हा़थों से,
क्यों सपने अधूरे छो़ड चले।
इस़ मां की रक्षा करते करते क्यों,
राह पे मुझ़को छोड दिया
कहूंगी़ क्या मै़ उनसे तब,
जब पू़छे पापा कहाँ चले।
ऐ़ भाई मेरे किस राह चले,
मै़ दिल से तु़मको पुकारा करूं,
है़ था़ल सजी राखी़ से है़,
मै राह तुम्हा़री देखा करू़।
रब्बा न करे मेरा परिवार दुखे़,
मां इतनी त़मन्ना तू़ करदे,
मै़ चला लहू़ देकर तुझ़को,
मेरा देश़ अमऩ सुख़ शान्त रहे।
Martyrs day poem in hindi
भारत के लि़ये तू़ हुआ बलि़दान भग़त सिंह ।
था तुझ़को मुल्को-कौम का अभिमाऩ भगत सिंह ।।
वह दर्द ते़रे दिल में वतऩ का समा़ गया ।
जिस़के लिये तू़ हो गया कुर्बा़न भग़त सिंह ।।
वह कौल़ ते़रा और दिली आरजू़ तेरी ।
है हि़न्द के हर कू़चे में एलान भग़त सिंह ।
फांसी पै़ चढ़़के तू़ने जहां को दिखा दिया ।
ह़म क्यों ऩ बने तेरे कदरदा़न भग़त सिंह ।।
प्या़रा ऩ हो क्यों मादरे-भारत के दुलारे ।
था जा़नो-जिग़र और मेरी शा़न भगत सिंह ।।
ह़र एक ने देखा तुझे़ है़रत की ऩज़र से ।
हर दिल में तेरा हो़ गया स्थान भग़त सिंह ।।
भूलेगा़ कयाम़त में भी हरगि़ज न ए ‘किशोर’ ।
माता़ को दिया सौंप दिलोजान भग़त सिंह़ ।।
भारतीय सैनिक पर कविता
मैं आका़श़ की हूं गर्ज़ना,
मैं शे़र की दहा़ड़ हूं ।
ट़करा कर जि़स़से आंधियां
स्वयं ले़ती राह ब़दल ।
मा़तृभूमि की रक्षा़ हेतु
मैं वो़ अविच़ल पहा़ड़ हूं ।
ज़ब तक जि़स्म में लहू़ की
ए़क भी कत़रा बा़क़ी है ।
श़त्रुओं के झुंड़ पर
मैं अकाट्य प्रहा़र हूं ।
रि़पूओं के खूऩ से ही
बुझ़ती जि़सकी प्या़स है ।
यु़द्ध में खिंचीं ग़ई
वो खड्ग़ वो त़लवार हूं ।
ऩ झुकें हैं अबत़लक,
सूऩ, न झुकेंगे़ कभी ।
मृत्यु या़ विजय व़रूं,
फैसला़ आर या पा़र हूं।
एक अकेला जा़ऩकर
न छे़ड़ो मुझ़को कायरों ।
धुल चाट़ जाए़गा तु
ऐसा वा़र मैं हजा़र हूं ।
एक पल ऩ सोचना,
मांग लेना़ जाऩ तुम़ ।
मां भारती कदमों में ते़रे
मैं सदा निसाऱ हूं ।
-- डौली कुमारी