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मोर पर निबंध | Essay on Peacock In Hindi

मोर पर निबंध | Essay on Peacock In Hindi नमस्कार दोस्तों आज हम भारत के राष्ट्रीय पक्षी तथा पक्षियों के राजा मयूर के नाम से मशहुर मोर के बारे में विस्तार से पढेंगे.

मोर पर निबंध | Essay on Peacock In Hindi

मोर पर निबंध | Essay on Peacock In Hindi
मोर को हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी माना जाता है। मोर बहुत सुन्दर तथा वर्षा के मौसम में बहुत आकर्षित पक्षी होता है. ये वर्षा के मौसम में अपने पंख फैलाता है. और नाचता है.तब इसका आकर्षण और भी बढ़ जाता है. इसे मयूर के नाम से भी जानते है.

मोर भरतीय लोगो का सबसे लोगप्रिय पक्षी भी है. इसके पंख को लोग सुरक्षित रखते है. कई लोग इनके पंखो को अपने शिर पर सजाते है. जैसे भगवान कृष्ण सजाया करते थे. तथा कई लोग पंखो को अपनी किताब में रखते है.क्योकि कालिदास जी ने मोर के पंख से लेखन का कार्य किया था. 

मोर स्थलीय पक्षी है. ये ज्यादातर जमीन पर ही रहता है. इसका कोई घर नहीं होता है. भारतीय लोगो की मान्यता है. कि मोर को देखते ही मन को शांति मिल जाती है. इसके पंख और इसकी गर्दन प्रमुख रूप से इसकी शोभा बढ़ाते है. मोर सर्वाहरी पक्षी होता है.

ये भोजन अन्न के दाने, कोमल तने व पत्ते, छिपकलियाँ,बीज, कीड़े, फल, छोटे स्तनपायी और छोटे सांप को खाता है. इसका सबसे प्रिय भोजन सांप ही होता है. मोर के पंखो से रंग बनाये जाते है. 

जिस कारण कई लोग मोर के पंखो को बेचकर व्यपार भी करते है.मोर के पंख बहुत बड़े-बड़े होते है.परन्तु मादा मोरनी के पंख नहीं होते हैं. मोर के पंखो से कई प्रकार के आभूषणों का निर्माण भी किया जाता है. मोर को कार्तिकेय (मुरुगन) का वाहन माना जाता है.

भारतीय मोर की लम्बाई  100 से 120 सेमी. तक होती है. इसके पंखो की लम्बाई 3 से 4 फिट तक होती है. मोर के छोटी पूंछ,एक कलंगी तथा दो पैर होते है.

इसकी चाल 16 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. इसका वजन 6 से 10 किलोग्राम तक होता है. मोर की औसतम आयु 20 साल होती है. इसके शारीर पर 150 से अधिक पंख होते है.

मोर राजाओ को बहुत पसंद थे. सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा चलाये गए. सिक्को पर मोर की प्रतिमा को अंकित किया गया था. तथा मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपने राज दरबार में अपनी तख्ती के निर्माण मोर के आकर का करवाया था. 

जिससे हम अनुमान लगा सकते है. कि मोर कितना लोगप्रिय रहा होगा. मोर को पक्षियों का राजा माना जाता है. क्योकि ये सबसे लोगप्रिय तथा सुन्दर पक्षी होता है. वास्तव में इसके शिर पर विराजित कलंगी इसकी शोभा को और बढाती है. 

तथा इसकी ये कलंगी राजा के मुकुट के सामान दिखती है. इसलिए इसे पक्षियों का राजा बनाया गया है ये विश्व के अनेक देशो में अपनी आकर्षित झलक के साथ नजर आता है. मोर भारत तथा म्यांमार देशो का राष्ट्रीय पक्षी है.

मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी 26 जनवरी 1963 को घोषित किया था.मोर को अंग्रेजी में ब्ल्यू पीफॉउल’ अथवा ‘पीकॉक’ तथा संस्कृत में मयूर के नाम से जानते है.

मोर की अनेक प्रजातीय भारत में पाई जाती है. भारत में हर राज्य में मोर बंटन पाया जाता है. पर भारत में सबसे ज्यादा मोर हरियाणा और उतरप्रदेश में पाए जाते है. क्योकि वहा के लिए धार्मिक होते है.

वे मोर भगवान कृष्ण का महत्व देते है. मोर की अनेक प्रजातीय पाई जाती है. परन्तु भारतीय मोर,मोर प्रजाति के सबसे सुन्दर तथा आकर्षित पक्षी होते है.  

ये पुरे भारत में वितरित है. ये जंगलो तथा नदियों वाले स्थानों पर रहना पसंद करते है. ये अधिकांश जंगलो में ही पाए जाते है. पर कई बार मोर गाँवो के इलाको में भी पाए जाते है.

गाँवो के लोगो द्वारा इन्हें इतना स्नेक दिया जाता है. कि ये अपने निवास स्थान को छोड़कर गाँवो में आते है. तथा सभी को अपने रूप से प्रभावित करते है. 

कई बार तो मोर को देखने लोग की भीड़ लग जाती है. मोर को लोग बाजरे का चुग्गा देते है.तथा पानी पिलाते है. मोर की सेवा करते है. जिससे मोर खुश होकर उन्हें पंख फैलाकर नृत्य दिखाता है. और गाँवो में ये निर्भय होकर घूमता है.

लोग मोर को भगवान कृष्ण जी का रूप मानकर उनकी सेवा करते है. उससे भावनात्मक प्रेमभाव रखते है. यही कारण है. कि इस दुनिया में सबसे ज्यादा मोर हमारे भारत में ही पाए जाते है. 

मोर का कोई स्थिर घर नहीं होता है. ये अपना सम्पूर्ण जीवन घुम्मकड़ जीवन में व्यतीत करते है. ये रात के समय में बड़े वृक्ष पर विश्राम करते है. मोर समूह में रहता है.

मोर के एक समूह में  पांच पक्षी होते है. जिसमे चार मादा मोर तथा एक मोर होता है. कभी-कभी समूहों में मोर के छोटे-छोटे बच्चे भी साथ में चलते नजर आते है. 

मोर बहुत बड़ा पक्षी होने के कारण इसे उड़ने में कठिनाई आती है. इसलिए हए ज्यदातर समय पैदल चलता है. पर विपत्तिकाल के समय ये उडाता है. ये बहुत सचेत पक्षी होता है. ये नदी को पार करने,एक पेड़ से दुसरे पेड़ जाने तथा अपने जीवन संकट में ये उड़ान भरता है. 

मोर हमें नृत्य कर हमारा मनोरंजन करता है. ये पंख देता है. जिससे हमें अनेक लाभ होते है. पर कभी-कभी ये हमारी लिए नुसकनदायक  भी हो सकते है. इन्हें बाजार बहुत अच्छा लगता है. 

ये खेत में किसानो को फसल को नुकसान भी पहुंचाते है. मोर की ध्वनी बहुत मधुर तथा सुरम्य होती है. मोर की ध्वनि में 'नापिया पिया' उच्चारित होता है. ये गीत भी गाते है.

पर हम इनके गीत को समझ नहीं पाते है. ये जब भी गीत गाते है. अपनी गर्दन को आगे-पीछे करते है.तथा सुन्दर ध्वनि का उच्चारण करता है. 

मोर नृत्य करता है. ये अपने बड़े पंख फैलाकर मंद गति से शानदार नृत्य करता है. जिससे लोग मनमोहित हो जाते है. मोर के इस नृत्य को लोग इतना पसंद करते है. कि इस नृत्य को मयूर नृत्य का नाम दिया गया.

मादा मोरनी एक बार में 3 से 4 अंडे देती है.इनके अंडे का रंग सफ़ेद होता है. इन अन्डो से नवजात मोर का विकास होता है. इसी प्रकार ये बहुत सुन्दर पक्षी होता है.

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