लाभ पंचमी पर निबंध Essay On Labh Panchami In Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में आपका स्वागत हैं. आज हम हिन्दू पर्व लाभ पंचमी के बारे में निबंध, भाषण, अनुच्छेद बता रहे हैं. इस लेख में जानेगे कि लाभपंचमी क्या है क्यों मनाते है इसका इतिहास आदि.
लाभ पंचमी पर निबंध | Essay On Labh Panchami In Hindi
यह मूल रूप से गुजराती लोगों द्वारा मनाया जाना वाला हिन्दू त्यौहार हैं इसे लाभ पंचम भी कहते हैं. लाभ पंचमी का त्यौहार दिवाली के बाद पांचवें दिन मनाया जाता हैं जिसका अर्थ होता हैं सौभाग्य की पंचमी तिथि.
यह एक हिन्दू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो हर साल दिवाली के बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बनाया जाता है. यह त्योहार लाभ, ज्ञान और सौभाग्य पंचमी के नाम से भी जाना जाता है.
इस पर्व के अवसर पर भगवान शिव तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना की जाती है, तथा इनसे आशीर्वाद की आश लगाते है. वैसे यह भारत के हर राज्य में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, पर गुजरात में इसे अधिक महत्व दिया जाता है. यह व्यापार, वाणिज्यिक दृष्टि से मनाया जाने वाला त्योहार है.
लाभ पंचमी के दिन को फायदे अथवा अच्छे भाग्य का दिन माना जाता हैं. गुजरात में इसी दिन दिवाली के पर्व की समाप्ति होती हैं. इस कारण इसे एक शुभ पर्व के रूप में सभी हिन्दू मनाते हैं. लाभ पंचमी की पूजा करने से जीवन में लाभ एवं अच्छे भाग्य का उदय होता हैं.
गुजराती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस दिन ही नववर्ष की शुरुआत होती हैं. अतः व्यापारी वर्ग द्वारा इस अवसर को पर्व के रूप में मनाकर अपने व्यवसाय, कर्म आदि की फिर से शुरुआत करने की परम्परा हैं. लाभ पंचमी का उत्सव कार्तिक माह की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाते हैं. इसे ज्ञान पंचमी, लाखेनी पंचमी आदि नामों से भी जाना जाता हैं.
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार लाभ पंचमी का दिन किसी नयें कार्य या व्यवसाय की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना गया हैं. खासकर गुजरात राज्य में इस उत्सव का बड़ा महत्व माना गया हैं. इस अवसर पर व्यापारी वर्ग अपने नये बहीखाता का शुभ लाभ करते है इसे खातु कहा जाता हैं.
बनिया लोग इस दिन बहीखाते के दोनों तरफ शुभ लाभ लिखकर बीच में सातिया बनाते हैं. तथा धन की देवी लक्ष्मी से सुख समृद्धि की कामना करते हैं. दिवाली के दिन जो लोग शारदा पूजन नहीं कर सकते है वे लोग इस दिन अपने व्यापार प्रतिष्ठान को खोलकर उनका पूजन करते हैं.
भारत के लगभग अधिकतर प्रान्तों में दिवाली को पांच दिन का उत्सव मानते है तथा इसकी धनतेरस से शुरुआत होकर भाई दूज पर समाप्ति हो जाती हैं. मगर गुजरात में यह उत्सव आठ दिनों तक चलता हैं जो लाभ पंचमी के अवसर पर समाप्त होता हैं.
दिवाली पूजन के बाद गुजरात में अधिकतर लोग घूमने के लिए निकल जाते हैं तथा लाभ पंचमी के शुभ मुहूर्त में घर लौटकर अपने कामकाज को दिवाली की छुट्टियों के बाद पुनः आरम्भ करते हैं.
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