श्रम का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Labour in Hindi
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है.मनुष्य को अपने जीवन को व्यापन करने के लिए श्रम करना पड़ता है.श्रम से बढ़कर कोई संपत्ति नहीं है.श्रम कर हम धन को कमा सकते है. श्रम ही कर्म है. और जब कर्म की बात आती है. तो कर्म के बिना इस संसार में कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है. श्रम से बड़ा कोई धर्म नहीं है.
हर व्यक्ति को श्रम ,करना पड़ता है.पर कई लोगो को अत्यधिक श्रम करना पड़ता है.और कई लोगो कम पर जो ज्यादा श्रम करते है.वे ज्यादा धन कमाते है.और जो कम श्रम करते है.
वे कम धन के भागीदार होते है.आज हमारे देश में जगह-जगह पर सडको का निर्माण किया जा रहा है.कुँए तालाब बावड़ी आदि की मरम्मत करने के लिए श्रम की जरुरत होती है.और श्रम के बदले में हमें धन की प्राप्ति होती है.
श्रम हमारे जीवन का आधार है.श्रम से ही जीवन को आसानी से जिया जा सकता है.श्रम को हम कर्म ही मान सकते है.जो कर्म करता है.वह इस संसार में हमेशा विजय रहता है.
कर्म करने वाले व्यक्ति का जीवन स्वर्ग के सामान होता है.क्योकि वह हर समय अपने कार्य में ही लगा रहता है.बिना कर्म इस संसार में हमारा कोई महत्व नहीं है.
श्रम दो प्रकार के होते है.
- सामाजिक श्रम
- मानसिक श्रम
व्यक्ति को श्रम से धन से साथ-साथ सम्मान भी मिलता है. श्रम करने वाला व्यक्ति हमेशा अच्छी सोच रखता है.और अपने जीवन में उन्नति करता है.
श्रम के माध्यम से रंक भी राजा बन सकता है.और बिन श्रम राजा को भी रंक बनना पड़ता है.इस संसार में श्रम करने वाला भगवान् होता है.श्रम करने वाला व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है.
वह किसी पर निर्भर नहीं रहता है.वह अपना कार्य खुद करता है.और ऐसे लोगो को ही सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति माना जाता है.
जो व्यक्ति हमेशा श्रम करता है.वह किसी भी कार्य को आसानी से कर सकता है.एक व्यक्ति जो हर रोज मेहनत करता है.और दूसरा व्यक्ति जो कभी कभी मेहनत करता है.
इसमे यदि तुलना की जाए.तो निसंदेह रूप से रोज मेहनत करने वाला ही आगे बढेगा.जो ज्यादा अभ्यास करता है.वह ज्यादा मजबूत हो जाता है.
श्रम को निरंतर करना चाहिए.जिससे हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें. इसमे आप खरगोश और कछुए की कहानी को जोड़ सकते है.
जिसमे खरगोश अपनी तेज गति का घमंड करता है. और आगे जाकर सो जाता है.दूसरी तरफ कछुआ अपनी निरंतर गति के साथ चलता है.और खरगोश जैसे तेज जानवर को भी हरा देता है.इसलिए हमेशा निरंतर परिश्रम करना चाहिए.
हमेशा अपने जीवन में एक बात याद रखना कि कभी भी अपने कार्य को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए.जिस कार्य की शुरुआत की है.उसे पूर्ण करना चाहिए.
हमें हर कार्य को एक बार करने से सफलता मिल जाए.ये जरुरी नहीं है.कई बार हजारो ठोकरे खानी पड़ती है.पर जो अपने परिश्रम को नहीं छोड़ता है.निरंतर अपने लक्ष्य की और आगे बढता है.वह जरुर अपनी सफलता तक पहुँच जाता है.
सफलता का मूल मंत्र श्रम ही है.जो समय पर श्रम करता है.वह आसानी से सफलता प्राप्त करता है.और जो श्रम नहीं करता है.और अपने जीवन की शुरुआत में ही मौज-मस्ती करता है.
वह हमेशा के लिए खुद को श्रम में झोंक देता है.पर ये श्रम कुछ अलग किस्म का है.ये श्रम समय के गंवाने के बाद किया जाने वाला श्रम है.इसलिए तो कहा जाता है.कि समय पर किया गया कार्य हमें अपनी सफलता तक ले जाता है.
हमारे देश के अमीर लोग रतन टाटा,मुकेश अम्बानी तथा बिरला जैसे अनेक लोग हुए है.जो आज अपनी धन संपदाओं के कारण प्रसिद्ध है.पर इनके जीवन की शुरुआत देखे तो सभी गरीब ही थे.और अपने श्रम के बल पर आज सभी इस मुकाम तक पहुंचे है.
बिन मेहनत कुछ भी नहीं मिलता है.कई बार मेहनत करने पर भी सफलता नहीं मिलती है.पर जो मेहनत करता है.उसे एक दिन जरुर सफलता मिलती है.यदि वह निरंतर प्रयास करता है.
जो भी व्यक्ति आज विश्व प्रसिद्ध है.उन सभी ने मेहनत से ही अपनी ख्याति प्राप्त की है.जिसमे-गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार से संघर्ष किया,रॉबर्ट हुक ने अनेक खोजे की,कल्पना चावला ने अन्तरिक्ष में कदम रखा आदि अनेक उदहारण है.इन सभी ने अपनी निरंतर श्रम,अभ्यास तथा अपनी मजबूत सोच के बल पर ये कार्य कर सकें.
हर व्यक्ति को जीवन में सफलत के लीर श्रम आवश्यक होता है.इसलिए कहा जाता है.''कर्म ही सफलता की कुंजी है'' हमें अपने जीवन में श्रम करते रहना चाहिए.
जब कर्म होगा.तो जरुर सफलता भी हाथ में होगी.श्रम से महत्वपूर्ण वस्तु इस संसार में नहीं है.श्रम से ही कर्म है.और कर्म से ही जीवन.
श्रम जीविका के साधन से साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है.जो लोग श्रम नहीं करते है.वे हमेशा नकारात्मक विचारो में उलझे रहते है.
और जो हर समय श्रम करते है.वे अपने कर्म को ही अपना धर्म समझते है.हमेशा श्रम से मन व्यस्त रहता है. इसलिए कर्म से मन शांत रहता है.मन की आंतरिक शांति के लिए भी श्रम महत्वपूर्ण है.
हमारे पूर्वज भी मेहनती होते थे.इसलिए उन्होंने अंग्रेजो को देश से भगाया.अंग्रेज हमेशा आलच में रहते थे.वे न ही किसी से संघर्ष करना चाहते थे.और न ही किसी से युद्ध इसी का फायदा उठाते हुए भारतीयों ने अपने श्रम का प्रयोग कर ब्रिटिश सरकार को देश से भगाया.