सादा जीवन उच्च विचार पर निबंध Sada jivan uch vichar Nibandh दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत हैं आज का निबंध एक कहावत पर दिया गया हैं.
Simple Living High Thinking अर्थात सादा जीवन व उच्च विचार पर निबंध (Essay) भाषण (speech) अनुच्छेद (paragraph) हिंदी में स्टूडेंट्स के लिए शोर्ट में दिया गया हैं.
सादा जीवन उच्च विचार पर निबंध Sada jivan uch vichar Nibandh
सिंपल लिविंग हाई थिंकिंग का आशय यह है कि हमें एक सरल जीवन जीना चाहिए, मगर साथ ही साथ अपनी सोच को छोटी नहीं करना चाहिए।
कहने का अर्थ यह है कि हमे अपनी सोच को सिर्फ रोजाना के कामों के लिए ही सिमित नहीं कर देना चाहिए। बल्कि हमे अपने जीवन के साथ ही साथ अपने आस पड़ोस के लोगों में भी स कारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.
यह उक्ति किसी भी तरह के दिखावे के बगैर साधारण जीवन जीने के महत्व पर बल देती है हमे अपनी इच्छाओ व अपेक्षाओं पर काबू करना चाहिए।
हम अपने विचारों को खुलापन प्रदान करें जिससे हम जो भी सोचे वह केव ल हम तक सिमित न हो वह हमारे आस पड़ोस के लोगों तथा समस्त जीवों के प्रति सद्विचार रखे.
सादा जीवन उच्च विचार पर निबंध, short essay on simple living high thinking in hindi (200 शब्द)
सादा जीवन और उच्च विचार दोनों बहुत कम बार संग चलते हैं। वें ही लोग उच्च विचार रखते है जो अमूमन सादा जीवन जीते है और जिन्दगी में बड़े कार्य कर सकते हैं। जो लोग दिल से जीवन जीना पसंद करते है वे मात्र एक के बाद एक जागृत अधूरी तमन्नाओं को पूरा करने के बारे में सोचते हैं और जो कभी समाप्त नहीं होती है.
अपनी ही बुनी दुनियां में जीने वाले लोग इस कदर मस्त रहते है कि भौतिकवादी सुख साधनों के परे कुछ सोच ही नहीं पाते. वे इन साधनों को ही सब कुछ समझने लगते है तथा इन्ही के बल सभी को वश में करने की इच्छा करते हैं. इनकी सोच का दायरा बेहद संकीर्ण हो जाता है तथा मानसिकता केवल मैं और मेरा तक ही आगे बढ़ पाती हैं.
सादा जीवन जीने वाले, समझते हैं कि उन्हे मात्र अपनी जरूरतों पर ध्यान केद्रित करना चाहिए और प्रत्येक भौतिकवादी वस्तु के पीछे भागने से बचना चाहिए, उनका मन हमेशा सरल जीवन जीने के लिए लालायित रहता है।
वे केवल आवश्यकता की वस्तुएं खरीदते हैं और अपने कर्मों के द्वारा से बेहतर मानव बनने का लक्ष्य रखते है न अपनी हैसियत दिखाकर दूसरों को प्रभावित करने।
ये सदैव आसपास के लोगो की सहायता करने का प्रयास करते हैं, दान पुण्य के कार्य के लिए आगे आते है, समाज को बेहतर बनाने के लिए गतिविधियों में साथ होते हैं और अपने स्वजनों के साथ सुखमय जीवन बिताते हैं.
लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं है कि इच्छाएं रखना और सुखी जीवन जीने के लिए दौलत कमाना गलत है। सुख चैन से रहने और एक अच्छी life स्टाइल के बीच एक अंतर है।
कई ऐसे करोडपति लोगों के उदाहरन मिल जाएगे हैं जो एक सादा जीवन जीते हैं और उच्च विचार रखते हैं। वे स्वयं पर अधिक खर्च करने के बजाय दान-पुण्य के कार्यों में खर्च करते है।
सादा जीवन उच्च विचार पर निबंध, simple living high thinking essay in hindi (300 शब्द)
प्रस्तावना:
यह कहावत इंसान को स्वार्थीपन और बेवजह की इच्छाओं को नियंत्रित करने का संदेश देती है. क्योंकि इनका कोई अत नही है।
यदि हम अपनी प्रत्येक अभिलाषा को पूरा करने के लिए रात दिन भी भागते हैं तो हम भी कभी पूर्ण सतुष्ट नहीं होगे क्योंकि एक इच्छा पूरी होने के बाद दूसरी जागृत हो जाती है।
आप हमारी इस बात से सहमत होंगे कि बहुत से लोग यह चाहते हैं कि ज्यादातर चीजें वास्तव में स्वयं के लिए नहीं हैं। हम चाहते है कि वे हमारे यारों और रिश्तेदारों को प्रभावित करे।
इस तरह की सोच के साथ जीवन कभी सुखद नही हो सकता। इसका कारण यह है कि हम दूसरों को खुश करने या दिखाने के लिए अवतरित नहीं हुए हैं और हम हर स्थिति में सभी को प्रभावित भी नहीं कर सकेगे।
अपने जीवन में कुछ भी करते हैं वह केवल हम में कमियों को निकालने के मौकों की तलाश करता है और यह हमें और अधिक असंतुष्ट छोड़ देता है।
हम अधिक से अधिक दौलत पाने का प्रयास करते हैं, कारोबार में एक उच्च स्थान पर पहुंचते हैं, अपनी जान पहचान के दायरे को बढ़ाते हैं और कीमती वेशभूषा और घरेलू वस्तुओं की खरीदारी करते हैं – किसके लिए? यह सब कार्य हमारी बेहतर सोशल स्टेटस के दिखाने और थोथी प्रतिष्ठा के लिए ही तो किया जाता हैं.
अब, यह कहना भी ठीक नहीं है कि महत्वाकांक्षी होने और अच्छा जीवन बनाने में कोई बुराई है। यह सब हमें किसी न प्रकार से मन को संतुष्टि दे सकता है मगर यह हमको हमसे ही दूर बहुत दूर ले जाता है
हालांकि, इसे प्रोफेशनल रूप से बड़ा बनाने और ज्यादा से ज्यादा धन अर्जित करने की चाहत में लोग अपनी अभिलाषाओं को संतुष्ट करने के लिए काम पर वक्त बिताते हैं और अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों की अनदेखी करते हैं।
यह उन्हे अपने कुल से ही दूर कर देता है और उनके पारिवारिक संबंधों को बिगाड़ता है और यह सब अंत मर घोर निराशा और तनाव का कारण बनता है।
निष्कर्ष:
यदि हम अपनी दिखावे वाली इच्छाएँ सिमित करते हैं और अपनी आवश्यकताओं पर अड़े रहते हैं, तो हम अपने पारिवारिक और कामकाजी जीवन के बीच समन्वय बनाने में सक्षम होंगे।
इस तरह हम अपने लोगों के साथ अधिक वक्त बिता पाएंगे जिसमें जीवन का सच्चा आनंद निहित है। हमारे पास स्वयं को देखने और जीवन के असल मकसद का पता लगाने के लिए भी काफी समय होगा।