नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत हैं, शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | Essay On Importance Of Games In Hindi इस निबंध में हम जानेगे कि शिक्षा के क्षेत्र के खेलकूद व्यायाम की आवश्यकता स्वरूप उसका महत्व और भूमिका के बारे में पढ़ेगे. स्पोर्ट्स एंड एजुकेशन इन हिंदी एस्से स्पीच भाषण अनुच्छेद बच्चों स्टूडेंट्स के लिए आर्टिकल लिखने में मदद करेगा.
शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | Essay On Importance Of Games In Hindi
एक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षा से भी महत्वपूर्ण उसका खेलकूद होता है. जो खेलकूद करता है. उसका दिमाक हमेशा सबसे तेज होता है. पर खेल आज के समय में चुनौती बन रहे है.
आजकल बच्चे शारीरिक तथा मानसिक खेलो को खेलकर अपने कौशल में उन्नति करने की बजाय मोबाइल फोन या किसी अन्य डिवाइस द्वारा ऑनलाइन गेम खेलते है. जिससे उनकी मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
ऑनलाइन गेम खेलने से किसी प्रकार की शारीरिक क्रिया नहीं होती है. तथा लम्बे समय तक खेलने के कारण बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए आज माता पिता अपने बच्चो को खेल से दूर रख रहे है.
लेकिन माता-पिता को समझना होगा, कि कौनसे खेल बच्चो के लिए लाभदायक है. और कौनसे नहीं जो खेल बच्चो के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते है. वे गेम हमेशा खेलने चाहिए. जिससे मानसिक विकास तथा कुशलता, बौद्धिकता, खेलभावना, नेतृत्व, एकाग्रता और अनुशासन का गुण उत्पन्न हो.
कई माता पिता बच्चो को पढाई से डिस्टर्ब होने के कारण खेलने नहीं देते है, जो उनकी सबसे बड़ी गलती है. जिससे बच्चो में कुशलता के भाव उत्पन्न नहीं होते है. उनका शारीर स्वस्थ नहीं रहता है. कई बड़े तो कई बहुत छोटे रह जाते है.
शिक्षा से भी स्वास्थ्य हमारे लिए जरुरी है. स्वस्थ व्यक्ति कुछ भी कर सकता है. जिसमे वो शिक्षा भी ग्रहण कर सकता है. पर एक बीमार व्यक्ति शिक्षित होकर भी कुछ नहीं कर सकता है.
बच्चो को खेलने के जयादा से ज्यादा अवसर देने चाहिए, पर उन्हें हमेशा ऐसे गेम खेलने की ही अनुमति दी जाए जिससे उनका स्वास्थ्य सही रहे उन्हें खेलने से लाभ मिले. खेल का एक निर्धारित समय होना सबसे जरुरी है.
खेल जीवन में जरुरी है, पर हर चीज की अति नुकसानदायक होती है. उसी प्रकार खेल की अति भी नुकसानदायक हो सकती है. इसलिए खेल का एक निर्धारित समय रखे उसी समय में खेले.
खेलकूद का महत्व
प्रस्तावना: शिक्षा हमारे जीवन के सर्वोत्कृष्ट विकास के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं. व्यक्ति को एक सच्चे मानव के रूप में स्थापित कर मानवता के गुणों को परिस्कृत करना शिक्षा का उद्देश्य होता हैं.
शिक्षा ही हमारे मष्तिष्क का विकास करती हैं तथा हमें स्वस्थ बनाती हैं. जीवन की सार्थकता मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक एवं चारित्रिक विकास में निहित हैं जिसे शिक्षा सम्भव बनाती हैं.
बहुत पुरानी कहावत हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता हैं. शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में आहार, खेलकूद एवं व्यायाम सबसे महत्वपूर्ण हैं.
इसी कारण शिक्षा के साथ खेलकूद को उसके एक अंग के रूप में पाठ्यचर्या का हिस्सा बनाया जाता हैं. हमारे देश के प्रत्येक विद्यालय में खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता हैं, अलग से शारीरिक शिक्षक नियुक्त किये जाते हैं.
हमारे जीवन में खेलों का बड़ा महत्व रहा हैं. प्राचीन काल से ही खेल चलन में थे. सम्भवतः आदि काल में मानव ने समय व्यतीत करने व मनोरंजन के उद्देश्य से खेलों की खोज की होगी.
उस समय मनोरंजन के बेहद सिमित साधन हुआ करते थे. शुरू शुरू में खेलकूद महज मनोरंजन की पूर्ति का साधन था, कालान्तर में यह हमारी जीवन शैली का एक अंग बन गया.
समय बीतने के साथ ही खेलों के स्वरूप बदलते गये नयें नयें खेलों की खोज हुई और आज हम खेलकूद की प्रतियोगिता के जमाने में जी रहे हैं.
खेल खासकर छोटी उम्रः के बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. खेलकूद के आयोजन से न केवल शारीरिक व्यायाम होता हैं बल्कि मानव को मानव से जोड़ने का काम भी करते हैं.
आज के बच्चों के लिए अनगिनत प्रकार के खेल हैं. कुछ घर की चारदीवारी में खेले जाते हैं तो कुछ खेल मैदानों में. इन्टरनेट और मोबाइल फोन के आविष्कार ने ऑनलाइन गेम्स की परिपाटी को शुरू कर दिया हैं जो बेहद लोकप्रिय हैं.
शिक्षा में खेलों का महत्व (Importance of Sports in Hindi)
खेलकूद शिक्षा में अच्छे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अति उपयोगी हैं ही साथ ही कई विद्यार्थी जो खेलों में अत्य धिक रूचि रखते हैं वे इसमें अपना करियर भी बना सकते हैं.
देश के लिए विदेशों में खेलना बड़े गर्व की बात होती हैं. हमारे गाँवों के कई बच्चें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का तिरंगा लहरा रहे हैं. क्रिकेट का ही उदाहरण ले लीजिए कई बड़े स्टार खिलाडियों ने न केवल मान सम्मान, धन दौलत कमाई बल्कि इन सबसे बढ़कर विश्व भर में भारत की शान को बढ़ाया हैं.
वैसे हम बालक को जन्म से ही देखे तो वह खेलकूद के साथ सहज रूप से सीखता जाता हैं. घर के आंगन में ही उसकी उछल कूद से ही आरम्भिक शिक्षा शुरू हो जाती हैं.
वह अपने माता-पिता मित्रों तथा परिवेश को समझने लगता हैं. छोटी उम्रः के बच्चों को खेल विधियों की मदद से पढाया जाता हैं. खेल खेल में शिक्षा शुरू हो जाती हैं.
उनके खिलौने से कुछ नया करने और भौतिक चीजों को समझने के दृष्टिकोण और उसमें सामजस्य बिठाने की क्षमता का विकास हो जाता हैं. खेलकूद में रूचि रखने वाले बालक शारीरिक एवं मानसिक रूप से तन्दुरस्त बनते हैं. उसकी शारीरिक शक्ति में वृद्धि होने लगती हैं.
मांसपेशियों का समुचित विकास होने लगता हैं. चुस्ती और फुर्तीलापन भी आता हैं. साथ ही बालक जब खेल मैदान में खेलता हैं तो कई बार उनके चेहरे पर झलकती ख़ुशी, हंसी मुस्कान उसे तनाव से भी बचाएं रखती हैं.
वह जीवन में भी नियम कायदों को मानने के लिए स्व प्रेरित होता हैं. अनुशासन की नींव खेलों के माध्यम से ही बच्चों में रखी जा सकती हैं. अन्य कई मानवीय गुण जैसे सहयोग, मदद, स्व नियंत्रण, आत्मविश्वास, बलिदान, गलतियों में सुधार आदि का विकास होता जाता हैं.
वह संकीर्ण मानसिकता से हटकर खुले दिमाग से सोचने लगता हैं. सिद्धांत आधारित खेलों का प्रत्यक्ष प्रभाव उनके जीवन में भी देखने को मिलता हैं. जो बालक थके हारे और हमेशा मायूस नजर आते हैं वे ठीक से अध्ययन में भी मन नहीं लगा पाते हैं. ऐसे बच्चों को खेलकूद के प्रति आकर्षित करके बड़ा बदलाव किया जा सकता हैं.
खेलों की आवश्यकता- शिक्षा को जीवनोपयोगी और रोचक बनाने के लिए इसमें खेलकूद की महत्वपूर्ण भूमिका हैं. जो कुछ ज्ञान हम किताबों में सीखते हैं उन्हें खेल के मैदान में जीवन में अपनाने की कोशिश करता हैं.
खेल से मस्तिष्क और बुद्धि का तीव्र विकास होता हैं. हर समय पढ़ते रहने से तनाव भी हावी होने लगता हैं, ऐसे में खेलकूद ही उसे तनाव मुक्त करती हैं. खेलों के माध्यम से हम अपनी गलतियों तथा मजबूत पक्ष को भी समझने लगते हैं तथा धीरे धीरे उनमें सुधार की कोशिश भी करता हैं.
उनका यह गुण शिक्षा भी बेहद कारगर साबित होता हैं. खेलकूद और शिक्षा को एक दुसरे से अलग नहीं किया जा सकता हैं. बच्चों को खेलकूद की तरफ अग्रसर करते रहना चाहिए जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहे और जीवन भर सीखने की गति को बरकरार रख सके.
खेलों के लाभ- खेलकूद में भाग लेने से बालक की एकाग्र चित्त क्षमता में वृद्धि होती हैं. अपने साथियों के साथ मित्रवत भाईचारे का व्यवहार और सद्भावना के गुण खेल के मैदान में अपनाता हैं.
जीवन में समय के सदुपयोग की सीख भी बच्चें खेलकूद के जरिये सीखते हैं. अनुशासन, प्रतिस्पर्धा और हार के गम को झेलना और ख़ुशी को स्वीकार करने की क्षमता का विकास होता हैं. पढाई के साथ साथ खेलकूद देश के भविष्य को स्वस्थ और बहुत मजबूत बनाता हैं.
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