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यदि मैं प्रधानमंत्री होती होता निबंध Yadi Main Pradhanmantri Hoti Essay In Hindi [If i were prime minister]

यदि मैं प्रधानमंत्री होती होता निबंध Yadi Main Pradhanmantri Hoti Essay In Hindi [If i were prime minister]: एक नयें काल्पनिक निबंध के साथ हाजिर हुए है दोस्तों. आज हम यदि मैं पीएम होती या यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो विषय पर निबंध, भाषण (स्पीच) अनुच्छेद (पैराग्राफ) यहाँ सरल भाषा में दिया गया हैं.

मैं प्रधानमंत्री होती Yadi Main Pradhanmantri Hoti Essay In HindiYadi Main Pradhanmantri Hoti

Here Is Short & Long Yadi Main Pradhanmantri Hoti Essay In Hindi Language For School Students Of Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10. Let's Read It

Yadi Main Pradhanmantri Hoti 

प्रधानमंत्री की पद का महत्व अत्यधिक होता है। देश के सम्पूर्ण दिशा-दिशा, महत्वपूर्ण निर्णयों का जिम्मेदारी और अनगिनत कार्यों का प्रधानमंत्री हमेशा संभालता है। प्रधानमंत्री को बिना थमे, देश के प्रति रोज़ाना की जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाना होता है। 

अगर मैं अपने देश का प्रधानमंत्री होता, तो सबसे पहले, मैं अपने देश को एक मजबूत और स्वाभिमानी राष्ट्र बनाने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास करता। भारत एक महान शक्ति होगा और कोई भी दूसरा देश भारत पर हमला करने की हिम्मत नहीं करेगा। 

मैं प्रधानमंत्री बनने के बाद दूसरी बड़ी बात जो मैं करूँगा, वह है सबसे गरीब और निम्नतर लोगों का पूरा ध्यान। मैं प्रत्येक घर के कम से कम एक सदस्य को पूर्ण रोजगार दिलाने का प्रयास करूँगा। जिसके लिए मैं अपनी ऊर्जा समर्पित करूँगा, वह है शिक्षा प्रणाली। 

मैं इसका स्तर ऊँचा करूँगा और इसे योग्यता के आधार पर और सभी के लिए उपलब्ध कराऊँगा। यदि मैं देश का प्रधानमंत्री होता, तो देश में महिला शिक्षा को बढ़ावा दूंगा। महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करूंगा। साथ ही साथ बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाने का प्रयास करूंगा।

भारत के प्रधानमंत्री होने के नाते, मैं देश से भ्रष्टाचार और आतंकवाद को पूरी तरह से मिटाने का पूरा प्रयास करूंगा। भारत के प्रधानमंत्री होने के नाते, मैं देश में जनसंख्या वृद्धि दर को रोकने का पूरा प्रयास करूंगा। 

जनसंख्या वृद्धि रोकने के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करूंगा और जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए नेशनल पॉपुलेशन कंट्रोल जैसे नियम देशभर में लागू करूंगा। 

अभी भी, विशेषकर गरीब परिवारों और ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में बालिकाओं की बहुत उपेक्षा की जाती है। लिंग निर्धारण परीक्षणों ने बालिकाओं के साथ खिलवाड़ किया है। यहां तक कि जीवन का अधिकार भी उनसे छीन लिया जाता है, इसलिए यदि मैं प्रधानमंत्री होता, तो हमारे समाज में फैले हुए इस तरह के कई सारी समस्याओं से अपने देश को मुक्त करने की पूरी कोशिश करता। ताकि अपना देश भी इन सभी समस्याओं से मुक्त होकर एक विकसित देश बन सके।

"प्रधानमंत्री का पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। देश के पूर्ण बागडोर, महत्वपूर्ण फैसलों का दायित्व, और अनगिनत जिम्मेदारियों को प्रधानमंत्री हमेशा निभाता है। प्रधानमंत्री को बिना थमे, देश के प्रति दैनिक जिम्मेदारी को निष्ठा के साथ निभाना पड़ता है। 

यदि मैं अपने देश का प्रधानमंत्री होता, तो सबसे पहले, मैं अपने देश को एक मजबूत और स्वाभिमानी राष्ट्र बनाने के लिए अपने स्तर पर सर्वोत्तम प्रयास करता। भारत एक महान शक्ति होगा और कोई अन्य देश भारत पर हमला करने की हिम्मत भी नहीं करेगा।

मैं प्रधानमंत्री बनने के बाद दूसरी बड़ी बात जो मैं करूंगा, वह है सबसे गरीब और निम्नतर लोगों का पूरा ध्यान। मैं प्रत्येक घर के कम से कम एक सदस्य को पूर्ण रोजगार दिलाने का प्रयास करूंगा। जिसके लिए मैं अपनी ऊर्जा समर्पित करूंगा, वह है शिक्षा प्रणाली। मैं इसका स्तर ऊँचा करूंगा और इसे योग्यता के आधार पर और सभी के लिए उपलब्ध कराऊँगा।

यदि मैं देश का प्रधानमंत्री होता, तो देश में महिला शिक्षा को बढ़ावा दूंगा। महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करूंगा। साथ ही साथ बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाने का प्रयास करूंगा।"

हम संसार के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं जहाँ जनता का शासन अथवा उनकी सत्ता में प्रत्यक्ष भागीदारी होती हैं. जनता ही अपने प्रतिनिधियों को चुनकर सरकार बनाती हैं. देश में वैसे तो सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का होता है उन्ही के नाम से समस्त सरकारी कार्य सम्पन्न किये जाते हैं मगर वास्तविक रूप से कार्यपालिका का शक्तियाँ प्रधानमंत्री में ही निहित होती हैं.

यदि मैं भारत की/का प्रधानमंत्री होती/ होता तो देश को विश्व की महाशक्ति बनाने के लिए योजनाएं बनाकर उन्हें सही ढंग से कार्यान्वित करता. देश के किसान, मजदूर को समर्थ बनाएं बिना कोई भी देश विकसित नहीं बन सकता है. अतः मैं भारत के निम्न एवं मध्यमवर्गीय परिवारों को अच्छी शिक्षा एवं रोजगार के अवसर देता तथा उन्हें अपने व्यवसायिक कार्यों में आने वाली रुकावटों को दूर कर समर्थ बनाने में योगदान देती.

मेरे लिए देश की प्रधानमंत्री बनने के लिए सबसे पहले जरुरी है कि मेरी पार्टी मुझे अपना प्रधानमंत्री का उम्मीद वार बनाए साथ ही मैं देश के मतदाताओं के समक्ष हमारी पार्टी का ऐसा घोषणा पत्र प्रस्तुत करू जिसमें वे वायदे हो जो आम आदमी के जीवन से जुड़े हो, आमजन के भावनात्मक जुड़ाव के लिए उनके दुःख दर्द को समझकर उन्हें दूर करने के व्यक्तिगत प्रयास भी करने होंगे.

चुनावों में बहुमत प्राप्त दल का नेता प्रधानमंत्री चुना जाता हैं. जो अपने मंत्रिमंडल और समस्त कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका में समन्वय स्थापित कर जन कल्याण के कार्य करता हैं. हमारे देश में आज भी सरकार के इन अंगों के बीच सामजस्य का अभाव देखा जाता हैं जिससे प्रत्यक्ष रूप से आमजन परेशान होता हैं उनके लिए विकास की योजनाएं व कार्य अफसरशाही तंत्र में लटक कर रह जाते हैं.

यदि मैं प्रधानमन्त्री होती तो देश में सरकारी अधिकारियों तथा कर्मचारियों की लापरवाही, कामचोरी तथा मन मर्जी पर लगाम लगाने का कार्य करुगी, क्योंकि जब तक ऊपर से नीचे तक सभी कड़ीयों में सेवाभाव नहीं होगा तब तक जनकल्याण नहीं हो सकता, चाहे सरकारे कितने भी प्रयास करे सब निष्फल ही होगा.

आज भी हमारे देश की अधिकतर आबादी अपने सपने पुरे करने की तो छोड़ो जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने की जद्दोजहद में ही रहती हैं. आज भी हमारे शहर और गाँव सड़क, विद्युत्, पानी, शिक्षा चिकित्सा आदि के लिए तरस रहे हैं. किसान खाद, बीज, सिंचाई और बाजार से अभी भी दूर है. व्यापक स्तर पर ऐसे कार्यक्रम चलाए जाने की आवश्यकता है जिससे इन वंचित सुविधाओं को आमजन को आसानी से मुहैया करवा या जा सके.

यदि मैं प्रधानमंत्री होती तो मोदीजी की तरह ही राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान देती. उनकी कई योजनाएं जैसे सैन्य आधुनिकिकरण, नयें हथियारों एवं उन्नत तकनीक का स्वदेश निर्माण, तीनों सेनाओं के लिए समन्वयक संगठन की स्थापना तथा सेना को पर्याप्त शक्ति आदि पर मैं मौजूदा सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाती. साथ ही पाकिस्तान तथा आतंकवाद से लड़ने के लिए नई योजना बनाती जिसमें सबसे पहले हमारे सैनिकों के लिए बुलेट प्रूफ ड्रेस और उन्नत हथियार एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था करती. 

आतंकवाद के कारोबार में भय केंद्र हैं. दुश्मन देश हमे भयभीत करने के लिए अपनी सैन्य नीति के रूप मे इसका उपयोग करते हैं. अब वक्त आ चूका है जब हमें नो फस्ट यूज की सभी नीतियों को बदलने के साथ ही आतंक वादियों के साथ इतनी कड़ाई से निपटने की जरूरत है जिससे उन्हें भारत की सीमा में घुसने का साहस ही न हो. 

आंतकवाद को आतंक से ही जीता जा सकता हैं.जो वे आंतक हमारे देश के लोगों में भरना चाहते है वही भय उनके दिल और दिमाग में भरे जाने की जरूरत हैं. यदि मैं देश की प्रधानमंत्री होती तो पाकिस्तानी आतंकवाद और भारत में रह रहे पाक परस्तों से उतनी कड़ाई से निपटती जिससे कोई अन्य इस राह पर जाने से पहले उन लोगों के हस्र को अवश्य देखे जो पूर्व में ये गलती कर चुके हैं.

आज के युग में परमाणु हथियारों का खतरा निरंतर बढ़ता जा रहा हैं मगर इसका मतलब यह नहीं कि हम अपनी जमीन किसी को दे दे. पाकिस्तान और चीन के कब्जे में हमारा बड़ा भूभाग हैं. यदि मैं प्रधानमंत्री होती तो मेरा पहला दायित्व यह होता कि मैं अपनी भूमि को दुश्मन राष्ट्रों के कब्जे से मुक्त करवाकर अंखड भारत को खड़ा करने में अपना आंशिक योगदान दू.

चूँकि हम लोकतांत्रिक देश है हमारे देश में बहुमत से चुने गये प्रधानमंत्री आमूल चूल परिवर्तन ला सकते हैं यदि मैं भारत की प्रधानमंत्री बनती तो हिंदी भाषा के उत्थान के लिए कई कार्य करती. भारत की राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करने के साथ हीइसे विदेश में भी भारत की प्रतिनिधि भाषा के रूप में सम्मान देने की कोशिश करती. क्योंकि बिन भाषा के एक राष्ट्र गूंगा ही होता है जो मेरा देश नहीं हैं. हाँ हम बहुभाषी राष्ट्र हैं मगर हमारी एक भाषा तो ऐसी है जिसमें देश के अधिकतर लोग बात करते हैं समझते हैं अतः यथाशीघ्र हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा देने के साथ ही खासकर हमारी न्यायपालिका की कार्यवाही व उच्च शिक्षा में अनिवार्य रूप से हिंदी का माध्यम लागू किया जाना चाहिए.

हमारे संविधान की कई विरोधाभासी नीतियाँ अब समाप्त किये जाने की आवश्यकता हैं. यदि मैं भारत की प्रधानमंत्री होती तो देश में सभी नागरिकों को समता का अधिकार देने के लिए आरक्षण को खत्म करती साथ ही निम्न तबके के उत्थान के लिए आर्थिक आधार पर पिछड़े वर्ग के लिए उन्हें सम्बल देने का प्रयास करती जिस से वे स्वयं अपने पैरों पर खड़े होकर समाज के साथ आगे बढ़ सके.

स्कूली शिक्षा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में उसी परिपाटी से चलाई जा रही है जो 19 वीं शताब्दी में ब्लैक बोर्ड के साथ शुरू हुई थी. वक्त बदल चूका है हमारी आवश्यकताएं एव उद्देश्य भी बदले हैं. जिस तरह पढ़े लिखे युवा रोजगार की तलाश में कतारों में है इस दुर्द्र्षा का मूल कारण हमारी शिक्षा ही है जो संस्कार शुन्य तो है ही साथ ही जीवन निर्वहन के लिए उपयुक्त नहीं हैं. रोजगारपरक शिक्षा दी जाए तथा विद्यार्थियों को स्वयं करके सिखने का अवसर मिले इस तरह की शिक्षा बच्चों को देने की व्यवस्था करुगी.

जिस तरह भारतीय संस्कृति और संस्कारों का तेजी से लोप हो रहा हैं हमारे लिए जितना जरुरी विकास और अन्य आवश्यकताएं है उससे कही अधिक जरुरी हमारी पहचान को बचाएं रखना भी हैं. यदि मैं प्रधानमंत्री होती तो भारतीय संस्कृति पर गर्व करने वाली भावनाओं को जन जन में भरने के लिए बहुआयामी प्रयास करती तथा देश विदेश में रह रहे भारतीयों के बीच इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास करती.

उम्मीद करता हूँ यदि मैं प्रधानमंत्री होती होता निबंध Yadi Main Pradhanmantri Hoti Essay In Hindi [If i were prime minister] का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा. यदि आपकों इस निबंध में दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें. आपकों यह हिंदी निबंध कैसा लगा कमेंट कर जरुर बताएं.