बर्ड फ्लू पर निबंध बिमारी के वायरस नाम क्या हैं लक्षण कारक के बारे में कैसे फैलता है पहचान प्रकार Essay on Bird Flu in Hindi: नववर्ष में एक तरफ भारत कोरोना को मात देने के लिए जद्दोजहद में जुटा हैं तो दूसरी ओर एक और वायरस ने दस्तक दे दी हैं. आपने समाचार पत्रों अथवा टीवी में बर्ड फ़्लू का नाम सुना होगा, जिसके कारण आज देशभर में दहशत का माहौल हैं. दरअसल यह पक्षियों में वायरस के जरिये फैलने वाली एक बिमारी का नाम हैं, जो मनुष्यों तथा जन्तुओं को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं. आज के निबंध में हम बर्ड फ्लू के बारे में विस्तार से अध्य्यन करेंगे.
बर्ड फ्लू पर निबंध Essay on Bird Flu in Hindi
क्या बर्ड फ्लू वायरस बिमारी (What Is Bird Flu In India Information In Hindi)
बर्ड फ़्लू बिमारी इन हिंदी: सरल भाषा में कहे तो यह एक पक्षियों में फैलने वाला फ्लू हैं. जो वायरस के संक्रमण के जरिये एक से दूसरे जीवधारी में फैलता हैं. इसका शिकार अधिकतर पक्षी खासकर मुर्गियां होती हैं.
यह फ्लू अक्सर पक्षियों को प्रभावित करता है, यह पक्षियों से व्यक्तियों में भी फ़ैल सकता है, तथा संक्रामक रोग होने के कारण आगे भी फ़ैल सकता है, इस रोग के लक्षण शुरू के कुछ दिनों में ही दिखने लग जाते है.
यह रोग सामान्य फ्लू की तरह ही होता है. इसमे भी खांसी, बुखार, गला खराब होना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और सांस फूलने की शिकायत आदि लक्षण देखने को मिल सकते है.
भारत के 6 राज्यों में इसका संक्रमण का खतरा काफी बढ़ा हैं जिससे न केवल वहां हजारों पक्षियों की मौत हुई हैं, बल्कि दूसरें देशों से आने वाले पक्षी भी इसकी चपेट में आए हैं. बर्ड फ्लू का दूसरा नाम एवियन फ़्लू भी हैं.
बिमारी की शुरुआत और पूरा इतिहास हिस्ट्री How did bird flu start? What year was the bird flu epidemic?
जैसा कि इतिहास में देखा गया हैं अधिकतर बीमारियों का मूल चीन में ही निकलता हैं. बर्डफ्लू बिमारी का ऑरि जिन भी चाइना ही हैं. पहली बार वर्ष 1997 में हांगकांग में इसका पता लगाया गया था. इसके बाद कुछ ही वर्षों में यह दुनियां के 50 से अधिक देशों में पक्षियों और इंसानों की मदद से पहुँच गया.
H5N1 बर्ड फ्लू का सबसे घातक स्ट्रेन हैं जो जानलेवा हैं. बीमारी का खतरा वैसे तो सभी जीवों में हैं मगर मुर्गियों तथा जंगली पक्षियों के लिए यह सबसे अधिक नुकसानदायक सिद्ध हुआ हैं.
एचपीएआई एशियन एच 5 एन 1 वायरस ट्रांसमिशन संक्रमित पक्षियों से मनुष्यों में हुआ हैं, मगर यह कम्युनिटी स्टेज पर नही पंहुचा, इस कारण इसके कम दुष्परिणाम सामने आए हैं.
बर्ड फ्लू का भारत में असर (Effect of bird flu in India)
बर्ड फ्लू वायरस का नाम एवियन इन्फ्लूएंजा ( H5N1) हैं जो संक्रमित पक्षियों के कान, नाक और मुंह के द्वारा फैलता हैं, ऐसा कोरोना में भी देखा गया हैं.
यदि आप नहीं जानते है तो बता दे यह बिमारी अपनी उत्पत्ति के ठीक 9 साल बाद वर्ष 2006 में भारत में आई. तब से लेकर 2021 तक इसके 250 के करीब एपिसेंटर देखे गये हैं.
भारत के छः राज्यों (राजस्थान , मध्यप्रदेश , हिमाचल प्रदेश , केरल, हरियाणा, गुजरात) में इसने सर्वाधिक कहर ढहाया जिससे हजारों पक्षी मौत के मुहं में चले गये थे.
बर्ड फ्लू यानि एवियन इन्फ्लुएंजा ने 2006 से लेकर आज तक बारी बारी से भारत में अपना प्रभाव दिखाया हैं. वर्ष 2005 को the bird flu year के रूप में भी जाना जाता हैं.
भारत समेत दुनियां के कई देशों में 2021 की शुरुआत के साथ ही फ्लू के नयें मामले सामने आ रहे हैं. बिमारी से पक्षियों और खासकर मुर्गिघर को बचाने के लिए सेफ्टी जॉन का निर्माण किया जाने लगा हैं.जिससे कोई संक्रमित पक्षी फर्म में न आ सके और नयें पक्षियों में इस वायरस का असर न फैले.
बर्ड फ्लू कैसे फैलता है (How Does Bird Flu Spread Between Birds & Human In Hindi)
बर्ड फ्लू बीमारी का कारक इन्फ्लूएंजा विषाणु होता हैं. इस बीमार के अब तक 16 स्ट्रेन (H7N3, H7N7, H7H9, H9N2 और H5N1 ) पहचाने जा चुके हैं.
इनमें से 15 स्ट्रेन केवल पक्षियों एवं H5N1 से मनुष्यों तथा पक्षियों दोनों की जान जाने का खतरा रहता हैं. यह बीमारी संक्रमित पक्षी मल मूत्र, अंडे मांस चिकन आदि से भी फैलती हैं. यदि इंसान इस वायरस की चपेट में आ जाए और समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता हैं तो उसकी मृत्यु तक हो जाती हैं
मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम में इस वायरस का संचरण अधिक होता हैं. इस समय कई विदेशी पक्षी भी भारत प्रवास पर आते हैं. यदि किसी एक प्रवासी पक्षी में भी इसके लक्षण हैं तो यह समस्त भारतीय पक्षियों की जान के लिए खतरा बन सकता हैं.
इंसान संक्रमित पक्षी के स्टूल और यूरिन के सम्पर्क में आकर वायरस से संक्रमित हो सकता हैं. ध्यान रखे आस पास कोई मरा हुआ पक्षी मिले तो उससे दूरी बनाकर रखने भी हमारी भलाई हैं. पक्षियों में बर्ड फ्लू किन किन कारणों के जरिये फैलता हैं वो यह हैं.
- मल के द्वारा
- नाक के स्त्राव के द्वारा
- मुह की लार
- आँखों से निकलने वाले पानी से
इंसानों और पक्षियों में बर्ड फ्लू के क्या लक्षण है (Bird Flu Symptoms In Human & Birds In Hindi)
WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार बर्ड फ्लू का पक्षियों से जानवरों में संक्रमण काफी हद तक मुश्किल हैं, मगर यदि यह वायरस मनुष्य में आ जाता हैं तो जानलेवा हैं. तथा इससे संक्रमण की मृत्यु दर (death rate) हैं.
जो काफी अधिक मानी जाती हैं. यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि कोरोना वायरस (COVID-19) के सम्बन्ध में भी WHO ने अपनी आरम्भिक रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही कहा था जो पूरी तरह गलत सिद्ध हुआ और पूरी दुनियां इस महामारी के चपेट में आ गई.
यह वायरस दूसरे फ्लू वायरस की भांति ही काम करता हैं तथा संक्रमित व्यक्ति के फेफड़े, गले और नाक इन अंगों को बुरी तरह प्रभावित करता हैं. इसके संक्रमण के लक्षण एक स्वस्थ व्यक्ति में एक सप्ताह में देखने को मिल जाते हैं. इसके लक्षण कोरोना वायरस के मिलते जुलते ही हैं.
खासकर उन लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत हैं जो पोल्ट्री फॉर्म के सम्पर्क में रहते हैं. मनुष्यों में यह दो वर्ष से कम आयु के बच्चों तथा 65 वर्ष की आयु से अधिक के वृद्धों एवं गर्भवती महिलाओं अथवा शुगर, बीपी और कैंसर के पीड़ित रोगियों को जल्दी प्रभावित करता हैं.
आमतौर पर बर्ड फ्लू से ग्रसित व्यक्ति के गले में खराश, सूजन या दर्द हो सकता हैं. छींक आना, नाक बहना आदि जुकाम के लक्षण, हल्का हल्का बुखार, मांसपेशियों में दर्द, आँखों में संक्रमण अथवा सांस लेने में तकलीफ सिरदर्द कफ, पेट दर्द या दस्त आदि की समस्या फ्लू रोगी में देखने को मिल सकती हैं. यदि 48 घंटे में इस तरह के लक्षण किसी व्यक्ति में दिखे तो घबराने की बजाय चिकित्सकीय राय लेनी चाहिए.
बर्ड फ्लू का इलाज दवाई (Is there a vaccine for bird flu?)
कोरोना की तुलना में बर्ड फ्लू से लोग अधिक घबराते हैं इसकी वजह फ्लू की अत्यधिक डेथ रेट हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गे नाइजेशन के अनुसार फ्लू से पीड़ित 10 रोगियों में से 6 लोग अपनी जान गवा देते हैं.
इस बीमारी को ठीक करने के लिए कोई ख़ास वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं हैं. मगर समय रहते यदि रोगी को चिकित्सालय पहुचाया जाता हैं तो डोक्टर उन्हें एंटी वायरस देता हैं. ओसेलटमेविर (टैमीफ्लू) वह दवाई हैं जो रोगी के जीवन को बचा सकती हैं.
बर्ड फ्लू से कैसे सावधानी रखे या इसकी रोकथाम के उपाय (How to Take Precautions or Prevention Measures Against Bird Flu)
एवियन बर्ड फ्लू के वर्ष 2013 तक कुल 1568 मानव केस दर्ज किये गये थे, जिनमें 616 लोग अपनी जान गवा चुके थे. वर्ष 2021 में बीमारी ने फिर से अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया हैं.
अच्छी खबर यह हैं कि अभी तक किसी मानवीय जान की क्षति नहीं हुई हैं, फिर भी हमें सावधानी बरतने की आवश्यकता हैं. फ्लू से बचाव के लिए कुछ उपायों को ध्यान में रखे जो इस प्रकार हैं.
- समय समय पर अपने हाथों को साबुन से धोते रहे.
- पक्षियों के स्थान जैसे पोटरी आदि में जाने से बचें, मरे हुए पक्षी से दूरी बनाकर रखे.
- अपने हाथ मुहं कान और आँख पर नहीं लगाएं.
- भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर जाने से परहेज करें.
- संक्रमित व्यक्ति अथवा पक्षी आदि से उचित दूरी बनाकर रखे.
- अंडे, मांस, चिकन आदि न खाएं.
- मास्क पहनकर रखे, अपने शरीर की साफ़ सफाई रखे.
बर्ड फ्लू के प्रकार (two types of bird flu virus)
यदि हम एवियन इन्फ्लूएंजा अर्थात बर्ड फ्लू के कितने प्रकार होते हैं. इसकी बात करें तो यह स्ट्रेन के आधार पर सोलह प्रकार का होता हैं, जिनमें एचवन एनवन सर्वाधिक घातक जिससे मनुष्यों को भी खतरा हैं.
इनहे रोगजनक के आधार पर दो भागों में बांटा जाता हैं, पहला कम रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (एलपीएआई) तथा दूसरा अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (एचपीएआई). एचपीएआई और एलपीएआई दोनों वायरस मुर्गी के झुंड के माध्यम से तेजी से फैल सकते हैं.
फ्लू का जानवरों पर सबसे बुरा असर सूअर पर पड़ता हैं. निम्न रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा ग्रसित मुर्गियों के पंख बिखर जाते हैं और भयावह दिखने लगती हैं, यही इनकी पहचान हैं.
इसकी दूसरी पहचान मुर्गी में यह देखने को मिलती हैं. कि यकायक वह अंडे देने कम कर देती हैं. यह वायरस जनित रोग एक पक्षी से दूसरे पक्षी में आसानी से ट्रांसमिट हो जाता हैं, मगर पुख्ता तौर पर यह नहीं कहा जा सकता हैं कि मनुष्य से मनुष्य में भी इसका संक्रमण फैलता हैं.
उम्मीद करता हूँ दोस्तों बर्ड फ्लू पर निबंध Essay on Bird Flu in Hindi का यह हिंदी निबंध आपकों पसंद आया होगा, यदि आपकों इस लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.