विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में आपका स्वागत हैं, इस निबंध स्पीच अनुच्छेद में हम जानेगे कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व क्या है चलिए इस शोर्ट एस्से को पढ़ना आरम्भ करते हैं.
Essay on Student and Discipline in Hindi
एक व्यक्ति के लिए समाज में रहने के लिए अनुशासन बहुत जरुरी होता है. एक अनुशासित व्यक्ति को समाज में श्रेष्ठ स्थान मिलता है. अनुशासित जीवन का होना सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है.
मगर अनुशासन का विद्यार्थी जीवन में महत्व ओर भी बढ़ जाता है. क्योकि विद्यार्थी जीवन को ही हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है. इसी समय हमारे जीवन की नीव तैयार होती है. इसलिए इस समय अनुशासन बेहद जरुरी साधन हो जाता है.
एक विद्यार्थी के जीवन में सफल होने के लिए अनुशसान महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. इसलिए जीवन में संस्कार के बाद अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण होता है. इसलिए हमें अपने जीवन के प्रारम्भिक पड़ाव में ही अनुशासन के महत्व को समझकर जीवन में अपना लेना चाहिए.
अनुशासन का अर्थ एवं महत्व - आज के दौर में बिना उद्देश्य की परम्परावादी शिक्षा और निरंतर गिरते शिक्षा के स्तर के बाद जब हम विचार करते हैं तो हमारे मस्तिष्क में पञ्च शब्द कुलबुलाते है.
वे है अनुशासन, कल पुर्जे से बने यंत्र की भांति हमारा समस्त जीवन इन्ही शब्दों के इर्द गिर्द घूमता है. विद्यार्थी वर्ग के लिए अनुशासन प्रथम एवं अनिवार्य शर्त समझी जाती हैं, क्योंकि इस पडाव में अनुशासनहीनता उनके शिक्षा अर्जन एवं स्वर्णिम भविष्य व चरित्र निर्माण में रोड़ा बन जाता हैं. एक विद्यार्थी को अनुशासन का महत्व समझते हुए इसे अपने चरित्र की मूलभूत पहचान बनानी चाहिए.
धैर्य, संयम, वैधानिकता इन शब्दों के माध्यम से हम अनुशासन को सरल शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं. यह शब्द अनु और शासन से मिलकर बनता हैं
अनु का आशय पीछे तथा शासन का अर्थ होता है सयंम या व्यवस्था. इस तरह से संयमित एवं नियंत्रित जीवन जीने की शैली को हम अनुशासन का नाम दे सकते हैं.
जीवन में अनुशासन- केवल स्कूल में विद्या अर्जन करने वाले छात्र छात्रों को ही अनुशासन में रहने की आवश्यकता नहीं है बल्कि समस्त सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन में अनुशासन का होना बेहद जरुरी हैं. जिस देश के लोग अनुशासित जीवन जीते है.
समय का सदुपयोग करते है तथा अपने कर्तव्यों का निर्वहन भली भांति करते है. वह देश समाज तरक्की के सर्वोच्च शिखर पर आसीन होता हैं. वही अनुशासनहीन नागरिक न केवल उस समाज व देश के लिए घातक बनते है बल्कि स्वयं की अवुन्नती का कारण भी बनते हैं.
आज हमारे देश के शिक्षा एवं अन्य संस्थान अनुशासनहीनता से ग्रस्त है, यही वजह है कि आजादी के सात दशकों के बाद हम जिस प्रगति, जिस व्यवस्था की कल्पना कर रहे थे, वहां तक नहीं पहुँच पाए हैं.
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व- जीवन में विद्यार्थी काल की अवधी सर्वाधिक संवेदनशील होती है जब बच्चें में नवीन संस्कारों एवं आचरण के सांचे में उनका विकास करना होता हैं.
विद्यार्थी काल में वह जिन आचरण व आदतों का अनुसरण करेगा भावी जीवन में भी वही उनके जीवन की पर्याय बन जाएगी. इस तरह सुकोमल बाल मस्तिष्क पर अनुशासन का पालन करने की भावना का बड़ा असर पड़ता हैं.
इस प्रकार अनुशासन विद्यार्थी के जीवन काल का महत्वपूर्ण अंग है. विद्यार्थी के संतुलित बौद्धिक, शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अनुशासित जीवन की आवश्यकता होती हैं.
अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम- आज हम अपने देश में अनुशासनहीनता के व्यापक स्तर पर दुष्परिणामों का सामना कर रहे हैं. आज हमारे विद्यार्थी ज्ञान के प्रति उदासीन हो चुके हैं उन्हें अनुशासन की पालना स्वतंत्रता का हनन लगती हैं इसी का ही परिणाम है कि वे अपने गुरुजनों का आदर नहीं करते है.
छोटी छोटी मांगों को लेकर विद्यालय या प्रशासन के खिलाफ धरने, हडताल, तोड़ फोड़ की कार्यवाहियां इसके उदहारण हैं. जिस तेजी से राजनीतिक पार्टियाँ विद्यार्थियों को लामबंद कर रही है तथा अपने स्वार्थ के लिए उनको भटका रही है इसका कारण भी अनुशासन की कमी हैं.
सरकारी महकमों में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी भी अनुशासनहीनता के पर्याय बन चुके हैं. वही हमारे देश का भविष्य छात्र वर्ग अपनी भूमिकाओं को सही ढंग से नहीं निभा रहा हैं यही कारण है कि हम अनुशासनहीनता की समस्या के गम्भीर परिणाम भुगत रहे हैं.
अनुशासनप्रियता के लाभ व फायदे- जीवन का दूसरा नाम ही अनुशासन हैं. यह भावना सफलता के रहस्य को सुलझाने में भी मदद करती हैं. किसी भी समाज व देश के समुचित विकास के लिए उनके नागरिकों का अनुशासित जीवन परिहार्य माना जाता हैं.
जिस देश के लोग अपने कर्तव्यों को समझते है तथा अनुशासन से जीवन जीते है वे अपने राष्ट्र के गौरव को बढ़ाते हैं. छात्र वर्ग देश का भावी भविष्य है अतः उनका अनुशासित होना बेहद महत्वपूर्ण हैं. उनकी अनुशासनप्रियता, कर्मठता, ईमानदारी तथा विनयशीलता से ही राष्ट्रीय जीवन प्रगति पथ पर अग्रसर हो सकता हैं.
उपसंहार- जिस तरह भारतीय समाज में मूल्यों एवं संस्कारों को महत्व दिया जाता हैं, अब समय आ चूका है हम अनुशासन को भी महत्वपूर्ण संस्कार के रूप में स्वीकार करे. अपने बच्चें के आरम्भिक संस्कारों में अनुशासित नीव हो तो वह अपने जीवन को सफल बना सकेगा.
उनकी इस विशेषता के कारण अन्य श्रेष्ठ गुणों के जन्म में बड़ी मदद मिलती हैं. एक अनुशासित नागरिक ही अपने राष्ट्र के विकास में भूमिका अदा कर सकता हैं. अनुशासित जीवन ही जीवन का मूल स्वरूप है हमें इसे अपनाने की महत्ती आवश्यकता हैं.