मेरे माता पिता पर निबंध Short Essay on Parents in Hindi इस संसार का सबसे बेहतर रिश्ता माँ बाप का होता है. माता पिता हर समय अपने बच्चे को बेहतर बनाने के लिए खुद को झोंक देते है. आज हम भगवान रूपी माता पिता के बारे में पढेंगे.
माता पिता पर निबंध Essay on Parents in Hindi
हमें इस संसार में लाने वाले तथा जीवन में हर परस्थिति में हमारा साथ देने वाले माता पिता हमारे लिए भगवान है. जो हमें भगवान द्वारा उपहार के रूप में प्राप्त है.
हमारे जीवन में माता पिता का स्थान सर्वोपरि माना गया है. माता पिता जीवनभर अपने बच्चो को प्यार देते है. उन्हें बड़ा करते है. तथा उनकी हर सुविधा बन जाते है.
माता पिता पूजनीय है, जो हमें भगवान से भी बढ़कर सुख सुविधाए प्रदान करते है. माता पिता बच्चो की ख़ुशी की लिए किसी भी हद तक जा सकते है. अपनी हर ख़ुशी का त्याग कर माता पिता अपने बच्चो को ख़ुशी देते है.
बच्चे किस भी आयु के हो चाहे बूढ़े हो जाए पर माँ बाप हमेशा उनकी फिकर करते रहते है. इस जीवन का सबसे पवित्र तथा जन्म सिद्ध रिश्ता माता पिता का ही होता है. पर कुछ बच्चे इस प्यार के रिश्ते को सह नहीं पाते है.
माता पिता ही वे इन्शान होते है, जो सबसे ज्यादा उम्मीदे रखते है. माता पिता बच्चे के पहले दोस्त होते है. माता पिता ही हमें संस्कार देते है. इस संसार में सच्चाई से चलना सिखाते है.
माता पिता अंतिम सांसो तक अपने बच्चो का ख्याल रखते है, इस पर हमारा भी फर्ज बनता है, कि हम भी जीवन भर माता पिता की सेवा करें. तथा उन्हें सम्मान दें. इस जीवन में जन्नत माता पिता ही है.
आधुनिक जमाना कुछ अलग ही रवैया का है. भगवान से मिलने के लिए मंदिरों में जाते है, और घर में बैठे भगवान को वृद्धाश्रम में छोड़ देते है, जो उनके जीवन का सबसे बुरा कर्म होता है.
माता पिता ही हमारे सच्चे जीवन साथी है, इसलिए हमें इनका सम्मान करना चाहिए. माता पिता की सेवा करनी चाहिए. इनकी इच्छाओ को पूरा करना चाहिए. इस संसार के हम भाग्यशाली इन्शान है, हमारे पास माता पिता है.
मनुष्य जीवन मे माता-पिता को परमात्मा की संज्ञा दी गई है। हर इंसान के लिए उसके जीवन मे माता-पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं होता है।
माता पिता पर निबंध- Essay on Parents in Hindi
माता-पिता अपने बच्चे को निस्वार्थ भाव के साथ उनका लालन-पालन करते है। माता-पिता अपने बच्चे की खुशी को अपनी खुशी तथा दुख को अपना दुख समझते है। वे अपने बच्चो की खुशी के लिए अपनी खुशियो को त्याग देते है।
हमारी बाल्यावस्था और माता- पिता
व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा क्यू-न बन जाए परंतु वह पता-पिता के लिए तो एक छोटा, प्यारा बच्चा ही तो होता है। इस दुनिया मे ऐसा कोई रिश्ता नहीं होता है।
जो माता-पिता के लिए अपने बच्चे का होता है। माता-पिता ही ऐसे इंसान होते है। जो खुद से भी ज्यादा अपने बच्चे को बड़ा बनाना चाहते है। इसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार होते है। वे बच्चे की हर इच्छा को पूरा करते है।
माता-पिता अपने बच्चे के लिए रात-दिन कठोर मेहनत करके उन्हे पढ़ाते है। तथा बच्चे की हर मुसीबत को अपनी मुसीबत समझकर उसका हल निकालते है।
माता-पिता हमे नया जीवन देते है।, हमे बड़ा करते है।, हमे अच्छे संस्कार देते है। तथा हमे इस समाज मे खुशी से रहने योग्य बनाते है। हमे अपने माता-पिता का कर्ज कभी-भी नहीं चुका सकते है।
हमारी युवा अवस्था
माता-पिता अपने बच्चे को जन्म से लेकर युवावस्था तक उनके जीवन के भविष्य, विवाह तथा नौकरी की चिंता माता-पिता पर बनी रहती है।
माता-पिता अपने बच्चो से कई आशाएँ रखते है। जैसे- अच्छी पढ़ाई करके नौकरी करना, सभी से साथ अच्छा व्यवहार करना, माता पिता के लिए बुढ़ापे की लाठी बनना आदि। आशाएँ माता-पिता अपनी संतान से रखती है।
माता-पिता की इन आशाओ को पूरा करने पर वे बहुत ही ज्यादा खुशी महसूस करते है। परंतु आज के जमाने के कई बच्चे माता-पिता की इन आशाओ को ठुकराकर माता-पिता का अपमान करते है। जिससे माता-पिता का दिल दुखी होता है।
हमारी वृद्धा अवस्था और माता पिता
इस संसार मे एक नियम चलता है। जो व्यक्ति जन्म लेता है। उसे इस संसार को विदा करना पड़ता है। मनुष्य जीवन मे कम लोग ही अपने माता-पिता के साथ बुढ़ापे तक रह पाते है। माता-पिता के लिए बुढ़ापे तक अपनी संतान की फिक्र रहती है।
व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाने पर भी वह अपने माता-पिता के लिए वह एक बालक होता है। अपने बच्चे से सबसे ज्यादा प्यार उनकी माता के आंखो मे देखा जाता है।
कई लोग मतलबी होते है। वो अपनी पत्नी को माता से भी ज्यादा महत्व देते है। जिसका उन्हे समय के अनुसार ज्ञान हो जाता है।
माता पिता की वृद्धा अवस्था
आज के जमाने के लोग माता-पिता के महत्व को भूल जाते है। माता-पिता का हमारे प्रति प्यार सभी को भूलकर अपने माता-पिता को वृदाश्रम मे छोड़ देते है।
ऐसे लोगो को धिक्कार जो अपने ही माता-पिता की सेवा नहीं कर सकते उन लोगो का इस संसार मे रहने का कोई महत्व नहीं है।
यदि माता-पिता ने हमे छोड़ दिया होता तो क्या हम बड़े होते? इसका सीधा-सा उत्तर है।-नहीं। हमे अपने माता-पिता ने बहुत खुश रखा हमारी सेवा की तो हमे उनका कर्ज उतारने का एकमात्र मौका मिलता है। हमे इसे नहीं छोड़ना चाहिए।
हमे उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए। उन्हे हर समय खुश रखना चाहिए। हमे उनका सम्मान करना चाहिए। हमे अपने जीवन मे माता-पिता की सेवा करना चाहिए। जो कि हमारा प्रथम कर्तव्य माना जाता है।
हमारे जीवन मे माता-पिता का कर्ज
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की देन माता-पिता ही है। एक दिन भगवान को भी माता ने जन्म दिया था। माता-पिता हमे जन्म से लेकर बड़े होने तक हमारी देखभाल करते है।
हर परिस्थिति मे हमारा साथ देते है। उन माता-पिता का कर्ज हम कैसे भूल सकते है। हम अपने पूरे जीवन मे माता-पिता की सेवा करने पर भी इस कर्ज को हम चाहकर भी नहीं उतार सकते है।
इसलिए हमे माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। उनका हर समय साथ देना चाहिए। उनके प्रति प्रेम की भावना रखनी चाहिए।
इस दुनिया कई ऐसे लोग भी होते है। जिन्हे अपने माता-पिता के साथ रहना नसीब नहीं होता है। वे अपने माता-पिता को छोड़ देते है। तथा खुद के कल्याण के लिए तीर्थ यात्राएं करते है।
ऐसे लोगो को मौत भी नहीं मिलती है। उन्हे अपने जीवन मे कई ठोकरे खानी पड़ती है। ऐसे लोगो से मेरा कहना है। कि यात्राएं करने से पुण्य नहीं होता है।
अपने माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा पुण्य है। एक मारवाड़ी कहावत है- ''माता-पिता री करोला सेवा तो पावो ला मिश्री ने मेवा'' अर्थात- माता-पिता की सेवा करने से जीवन सफल हो जाता है।
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