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पतेती पर निबंध | Pateti festival essay hindi

पतेती पर निबंध Pateti festival essay in hindi हमारे देश में सभी धर्मो  को सामान माना जाता है, सभी धर्मो के लोग अपने त्योहारों को स्वतंत्रता के साथ मनाते है, आज के आर्टिकल में हम पारसी धर्म के पतेती त्यौहार के बारे में पढेंगे.

पतेती पर निबंध | Pateti festival essay in hindi

हमारे देश में अनेक धर्मो के लोग निवास करते है, हिन्दू, मुस्लिम,सिक्ख,इसाई तथा पारसी प्रमुख है. कई धर्मो की जनसंख्या कम है, तो कई धर्मो की ज्यादा पर हमारे देश में सभी को समान रूप से देखा जाता है. सभी धर्मो का सम्मान किया जाता है.

जिस प्रकार हिन्दू लोग होली दिवाली और दशहरा मनाते है, मुस्लिम ईद,क्रिसमस उसी प्रकार पारसी लोग पतेती त्यौहार मनाते है. ये त्यौहार बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है.

पारसी धर्म के लोग भारत में बहुत कम ही है, फिर भी पतेती त्यौहार को बेहतर ढंग से मनाते है. ये त्यौहार पारसी धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार है. ये त्यौहार हर वर्ष 19 अगस्त को मनाया जाता है.

पारसी धर्म के सबसे ज्यादा अनुनायी भारत में रहते है. आज से 3 हजार साल पूर्व पारसी लोग ईरान में रहते थे. पर धर्म परिवर्तन के कारण अधिकांश पारसी लोगो को अपना धर्म त्याग करना पड़ा.

धर्म परिवर्तन का विरोध करने वाले पारसी लोगो के खिलाफ अत्याचार किया गया. इस समय पारसी लोग भारत में आ बसे और अपने धर्म की रक्षा की थी. वर्तमान में पारसी धर्म की भारत में जनसंख्या लाख है.

जिस प्रकार चैत्र शिवरात्रि से हिन्दू धर्म का नववर्ष शुरू होता है, उसी प्रकार पारसी धर्म का नववर्ष पतेती त्यौहार से शुरू होता है. जिसे पारसी लोग नवरोज या नववर्ष कहते है.

पतेती त्यौहार अपनी गलतियों पर पछताने का दिन है. पतेती के दिन सभी लोग सम्पूर्ण वर्ष की गलतियों तथा किसी का भला बुरा कहने पर माफ़ी मागते है. तथा इस दिन खुद की गलती स्वीकार करते है.

पतेती के दिन लोग अपनी गलतियों पर पछताते ही नहीं बल्कि अगले साल ऐसी गलती नहीं करने का प्रण भी लेते है. इस त्यौहार से नववर्ष की शुरुआत होती है. और सभी इस त्यौहार पर खुशिया बांटते है.

इस त्यौहार ला उदेश्य सभी की एकता को बनाए रखना तथा अपनी गलती को महसूस करवाना है. इस त्यौहार के कारण अल्पसंख्यक पारसी एकता से जी रहे है.

पतेती त्यौहार की शुरुआत काफी प्राचीन समय से हुई है. आज से 3 हजार साल पूर्व शाह जमशेद का जलाभिषेक किया गया था. इस दिवस के बाद शाह जमशेद ने नए साल की शुरुआत की. और इसी कारण इसे पतेती के रूप में मनाने लगे.

पारसी केलेंडर के अनुसार हर वर्ष ये त्यौहार 19 अगस्त को मनाया जाता है. ये दिन पारसी केलेंडर का अंतिम का दिन होता है. इस दिन के बाद नए साल की शुरुआत होती है.

भारत प्राचीन समय से परोपकारी रहा है. हमारे देश ने अनेक धर्मो को शरण दी है. जिसमे पारसी धर्म प्रमुख है. 13वीं शताब्दी के समय पारसी लोग काफी संख्या में ईरान में रहते थे.

1380 में ईरान के शासको द्वारा पारसी धर्म के लोगो को धर्म परिवर्तन के लिए उत्साहित किया पर पारसी लोगो ने नहीं माना इस पर अनेक पारसी लोगो को मार दिया गया. तथा कुछ लोगो को जबरन धर्म परिवर्तन करवा दिया गया.

इस घटना के बचने वाले लोगो ने भारत में आकर शरण ली. और अपने धर्म की रक्षा की. इस घटना के बाद पारसी लोग भारत में बस रहे है. आज 1 लाख से से अधिक पारसी लोग भारत में रहते है.

पतेती त्यौहार का अर्थ पछतावा होता है. पर हमें इस त्यौहार पर पछतावे की बजाय अपनी गलतियों की क्षमा मांगनी चाहिए. और सभी को एकता बनाकर रहना चाहिए.

पतेती पारसी अनुनायियो का पवित्र त्यौहार है. इस त्यौहार की तैयारिया 15 दिन पूर्व शरू कर दी जाती है. लोग घरो में सफाई करते है. तथा घरो को रंगों से रंगीन बनाते है.

इस दिवस पर लोग नए नए कपडे खरीदते है. तथा अपने घर को सजाते है. और जो लोग घर नहीं होते है. वे इस त्यौहार को मानाने के लिए घर आते है.

इस त्यौहार पर पारसी लोग हलवा बनाते है, तथा मासाहारी भोजन भी करते है. लोग एक दुसरे से मिलते है. एक दुसरे के घर जाते है. तथा दुश्मनी को दूर भगाते है. और मित्रता से रहते है.

पारसी लोग अपनी पसंद से इस त्यौहार को बड़ी धूम धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते है. भारत सहित अन्य देशो में भी पतेती पारसी लोगो द्वारा मनाया जाता है.

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