घायल सैनिक की आत्मकथा Autobiography Of An Injured Soldier Essay In Hindi- नमस्कार दोस्तों आज हम हमारे रखवाले वीर जवान भारतीय सैनिक की आत्मकथा को पढेंगे. ये एक घायल सैनिक की काल्पनिक आत्मकथा है.
घायल सैनिक की आत्मकथा Autobiography Of An Injured Soldier Essay In Hindi
मै एक भारतीय सैनिक हूँ, मेरा नाम संतोष है. मै भारतीय सेना का कर्नल जनरल हूँ. मैंने मेरे देश के लिए कई लड़ाईयां लड़ी. जिसमे हम सभी ने निडर होकर दुश्मनों का सामना किया.
मै भारतीय फौजी यानी सैनिक हूँ. मै राजस्थान राज्य से हूँ, मेरे दादाजी सेना में शामिल थे. जिस कारण मै उनसे प्रेरित होकर सेना में जाने के लिए तैयार हुआ. लगातार चार साल की कठोर मेहनत के बाद मुझे देश का एक सैनिक बनने का मौका मिला.
मुझे खुद पर गर्व हुआ. क्योकि देश के लिए सैनिक बनाना अपने आप में बड़ी बात है. मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद सैनिक विद्यालय में भर्ती हुआ. और लगातार मेहनत के बाद में 23 साल की आयु में मेरा सिलेक्शन भारतीय फ़ौज में हो गया.
देश मेरा जल रहा है आग लगी है सीने में,
हुक्मरां सब व्यस्त है खून गरीब का पीने में,
राममन्दिर बाबरी का पक्ष नहीं मैं लाया हूँ,
घायल भारत चीख रहा है चीख सुनाने आया हूँ.
ये मेरा सबसे बड़ा सपना था. मैंने अपने कोच से बन्दुक चलाना तथा टॉप टेंको को चलाना और एक कुशल रणनीति बनाने के गुण सीखे थे. मेरे कोच मुझे आज भी कुछ न कुछ सिखाते है.
मैं सैनिक बोल रहा हूं हिंदी निबंध
सैनिक एक ऐसा सेवा करने का जरिया है, जिसके माध्यम से व्यक्ति को अपनी देशभक्ति के प्रति समर्पित होने का अवसर मिलता है. सैनिक अपने जीवन को परिवार और समाज से अलग करके देश की सेवा के लिए अर्पित कर देता है.
हमारी तथा हमारे देश की सुरक्षा के लिए जो देश की सीमा पर दिन रात तेह्नात रहते है. आज हम उन्ही सैनिक के जीवन के बारे में आत्मकथा के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे.
हर पल हम सच्चे भारतीय बनकर
देश के प्रति अपना फर्ज निभायेंगे
जरूरत पड़ी तो लहू का एक-एक
कतरा देकर इस धरती का कर्ज चुकायेंगे।
सैनिक का जीवन हम जितना आसन समझते है, उतना नहीं होता है. कई लोग सेना को एक नौकरी के रूप में समझते है. पर हम आपकी इस गलत फेमि को दूर कर दें, कि सेना एक सेवा है. जो देश के लिए निस्वार्थ भाव से की जाती है.
मै भारत की सैनिक हूँ, मुझे जवान के नाम से जानते है. क्योकि मेरा काम देश की सेवा करना है. मुझे गर्व है, कि मै एक फौजी हूँ. सैनिक बनने के लिए शारीरिक तथा मानसिक रूप से फिट होना पड़ता है.
एक सैनिक बनने के लिए जी जान लगा देना पड़ता है. केवल सैनिक बनने के लिए ही मेहनत की जरुरत नहीं होती है. बल्कि जीवनभर मेहनत करनी पड़ती है. तथा हमेशा जान का खतरा बना रहता है.
सैनिक बनने के लिए सबसे पहले एक व्यक्ति में देशभक्ति होनी चाहिए. यदि व्यक्ति में देशभक्ति का भाव नहीं है, या वह सेना को एक नौकरी की तरह ज्वाइन करना चाहता है, तो आपकी मानसिकता को बदलने की जरुरत है. क्योकि सेना एक सेवा का माध्यम है. व्यवसाय या नौकरी का नहीं.
मेरे देश की ये वर्दी और मेरे कंधे पर लगे स्टार हमेशा मुझे देश की रक्षा के लिए आगे लाते है. हमें अपनी जिम्मेदारी के साथ इस कार्य को करना पड़ता है. सेना के प्रति बचपन से ही मेरा प्यार उच्च स्तर पर था.
जिस कारण मैंने जान की परवाह किये बिना. इस सेवा में ज्वाइन हुआ. आज मैं भारतीय सेना का एक प्रमुख सैनिक हूँ. तथा नए सैनिको का मार्गदर्शन भी करता हूँ.
आज तक मैंने कभी देश के तिरंगे और राष्ट्रगान तथा राष्ट्रगीत का अपमान नहीं होने दिया है. तथा इसे में सहन नहीं कर सकता हूँ. मेरा अपमान करे तो मै जायज मान लूंगा. लेकिन मेरे देश के गौरव के लिए मै हमेशा तत्पर तैयार रहूँगा.
आज मैं एक सीनियर सैनिक हूँ. तथा मेरा परिवार से अधिक सम्बन्ध मेरे देश के लिए है. हमें परिवार प्यार नहीं लगता है, ये बात नहीं है. पर हम देश की रक्षा के लिए अपनी रक्षा की परवाह नहीं करते है. तथा अपनों की परवाह नहीं करते है.
वर्तमान समय में कई लोगो द्वारा समय समय पर आंतकवाद को तेजी से बढ़ावा दे रहे है. जो देश की सुरक्षा के लिए अच्छी बात नहीं है. एक सैनिक देश का रक्षक तथा सेवक होता है. एक सैनिक के शहीद होने से कितने लोग असुरक्षित होते है. इसका अंदाजा केवल रक्षा करने वालो को ही होता है.
एक फौजी बनने के लिए अन्य परीक्षाओ की तरह ही परीक्षा देनी पड़ती है. पर इसमे बुद्धि के साथ साथ शारीरिक रूप से बेहतर होना भी जरुरी होता है. सैनिक बनने के लिए सर्वप्रथम शारीरिक स्थिति को देखा जाता है. तथा उसके बाद अन्य शर्तो को लागू किया जाता है.
देश के नागरिक आज शिक्षित हो रहे है. जिस कारण आज हमारे महत्व को समझा जा रहा है. तथा हमें ढेर सारा सम्मान दिया जाता है. हम सम्मान तथा अपमान दोनों को देशभक्ति के आधार पर सहन कर लेते है.
आपकी मानसिकता में एक सैनिक का अपमान देश का अपमान होना चाहिए. आज देश में फ़ैल रहे साम्प्रदायिक दंगे सेना को नुकसान पहुंचा रही है. देश की सेवा हमारा पहला कर्तव्य है. जिसे हम हर परस्थिति में निभा रहे है.
भारत के सभी नागरिको का कर्तव्य होता है, कि वे देश के रक्षक का सम्मान करे. जो आपकी रक्षा के लिए आतंवादियों से भीड़ जाता है. तब हम धर्म या जाति नहीं देखते है. इसलिए देश का सम्मान करे. तथा देश के गौरव का सम्मान करें. जय हिन्द वन्दे मातरम्
मातृभूमि की रक्षा हम दिन रात करते है
दुश्मनो के लिए हम जिगर में अंगार रखते है।