Hanuman Jayanti Essay in Hindi हनुमान जयंती पर निबंध: नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत करते हैं आज हम बजरंग बलि पवनपुत्र बालाजी पर संक्षिप्त निबंध बता रहे हैं. भगवान राम के परम भक्त हनुमान की जयंती को भारत में बड़े उत्सव की तरह मनाया जाता हैं. आज हम हनुमानजी पर निबंध भाषण स्पीच पैराग्राफ यहाँ बता रहे हैं.
हनुमान जयंती निबंध Hanuman Jayanti Essay in Hindi
Short Essay On Hanuman Jayanti in Hindi
हनुमान, बजरंग बली की जंयती की आप सभी देशवासियों और प्यारे मित्रो को हार्दिक शुभकामनाएं. हनुमान जी की पूजा आमतौर पर हर रोज की जाती है. लेकिन हनुमान जयंती इनका विशेष दिवस है. इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था.
हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं, जिन्हें हिंदू धर्म को मानने वाले लोग बड़ी ही श्रद्धा और आस्था के साथ पूजते हैं और इनसे बल बुद्धि की कामना करते हैं। हनुमान अपनी निज बुद्दी से सभी को पराजित करने में सक्षम थे.
हनुमान जी को भगवान श्री राम का सच्चा सेवक माना गया है क्योंकि भगवान श्री राम की हर विकट परिस्थिति में हनुमान जी ने उनका निस्वार्थ भाव से साथ दिया है।
इसीलिए आज भी जहां जहां पर श्री राम जी की मूर्ति होती है वहां वहां पर हनुमान जी की मूर्ति भी अवश्य होती है। एक प्रकार से यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
भारत में हर साल हनुमान जयंती आती है जो कि हर साल में अलग-अलग महीने में अलग-अलग वार को पड़ती है। जब हनुमान जयंती आती है तो हनुमान भक्तों की भीड़ हनुमान जी के मंदिरों में लग जाती है।
जो हनुमान जी के प्रसिद्ध मंदिर हैं वहां पर तो लोग सुबह से ही हनुमान जी के दर्शन करने के लिए लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन लोग भंडारे का आयोजन करते हैं और यथाशक्ति के अनुसार दान भी करते हैं।
इसके अलावा लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा अर्चना करते हैं और उनसे अपनी इच्छा को पूरी होने की अरदास लगाते हैं।
भगवान हनुमान जी की महिमा इतनी अपरंपार है कि वह काफी जल्दी प्रसन्न हो कर के अपने भक्तों की सभी इच्छा को पूरी करते हैं।
भारत देश में अगर हनुमान जी का सबसे ज्यादा जिक्र किसी ग्रंथ में है तो वह है रामायण ग्रंथ। रामायण ग्रंथ मे भगवान हनुमान जी के साथ ही साथ भगवान श्री राम और रामायण के अन्य पात्रों का भी जिक्र है।
हनुमान जी ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने माता सीता का पता लगाने के लिए समुद्र को लांग लिया था और पूतना जैसी राक्षसनी का संघार किया था।
यह हनुमान जी की शक्ति है कि उन्होंने रावण के घमंड को उनके दरबार में चूर चूर कर दिया था और अपनी पूंछ में लगी हुई आग से पूरी श्रीलंका को तहस-नहस कर दिया था।
पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि भगवान शंकर के 11वे रुद्र अवतार जो हुए थे वह हनुमान जी ही थे। शास्त्रों में हनुमान जी की ताकत की कई कहानियां बताई गई है.
और ऐसा भी कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को भूत प्रेत पिशाच से डर लगता है तो हनुमान जी का नाम मात्र लेने से ही या फिर हनुमान चालीसा का जाप करने से भूत प्रेत उससे कोसों दूर चले जाते हैं।
इन सभी कहानियो के आधार पर हम बजरंगी की ताकत और वीरता का अनुमान लगा सकते है. हनुमान जी के जन्म दिन को हर साल हनुमान जयंती के रूप में मनाते है. हिन्दू ग्रंथो के अनुसार चैत्र मास में ये पर्व मनाया जाता है.
हनुमान जी के पुजारी हर जगह आपको देखने को मिलते है. क्योकि ये ऐसे देवता है, जो सबसे आसानी से राजी हो जाते है. केवल तेल सिंदूर से हनुमान जी महरबान हो जाते है.
Hanuman Jayanti Essay in Hindi
रामायण के मुख्य पात्र एवं भारतीय जनमानस के आराध्य देव हनुमान जी को वायु पुत्र भी कहा जाता हैं, इनके जन्म दिवस को हनुमान जयंती के रूप में देशभर में मनाया जाता हैं.
हनुमान जयंती हिन्दुओं का प्रसिद्ध पर्व हैं. वानर देव हनुमान जी की जयंती के उत्सव पर श्रद्धा, हर्ष और उल्लास के साथ भक्त उन्हें याद करते हैं. भारतीय पंचाग के अनुसार हनुमान जी की जयंती का उत्सव चैत्र अथवा चेत माह की पूर्णिमा तिथि को मनाते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार बलशाली हनुमान शिवजी के 11 वें अवतार थे. जिन्होंने भगवान राम की लंका के युद्ध में सहायता के लिए वानर के रूप में अवतार लिया था.
वे वानर राज सुग्रीव में मंत्री एवं दूत थे. उन्होंने जीवन भर भगवान राम की पूर्ण निष्ठा के साथ दास के रूप में सेवा की. उनकी कई कथाएँ पवित्र ग्रंथ रामायण में मिलती हैं.
हनुमान जयंती के उत्सव को बड़े ही भक्ति भाव के साथ मनाया जाता हैं. देशभर में हनुमान जी के बड़े मन्दिरों एवं शहरों में इस दिन उनकी सवारी निकाली जाती हैं. सुबह और शाम पूजा के समय मन्दिरों में भजन आरती के साथ उनकी पूजा अर्चना होती हैं.
दूर दूर से भक्त बजरंग बलि के दरबार में हाजरी देने आते हैं. आमतौर पर हनुमान जी की बड़ी पत्थर की मूर्ति होती हैं जिसमें उनके कंधे पर भाला तथा मुहं में सूर्य दिखाया जाता हैं प्रसाद के रूप में उन्हें तेल सिंदूर चढाया जाता हैं.
हिन्दुओं में पवनसुत के प्रति गहरी आस्था एवं विश्वास होता हैं. भक्त इस दिन उपवास रखते हैं तथा हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. मान्यता हैं कि जो भक्त इस दिन पूरी निष्ठा व श्रद्धा के साथ हनुमान जी को स्मरण करता हैं उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा दुखों से छुटकारा मिलता हैं.
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