इच्छा शक्ति पर निबंध Essay on will power In Hindi: हमारे जीवन में Will या Volition अर्थात इच्छा शक्ति तथा संकल्प का बड़ा महत्व हैं. किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए दृढ इच्छाशक्ति का होना नितांत परिहार्य हैं. आज के निबंध स्पीच अनुच्छेद में विल पॉवर पर शोर्ट इन्फोर्मेशन बता रहे हैं.
साधारण शब्दों में हम इच्छा शक्ति को दृढ़ संकल्प और निश्चय के रूप में मानते हैं. इसका व्यवहारिक जीवन में उपयोग अत्यंत कठिन भी हैं मगर यदि यह चरित्र की एक पहचान अथवा गुण बन जाए तो जीवन में कोई भी कार्य अधुरा नहीं रहेगा अथवा असम्भव जैसी कोई चीज नहीं रहेगी.
दृढ़ इच्छाशक्ति वाला मानव ही जीवन के विभिन्न अवसरों पर कठिन से कठिन निर्णय लेने में समर्थ हो पाता है इसके लिए हमें अपने विचारों तथा व्यवहार पर पूर्ण नियन्त्रण करना भी जरुरी हैं. कई लोग होते है जो स्वयं को वाक्पटु दर्शाने के लिए त्वरित निर्णय तो ले लेते हैं मगर आखिर में स्वयं को उस कार्य पूरा करने के लिए असमर्थ पाते हैं.
नैतिकता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और सफलता भी हमारी इच्छा शक्ति पर ही निर्भर करती हैं. कोई भी कार्य ऐसा नहीं होता है जिसमें परेशानी न आए, ऐसे में दृढ़ संकल्पित व्यक्ति तमाम परेशानियों को झेलकर भी उसे पूरा करने की जिद्द ठान लेता हैं वही अधूरी इच्छा के साथ कार्य आरंभ करने वाले थोड़ी सी दिक्कतों पर ही अपने हथियार डालकर अपने काम को विराम दे देते हैं.
जीवन में सफल होने के लिए एक व्यक्ति में बहुत से गुणों का होना जरुरी है जैसे ईमानदारी, साहस, परिश्रम और लगन आदि. मगर इन समस्त गुणों से सम्पन्न व्यक्ति में इच्छाशक्ति का अभाव हैं तो उसके समस्त प्रयास निष्फल हो जाते हैं. यह ठीक वैसा ही है जैसे एक धनी व्यक्ति के पास विद्या का अभाव होने पर वह अधिक कुछ नहीं कर पाता हैं.
यदि हम इतिहास के कुछ चरित्र उठाकर देखे तो हम पाएगे कि महान लोगों में एक गुण समान ही पाया जाता हैं. उदाहरण के लिए भगवान राम, गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी में एक समानता उनके अपने उद्देश्य को पूरा करने की दृढ़ इच्छा शक्ति थी. भगवान राम जब वनवास में थे तब सीता का हरण रावण कर लेता हैं. उस समय उनके पास साथी के नाम पर अकेला भाई लक्षमण और साधन केवल एक धनुष ही था.
मगर अपने दृढ़ संकल्प के चलते वे सुग्रीव से सहयोग जुटाने में सफल होते है तथा उस दौर के सर्वाधिक शक्तिशाली शासक रावण को भी पराजित करने में सफल हो जाते हैं. इस प्रसंग से हम यह समझ सकते है कि यदि मनुष्य अपने मन में पक्का निश्चय कर ले तो कार्य की सिद्धि के समस्त साधन जुटा लिए जाते हैं.
इच्छा शक्ति के सम्बन्ध में नेपोलियन का विचार उल्लेखनीय हैं वे कहते है कि इच्छा सफलता का पहला चरण हैं. जिस तरह कम आग से कर्म ही ताप मिलता हैं उसी भाँती अधूरी तथा कम इच्छा शक्ति से सफलता भी आंशिक मिलती हैं.
Essay on will power In Hindi
ईच्छा शक्ति एक मानसिक प्रक्रम है, जो हमे किसी भी कार्य को करने का संकल्प दिलाता है. किसी भी व्यक्ति की सम्पूर्ण आंतरिक शक्तियों को सही ढंग से संचालित करने का कार्य इच्छा शक्ति ही करती है.
एक ईच्छा जाग्रत व्यक्ति को हम जीवन्त व्यक्ति मानते है. ईच्छा के अभाव में कोई व्यक्ति किसी भी कार्य को करने के लिए तैयार नही हो पाता है. इच्छा के बिना व्यक्ति का कोई आस्तित्व नही होता है.
ईच्छा के बिना व्यक्ति एक रोबोट की तरह होता है. इसकी जीवन्तता का कोई महत्व नही होता है. एक कुशल व्यक्ति में ईच्छा शक्ति उसका सबसे बड़ा हथियार होता है.
दृढ़ इच्छाशक्ति वाला मानव ही जीवन के विभिन्न अवसरों पर कठिन से कठिन निर्णय लेने में समर्थ हो पाता है इसके लिए हमें अपने विचारों तथा व्यवहार पर पूर्ण नियन्त्रण करना भी जरुरी हैं. कई लोग होते है जो स्वयं को वाक्पटु दर्शाने के लिए त्वरित निर्णय तो ले लेते हैं मगर आखिर में स्वयं को उस कार्य पूरा करने के लिए असमर्थ पाते हैं.
नैतिकता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और सफलता भी हमारी इच्छा शक्ति पर ही निर्भर करती हैं. कोई भी कार्य ऐसा नहीं होता है जिसमें परेशानी न आए, ऐसे में दृढ़ संकल्पित व्यक्ति तमाम परेशानियों को झेलकर भी उसे पूरा करने की जिद्द ठान लेता हैं वही अधूरी इच्छा के साथ कार्य आरंभ करने वाले थोड़ी सी दिक्कतों पर ही अपने हथियार डालकर अपने काम को विराम दे देते हैं.
जीवन में सफल होने के लिए एक व्यक्ति में बहुत से गुणों का होना जरुरी है जैसे ईमानदारी, साहस, परिश्रम और लगन आदि. मगर इन समस्त गुणों से सम्पन्न व्यक्ति में इच्छाशक्ति का अभाव हैं तो उसके समस्त प्रयास निष्फल हो जाते हैं. यह ठीक वैसा ही है जैसे एक धनी व्यक्ति के पास विद्या का अभाव होने पर वह अधिक कुछ नहीं कर पाता हैं.
यदि हम इतिहास के कुछ चरित्र उठाकर देखे तो हम पाएगे कि महान लोगों में एक गुण समान ही पाया जाता हैं. उदाहरण के लिए भगवान राम, गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी में एक समानता उनके अपने उद्देश्य को पूरा करने की दृढ़ इच्छा शक्ति थी. भगवान राम जब वनवास में थे तब सीता का हरण रावण कर लेता हैं. उस समय उनके पास साथी के नाम पर अकेला भाई लक्षमण और साधन केवल एक धनुष ही था.
मगर अपने दृढ़ संकल्प के चलते वे सुग्रीव से सहयोग जुटाने में सफल होते है तथा उस दौर के सर्वाधिक शक्तिशाली शासक रावण को भी पराजित करने में सफल हो जाते हैं. इस प्रसंग से हम यह समझ सकते है कि यदि मनुष्य अपने मन में पक्का निश्चय कर ले तो कार्य की सिद्धि के समस्त साधन जुटा लिए जाते हैं.
इच्छा शक्ति के सम्बन्ध में नेपोलियन का विचार उल्लेखनीय हैं वे कहते है कि इच्छा सफलता का पहला चरण हैं. जिस तरह कम आग से कर्म ही ताप मिलता हैं उसी भाँती अधूरी तथा कम इच्छा शक्ति से सफलता भी आंशिक मिलती हैं.
यदि हमारे संकल्प दृढ़ हो तो किसी भी नामुमकिन चीज को प्राप्त किया जा सकता हैं. दुनिया में चीजे क्या सम्भव है तथा क्या असम्भव यह मानव के विचारों तथा उसकी सोच पर ही निर्भर करता हैं.
मनुष्य अपने जीवन में कुछ सुधार करके इच्छाशक्ति को बढ़ाया अथवा जागृत किया जा सकता हैं. सही और सकारात्मक सोच, टेंशन को कम करके, स्वयं पर विश्वास करके, शारीरिक ऊर्जा का सही उपयोग करके, अपनी आंतरिक शक्तियों को एकाग्र करके, ईमानदारी को अपनाकर तथा सही भोजन, योग और व्यायाम के जरिये हम अपनी इच्छा शक्ति को बढ़ा सकते हैं.
मनुष्य अपने जीवन में कुछ सुधार करके इच्छाशक्ति को बढ़ाया अथवा जागृत किया जा सकता हैं. सही और सकारात्मक सोच, टेंशन को कम करके, स्वयं पर विश्वास करके, शारीरिक ऊर्जा का सही उपयोग करके, अपनी आंतरिक शक्तियों को एकाग्र करके, ईमानदारी को अपनाकर तथा सही भोजन, योग और व्यायाम के जरिये हम अपनी इच्छा शक्ति को बढ़ा सकते हैं.