सेवा पर निबंध Essay On Service In Hindi
हमारी सभ्यता तथा संस्कृति के विकास के शुरुआती दौर पर नजर डालें तो पता चलता है। कि सेवा का भाव प्राचीन काल से ही मानव स्वभाव तथा आचरण का अभिन्न अंग रहा है।
हालांकि विभिन्न कालों में हमारे पूर्वजों ने संघर्ष तथा जीवन के मध्य बेहतरीन सामंजस्य स्थापित करने तथा अपनी संस्कृति को बचाए रखने के अद्भुत प्रयास हमें उनकी सेवा भावना से अवगत करवाते हैं।
सेवा के कई रूपों को समाज में देखा जा सकता है। मानव सेवा को हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। समाज सेवा सर्वाधिक प्रचलित रूप में उभर कर सामने आता है।
वर्तमान दौर में एक विद्यार्थी से लेकर नेता तथा साधु संत समाज सेवा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं।
निस्वार्थ भाव से की गई सेवा हृदय परिवर्तन का प्रमुख साधन है। निस्वार्थ कर्तव्य रूपी सेवा भावना को गीता तथा गांधी जी ने भी समर्थन दिया है।
समाज सेवा व्यक्ति को सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध करवाती है। साथ ही साथ व्यक्ति को समाज के द्वारा जन्म से लेकर कामयाबी तक के सफर में जो अमूल्य तथा बेजोड़ सहयोग किया जाता है। उससे उऋण होने का मौका भी मिलता है।
सेवा का भाव व्यक्ति को जीवन में सर्वाधिक आत्म संतोष प्रदान करने के साथ साथ self मोटिवेशन अथवा आत्म प्रेरणा का भाव जागृत भी करता है। सेवा का भाव व्यक्ति को नेतृत्व करने की क्षमता प्रदान करता है।
सेवा भाव से प्रेरित व्यक्ति अच्छे लीडर बन कर सामने आते हैं और समाज के अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन जाते हैं।
सेवा करने के लिए आमतौर पर ऐसी धारणा प्रचलन में है कि अमीर बन कर या फिर अधिक उम्र होने पर ही सेवा की जा सकती है। परंतु यह निराधार है। क्योंकि सेवा का कोई निश्चित स्वरूप या सीमा नहीं है.
सेवा के क्षेत्र असीम तथा विस्तृत है। एक छोटे बालक से लेकर विद्यार्थी जीवन तथा उसके बाद जीवन के हर मोड़ पर अलग-अलग रूपों में सेवा की जा सकती है।
उदाहरण के लिए देखें तो बाढ़ तथा अकाल या महामारी के समय उद्योगपति लोग पूंजी का दान करते हैं वही सरकार तथा प्रशासनिक व्यवस्थाएं बचाव और राहत कार्यों में लग जाती है.
ऐसे समय में आम नागरिक भी अपने स्तर पर ऐसे कदम भी उठा सकते हैं।जो राहत तथा बचाव कार्यों को तेजी प्रदान कर सकते हैं या फिर जागरूकता फैला सकते हैं।
समाज के अंतिम तबके के लोगों तथा गरीब असहाय व विकलांग व्यक्तियों के लिए की गई छोटी-छोटी सहायता एं डूबते को तिनके का सहारा का काम कर जाती है।
हमारे देश में 30% जनसंख्या आज भी निरक्षर है। जिसके चलते ये लोग सरकारी योजनाओं तथा कार्यक्रमों का लाभ नहीं उठा पाते तथा तकनीकी दौर में दैनिक जीवन के डिजिटल कार्यों में अनेक परेशानियों का सामना करते हैं ऐसे लोगों की छोटी-छोटी सहायता ओं द्वारा उनको उनका हक दिलाया जा सकता है।
वर्तमान में भारत की जनसंख्या 135 करोड़ के आसपास हो गई है। ऐसे में परिवार नियोजन तथा जनसंख्या नियंत्रण संबंधी जागरूकता के अभाव में विभिन्न प्रकार की चुनौतियां उभर कर सामने आ रही है।
एक जागरूक नागरिक होने के नाते ग्रामीण तथा पिछड़े इलाकों में परिवार नियोजन संबंधी जागरूकता का प्रचार करते समाज तथा राष्ट्रीय सेवा के उत्तरदायित्व का निर्वहन किया जा सकता है। जनसंख्या नियंत्रण से विभिन्न प्रकार के बेनिफिट्स देखने को मिलेंगे।
हमारे समाज तथा धर्म में भी विभिन्न प्रकार के अंधविश्वास आडंबर कुरीतियां विद्यमान है। जिनको लंबे समय से गलत तरीके से समाज में प्रस्तुत किया जा रहा है अब आवश्यकता है की इन सबसे निपट कर समाज को नई दिशा व दशा प्रदान की जाए विभिन्न संगठन तथा समूह इस दिशा में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं।
सेवा के उपर्युक्त उत्कृष्ट रूपों के द्वारा समाज में नवीन क्रांति का आगाज हो सकता है। स्वस्थ भारत अभियान जैसे कई कार्यक्रमों को जन जन तक पहुंचा कर तथा आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करके राष्ट्रीय सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है हमारे आदि ग्रंथों में कहा गया है.
पहला सुख निरोगी काया इसलिए स्वच्छता ही स्वास्थ्य का निर्धारक है सार्वजनिक स्थलों की स्वच्छता का ध्यान तथा लोगों को इसके फायदों से अवगत करवा कर उन्हें प्रेरित किया जा सकता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है तथा भारत विश्व की महाशक्ति बने इसके लिए आवश्यक है। कि भारतीय कृषि को नवीन तकनीकों से जोड़ा जाए परंतु दुर्भाग्य है.
हमारे देश में अधिकतर किसानों का साक्षर ना होना कृषि के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तनों को सीमित कर रहे हैं ऐसे में किसानों को नवीन तकनीकों के बारे में बताकर राष्ट्र सेवा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है इससे ना केवल किसान समृद्ध होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां प्राप्त होगी।
सेवा करने के लिए सबसे प्रमुख गुणों में सहनशीलता तथा धैर्य का होना परम आवश्यक है इनके साथ ही ईमानदारी ,समर्पण ,विनम्रता ,आत्मविश्वास, करुणा ,दया जैसे विलक्षण गुणों से युक्त व्यक्ति निस्वार्थ भाव से सेवा कर सकता है।
निस्वार्थ भाव से की गई सेवा व्यक्ति को नई पहचान प्रदान करती है तथा समाज में समरसता व भाईचारे को बढ़ावा देती है।
देश के विभिन्न भागों मे बहुत-सी सामाजिक धार्मिक संस्थाएं व संगठन तथा स्वयंसेवक संघ समाज सेवा के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दे रहे हैं.
इससे पहले भी आर्य समाज ,ब्रह्म समाज तथा रामकृष्ण मिशन जैसे कई संगठनों ने समाज सेवा के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किए थे तथा समाज को नई दिशा प्रदान की।
सेवा के लिए संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले समाज सुधारको में मदर टेरेसा ,ज्योतिबा फुले ,स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती, राजा राममोहन राय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, महात्मा गांधी जैसे हजारों महापुरुषों ने अपना जीवन समाज कल्याण तथा उत्थान में लगा दिया।
Essay On Spirit Of Service In Hindi
सेवा भावना वह मनः स्थिति है जिसमें कार्य किसी लाभ या स्वार्थ को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता बल्कि इस भावना के साथ किया जाता है कि यह मेरी नैतिक जिम्मेदारी है.
लोकसेवा में इसका अर्थ यह है कि वेतन और सुविधाओं पर विशेष ध्यान न देते हुए इस भाव से काम करना कि मैं अपनी शक्तियों का अधिकतम उपयोग सामाजिक कल्याण को साधनों में कैसे कर सकता हूँ.
सेवा भावना के विशेष लक्षण है
- कार्य में ही आनन्द मिलना
- यह नहीं सोचना कि मैं समाज को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहा हूँ, बल्कि यह सोचना कि समाज के लिए कार्य करके मैं खुद को बेहतर बना सकता हूँ.
- मन में यह भावना बनाए रखना कि मैं जो कुछ हूँ समाज के कारण हूँ इसलिए समाज के प्रति कार्य करना प्रमाणिक जीवन जीने की शर्त हैं.