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इसरो पर निबंध Essay on ISRO in Hindi

नमस्कार दोस्तो आज का हमारा लेख है। इसरो पर निबंध (Essay on ISRO in Hindi) हिन्दी तथा सरल भाषा मे इसरो के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी को इस आर्टिकल के माध्यम से जनेगे। पिछले कुछ दशको को देखा जाए तो संसार ने अनेक नई-नई खोजे की है।

आज की इस दुनिया ने अन्तरिक्ष विज्ञान मे बहुत ज्यादा तरक्की की है। दुनिया के अनेक लोग अन्तरिक्ष की सैर कर चुके है। आज सभी अन्तरिक्ष के रहस्य के बारे मे जानने के लिए उत्सुक है। यहा तक कि लोग चंद्रमा, पृथ्वी तथा मंगल तक भी पहुँच चुके है।

इसरो पर निबंध Essay on ISRO in Hindi

इसरो पर निबंध Essay on ISRO in Hindi
अन्तरिक्ष मे जाने का का भारत का सपना इसरो के ही पूरा हो सका है। सम्पूर्ण संसार से हर साल अनेक उपग्रहो को अन्तरिक्ष मे भेजा जाता है। जिसकी हमे कई प्रकार की सुविधाए मिलती है। उपग्रहो के कारण ही हम मोबाइल फोन से बातचीत कर सकते है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) क्या है?

इसरो (ISRO) का अंगेजी मे पूरा नाम/ फूल नेम Indian Space Research Organisation इसरो का हिन्दी मे पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है। ये भारत की राष्ट्रीय अन्तरिक्ष संस्थान है।

इसरो का मुख्यालय बैंगलोर ( कर्नाटक राज्य मे) मे स्थित है। जिससे लगभग सत्रह हजार लोग कार्य करते है। ये भारत की सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्थान है।

आधुनिक इसरो को भारतीय राष्ट्रीय समिति”(INCOSPAR) के नाम से जाना जाता था। जिसे वर्तमान मे हम इसरो कहते है। भारत आजाद होने के बाद इसरो की स्थापना की गई।

सन 1962 मे इसरो की स्थापना की गई थी। इसरो का उद्देश्य अन्तरिक्ष मे तकनीकी उपलब्ध कराने का है। जिसे ये बहुत खूब निभा रही है। ये मानव निर्मित उपग्रहो तथा परिज्ञापी रॉकेट को अन्तरिक्ष मे भेजती है।

हमारे देश की तरफ से आज तक लगभग 150 उपग्रह अन्तरिक्ष मे भेजे गए है। भारत द्वारा भेजा गया प्रथम उपग्रह का नाम ''आर्यभट्ट'' को कि 19 अप्रैल 1975 को भेजा गया था।

भारत का पहला उपग्रह जिसका नाम आर्यभट्ट था। उसे सोवियत संघ के साथ अपना किराया देकर अन्तरिक्ष मे लेंड किया गया था। परंतु उस उपग्रह ने कुछ दिन तक ही कम किया और फिर वह बंद हो गया था।

परंतु भारत के लिए ये एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि थी। उस समय भारत ने सोवियत संघ के साथ अपना उपग्रह भेजा था। और आज भारत की बढ़ती तकनीक के कारण अन्य देशो के उपग्रहो को भारत अपने रॉकेट द्वारा भेजता है। 

अब भारत इसरो की सहायता से दूसरे देशो के भी उपग्रहो को अपने रॉकेट से अन्तरिक्ष मे छोड़ता है। जिससे भारत किराया भी वसूल करता है। तथा आज तक देश के कई सफल रॉकेट अन्तरिक्ष में जा चुके है.

इसरो का इतिहास History of ISRO in Hindi

आधुनिक काल मे देखे तो इसरो एक धनवान संघटन है। परन्तु ये शुरुआती दौर मे बहुत ही नाजुक स्थिति मे हुआ करता था। इसरो के पास पैसे नहीं थे। ये अपनी आवश्यक वस्तुओ को साईकिल के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण करते थे।

इसरो का प्रमुख रूप से डॉ विक्रम साराभाई ने सहयोग किया और वे इस संस्था मे शामिल भी हुए थे। डॉ विक्रम साराभाई ने इसरो मे कार्य कराते हुए कई उप्लब्धिया प्राप्त की इन्हे भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम (Indian Space Program) का जनक के रूप मे जाना जाता है। ये इसरो के सभापति भी रह चुके है।

भारत मे आजादी के बाद तकनीक की कमी के कारण इसरो का गठन किया गया था। 1972 मे अन्तरिक्ष विभाग की स्थापना की गई थी। इसरो द्वारा निर्मित प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट असफल रहा उसने कई दिनो बाद कार्य करना बंद कर दिया था।

इसरो का पहला सफल उपग्रह रोहिणी प्रेपक्षण यान (Rohini Observation vehicle), SLV-3 था, जिसे 1980 मे इसरो द्वारा इसे अन्तरिक्ष मे छोड़ा गया था। इसरो ने अनेक उपग्रह अन्तरिक्ष मे छोड़े है। जिससे हमारे देश को बहुत मान-सम्मन मिलता है।

अमरीकी प्रतिबंध- सोवियत संघ तथा भारत की इसरो ने अमेरिका के परमाणु अप्रसार नीति का विरोध किया था। जिसके जवाब मे अमेरिका ने इसरो पर प्रतिबंद लगाने की धमकिया दी थी। अमेरिका की धमकिए से सोवियत संघ ने भारत का साथ छोड़ दिया भारत मे रॉकेट के निर्माण की आवश्यक सामग्री नहीं थी।

जो कि भारत सोवियत संघ से लेता था। उसने भारत को नहीं दिया और सोवियत संघ के इस प्रकार के बर्ताव से इसरो ने हर आवश्यक वस्तु का निर्माण स्वदेश मे करने लगी और 2014 मे इसरो ने आत्मनिर्भर होकर स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया था।

इसरो ने हमारे देश के लिए विज्ञान तथा शिक्षा विज्ञान मे अपनी महवपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए हमारा धर्म है कि हमे इसरो का सम्मान करना चाहिए।

तथा इसाओ जैसी संस्था मे लोगो को जाने के लिए प्रेरित करें। अपने देश के लिए महत्वपूर्ण इसरो की तरह नई संस्था बनाए तथा अपने देश के लिए इसरो की तरह कार्य करें।

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