वाक्य क्या है | What Is Sentence In Hindi: नमस्कार साथियो आज हम हिंदी व्याकरण की वाक्य रचना के साथ आरम्भ कर रहे हैं. hindi sentences making के लिए वाक्य को समझना जरुरी है कि वाक्य क्या है तथा वाक्य का अर्थ क्या होता है परिभाषा के साथ इसे समझते हैं.
वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय | Vakya Vichar Hindi
सामाजिक प्राणी होने के कारण मनुष्य समाज के अन्य व्यक्तियों के साथ सदैव सम्पर्क में रहता हैं. इसके लिए वह अपने विचारों को प्रकट करने के लिए भाषा का प्रयोग करता हैं. अतः मानव के अपने विचारों को पूर्णता से प्रकट करने वाले पद समूह को वाक्य कहते हैं.
दूसरे शब्दों में वाक्य सार्थक शब्दों का व्यवस्थित रूप हैं. वाक्य वह सार्थक शब्द समूह है जिससे बोलने या लिखने वाले का भाव पूर्ण रूप से समझ में आ जाए.
उदहारण के लिए राम ने धर्म की स्थापना की.
यह शब्द समूह सार्थक हैं व्याकरण के नियमों के अनुसार व्यवस्थित हैं. तथा पूरा आशय प्रकट कर रहा हैं. अतः यह एक वाक्य हैं.
वाक्य की परिभाषा- सार्थक योग्य, महत्वकांक्षी, सामयिक, निकटता, पदक्रम और व्यवस्थित शब्दों का वह समूह जो किसी भाव या विचार को पुर्णतः व्यक्त करता है वाक्य कहलाता हैं.
वाक्य के तत्व- वाक्य के निम्नलिखित तत्व होते हैं.
सार्थकता- वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का सार्थक होना आवश्यक हैं.
आकांक्षा- वाक्य के एक पद को सुनकर दूसरे पद को सुनने या जानने की जो स्वाभाविक उत्कंठा जागती हैं उसे आकांक्षा कहते हैं जैसे- दिन में काम करते हैं. इस वाक्य को सुनकर हम प्रश्न करते है कौन लोग काम करते हैं.
यदि हम कहे कि दिन में सभी लोग काम करते हैं. तो सभी कह देने से प्रश्न का उत्तर मिल जाता है और वाक्य का अर्थ पूर्ण हो जाता हैं. अतः वाक्य में सभी शब्द की आकांक्षा थी, जिसकी पूर्ति होते ही वाक्य पूरा हो गया.
योग्यता- वाक्य में प्रयुक्त शब्द अर्थ प्रदान करने में सहायक होता हैं. तो समझना चाहिए कि वाक्य में योग्यता विद्यमान हैं. जैसे किसान लाठी से खेत काटता है.
इस वाक्य में योग्यता का अभाव हैं. क्योंकि लाठी से खेत काटने का काम नहीं लिया जाता. लाठी के स्थान पर हँसियाँ का प्रयोग होता तो वाक्य की रचना संगत होती.
आसक्ति या निकटता- एक शब्द या पद के उच्चारण के तुरंत बाद ही दूसरे वाक्य के शब्द या पद के उच्चारण को आसक्ति या सन्निधि कहते हैं. वाक्य में पदों का पास पास होना आवश्यक हैं. जैसे मैं....... निबंध..... लिख......रहा............हूँ.
यह वाक्य नहीं कहा जा सकता क्योंकि दूर दूर होने के कारण पदों का अर्थ ग्रहण करने में गतिरोध उत्पन्न होता हैं. उपर्युक्त शब्दों द्वारा निर्मित वाक्य होना चाहिए. मैं निबंध लिख रहा हूँ.
पद क्रम- वाक्यों में प्रयुक्त पदों या शब्दों की विधिवत स्थापना को कर्म या पद क्रम कहा जाता हैं. जैसे पढ़ी पुस्तक मैंने यह वाक्य क्रम की दृष्टि से उचित नहीं हैं, होना यह चाहिए मैंने पुस्तक पढ़ी, क्योंकि मैंने पुस्तक शब्द पुस्तक से पूर्व और पढ़ी शब्द पुस्तक के बाद आना चाहिए.
अन्वय- वाक्य अनेक पदों का समूह होता हैं. अतः पदों का लिंग वचन कारक, पुरुष और काल आदि के साथ सामजस्य बैठना आवश्यक हो जाता हैं. जैसे गाय घास चरते है. यह वाक्य सही नहीं है इसके स्थान पर गाय घास चर रही है सही वाक्य हैं.
वाक्य के दो अवयव होते हैं.
- उद्देश्य
- विधेय
उद्देश्य तथा विधेय क्या है
- उद्देश्य- जिस विषय में कुछ कहा जाता है उसे सूचित करने वाला शब्द उद्देश्य कहलाता हैं. जैसे राम जाता है यहाँ राम उद्देश्य हैं.
- विधेय- उद्देश्य के विषय में जो कहा जाता है, वह विधेय कहलाता है जैसे
- हैरी बाजार जाता हैं
- मोहन पाठशाला जाता हैं
- सुरेश घर चला गया
- झूठ बोलना पाप है.
- पिताजी अध्यापक से मिलने आये हैं.
उपर्युक्त उदाहरणों में उद्देश्य और विधेय इस प्रकार निर्धारित होंगे.
- उद्देश्य- हैरी, मोहन, सुरेश, झूठ, पिताजी
- विधेय-बाजार जाता है, पाठशाला जाता है, घर चला गया, बोलना पाप है, अध्यापक से मिलने आए है.
वाक्यों का वर्गीकरण दो दृष्टियों से किया जाता हैं.
- रचना की दृष्टि से वाक्य के भेद
रचना की दृष्टि से वाक्यों के निम्नलिखित भेद हैं.
- सरल या साधारण वाक्य- जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय अर्थात एक मुख्य क्रिया हो उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं. जैसे राम पुस्तक पढ़ता हैं. यहाँ राम एक उद्देश्य तथा पुस्तक पढ़ता है एक विधेय हैं. राम, श्याम और मोहन गा रहे हैं. यहाँ उद्देश्य राम, श्याम मोहन तथा विधेय गा रहे हैं. चूँकि राम, श्याम मोहन तीनों मिलकर एक ही विधेय कार्य में सलग्न हैं.
- मिश्र या मिश्रित वाक्य- जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हो, उसे मिश्र या मिश्रित वाक्य कहते हैं. इस प्रकार के वाक्यों में मुख्य उद्देश्य और विधेय के अतिरिक्त एक या अनेक समापिका क्रियाएं होती हैं. मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय वाला वाक्य प्रधान उपवाक्य होता है शेष उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होते हैं.
- संयुक्त वाक्य- संयुक्त वाक्य में एक प्रधान वाक्य और एक या एक से अधिक प्रधान उपवाक्य के समकक्ष होते हैं. संयुक्त वाक्यों में प्रधान उपवाक्य और समानाधिकरण उपवाक्यों को जोड़ने के लिए -और किन्तु, परन्तु, एवं, तथा, या, अथवा आदि सम्बन्धबोधक अव्ययों का प्रयोग किया जाता हैं. उदाहरण- राम तब घर जाएगा, जब मध्यांतर होगा परन्तु रमेश पहले ही घर चला जाएगा. राम पुस्तक पढ़ रहा है किन्तु मोहन खेल रहा हैं.
अर्थ के आधार पर वाक्यों के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्यों के आठ भेद होते हैं.
- विधानवाचक वाक्य- जिस वाक्य में क्रिया के होने या करने का सामान्य कथन हो उसे विधानवाचक वाक्य कहते है अर्थात जिससे सीधा अर्थ निकलता हो जैसे सूर्य गर्मी देता हैं.
- निषेधवाचक वाक्य- जिस वाक्य में क्रिया के न होने का बोध हो निषेधवाचक वाक्य कहते हैं जैसे मोहन नहीं पढ़ता हैं.
- प्रश्नवाचक वाक्य- जिस वाक्य में प्रश्न किये जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं. जैसे तुम क्या कर रहे हो.
- विस्मयादिबोधक वाक्य- जिस वाक्य में हर्ष, शोक, घ्रणा, विस्मय आदि का बोध हो उसे विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं. विस्मयादिबोधक वाक्य का प्रारम्भ प्रायः आह, अहा, छि, हे राम, हाय आदि शब्दों से होता है कभी कभी ऐसा भी नहीं होता. उदहारण- अहा तुम आ गये, हाय यह क्या हो गया.
- आज्ञावाचक वाक्य- जिस वाक्य में किसी प्रकार की आज्ञा या अनुमति का बोध हो उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते है जैसे आप यहाँ से जाइए.
- इच्छावाचक वाक्य- जिस वाक्य में वक्ता की इच्छा, आशीर्वाद, शुभकामना आदि का भाव प्रकट हो उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं. जैसे आज तो वर्षा हो जाए.
- संदेहवाचक वाक्य- जिस वाक्य से कार्य के होने में संदेह या सम्भावना प्रकट हो उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं जैसे वह शायद ही उतीर्ण हो.
- संकेतवाचक वाक्य- जिस वाक्य में एक बात का होना दूसरी बात पर निर्भर हो उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं जैसे यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती.
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