बैल पर निबंध । Essay On Ox In Hindi: नमस्कार मित्रों आपका हार्दिक स्वागत है। आज हम पालतू पशु बैल (ox) पर हिंदी निबंध, भाषण, स्पीच अनुच्छेद आदि लेकर आए हैं। पुराने जमाने मे माल ढोने तथा सवारी के लिए बैलगाड़ी (Bullock Cart) का उपयोग किया जाता था, स्कूल स्टूडेंट्स को ऑक्स पर हिंदी में एस्से लिखने में यह आर्टिकल बहुत मदद करेगा।
बैल पर निबंध । Essay On Ox In Hindi
क्या आप जानते है कि जब बसें, गाड़ियां, रेलगाड़ी आदि नही थे, उस समय सामान ढोने तथा सवारी के किन साधनों का उपयोग किया जाता था।
सदियों से लेकर सौ वर्ष पहले तक हमारे पुरखे एक स्थान से दूसरे स्थान आने जाने तथा सामान को लाने ले जाने के लिए बैलगाड़ी, घोड़ा गाड़ी, ऊंट गाड़ी आदि का प्रयोग किया जाता था।
बैल को किसान का परम मित्र कहा जाता हैं। यह एक पालतू जानवर होने के साथ ही साथ खेत मे जुताई, माल ढुवाई तथा सवारी के प्रयोजन हेतु काम मे लिया जाता था।
इन वर्षों में बैलों के उपयोग में काफी कमी देखी गईं हैं। हालांकि भारत के कई गांवों में आज भी बैलगाड़ी देखी जा सकती हैं। कई शहरों में भी छोटे छोटे कामों के लिए बैलगाड़ी से माल ढुवाई आदि काम होता है।
आधुनिक समय मे उन्नत कृषि यंत्रों के आविष्कार के कारण परम्परागत कृषि साधनों का उपयोग निरन्तर घटता जा रहा है। खर्च के लिहाज से बैल का कृषि में उपयोग बेहद अल्प खर्च में होता था।
आधुनिक समय मे उन्नत कृषि यंत्रों के आविष्कार के कारण परम्परागत कृषि साधनों का उपयोग निरन्तर घटता जा रहा है। खर्च के लिहाज से बैल का कृषि में उपयोग बेहद अल्प खर्च में होता था।
हरे सूखे चारे को खाकर वह किसान के हर काम मे पूरा सहयोग करता हैं। गाय, बैल आदि के गोबर से भूमि के उपजाऊपन में मदद मिलती हैं। अच्छी फसल की पैदावार में बैल की जैविक खाद सहायक सिद्ध हो रही है।
कई तरह के मेलों और स्थानीय उत्सवों में लोग आवाजाही के लिए आज भी बैलगाड़ी का उपयोग करते है। हिंदू धर्म में गाय और बैल का बड़ा धार्मिक महत्व है, इन्हें पूजनीय माना गया है।
प्राचीन काल मे किसान अपने खेत जोतने, सिंचाई, ढुवाई आदि समस्त कृषि गतिविधियों में बैल का उपयोग करता था इस कारण उसकी उपयोगिता थी,
मगर आजकल इन सब कार्यों में बढ़ते मशीनी उपयोग के कारण बैलों को आवारा पशुओं की तरह छोड़ दिया जाता है। बाजारों में घूमने और खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुचाने से किसानों को बड़ी समस्याएं भी उतपन्न होती है।
बैलों की इन दुर्दशा का कारण भी स्वयं किसान ही है। उसने अपने मतलब के लिए इसका भरपूर उपयोग किया, जब बैल की जरूरत खत्म हो गई तो उसे आवारा जानवर की तरह छोड़ दिया।
देश के हर छोटे बड़े शहर गांव में गौशालाएं बनी हुई है, मगर संसाधनों की कमी और किसानों के सहयोग के बिना बैलों को वहां रखना बड़ा मुश्किल बन चुका हैं।
दो सींगों, एक पूंछ, गाय की तरह ही चार पैर, दो बड़े कानों वाला बैल देखने मे बड़ा ही मोहक एवं स्वामिभक्त जानवर है। हमने बचपन ने प्रेमचंद की हीरा मोती दो बैलों की कहानी अवश्य ही पढ़ी है।
उसका पूरा जीवन अपने मालिक की सेवा में ही व्यतीत होता है। आकार में घोड़े की तरह ही बैल होता है मगर उसकी चाल घोड़े की तुलना में काफी मंद होती है। मगर यह सभी जानवरों में मेहनती होता है।
निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि बैल स्वामिभक्ति और मेहनत करने में बेजोड़ पशु हैं। मगर समय ने इसके महत्व को कम किया तो स्वामी किसान ने भी हजारो हजार साल उनके साथ, ऋण और स्वामिभक्ति को भुलाकर आवारा जीवन बिताने के लिए छोड़ दिया।
कम से कम किसान को बैल जैसे पशुओं के महत्व को समझना चाहिए तथा उनकी देखभाल ठीक ढंग से की जानी चाहिए। दुनिया तेज़ी से जैविक कृषि को फिर से अपना रही है, ऐसे में कृषक भाईयों को अपने सदियों पुराने साथी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
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