राजस्थान के मेले पर निबंध Essay on Rajasthan fair In Hindi: Hello friends, if you are looking for an essay or speech in Hindi about the major fair of Rajasthan then this article is for you. Here we are telling essays on the main fairs of Rajasthan in simple language for children and students.
राजस्थान के मेले पर निबंध | Essay on Rajasthan fair In Hindi
मेले का अर्थ (Meaning of fair)- मेला एक हिंदी शब्द है जिसे सामान्य अर्थों में मिलना कहते हैं. अर्थात वह स्थान जहाँ लोग आपस में मिलते है उसे मेले की संज्ञा दी जा सकती हैं.
मेले के लिए स्थान और समय पूर्व निर्धारित होते है एक सामुदायिक मेले में स्त्री, पुरुष, बच्चें तथा वृद्धि सभी जाते हैं.
मेले कई प्रकार के होते है यथा धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व के हो सकते हैं. इनका एक उद्देश्य लोगों के जीवन में उत्साह एवं उमंग का संचार करना भी होता हैं.
यहाँ समस्त प्रकार के मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं खासकर मेले बच्चों के लिए विशिष्ट हो जाते हैं. राजस्थान में सामाजिक, धार्मिक और पशु मेले सर्वाधिक लगते हैं इन सभी का अपना अपना महत्व हैं.
राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जहा सैकड़ो की संख्या में मेले भरे जाते है. यहाँ की कला नृत्य और चित्रकला का प्रस्तुतीकरण मेलो में किया जाता है. यहाँ मेले उत्सव की तरह माने जाते है.
राजस्थान के प्रमुख मेले (Major Fairs of Rajasthan) - राजस्थान एक समृद्ध संस्कृति और अपनी ऐतिहासिक धरोहर को सम्भाले एक बड़ा राज्य हैं. यहाँ के लोगों में धर्म के प्रति बड़ा झुकाव हैं.
तो वही अधिकतर लोग कृषि एवं पशुपालन का व्यवसाय करते है इसलिए यहाँ पर कृषि एवं पशु मेलों का आयोजन भी होता हैं.
राज्य के मुख्य बड़े मेलों में पुष्कर, रामदेवरा, परबतसर, अलवर, धौलपुर, करौली, गोगामेड़ी आदि के मेले देश भर में प्रसिद्ध हैं.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन अजमेर के पुष्कर में बड़ा धार्मिक मेला भरता है तो वही भाद्रपद माह में जैसलमेर के रामदेवरा में बाबा रामदेव का मेला भरता है इसी माह गोगामेड़ी हनुमानगढ़ में गोगाजी का मेला, परबतसर नागौर में तेजाजी का पशु मेला भरता हैं.
इनके अतिरिक्त राजस्थान के मेलों में चारभुजा, देलवाड़ा, कोलायत मेला, केसरिया नाथ मेला, महावीर जी मेला भरता हैं.
क्षेत्रीय महत्व के कई अन्य मेले भी भिन्न भिन्न स्थानों पर लगते हैं. राजस्थान की संस्कृति के धार्मिक महत्व तथा संस्कृति को इन मेलों एवं उत्सव त्योहारों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं.
मेलों का सामाजिक महत्व (Social importance of fairs) - मेले किसी प्रदेश या क्षेत्र में बसने वाले लोगों के धर्म उनकी आस्था, रीति रिवाज के बिम्ब तो है ही साथ ही इनका सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक महत्व भी हैं. समय समय पर भरने वाले ये मेलों समाज में मेलजोल तथा भाईचारे को बढाते हैं.
एक स्थान के लोगों के पहनावे उनके रीति रिवाजों के बारे में अन्य लोग जान पाते हैं. इस तरह यह समाज में आपसी परिचय तथा आदान प्रदान को बढ़ावा देते हैं.
आज के युग में नौजवान युवक एवं युवतियां इस तरह के समागमों में अपना जीवन साथी भी चुन लेती हैं. मेलों में लोग अपने आसपास के क्षेत्रों में बसनें वाले लोगों के सुख दुःख जान पाते हैं इस तरह आपसी भाईचारे को बल मिलता हैं.
मेलों की आवश्यकता (Fairs required Needs)- जीवन के सभी पहलुओं यथा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं धार्मिक दृष्टि से मेलों के आयोजन की बड़ी आवश्यकता हैं.
ये लोगों को जोड़ने का एक माध्यम है. इन स्थानों पर व्यक्ति अपने आस पास बसने वाले लोगों के जीवन उनके रहन सहन आदि का परिचय प्राप्त कर पाता हैं.
वस्तुओं तथा उत्पादों की बिक्री के लिहाज से भी मेलों का बड़ा महत्व है हजारों लोगों को मेलों में रोजगार मिलता है वही सरकार को भी कर मिलता हैं.
राजस्थान एक कृषि प्रधान राज्य है. कृषकों के लिए यह मनोरंजन का अच्छा माध्यम बन रहा हैं. नित्य के उबाऊ जीवन से दूर वे शान्ति का एहसास इन स्थलों पर आकर महसूस करते हैं.
मेलों का पर्यटन पर प्रभाव (Impact of fairs on tourism) - निश्चय ही मेलों का आयोजन पर्यटन को बढ़ावा देता हैं.
राजस्थान के कई बड़े मेलों में अपने धर्म से जुड़े लोग केवल उस राज्य से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों तथा विदेशो से भी दर्शन करने के लिए आते हैं. इन पर्यटकों के आने से सरकार, स्थानीय लोगों तथा विक्रेताओं को पूंजी प्राप्त होती हैं.