थार का मरुस्थल पर निबंध | Essay On Thar Desert in Hindi: मरुस्थल का नाम आते ही अनेक विचार उत्पन्न होते हैं सुनहरे रेतीले टीले दूर-दूर तक फैले रेत के धोरे जैसे मनमोहक दर्शन अपने आप ही सामने आ जाते हैं इस लेख के द्वारा मरुस्थल की उत्पत्ति विस्तार तथा राजस्थान के विशेष संदर्भ में चर्चा करेंगे.
थार का मरुस्थल पर निबंध | Essay On Thar Desert in Hindi
थार का मरुस्थल भारत के मरुस्थल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. भूगर्भ शास्त्रियों का दावा है कि थार के मरुस्थल के स्थान पर पहले विस्तृत समुद्र टेथिस सागर हुआ करता था कार्बोनिफरस व पर्मियन पीरियड में यहां पर समुद्र का अस्तित्व था.
जो जुरासिक तथा इयोसीन तक जारी रहा प्लीटोसीन युग तक आते-आते यहां पर मानव का प्रादुर्भाव होता है तथा मानवीय क्रियाकलाप कृषि अतिचारण के चलते यहां मरुस्थलीय दशाओं का विकास 10000 से 4000 ईसा पूर्व के आस पास होता है.
यहां पाई जाने वाली खारे पानी की झीलों को भी समुद्र का अवशेष माना जाता है थार का मरुस्थल विश्व के प्राचीन ग्रेट पेलिया आरक्तिक अफ्रीका मरुस्थल का पूर्वी भाग है अर्थात यह सहारा के मरुस्थल का पूर्वी भाग है.
थार का मरुस्थल भारत के 4 राज्यों गुजरात राजस्थान पंजाब तथा हरियाणा तक फैला हुआ है इसे रेगिस्तान कहा जाता है रेगिस्तान का शाब्दिक अर्थ होता है बढ़ते रहना.
पाकिस्तान में यह सिंध व पंजाब प्रांत में फैला हुआ है. थार के मरुस्थल में कुल 142 डेजर्ट ब्लॉक हैं जिनमें से 85 केवल राजस्थान में स्थित है. क्षेत्रफल की दृष्टि से थार का मरुस्थल विश्व का 17 वा बड़ा मरुस्थल है उपोषण कटिबंध क्षेत्र में इसका स्थान नवा है.
थार का मरुस्थल अफ़्रीकी मरुस्थल का ही भाग है. यह अधिकांश राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में है. जहाँ की आद्र जलवायु तथा कम वर्षा और रेतीली मिटटी इसकी मुख्य विशेषता है.
मरुस्थल में धोरे तथा बरखान भी पाए जाते है. जो यहाँ के रेतीले क्षेत्र की स्थिति तथा गर्मियों में रेतीली हवाओ का कारण बनते है/ बाजरा, मुंग, मोठ ज्वार आदि यहाँ की मुख्य फसल है.
थार का मरुस्थल अरावली पर्वतमाला जो 50 सेंटीमीटर सम वर्षा रेखा भी कहलाती हैं के पश्चिम में 25 ° उत्तर से 30° उत्तरी अक्षांश तक तथा 69°30' पूर्वी देशांतर से 76 °45' पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है.
राजस्थान में इसका विस्तार 12 जिलों यथा जैसलमेर बाड़मेर बीकानेर जोधपुर जालौर पाली नागौर सीकर झुंझुनू चूरू गंगा नगर तथा हनुमानगढ़ 175000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है.
उत्तर से दक्षिण की ओर इसकी लंबाई 640 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम में इसकी चौड़ाई 300 किलोमीटर तक है राज्य के कुल क्षेत्रफल का दो तिहाई भाग थार का मरुस्थल है.
थार के मरुस्थल का ढाल उत्तर से दक्षिण दक्षिण पश्चिम की ओर है यहां वर्षा अल्प मात्रा में होती है जो लगभग 30 सेंटीमीटर है. राज्य की 40% जनसंख्या निवास करती है थार के मरुस्थल की मिट्टी रेतीली बलुई है.
जलवायु शुष्क तथा अत्यधिक विषम होने के कारण होने के कारण कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि का सामना भी करना पड़ता है यहां का तापमान दिन में जहां 45 डिग्री से ऊपर पहुंच जाता है वही रात का तापमान 10 डिग्री तथा सर्दियों में जीरो डिग्री तक भी पहुंच जाता है.
वनस्पति अल्प मात्रा में पाई जाती है वनस्पति को मरुद भिद वनस्पति नाम से जाना जाता है जिसमें सेवन दामन करङ अंजन घास केर आक फोग प्रमुख है. मरुस्थल की प्रमुख फसलें बाजरा मूंग मोठ ग्वार इत्यादि है
खनिज संसाधनों की दृष्टि से काफी संपन्न है प्रमुख रूप से कोयला प्राकृतिक गैस तथा तेल के बड़ी मात्रा में भंडार प्राप्त हुए इनके अलावा नमक जिप्सम तथा चुने पत्थर के प्राप्त भंडार भी पाए जाते हैं.
विश्व के सभी मरुस्थल में थार का मरुस्थल सर्वाधिक जनसंख्या तथा जैव विविधता वाला मरुस्थल है भारतीय विश्व का सर्वाधिक घना बसा मरुस्थल है थार के मरुस्थल को 25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा दो भागों में विभाजित करती है.
शुष्क मरुस्थल : थार के मरुस्थल इस भाग में 25 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय सीमा के सहारे हैं बालुका स्तूप के आधार पर इसे भी दो भागों में विभाजित किया गया है.
बालुका स्तूप युक्त क्षेत्र तथा बालुका स्तूप मुक्त क्षेत्र बालुका स्तूप मुक्त क्षेत्र में आकल वुड फॉसिल पार्क स्थित है इसके अलावा लाठी सीरीज तथा थार का घड़ा चंदन नलकूप स्थित है.
अर्द्ध शुष्क मरुस्थल: मरुस्थल किस भाग में 25 से 50 सेंटीमीटर के बीच में वर्षा होती है तथा इसे चार भागों में विभाजित किया गया है
- लूनी बेसिन नदी निर्मित मैदान है इसमें जालौर बाड़मेर पाली को शामिल करके गोडवार प्रदेश का जाता है जालौर में जसवंतपुरा की पहाड़ियां हैं तथा बाड़मेर में छप्पन की पहाड़ियां इसी भाग में स्थित है
- नागौर की उच्च भूमि - समुद्र तल से 500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह भूमि बंजर है क्षेत्र में प्रमुख खारी झीलें सांभर डीडवाना नागौर डेगाना तथा कुचामन स्थित है क्षेत्र में अजमेर से नागौर तक फ्लोराइड युक्त पट्टी है जिसे कूबड़ पट्टी कहा जाता है
- शेखावटी का अंत प्रवाह क्षेत्र क्षेत्र में सीकर चूरू झुंझुनू आते हैं इन्हें बागड़ प्रदेश भी कहा जाता है क्षेत्र में बरखान बालुका स्तूप ओं की अधिकता है या वर्षा ऋतु में अस्थाई तालाब बनते हैं जिन्हें सरोवर कहा जाता है इस क्षेत्र के कच्चे या पके कुए को जोहड़ तथा नाडा कहते हैं
- घग्घर प्रदेश का निर्माण सिंधु सतलज तथा घग्गर नदियों के द्वारा किया गया एस क्षेत्र में गंगानगर हनुमानगढ़ को शामिल किया जाता है घग्गर के मैदान को हनुमानगढ़ में नाली या पाट का मैदान कहते हैं
मरुस्थल का महत्व: थार का मरुस्थल विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या तथा सर्वाधिक जैव विविधता वाला क्षेत्र होने के साथ ही सर्वाधिक पशुधन भी पाया जाता है भारतीय उपमहाद्वीप में ऋतु चक्र को सक्रिय रखने में मरुस्थल की अहम भूमिका रहती है.
ग्रीष्म काल में इसका तापमान अधिक होने के कारण न्यून वायुदाब विकसित होता है अतः सागरीय क्षेत्र की आद्र वायु को अपनी और करता है इससे भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा होती है जुलाई से सितंबर के बीच 50 से 70% आद्रता रहती है.
पशुपालन में यह अग्रणी है इसके अलावा खनिज संसाधनों की दृष्टि से भी संपन्न है तथा इंदिरा गांधी नहर के कारण कृषि क्षेत्र का भी विकास तेजी से हो रहा है
मरुस्थल का प्रसार : काजरी के वैज्ञानिक कृष्णन के अनुसार राजस्थान में तापमान शिफ्ट हो रहा है जिसके कारण पिछले 20 वर्षों में 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है मरुस्थलीय 12 जिलों के अलावा भी जयपुर अलवर सिरोही तथा राजसमंद तक मरुस्थल का प्रसार हुआ है
मरुस्थलीकरण के कारण: राजस्थान में वायु जल के साथ-साथ वन विनाश तथा लवणीकरण के कारण मरुस्थल का प्रचार हो रहा है मरुस्थलीकरण में सर्वाधिक योगदान अंधाधुंध विकास का है अरावली में अवैध खनन तथा पश्चिमी हवा के बढ़ने से मरुस्थल का पूर्व की ओर विस्तार हो रहा है.
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