जल ही जीवन है पर निबंध Essay On Water is life in hindi
हमारे संपूर्ण ब्रहमांड में पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव हुआ है। जीवन के लिए प्रमुख आवश्यक तत्वों में जल तथा हवा है। इसीलिए कहा जाता है जल ही जीवन है ,जल है तो कल है या फिर यूं कहें कि जीवन ही जल है तो गलत नहीं होगा।
जल का प्रयोग हम सुबह उठने से लेकर शाम को सोने तक प्रत्येक कार्य में करते हैं। हम ही नहीं पृथ्वी पर पाए जाने वाले संपूर्ण जीवो तथा वनस्पतियों के लिए भी जल उतना ही महत्वपूर्ण है। हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बनता है । जिसमें जल भी महत्वपूर्ण तत्व है। जल के पर्यायवाची शब्दों में या दूसरे शब्दों में जल को अंबु ,वारि,पानी ,नीर भी कहा जाता है।
जल ही जीवन है तथा जीवन का आधार ही जल है इसलिए जल के महत्व को समझना हमारे लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि जब तक हम जल के महत्व को नहीं पहचानेंगे तब तक इसके संरक्षण जैसे विषयों के बारे में जागरूकता कैसे संभव है।
दैनिक कार्यों में जल उपयोगी होने के साथ ही जल के बिना कृषि कार्य भी संभव नहीं है। उद्योगों के लिए भी जल एक आवश्यक संसाधन है। अर्थात जीवन के प्रत्येक पहलू में जल युगांतकारी भूमिका में रहता है ।
आइए अब कुछ आंकड़ों के द्वारा जानते हैं कि जल कितना और किस प्रकार महत्वपूर्ण है। हमारी पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल है। जिसमें से अधिकांश जल प्रदूषित तथा लवणीय है जो महासागरों में पाया जाता है । परंतु दुर्भाग्यवश शुद्ध जल या दूसरे शब्दों में पीने योग्य जल मात्र 2% है जो ग्लेशियर झीलो तथा नदियों तालाबों में विद्यमान है। और यह निरंतर कम हो रहा है। हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जल की पर्याप्तता से मस्तिष्क का विकास सुचारू रूप से होता है।
भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देशों में आप लोगों ने देखा होगा या समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला होगा कि गर्मी के मौसम में देश के विभिन्न हिस्सों में पीने के पानी की किल्लत देखी जाती है। ऐसा माना जाता है कि एक व्यक्ति बिना पानी के केवल 3 से 4 दिन तक ही जीवित रह सकता है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि हमारे जीवन के लिए जल कितना महत्वपूर्ण है।
जल समाप्त हो जाए तो क्या होगा
कल्पना करके देखिए कि पृथ्वी से जल अगर समाप्त हो जाता है तो क्या होगा। हालांकि ऐसा कभी होगा नहीं क्योंकि जल एक सक्रिय संसाधन है जो कभी समाप्त नहीं होता। परंतु जल के अभाव में ना तो जीवन संभव है और ना ही किसी प्रकार की विकास की गतिविधियां। पेड़ पौधों तथा जीव जंतुओं के लिए भी जल अति आवश्यक है। इसलिए उनका जीवित रहना भी कठिन हो जाएगा। जल के अभाव में हमारी हरी-भरी पृथ्वी उजड़ जाएगी। उसके बाद हमारी पृथ्वी वरना तो ऑक्सीजन रहेगी और ना ही जीवन। अर्थात यह कहा जा सकता है कि जल के अभाव में हमारी पृथ्वी दूसरे ग्रहों की तरह दिखाई देगी ।
हमारी पृथ्वी पर विद्यमान 2% पीने योग्य जल भी कम नहीं है अगर इसका विवेक के साथ उपयोग किया जाए तो यह भी काफी है। हमें जल संरक्षण को बढ़ावा देना होगा। जल के सुव्यवस्थित उपयोग के द्वारा हम इस बेहद कीमती प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण कर सकते हैं। विभिन्न सर्वे बताते हैं कि हम 98 प्रतिशत जल पीने और खाना बनाने के अलावा उपयोग लेते हैं।
इस तरह हम जल का अपव्यय अधिक मात्रा में करते हैं। आइए आप जानते हैं कि जल के अपव्यय को कैसे रोका जा सकता है।
1. हम सभी को जल के समुचित उपयोग की शपथ लेनी चाहिए तथा अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए।
2. प्रतिदिन के कार्यों में हम जल को थोड़ा-थोड़ा बचा कर जल का संरक्षण कर सकते हैं। कहा जाता है कि बूंद बूंद से घड़ा भरता है इसलिए प्रतिदिन बचाया गया थोड़ा-थोड़ा जल वर्षों बाद बड़ी मात्रा में संरक्षित होगा।
3. वर्षा जल संग्रहण करना चाहिए। वर्षा जल के संग्रहण के लिए अनेक तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। जिसमें तालाब बांध टांके नाडिया बहुत सी प्रचलित की प्रचलित विधियां हैं।
4 वर्षा के जल को पेड़ पौधों तक भी पहुंचाया जा सकता है।
5. भूमिगत जल स्तर को बढ़ावा देने में भी वर्षा के जल का प्रयोग किया जा सकता है।
6. जल की सप्लाई वाले पाइप फट जाने तथा इनके रिसाव के चलते भी जल का अपव्यय बड़ी मात्रा में होता है। इनको समय पर ठीक करके जल का बचाव किया जा सकता है ।
7. अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर वर्षा की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। सघन वृक्षारोपण से मृदा अपरदन भी कम होगा तथा साथ ही साथ पर्यावरण भी अधिक शुद्ध रहेगा।
8. जल प्रदूषण एक विकराल समस्या है इससे निजात पाना हमारे लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जल प्रदूषण उपयोगी जल में कमी तो करता ही है साथ ही साथ अनेक बीमारियों को भी जन्म देता है। जल प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में उद्योग तथा अविवेकी मानवीय गतिविधियां शामिल है।
समय रहते जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर बल नहीं दिया गया तो हम आने वाली पीढ़ियों को जो तोहफा देने जा रहे हैं वह उनके लिए अत्यधिक घातक सिद्ध होगा। आने वाली पीढ़ियां जल के लिए संघर्ष करेगी। कुछ चिंतकों ने यहां तक भविष्यवाणी कर दी है कि तीसरा विश्व युद्ध जल के लिए लड़ा जाएगा। जरा सोचिए की जल की कमी के कारण विश्व युद्ध भी हो सकता है तो हमें आवश्यकता है जल का सदुपयोग करने की।
अतः कहा जा सकता है की जल संरक्षण के बहुत से तरीके हैं। प्रत्येक व्यक्ति जल संरक्षण में अपना योगदान दे सकता है। समय रहते जल का संरक्षण तथा सदुपयोग नहीं किया जाता है तो वह दिन दूर नहीं है जब हमें पीने के लिए जल भी पेट्रोलियम पदार्थों की तरह खरीदना पड़े.