नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत करता हूँ आज हम मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favorite Book in Hindi आपके साथ शेयर कर रहे हैं. मेरी सबसे प्रिय पुस्तक रामचरितमानस, गीता, पंचतंत्र आदि पर यह निबंध हिंदी में यहाँ दिया जा रहा हैं.
मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favorite Book in Hindi
हम पुस्तकों के ज्ञान पर ही अमल करते बड़े हुए हैं, स्कूल से लेकर जीवन के अंत तक किताबों के मध्य ही रहते हैं. पुस्तक बाल मन पर गहरी छाप छोडती हैं. तथा वह उनके चरित्र व व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका होती हैं.
पुस्तको की आपस में तुलना करना तर्कसंगत नही है. क्योकि हर पुस्तक हमें ज्ञान देती है. पर कुछ पुस्तके बहुत विशेष तरह से लिखी होती है, या उसमे लिखी कहानी हमें पसंद आती है. उसी आधार पर हम पुस्तक को पसंद करते है.
वैसे हमें हमेशा किताबे पढ़ते रहना चाहिए. किसी एक पुस्तक को पढ़कर ज्ञान प्राप्त नही होता है. पर एक पुस्तक पढने से आनंद प्राप्त हो सकता है. और उसी पुस्तक को हम अपनी प्रिय पुस्तक मानते है.
वैसे मुझे बहुत सी पुस्तकें प्रिय हैं. मगर मुझे प्रिय में सबसे प्रिय तुलसी बाबा द्वारा लिखित रामचरितमानस हैं जो मेरे आदर्श पुरुष श्रीराम जी के जीवन पर आधारित हैं. गोस्वामी तुलसीदास कृत मानस को मानवता के लिए देन सबसे बड़ा उपहार था.
इस पुस्तक का मेरे मन मस्तिष्क और व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ा हैं. मानस को हर बार पढ़ने के बाद प्रिय राम के चरण पर जीवन को चलाने की प्रेरणा मिलती रहती हैं. वाकई हम मानस को अपने जीवन में उतारकर उत्तम चरित्र का निर्माण कर सकते हैं.
रामचरितमानस के मुख्य पात्र भगवान् श्रीराम अयोध्या के राजा दशरथ जी के ज्येष्ठ पुत्र थे, उन्होंने आदर्श पुत्र के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की. पिता के वचन पालन के लिए वे 14 वर्ष तक वन में रहे, पत्नी सीता के हरण के बाद पति धर्म निभाया तथा रावण को मारा. सुग्रीव के संग उन्होंने मित्र धर्म का पालन किया तो भाई भरत के प्रति उनके प्रेम आदर्श की पराकाष्टा थी.
रामचरितमानस राम के विवाह से उनके सम्पूर्ण जीवन की कथा को आदर्श रूप में प्रस्तुत करती हैं कभी वह एक साधारण मानव की भांति भाई लक्षमण की मूर्छा पर विलाप करते है तो कभी कृष्ण के रूप में उपदेश देते हैं कभी क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए रावण से युद्ध करते नजर आते हैं.
रामचरितमानस में राम की कहानी हमें जीवन में सत्य की राह को चुनने तथा आदर्श चरित्र निर्माण की प्रेरणा देती हैं, जीवन के चारों आश्रमों में विविध भूमिकाओं को किस तरह अदा किया जा सकता हैं इसे समझने के लिए राम के जीवन से बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता हैं.
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