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करुणा पर निबंध | Essay on Compassion In Hindi

Essay on Compassion In Hindi करुणा पर निबंध: जीवन में दया तथा करुणा को मानव होने की निशानी बताई गई हैं. आज का हमारा हिंदी निबंध करुणा के विषय पर हैं. इस निबंध को पढ़ने के बाद हम जान पाएगे कि करुणा क्या है अर्थ परिभाषा महत्व आदि की जानकारी प्राप्त कर सकेगे.

Essay on Compassion In Hindi

"प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलास के साधन नहीं हैं। उनके बिना, मानवता का अस्तित्व नहीं बना रह सकता है।  - 14वें दलाई लामा"

करुणा का अर्थ कमजोर व्यक्तियों या प्राणियों के प्रति उत्पन्न होने वाले उस भावना से है जो उनकी उस कमजो र स्थिति को समझने तथा उसके प्रति समानुभूति की चिंता रखने से उत्पन्न होती हैं. यह भावना व्यक्ति को प्रोत्साहित करती है कि वह पीड़ित के दुःख दूर करने में सहायता करे.

माना जाता है कि सम्पूर्ण विश्व में परोपकार की भावना का मूल तत्व करुणा ही हैं. बुद्ध व महावीर ने करुणा पर अत्यधिक बल दिया हैं. करुणा से मिलता जुलता एक अन्य भाव दया है. दया व करुणा में निम्नलिखित अंतर हैं.

दया व करुणा में अंतर

दया एक विशिष्ट भाव है जो किसी विशिष्ट व्यक्ति या प्राणी के प्रति उत्पन्न होती है, जैसे विशेष परिस्थिति में सड़क पर किसी दुर्घटनाग्रस्त जीव को देखकर दया का भाव आना. 

इसके विपरीत करुणा विशिष्ट के प्रति ही नहीं सामान्य के प्रति भी हो सकती हैं. बुद्ध ने करुणा को नैतिकता का मूल आधार माना है और वह करुणा सामान्य के प्रति ही हैं.

दया में यह निहित होता है कि दया का पात्र खुद उबरने में समर्थ नहीं है जबकि दया करने वाला समर्थ हो सकता भी सकता है और नहीं भी. उदाहरण क, ख से अधिक ताकतवर है और उसे मार रहा है और ख उससे दया की भीख मांगे तो क समर्थ है. 

दूसरी ओर यदि क की दुर्घटना किसी बस से हो जाती है और चोट ऐसी है कि कोई भी डोक्टर उसे नहीं बचा सकता तो ऐसे समय डोक्टर या कोई भी व्यक्ति दया का भाव रखेगा तो भी असमर्थ ही होगा, इसके विपरीत करुणा के लिए यह जरुरी नहीं है कि पीड़ित व्यक्ति अपनी स्थिति से बाहर निकलने में अक्षम हो.

दया एक तात्कालिक मानसिक अवस्था है इसके विपरीत, करुणा तुलनात्मक रूप से स्थायी भाव हैं. कमजोर वर्गों के प्रति करुणा की जरूरत इसलिए है क्योंकि ये वर्ग विकास की प्रक्रिया में इतने पिछड़ चुके है कि उन्हें लोक सेवकों में इनके प्रति करुणा का भाव होगा तो वे उनकी दशा सुधारने के लिए भीतर से प्रतिबद्ध होंगे. समावेशी बुद्धि को साधने के लिए यह जरुरी हैं.

करुणा की थकान (Compassion fatigue)

अगर कोई व्यक्ति निरंतर ऐसी परिस्थतियों में रहे जिसमें करुणा सक्रिय होती है तो धीरे धीरे करुणा की सक्रियता में कमी आने लगती है इसे ही करुणा की थकान कहते हैं. उदाहरण लगातार नये मरीज आने पर नर्स की ऐसी ही स्थिति हो जाती हैं.