सत्यवादी वीर तेजाजी जीवनी - Biography of Veer Tejaji in Hindi- नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका दोस्तों आज हम गौ माता के रक्षक तथा जाट समाज में जन्मे वीर तेजाजी जिन्होंने गौ रक्षा में अपना बलिदान दे दिया. आज के इस आर्टिकल में हम राजस्थान के लोकदेवता वीर तेजाजी की जीवनी के बारे में जानेंगे.
वीर तेजाजी की जीवनी | Biography of Veer Tejaji in Hindi
भारत के इतिहास में राजस्थान राज्य से शौर्य परम्परा और यहाँ के वीरो का जो योगदान है, उसे कभी नजरंदाज नही किया जा सकता है.
आज से कई सैकड़ो वर्षो पहले हमारी राजस्थान की इस धरा से कई वीर सपूतो ने गौ माता के लिए, पर्यावरण के लिए, वचन निभाने के लिए और अपने कर्तव्य निभाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.
उन्ही में से एक उदाहरण पेश करते है, हमारे लोकदेवता वीर तेजाजी जिन्होंने गौ रक्षा के लिए अपनी आहुति देकर अपने वचनों पर अडिग रहकर इस संसार में अजर-अमर हो गए.
प्रस्तावना
राजस्थान के कई लोग देवता है। परंतु उनमे सबसे प्रमुख ओर लोग प्रिय देवता तेजाजी को माना जाता है। तेजाजी को कलयुग का देवता माना जाता है।
तेजाजी का जन्म एक जाट के घर मे हुआ था। इसलिए इन्हे जाटो के देवता के नाम से भी जाना जाता है। इन्हे नागो के देवता भी कहा जाता है। किसी को भी नाग डसने पर वह इनके द्वार पर जाते है।
जीवन परिचय
राजस्थान के लोग देवता वीर तेजजी का जन्म विक्रम संवत 1130 माघ सुदी चौदस (गुरुवार 29 जनवरी 1074) के दिन वीर तेजाजी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल मे हुआ था।
खरनाल गाव का आकार घोड़े के खुर के समान था। इसलिए इसे खरनाल कहा जाता है।
वीर तेजाजी का जन्म एक अमीर परिवार मे हुआ था। उनका जन्म धौलिया जाट के घर मे हुआ था।
उनके पिता का नाम कुंवर ताहड़ जी था। ताहड़ जी के छः बेटे थे। तेजाजी, राणाजी, गुणाजी, महेशजी, नागजी व रूपजी तथा दो बेटियाँ थी। राजल व डूंगरी। जो कि खरनाल के प्रमुख थे।
तेजाजी कि माता का नाम राम कंवर था। जो कि किशनगढ़ जिला अजमेर की मुख्य थी। तेजाजी के माता-पिता भगवान शिव के भक्त थे। तेजाजी बचपन से ही वीर ओर साहसी थे।
विवाह
वीर तेजाजी का विवाह रानी पेमल से हुआ था, जो झाँझर गोत्र के रायमल जाट की पुत्री थी, रायमल जी पनेर के प्रमुख थे। पेमल का जन्म बुद्ध पूर्णिमा विक्रम स॰ 1131 (1074 ई॰) को हुआ था।
तेजाजी और रानी पेमल का विवाह पुष्कर में 1074 ई॰ में हुआ था। तब तेजाजी मात्र 9 महीने के थे। और पेमल उनसे तीन माह छोटी थी। इनका विवाह बाल विवाह था। जो कि पुष्कर की पूर्णिमा के दिन पुष्कर घाट पर हुआ।
पेमल के मामा धौलिया जाटो से नफरत करते थे। उन्होने ताहड़ जी पर हमला कर दिया जवाब मे ताहड़ जी ने उन्हे मर दिया। पेमल के सामने उनके मामा की ह्त्या कर दी गयी। पेमल ने बदला लेने की सोच ली थी।
समाज सुधार के कार्य :
तेजाजी बचपन से ही साहसी और दयालु स्वभाव के थे। उन्होने कृषकों को कृषि की नई विधियां बताई। तथा उसका प्रयोग कर सभी को कृषि की नई विधियां के बारे मे बहुत सारी जानकारी देते थे। कंवर तेजाजी को कृषि का वैज्ञानिक माना जाता था
तेजाजी हर समय समाज के हर कार्य करने के लिए तैयार रहते है। उन्होने इसके कई उदाहरण हमारे सामने रखे। तेजाजी ने लाछा की गाये बचाने के लिए अपने प्राण तक दे दिये।
जिससे हम अनुमान लगा सकते है। कि उन्होने समाज के लिए कितने कार्य किए थे। तेजाजी को समाज पूजनीय देवता के रूप मे मानने लगे। वे समाज के लिए देवता बन चुके थे।
गौ पालन मे योगदान
तेजाजी राजा के पुत्र होते हुए भी उन्होने कभी भी राजकार्य नहीं किया था। वो हर समय गौ माता की सेवा मे लगे रहते थे। तेजाजी ने गौ सेवा के लिए ग्यारवी सदी मे अपने प्राण न्योछावर कर दिये।
सत्यवादी तेजाजी के दिये हुए। वचन अटल रहते थे। उन्होने अपना बलिदान गौ माता के लिए न्योछावर कर दिया था। इससे हमे और आने वाली पीढ़ियो को यह संदेश मिलता है। कि हमे गौ माता की सेवा करनी चाहिए।
गौ सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। गौ हमारे लिए भी लाभदायी होती है। गौ से प्राप्त पंचतत्व से हमारे जीवन की हर बीमारी दूर हो जाती है।
कई लोग बोलते है। कि हम गौ को पालती है। बल्कि गौ माता हमे पालती है। वीर तेजाजी ने अपने जीवन मे लोगो को सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन-साधारण में नवचेतना जागृत की, जिससे लोगों की जात- पांत में आस्था कम हो गई।
तेजा दशमी
तेजाजी ने ग्यारवीं में सदी गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपना बलिदान दे दिया था। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भाद्रपद शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है।
इसी दिन तेजाजी ने अपना गौ माता के लिए बलिदान दिया था। उसी दिन से इसे हम तेजा दशमी के रूप मे पूजते है। तथा यह जाटो के देवता का सबसे बड़ा त्योहार है।
जांत-पांत कि बुराइयों को खत्म किया था। उन्होने अपने भलाई तथा सदाचारी से बहुत लोगो का दिल जीता ओर आज उन्हे कंवर तेजाजी के रूप मे पूजे जाते है।
समायोजन दुनियां में केवल वीर तेजाजी ही जीवन में ही देखने को मिलते हैं। आज भी तेजाजी इस संसार के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए है। लोग उनका मार्ग दर्शन करते है।
निष्कर्ष
तेजाजी सा जीवन हमें आज प्राप्त न हो सकता है, पर हम आज हमारी अपनी गौ माता की रक्षा कर उन्हें सही से पाल पोष कर हम अपने अनुसरणीय तेजाजी के भक्त कहला सकते है.
लोगदेवता वीर तेजाजी की तरह समाज की सेवा करनी चाहिए। और गौ माता को पालना चाहिए। दूसरे लोगो को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। हमे हर व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए।
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