भगवान श्री कृष्ण पर निबंध Essay on Lord Krishna in Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका हमारे आज के आर्टिकल में स्वागत है, आज के आर्टिकल में हम भगवान् कृष्ण जी के जीवन के बारे में निबंध के माध्यम से जानकारी प्राप्त करेंगे.
भगवान श्री कृष्ण पर निबंध Essay on Lord Krishna in Hindi
भगवान विष्णु के दस अवतारो मे से सबसे लोगप्रिय तथा मनमोहक कृष्ण जी को माना है। विष्णु जी के दस अवतार निम्न थे- (मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुध्द और कल्कि)
परिचय
भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का सबसे शक्तिशाली अवतार माना जाता है। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। उनकी माता का नाम माता देवकी और पिता का नाम वासुदेव था ।
देवकी का भाई कंस था। कंस को श्राप मिला था की उनका भांजा उन्हे मारेगा। इसलिए कंस अपने बहन के हर बच्चे को बाल्यावस्था मे ही मार देता था। श्रीकृष्ण देवकी के आंठवे बालक थे। श्रीकृष्ण जन्म से ही वीर तथा साहसी हुआ करते थे। अपनी छोटी-सी उम्र मे वो पानियारों की मटकियो को तोड़ देते थे।
भगवान कृष्ण का बचपन विभिन्न कथाओं से भरा है। भगवान कृष्ण बचपन मे सभी के घरों से मक्खन चुराते थे, गोपियों के स्नान करते समय कपड़े चुरा लेते थे।
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दुओ के लिए यह खुशी का त्योहार माना जाता है। कृष्ण नाम का अर्थ होता है। काला या अंधेरा होता है।
कृष्ण की मित्रता
श्रीकृष्ण के लिए सबसे बड़ी मित्रता थी। तो वह मित्रता सुदामा के साथ थी। कृष्ण और सुदामा की मित्रता बचपन से हुआ करती थी। वे दोनों सच्चे दोस्त थे।
एक बार सुदामा आर्थिक सहायता मांगने के लिए अक्षय तृतीया के दिन अपने मित्र से सहायता मांगने गए थे। सुदामा ने अपने मित्र के भेंट के लिए चावल के कुछ दाने लेकर गए थे।
सुदामा अपने दोस्त से मदद नहीं मांग पाये। और घर वापस चले गए। परंतु भगवान कृष्ण की मेहरबानी के कारण उनकी झोपड़ी के स्थान पर भव्य महल बन गया था। इसे देखकर सुदामा बहुत खुश हुए। कृष्ण राजा होते हुए भी उन्होने सुदामा जैसे निर्धन से सच्ची मित्रता निभाई थी।
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग मे भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्म रात से समय मे हुआ था। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी रात मे मनाई जाती है। जन्माष्टमी भारत मे ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण संसार मे बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
कृष्ण जी सबसे बड़ा त्योहार जन्माष्टमी को माना जाता है। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार मे हुआ था। भगवान कृष्ण को दही-तथा माखन बहुत अच्छा लगता था। इसलिए जन्माष्टमी पर दही-हांडी का खेल आयोजन किया जाता है।
कृष्ण का पालन-पोषण- भागवत पुराण के अनुसार कृष्ण जी का जन्म मथुरा मे हुआ। परंतु इनका पालन-पोषण गोकुल मे हुआ था। कृष्ण जी का पालन-पोषण एक ग्वाल परिवार में हुआ था।
कृष्ण जी बचपन से बहुत ज्यादा शरारती करते रहते थे। भगवान कृष्ण जी को जन्म उनकी माता देवकी ने उन्हे जन्म दिया। परंतु इनका पालन-पोषण माता यशोदा ने किया था।
राधा-कृष्ण का आलौकिक प्रेम- ब्रह्मवैवर्त पुराण से हमे जानकारी मिलती है। कि राधा और कृष्ण का प्रेम इस लोक का नहीं बल्कि पारलौक है। कृष्ण और रानी राधा जैसा प्रेम रखना वश बात नहीं है। राधा रानी लक्ष्मी जी का अवतार थे। तथा कृष्ण विष्णु जी के अवतार थे। इनके बीच का प्यार बचपन से ही हुआ करता था।
कृष्ण जी की पौराणिक कथाओं मे राधा-कृष्ण के प्रेम के बारे मे लिखा गया है। कृष्ण जी के प्रेम ने हमारे देश मे ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण संसार मे प्रेम की जोत को जलाया है।
कंस के मौत की भविष्यवाणी- किसी ऋषि ने कंस के मौत की भविष्यवाणी की थी। कि उसका भांजा उनकी मौत का कारण बनेगा। इसलिए कंस ने अपनी बहन तथा बहनोई को कारागार मे बंद कर दिया।
इस कारण उसने अपनी ही बहन और बहनोई को कारागार में डाल दिया था। देवकी जन्म देने वाले हर बालक को कंस मार देता था। जब वसुदेव कृष्ण जी को लेकर गोकुल पहुँचे तभी कंस को बताया गया कि उन्हे मारने वाला ने इस धरती पर जन्म ले लिया है। व्यक्ति की बुद्धि का विनाश होने से वह अपने सम्पूर्ण संबंधो को भूल जाता है। ठीक वैसा ही कंस के साथ हुआ।
यमुना में उमड़ता तूफान- वासुदेव जी कृष्ण जी को लेकर यमुना नदी को पर कर अपने मित्र नन्द के पास जा रहे थे। तभी रास्ते मे भरी बारिश शुरू हो गयी।परंतु यमुना ने वासुदेव को रास्ता दे दिया था। यमुना कि सहायता से वासुदेव कृष्ण जी को लेकर गोकुल शीघ्र पहुँच गए।
निष्कर्ष- कृष्ण जी के जन्म दिन के दिन को हिंदू धर्म में सबसे सुखद त्योहारों माना जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म पापो को दूर करने तथा धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। राधा तथा कृष्ण जी को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। उन्होने सम्पूर्ण संसार को प्रेम का संदेश दिया था।
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