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शतरंज पर निबंध | Essay on chess in hindi

शतरंज पर छोटे-बडे निबंध (Short and Long Essay on Chess in Hindi, Shatranj par Nibandh Hindi mein)- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के हमारे इस लेख दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपके समक्ष शतरंज खेल से सम्बंधित कुछ जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे.

शतरंज पर निबंध | Essay on chess in hindi

शतरंज पर निबंध | Essay on chess in hindi


शतरंज एक राष्ट्रीय स्तर का खेल है, जो दुनियाभर में काफी लोकप्रिय खेल है, यह खेल अपने खेलने के तरीके से काफी रोचक और प्रभावित करने वाला है. इस खेल को अभी तक ओलम्पिक खेलो में नही जोड़ा गया है, पर इसके दुनियाभर में खेलने वाले लाखो लोग है.

हम खेलों की एक बड़ी दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ शारीरिक साक्षरता, मानसिक उत्तेजना, क्रियाशीलता, और मनोरंजन के विभिन्न खेल हैं। क्रिकेट, कुश्ती, टेनिस, और अन्य कई प्रमुख खेल हैं। 

लेकिन एक खेल है जिसे कोई भी खेल सकता है और समझ सकता है, जिसमें माहिरी प्राप्त कर सकती है, और वह खेल है शतरंज।

वास्तव में, हम सभी बहुत सारे खेल जानते हैं और खेलते आए हैं, लेकिन शतरंज एक खेल है जिसे हर आयु और क्षेत्र के लोग बड़े रूचि से खेलते हैं। शतरंज एक अद्वितीय खेल है और इसकी शुरुआत भारत में हुई थी।

भारत में इस खेल का इतिहास बहुत प्राचीन है, और यह खेल आज भी लोगों के बीच पसंद किया जाता है। इसे "शतरंज" कहा जाता है। इस खेल के बारे में महाभारत में भी उल्लेख है, और यह एक बहुत ही रोचक खेल है जिसमें राजा, रानी, और अन्य खिलौने होते हैं और युद्ध किया जाता है।

इस खेल में, दो खिलाड़ी होते हैं जो एक खास चादर पर खेलते हैं। यह चादर सफेद और काली ब्लॉकों से बनी होती है, और हर खिलाड़ी के पास गोटियां होती हैं, जिनमें सफेद और काली गोटियां होती हैं।

शतरंज के कुछ नियम

जिस प्रकार अन्य खेलो में नियम होते है, वैसे ही इस खेल के भी अपने नियम है, यह इनडोर खेल है, इसलिए इसमे बौद्धिकता पर निर्भरता ज्यादा रहती है. इस खेल को खेलने के लिए एक तख़्त होता है, जिसमे 64 खाने बनाए गए होते है.

इसके 64 खानों को सफ़ेद या काले रंगों भरा रहता है. इस खेल को खेलने के लिए दो खिलाडी एक बार में भाग ले सकते है. इसमे कई मोंहरे होती है, जिसमे हमें हाथी, घोड़े, राजा, ऊंट, आदि। होती है, जिन सभी के कुछ नियम निर्धारित है. जो इस प्रकार से है-
  • राजा – शतरंज के खेल में राजा का विशेष स्थान होता है, इसमे सबसे महत्वपूर्ण किरदार राजा का होता है, जो एक बार में केवल एक कदम ही चलता है. जो किसी भी दिशा में चल सकता है.
  • घोड़ा – यह भी काफी महत्वपूर्ण होता है, जो एक बार में किसी भी दिशा में 2½ कदम तक ही चलता है।
  • सिपाही – सिपाही हमेशा से ही पथगामी होता है, जो सीधा चलता है, पर विशिष्ट परिस्थितियों में जैसे किसी को काटना है, तो यह तिरछा भी चलने में समर्थ रहता है.
  • बिशप (ऊंट) – ऊंट या विशप यह हमेशा तिरछा ही चलता है.
  • रानी (वजीर) – रानी या वजीर के लिए कोई दिशा निर्धारित नही होती है, यह कही भी जा सकती है.
  • हाथी – हाथी हमेशा से ही अपनी सीधी दिशा में चलता है.
  • शतरंज के इस खेल में दोनों खिलाडियों को एक के बाद एक बारी-बारी खेलने का अवसर मिलता है.
  • इस खेल का मुख्य लक्ष्य शह और मात देना होता है।
निष्कर्ष

शतरंज का खेल एक ऐसा खेल है, जिसमे हमारी बुद्धि का बहुत अधिक उपयोग होता है, इसे जो ज्यादा खेलता है, वो अपने दिमाक का अधिक उपयोग कर पाता है, यानि इस खेल को खेलकर हम अपनी बौद्धिकता को बढ़ा सकते है. तथा मनोरंजन भी कर सकते है.

Shatranj par Nibandh – 2 

प्रस्तावना

शतरंज खेल हमारे लिए एक ऐसा तोह्पा है, जो हमें दिमाक का प्रयोग करने तथा उसकी प्रेक्टिस करने का अवसर देता है. इसमे शारीरिक क्षमता की बजाय मानसिक तथा बौद्धिक क्षमता की परख होती है.

शतरंज खेल का इतिहास बहुत पुराना है, इस खेल को महाभारत से खेला जा रहा है.  महाभारत काल में सकुनी मामा का यह सबसे पसंदीदा खेल हुआ करता था। 

आजकल यह खेल काफी तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। आज यह खेल दुनियाभर में खेला जाता है इस खेल के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी पहचान है, जहाँ इसके लाखो प्रतिभागी इस खेल को खेलते है. 

शतरंज को एक खेल मात्र ही नहीं, बल्कि एक मानसिक व्यायाम तथा हमारी बुद्धि का इम्तिहान के रूप में भी देखा जा सकता है, जो हमारे दिमाग को चुस्त रखने का कार्य करता है।

शतरंज का इतिहास

शतरंज एक प्राचीन खेल है जिसे पुराने जमानों में राजा-महाराजाओं द्वारा बड़े शौक से खेला जाता था। यह खेल श्रेष्ठ, अमीर और उच्च वर्ग के लोगों का खेल माना जाता था। 

शतरंज को अंग्रेजी में "chess" कहा जाता है, और इस शब्द का अर्थ होता है "राजा"। इसके बाद राजा को "बादशाह" कहा जाने लगा, जो हिंदी में महाराजा के तुल्य होता है।

शतरंज की जन्मस्थली भारत की पावन धरा मानी जाती है, जिसे महाभारत के काल में यूद्ध खेलने के रूप में खेला जाता था। 

इस खेल के विकसित नियम और रूप भारतीय विज्ञानिक चाणक्य ने तैयार किए थे, और इसका उल्लेख चरक संहिता में भी मिलता है। शतरंज का प्राचीन इतिहास है, और यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

शतरंज के खेल का आदिकाल

प्राचीन काल में, शतरंज का खेल चार खिलाड़ियों के बीच खेला जाता था, जिसमें हर खिलाड़ी को एक प्रकार का खिलौना प्राप्त होता था, जिन्हें राजा, रानी, हाथी, और अन्य पदार्थों के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता था। 

इन खिलौनों के विशिष्ट चालने के नियम होते थे, जिनका पालन करना खिलाड़ियों की दाकवंश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण था। खेल का उद्देश्य होता था कि खिलाड़ियों को अपने राजा की सुरक्षा बनाए रखनी चाहिए और वे विरोधी के राजा को मार डालें बिना अपने राजा की सुरक्षा को कमजोरी में डालें।

शतरंज का आधुनिक रूप

शतरंज का खेल विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया है और इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व है। इस खेल के आधुनिक नियम और रूप को बनाने के लिए फीडरेशन इंटरनेशनल दि एचेस (फिडे) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रयास किए हैं। 

आजकल के शतरंज का खेल 8x8 चौक के बोर्ड पर खेला जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के खिलौने होते हैं, जैसे कि राजा, रानी, हाथी, और बिशोप। इन खिलौनों के विशिष्ट चालने के नियम होते हैं, और खिलाड़ियों की मिशन होती है कि वे अपने राजा को विरोधी के राजा को मात दें बिना अपने राजा की सुरक्षा को कमजोरी में डालें।

शतरंज का महत्व

शतरंज का खेल आज भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मानसिक चुस्ती, योग्यता, और टैक्टिक्स को प्रमोट करता है। इस खेल को खेलने से विचारशीलता और समस्या समाधान कौशल में सुधार होता है, और खिलाड़ियों को अपनी रणनीति को सुधारने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 

यहां तक कि शतरंज खेल के बारे में कहा जाता है कि इसका अभ्यास करने से मानव के दिमाग की क्षमता और विचारशक्ति में सुधार होता है।

शतरंज का प्रचार

भारत में शतरंज का खेल आज भी बड़ा प्रमुख है, और यहां के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नाम कमाया है, जैसे कि विश्वनाथन आनंद, जो शतरंज की दुनिया में भारत का प्रतिष्ठित प्रतियोगी हैं।

शतरंज का अंतर्राष्ट्रीय महत्व

इस खेल का अन्य प्रशंसकों में भी बड़ा प्रचलन है, जैसे कि रूस में जहां यह खेल राष्ट्रीय खेल है। इस खेल की एक विशेषता है कि यह योग्यता और समझदारी को प्रमोट करने का माध्यम बनाता है और खेलकर खुद को समझाने का अवसर प्रदान करता है।

निष्कर्ष

आखिरकार, शतरंज एक बहुत महत्वपूर्ण और मनोरंजन करने वाला खेल है, जो मानवीय बुद्धिमत्ता की बढ़ती मांग का प्रतीक है। यह खेल न केवल मनोबल को बढ़ावा देता है, बल्कि हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है.

जो हमारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है। इस खेल को खेलने से हम अपने दिमाग को स्थायी रूप से मजबूत बना सकते हैं और खुद को एक स्ववलंबी और योग्य खिलाड़ी के रूप में साबित कर सकते हैं।

इनडोर खेल - शतरंज

खेलों को आमतौर पर दो भागों में विभाजित किया जाता है - जिसमे एक इनडोर खेल और दूसरा आउटडोर खेल। वे खेल जो आमतौर पर कमरों या अंदरूनी स्थानों में खेले जाते हैं, उन्हें हम इनडोर खेलो में शामिल किया जाता हैं। इसके कुछ खेल कैरम, शतरंज, टेबल-टेनिस, आदि हैं। 

वहीं, कुछ खेल जो बहार बड़े बड़े मैदानों में खुले स्थानों पर खेले जाते है. उन्हें हम आउटडोर खेल कहते है, इसके कुछ उदहारण में बैडमिंटन, क्रिकेट, हॉकी, आदि खेल शामिल होते हैं।

शतरंज इनडोर खेलो की श्रेणी में आता है और यह एक मानसिक खेल के रूप में काफी प्रसिद्ध है, इसमे आपकी आपके दिमाक का बहुत ज्यादा उपयोग होता है, जो इसमे तेज होता है, वो जीत जाता है. 

कहते है, खेलोगे कूदोगे होंगे ख़राब पढोगे लिखोगे होंगे नवाब जो यह गेम गलत साबित करता है, क्योकि यह खेल अपनी बुद्धि को भी तेज करता है. तथा हमें मनोरंजन भी देता है.

यह खेल बच्चों और युवाओं के बौद्धिक विकास को प्रोत्साहित करने के रूप में बहुत लोकप्रिय है, और इसका उच्चारण हमारे अभिभावकों द्वारा बच्चों को बढ़ावा दिया जाता है।

शतरंज के प्रसिद्ध होने के पीछे कई कारण हैं। इस खेल की शुरुआत छठे सदी में हुई थी, और इसका इतिहास विश्व के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है। विभिन्न समयों में, यह खेल कई परिवर्तनों का सामना कर चुका है।

जब यह खेल पहली बार खेला जा रहा था, तो वो समय युद्ध का युग था और इस खेल ने सैन्य के अभ्यास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इससे सैन्य के चलने के तरीके और आक्रमण की योजना बनाने में मदद मिलती थी। 

शतरंज खेलने के माध्यम से, लोग अपनी बुद्धि को सहयोग देते थे और युद्ध तथा युद्ध कला के प्रति अधिक बुद्धिमत्ता प्राप्त करते थे। इसके अलावा, कई राजाएं अपने दुश्मनों को अपने दरबार में बुलाकर उनके साथ शतरंज खेलकर उनके चाल को समझने का प्रयास किया करती थीं।

पहले, इस खेल में व्यक्तिगत खिलाड़ियों की जगह ऊंटों का उपयोग होता था, लेकिन जब यह खेल अरब तक पहुंचा, तो वहां की मरुस्थल के कारण ऊंटों का उपयोग छोड़ दिया गया और उनकी जगह हाथी ने ले ली।

शतरंज का प्रारंभिक नाम चतुरंग था, जिसका उल्लेख बाणभट्ट द्वारा रचित 'हर्षचरित्र' नामक पुस्तक में मिलता है। चतुरंग का एक और नाम चतुरंगिनी था, जिसका अर्थ होता है.

एक सेना जिसमें चार प्रकार के योद्धा होते हैं - पैदल, घोड़े पर चढ़ने वाले, हाथी रखने वाले, और अंत में रथ पर चढ़ने वाले। इस प्रकार की सेना का प्रयोग गुप्त राजवंश के समय किया जाता था। आमतौर पर, इसे सेना का खेल कहा जाता था।

इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरा, एक विद्वान स्त्री, ने अपने पति को अपने पास रखने के लिए इस खेल का आयोजन किया था। रावण अक्सर युद्ध अभ्यास में व्यस्त रहते थे, और इस खेल की मदद से मंदोदरा ने उन्हें अपने पास वापस लाया।

मारवाड़ी भाषा में 'शतरंज' को 'चौकड़ी' या 'चौकड़ीच' कहा जाता है। 'चौकड़ी' शब्द मारवाड़ी भाषा में शतरंज के खेल को संदर्भित करता है।

शतरंज को चौकड़ीच खेलने के लिए आपको एक चौकड़ी (बोर्ड) की आवश्यकता होती है, जिसमें 64 ब्लैक और व्हाइट बॉक्स होते हैं। इसमें होने वाली प्रमुख खिलाड़ियों के नाम भी मारवाड़ी में अलग-अलग हो सकते हैं।

शतरंज का खेल चौकड़ी में दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाता है - एक खिलाड़ी 'गोरा' (व्हाइट) बॉक्सों से खेलता है और दूसरा खिलाड़ी 'काला' (ब्लैक) बॉक्सों से। 

हर खिलाड़ी के पास विभिन्न प्रकार की पीसेस होती हैं, जैसे कि राजा, रानी, हाथी, गधा, कुत्ता और सिपाही। इन पीसों की विशेष चालों और नियमों का पालन करके खिलाड़ियों का उद्देश्य विरोधी का राजा मारना होता है, जिसे 'शहमात' कहा जाता है।

चौकड़ी में शतरंज खेलने के नियम मारवाड़ी में उपलब्ध होते हैं, और खिलाड़ियों को यह खेल अपनी भाषा में आसानी से खेलने की अनुमति देता है।

निष्कर्ष

हम कह सकते हैं कि शतरंज एक रोचक और महत्वपूर्ण खेल है, और यह हमारे मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रतिवर्ष लाखों लोग इस खेल में अपनी किस्मत आजमाते हैं, और भारत सरकार भी खेल और खिलाड़ियों को समर्थन देने के लिए लाखों रुपये खर्चती है। 

हमें इस खेल को खेलने और दूसरों को भी इसे खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, क्योंकि अब हम सबके लिए "खेलेगा कूदेगा तो ही बनेगा महान" का संदेश है।

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