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मेले के वर्णन पर निबंध | Essay on Visiting a Fair in Hindi

मेले के वर्णन पर निबंध | Essay on Visiting a Fair in Hindi- नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपके साथ मेले का वर्णन करने वाले है. मेला एक वह यात्रा होती है, जो लम्बे समय के लिए हमारी यादो में बच जाते है.

मेले के वर्णन पर निबंध | Essay on Visiting a Fair in Hindi

मेले के वर्णन पर निबंध | Essay on Visiting a Fair in Hindi

सर्दी की ऋतु थी. शुक्रवार को हम लोग अपनी कक्षा में एकाग्रचित होकर भूगोल पढ़ रहे थे. कि तभी प्रधानाध्यापक जी का भेजा हुआ चपरासी छुट्टी की सूचना लेकर आया.

छुट्टी का नाम सुनते ही हमारा मन प्रसन्नता से खिल उठा. कक्षा अध्यापक जी ने सूचना पढकर सुनाई कि कल शनिवार को पुष्कर मेले के कारण छुट्टी रहेगी. मेके का नाम सुनते ही हर्ष का ठिकाना न रहा. तुरंत दो चार मित्रों के साथ दुसरे दिन मेले में जाने का कार्यक्रम बनाया.

मेले के लिए प्रस्थान- दुसरे दिन प्रातः काल हम चार मित्र भोजन करके एक साथ मेला देखने को रवाना हुए. घर से मेले का स्थान लगभग ५-६ किलोमीटर दूर था. अतः हम लोगों ने पैदल यात्रा करना तय किया.

मार्ग के द्रश्य- मार्ग का द्रश्य बड़ा ही मनोहारी था. कुछ लोग बैलगाड़ी में बैठकर जा रहे थे, तो कुछ मोटर साइकिलों पर सवार थे. कोई इक्के में आसन जमाए हुए था. 

कहने का तात्पर्य यह है कि मार्ग में बड़ी भीड़ थी, सड़क पुष्करवाटी के पास आनासागर के किनारे किनारे गई थी. अत बतखों जल कुक्क्टों को देखते हुए हम लोग पहाड़ों के बीच में होकर जाने वाली सड़क पर जा पहुचे.

जो घाटी में होकर कुछ ही दूर तक फ़ैल गई हैं. घाटी पार करने पर सड़क फिर पहाड़ी के सहारे चली गई हैं. इस प्रकार मार्ग का दृश्य देखते हुए हम पंच कुंडों पर पहुचें.

मेले का आनन्द-वहां पहुचकर सबने पहले सरोवर के पवित्र जल में स्नान किया. इसके बाद हम लोग पहले ब्रह्माजी और फिर रंगजी के मंदिर में दर्शन करने गये. दर्शन करने के बाद हमने एक पुड़ी वाले की दूकान पर जाकर भूख शांत की. फिर हम लोगों ने घूमना प्रारम्भ किया.

मेले में दुकानें सजी हुई थी. कहीं कहीं दुकानों में रेडियो और टेपरिकॉर्डर अपनी मधुर ध्वनि से दर्शकों के मन मोह रहे थे. कुछ दूर आगे चलकर एक बाजीगर का एक जमघट दिखाई दिया. हम लोग कुछ देर के लिए तमाशा देखने के लिए रूक गये.

फिर इधर उधर घूमने के बाद हमने एक स्थान पर विश्राम किया. शाम हो गई थी. अतः हमने रंगजी के दर्शन कर लौटने का विचार किया. थकने के कारण हम सब तांगे द्वारा घर आ गये. इस प्रकार हमारी मेले की यात्रा सफल हुई.

महत्व-पुष्कर हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता हैं. मेले के दिन यहाँ के मन्दिरों की झांकिया व सायंकाल की आरती के दृश्य देखकर और स्वच्छ नीले जल में स्नान कर प्रत्येक मनुष्य के ह्रदय का कलुष धुल जाता हैं. मेले से अनेक लाभ होते हैं.

हमारी ज्ञान शक्ति बढ़ती हैं. कई लोग अपने उद्योग धंधों के सहारे बनाई वस्तुओं को बेचकर साल भर खर्चे योग्य धन कमा लेते हैं. एक दूसरे से मिलने से परिचय बढ़ता हैं और साथ ही मनोविनोद भी होता हैं.

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