हमारे समाज का सबसे महत्वपूर्ण तथा श्रमिक व्यक्ति मजदूर होता है. आज के आधुनिक युग में मशीनरी के प्रयोग से ज्यादा मजदूरो का प्रयोग होता है. प्रत्येक कठिन कार्य को मजदूर करते है. ये हमारे देश की रीड की हड्डी है. आज के इस लेख में हम भारत की रीड की हड्डी मजदूर पर निबंध Essay on Labourer in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.
मजदूर पर निबंध Essay on Labourer in Hindi
मानव प्रजाति का सबसे श्रमिक इन्सान मजदूर होता है. ये मजदूर सबसे आदर्श व्यक्ति होता है. हमारे देश में मजदूरो के कारण देश का विकास संभव है. वरना मशीनरी में काफी व्यय की जरुरत पड़ती है.
जिसके कारण देश को आर्थिक व्यवस्था संकट नजर आता है. पर मजदूर मशीनरी की तुलना में बहुत कम व्यय में कार्य को सफलता पूर्वक कर लेते है.
यदि मजदूर कार्य करना बंद कर दे तो देश को काफी नुकसान होगा. इसलिए मजदूरों को आर्थिक व्यवस्था की धुरी कहा जाता है. ये प्रत्येक कार्य को कम व्यय में तथा जल्दी कर देश की सहायता करते है.
आज के ज़माने में देखा जाए तो हमारे देश में अनेक महत्वपूर्ण कार्य मजदूरो द्वारा किये जाते है. जैसे- उद्योग, व्यापार,कृषि, भवन निर्माण,सरकारी कार्यालयों का निर्माण, पुल एवं सड़कों का निर्माण आदि मजदूरों द्वारा ही संपन्न किये जाते है.
मजदूर पर देश निर्भर होता है. और मजदुर खुद की मेहनत पर निर्भर होता है. मजदूर सारे दिन कठिन परिश्रम कर अपना पेट भरता है.
आज के इस युग में हर व्यवसाय में आय बहुत ज्यादा होती है. पर आश्चर्यजनक बात ये है. कि सबसे कठिन परिश्रम करने वाले मजदूर की आय बहुत कम होती है.
मजदूर कठोर मेहनत करने के बावजूद भी अपने परिवार का लालन-पालन भी मुश्किल से कर पाता है. मजदूर जब तक अपने बल पर कार्य करता है. तब तक वह अपना जीवन आसन से व्यापन कर लेता है. पर जब ये बुढ्ढे हो जाते है. या निर्बल हो जाते है.
तब इनकी स्थिति बहुत ख़राब हो जाती है. इस समय इन्हें भूखा रहना पड़ता है. मजदूर अपने सम्पूर्ण जीवन में देश की सेवा करता है. पर मजदूर को देश की तरफ से कोई सुरक्षा या सहायता नहीं मिलती है.
जो लोग कुछ करने में सक्षम होते है, सरकार उनकी ही सुनती है. जो अनपढ़ तथा गरीब मजदूर होते है. वे देश का पेट भरते है. पर मजदूरों के पास सामाजिक सुरक्षा भी नहीं होती है.
हमारे देश में करोडो की संख्या में मजदुर है. यदि सभी मिलकर देश से मांग करे तो देश जरुर उन्हें सहायता प्रदान करता है. जैसा की कई राज्यों में मजदूर संगठनो ने भूख हड़ताल की है. जिन्हें काफी फायदा भी हुआ है.
तथा उन्हें आर्थिक सहायता से साथ-साथ सुरक्षा भी प्रदान की गई है. पर ज्यादातर मजदूर अपनी खुद की भलाई के लिए संगठन में शामिल नहीं होते है. वे जो मजदूरी मिलती है. उसी में संतुष्ट होते है. इसी कारण मजदूर संगठित नहीं हो पाते है.
जो मजदूर संगठित है. उनकी स्थिति असंगठित मजदूरों से काफी हद तक अच्छी है. जो संगठित मजदूर है. उनकी हर मांग को सरकार पूर्ण करती है.
चाहे जिसमे आर्थिक सहायता जैसे मासिक वेतन की बढ़ाना, महँगाई भत्ता, पेंशन तथा सामाजिक सुरक्षा आदि सुविधाए भी क्यों न हो. इसलिए कहते है.
''संगठन में ही शक्ति है'' मजदूर अपनी स्थिति को ठीक को नियंत्रण में लाने के लिए संघटन ही एक रास्ता है.देश के प्रत्येक नागरिक की मांग को पूरा करना तथा उन्हें सहायता प्रदान कराना देश का प्रथम कर्तव्य होता है.
मजदूरों को एक अधिकार दिया गया है. जिसके तहत मजदूर किसी भी क्षेत्र में जाकर मजदूरी कर सकते है. कोई भी कार्य कर सकते है. तथा किसी भी राज्य में रह सकते है.
देश के किसी भी कोने में मजदूरी करने की स्वतंत्रता होती है. मजदूर अपने कार्यो में सबसे अग्रणी रहते है. मजदूर देश में विकास का अहम हिस्सा है.
मजदूरों के चलते ही देश में नए-नए सड़कों,पुलों तथा कार्यालयों का निर्माण अल्प अवधि तथा कम व्यय में हो जाता है. इसी कारण आज भी अधिकांश कार्य मजदूर करते है. हालाँकि कुछ कार्य और भी कठिन होते है. जिसमे अधिक मेहनत लगती है. तथा दीर्घकाल लगता है.
इस स्थिति में मशीनरी द्वारा कार्यो को संपन्न किया जाता है. मजदूर अनेक कार्य करते है. जैसे-रिक्यहचालक, सफाई, कर्मचारी, बढ़ई, लोहार, हस्तशिल्पी, दर्जी, पशुपालक आदि कार्यो को करने वाले मजदुर ही होते है.
मजदूर को धर्म या नस्ल नहीं होती है. जो खुद पर निर्भर होकर कठिन परिश्रम करते है. वे मजदुर होते है. देश को आत्मनिर्भर बनाने में मजदूर अहम भूमिका अदा करते है.
मजदूरों की स्थिति में पिछले कुछ दशको से काफी सुधार देखने को मिला है. मजदूर कठिन परिश्रम से नहीं डरते है. ये तो स्वभाव से ही परिश्रमी होते है.पर मजदूरों के पास करने के लिए कोई निश्चित कार्य नहीं होता है. जिसके कारण इन्हें जागीरदारों का गुलाम रहना पड़ता है.
मजदूर अपनी इस स्थिति को देखकर एक ही ईच्छा जाहिर करते है. कि हमें अधिक परिश्रम करवा लो पर हमें एक निश्चित कार्य सौंप दो जिससे हम अपने परिवार के लिए दो समय का भोजन करने के पैसे कमा सकें.
मजदूरों की स्थिति बहुत दयनीय है. मजदूरों की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय सरकार संघ द्वारा मजदूरों के लिए अनेक कार्यकर्मो का शुभारम्भ किया जा रहा है. जिसमे कुछ अभियान मजदूरों को रोजगार देने के है.
तथा कुछ अभियान मजदूरो की आर्थिक सहायता तथा उनके बेरोजगारी भत्तो की व्यवस्था कर रहे है.इन अभियानों से मजदूरो की स्थिति में काफी बदलाव आया है.
मजदूरो की सहायता के लिए भारतीय सविंधान में अनेक नियम बनाये गए है. जिसमे कुछ नियम श्रमिको के लिए कार्य करने का समय निर्धारित करते है.
यदि कोई निर्धारित समय अवधि से अधिक समय तक कार्य करवाएगा तो उसे सविंधान के नियमो के अनुसार अधिक भुगतान करना पड़ेगा. समाज में प्रचलित अनेक सामाजिक प्रथाए जो मजदूरो को गुलाम बनाती है.
इस प्रकार की प्रथाओ पर बेन लगा दिया गया है. जिस कारण मजदूर स्वतंत्र है. श्रम से सम्बंधित या अपने अधिकारों के हनन होने पर मजदूर सर्वोच्च न्यायलय की शरण में जा सकता है.
बालश्रम की प्रथा को भी समाप्त किया जा रहा है. यदि कोई बालक कठिन श्रम करता पकड़ा गया तो नियमो के अनुसार उसके माता-पिता को सजा दी जाएगी. मजदूरों को अपने अधिकार प्राप्त न होने या अपने अधिकारों के हनन के विरोध में संगठन बना सकते है.
मजदूरों की स्थिति में आज भी सुधार की जरुरत है. देश के प्रत्येक नागरिक को सामान अवसर प्राप्त होने चाहिए. मजदूरो को आर्थिक तथा सामाजिक सहायता प्रदान करा कर उनकी दशा में सुधार किया जाए.
मजदूरों और सैनिक दो व्यक्ति ही ऐसे होते है. जो देश की सेवा करते है. इसलिए इनका सम्मान करना चाहिए. इनकी स्थिति में सुधार करना चाहिए. तथा इनकी मासिक आय में वद्धि की जाए जिससे ये दो वक्त का भोजन आसानी से कर सकें.
मजदूरों को हर समय कार्य करने को मिले जिससे वे अपना परिवार पाल-पोष सके. मजदूरों का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है.
''ये बात ज़माना याद रखे मज़दूर हैं हम मजबूर नहीं I
ये भूख ग़रीबी बदहाली हरगिज़ हमको मँज़ूर नहीं ।।''
मजदूर की आत्मकथा पर निबंध Essay On Labourer In Hindi
मै भारतीय मजदूर हूँ,मेरा कर्म ही मेरा धर्म है. मेरा कर्म मेरी पहचान होती है. मेरा कोई धर्म नहीं है. कर्म ही धर्म है. और यही मेरी पहचान है.मै गरीब तथा निर्धन परिवार में पला बड़ा हुआ.
मेरा बचपन अभावो में बिता मेरे घर की स्थिति बहुत नाजुक होने के कारण मै पढाई नहीं कर सका. और बचपन से ही मेरे परिवार को पालने-पोषने के लिए मुझे मजदूरी करनी पड़ती थी.
मैं पुरे दिन मेहनत करके मुश्किल से मेरे बड़े परिवार का पेट भर पाता था. मै अपने जीवन में कभी न तो खुश हुआ और न ही दुखी क्योकि मुझे समय भी नहीं मिलता था.
मेरा बचपन समाप्त हो गया और में जवान बन गया. और मै मजदूरी करता रहा और अपने किस्मत से लड़ता रहा. बचपन से मैंने अनेक ठोकरे खाई और आज भी में सुकून से मजदूरी नहीं कर पाता हूँ. मुझे मेरी जवानी महसूस नहीं हो रही थी.
मेरी मासिक आय बहुत कम है. इसी कारण मै अकेला मेरे बड़े परिवार का पेट नहीं भर पाता हूँ. इसलिए मै मेरे मेरी पत्नी को भी कार्यस्थल पर साथ लेकर जाता हूँ. जिससे हम दोनों की कमाई से हमारा गुजारा चल जाता है. जिस दिन मजदूर पर नहीं गया. उस दिन मुझे भूखा रहना पड़ता है.
सर्दी हो वर्षा ही या हो कड़कड़ाती धुप में बैलो को तरह हर मौसम में कार्य पर लगा रहता हूँ. मुझे मौसम से कोई फर्क नहीं पड़ता है, हमें अन्न का दाता भी कहते है.
हम बड़ी-बड़ी इमारते तथा कार्यालयों का निर्माण करते है.हमारे पास पहनने के लिए ठंग के कपडे भी नही मिलते है.भला भगवान ने हमें क्या जिंदगी दी है. पर हम अपनी मेहनत से नहीं हारते हमें मजदुर मिल जाए. हमारे लिए यही श्रेष्ठ है.
हमें पशु की स्थान प्राप्त है. लोग हमसे खूब मेहनत करवाते है. बदले में मर्जी पड़े तो पैसे देते है. वरना मार कर भगा देते है. हमारे घर में किसी को बीमारी हो जाए तो हमारे लिए इलाज करवाना वच की बात नहीं होती है.
हमें उस बीमारी से ही मरना पड़ता है. बड़े-बड़े लोग हमारा अपमान करते है. पर हम विरोध में उनका कुछ भी नहीं कर पाते है. कौन कहता है. कि मजदूर विद्यालय नहीं जाना चाहते है.
पर हम विद्यालय जाना तो चाहते है. पर हमारे पास पेट भरने के लिए पैसे नहीं होते है. तो हम विद्यालय के लिए पैसे कहा से लाये. हम किसी से होड़ नहीं लगा रहे है.
हमें अपने पसीने की मेहनत के इतने पैसे मिले की हम चैन इ अपना जीवन व्यतीत कर सकें.दो समय का भोजन कर सकें. और पहनने के लिए कपडे खरीद सकें.
हमारे देश में सरकार हमारी मदद कर रही है. सरकार ने हमारी और अपना ध्यान केन्द्रित किया है. हम सरकार से यही उम्मीद करते है. कि वह हमारी सहायता करें. तथा हमारे अधिकारों की सुरक्षा जाहिर करें.
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