गुरु तेगबहादुर पर निबंध | Essay on Guru Tegbahadur In Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के हमारे इस आर्टिकल में आज हम इस आर्टिकल में तेगबहादुर के जीवन के बारे में निबंध, जीवनी के माध्यम से इनके जीवन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
गुरु तेगबहादुर पर निबंध | Essay on Guru Tegbahadur In Hindi
भारतीय इतिहास में वीरता और शौर्य शक्ति का एक विशेष गुण दिखाई पड़ता है. भारत के इतिहास में सिक्खों की वीरता का काफी अच्छे ढंग से वर्णन मिलता है. देश के राजपूत मराठा तथा सिक्खों की वीरता का विशेष महत्व है.
सिक्खों के लिए ज्ञान देने वाले गुरु हुए जिन्हें सिक्ख अपना सिक्ख गुरु मानते है. कुल १० गुरु हुए जिनमे से 9 वें गुरु हुए तेगबहादुर जिन्हें हम अपनी वीरता, त्याग तथा अपने धर्म के प्रति अडिग रहने रहने के विशेष गुण के कारण जानते है.
गुरु तेग बहादुर एक संत के साथ ही साथ एक शिक्षक तथा एक कुशल कवि भी थे. गुरु तेग बहादुर ने जीवन भर शांति तथा सौहार्द का सभी को सन्देश दिया . उन्होंने धार्मिक स्थल की यात्रा कर अपने धर्म के प्रति सभी को जागरूक बनाया.
महान गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे. जिन्होंने अपने जीवन को अपने धर्म एंव मानवीय मूल्यों के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने मानवीय मूल्यों की रक्षा करने का जिम्मा उठाया.
उन्होंने धर्म रक्षा तथा जन जागरूकता के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया. धार्मिक रक्षा के लिए प्राण की आहुति देने वाले महान गुरु तेग बहादुर आज सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए है.
गुरु तेग बहादुर सिक्ख धर्म से आते है. उन्होंने अपने जीवन में अपने धर्म के लिए अपना सबकुछ समर्पित कर दिया. उन्होंने सिक्खों की धार्मिक एकता को प्रोत्साहित किया तथा एक संस्था के रूप में काम किया.
तेग बहादुर ने अपने धर्म को एक संगठन बनाकर सभी को एकता रखने के लिए जागरूक किया. उन्होंने लोगो को धार्मिक मूल्यों से सभी को आवगत कराया. उनकी शिक्षाए आज भी सिक्खों के लिए लोक कल्याणकारी साबित हो रही है.
गुरु तेग बहादुर ने जीवन में सभी को एक संदेश देते थे, कि हमें धर्म एवं मानवीय मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए. उन्होंने यह सन्देश अपने जीवन को समर्पित करके सभी के सामने प्रस्तुत किया.
उनके अनुसार जीवन में आगे बढ़ने के लिए किसी का नुकसान नहीं करना चाहिए. इससे अच्छा बढ़ने की चाहत ही ख़त्म कर लो.
गुरु तेग बहादुर ने एक गुरु के नाते जीवन में सिक्खों के लिए बहुत कुछ किया. उन्होंने धर्म रक्षा के साथ ही धर्म के देश विदेश में प्रचार-प्रसार भी किया. उन्होंने सिक्खों के सिद्धांतो को अग्रसर किया.
उन्होंने समाज की एकता और समाज को सही दिशा में लाने के लिए अनेक प्रयास किये. एक गुरु की की भूमिका निभाते हुए इन्होने जीवन भर अपने समाज को शिक्षा और संस्कार दिए तथा जीवन को समर्पित कर दिया.
तेग बहादुर का जन्म 1 अप्रैल, 1621 को अमृतसर पंजाब में हुआ था. उनके पिता का नाम श्री हरगोविंद जी था, जो सिखों के छठे गुरु थे. तेग बहादुर अपने बचपन में ही धर्म और संस्कृति के प्रति उत्साह प्रदर्शित करते थे.
सिक्ख गुरु तेग बहादुर जी ने सिख धर्म के नौवें गुरु के रूप में 1665 ईस्वी में गुरु गदी संभाली थी. उनका जन्म 1621 ईस्वी अमृतसर में हुआ था। उनके पिता गुरु हरगोबिंद सिंह थे जो सिखों के छठे गुरु हुआ करते थे.
नौवे गुरु तेग बहादुर जी ने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखे उन्होंने समाज को बदलती दुनिया की तरह ढालले का प्रयास किया. उन्होंने सिक्खों के सिद्धांतो को जीवित रखा तथा उनके अनुसार जीवन यापन करने की शिक्षा दी.
गुरु तेग बहादुर ने जीवन में कोई पुरस्कार या सम्मान प्राप्त नहीं किया पर उनके लिए समाज की स्थिति में सुधार आना अपने आप में एक उपलब्धी थी. वे अपनी खास उपलब्धि शहादत को मानते थे. उन्होंने जीवन समर्पित करके अपने मूल्यों को कायम रखा.
तेग बहादुर के शहादत से जुडी एक विशिष्ट कहानी बताई जाती है. माना जाता है, कि मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने सभी धर्मो के लोगो को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया. लोगो ने तेग बहादुर से सहायता मांगी.
बहादुर ने सम्राट के पास जाकर सभी के सामने धर्म परिवर्तन से मना कर दिया. इसलिए सम्राट ने उन्हें बहुत कष्ट पीड़ा दी. पर उन्होंने मौत को स्वीकार किया पर धर्म परिवर्तन को नहीं इस प्रकार अपने जान न्योछावर कर तेगबहादुर ने धर्म की रक्षा की.
अपने अंतिम समय में सभी को एक सन्देश दे गए धर्म के लिए मौत भी स्वीकार कर लेनी चाहिए. और उनकी इस प्रेरणा ने धर्म की ताकत पर जीत. का सन्देश दिया. जब भी बात धर्मरक्षा के लिए प्राण आहुति की आती है. तो तेगबहादुर का नाम सबसे पहला लिया जाता है.
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