गुटनिरपेक्षता पर निबंध | Non Aligned Movement Nam Essay In Hindi
सर्वप्रथम लिस्का के द्वारा गुटनिरपेक्षता का वैज्ञानिक मतलब बताया गया था। उसके पश्चात दूसरे लोगों ने भी इसे अलग-अलग रूप में परिभाषित करने का काम किया।
दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो जाने के पश्चात जवाहरलाल नेहरू के द्वारा गुटनिरपेक्षता को एक व्यवस्थित रूप प्रदान किया गया। इसे कर्नल नाशिर ने भी स्वीकार किया और मार्शल टीटो ने भी स्वीकार किया।
गुटनिरपेक्षता की परिभाषा देते हुए जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि सैनिकों को किसी भी समूह से दूर रखना चाहिए और जहां तक हो सके यह प्रयास करना चाहिए कि सभी सबूतों को सैनिक दृष्टि से ना देखा जाए।
अगर ऐसी जरूरत पड़ती है तो स्वतंत्र नजरिया रखा जाए और दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखना ही गुटनिरपेक्षता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इस बात से यह साबित होता है कि सिर्फ आंखें बंद करके दुनिया में हो रही घटनाओं को देखना ही गुटनिरपेक्षता नहीं है परंतु सही और गलत का अंतर जानना भी गुटनिरपेक्षता की नीति है,
परंतु गुटनिरपेक्ष वही देश हो सकते हैं जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका तब भी निभाए जब वह दूसरे गुटों से दूर रहे।
जवाहरलाल नेहरू, कर्नल नासिर और टीटो के द्वारा साल 1961 में गुटनिरपेक्षता के सही रूप को परिभाषित करने के लिए पांच सिद्धांत दिए गए थे
जिसके अनुसार जो देश अपने किसी भी इलाके में किसी भी महाशक्ति देश को सैनिक सेंटर बनाने की परमिशन ना देता हो वही गुटनिरपेक्ष देश हैं।
इसके अलावा जो देश उपनिवेशवाद का विरोध करता हो तथा जो देश सैनिक गुट से दूर रह कर के भी स्वतंत्र विदेश नीति को अपनाता हो और इंटरनेशनल प्रॉब्लम के प्रति जागरूक हो वही गुटनिरपेक्ष देश है।