भारतीय नारी अबला नहीं सबला है निबंध | Essay on Indian Woman in Hindi
नारी का प्राचीन स्वरूप- वैदिक काल में भारतीय नारी का स्वरूप बहुत सम्मानीय था. उस समय नर नारी को समान अधिकार थे. उच्च शिक्षा प्राप्त करने का उन्हें अधिकार था. गार्गी, मैत्रेयी आदि विदुषी नारियों के उदाहरण इस बात के गवाह हैं. इसके साथ ही वे युद्ध में शौर्य का प्रदर्शन भी करती थीं. वे आदर्श गृहिणी और आदर्श माताओं के रूप में अपना जीवन जीती थी.
मध्यकाल में भारतीय नारी- मध्यकाल में भारतीय नारी की स्थिति में गिरावट आई. इस काल में उसे स्वतंत्रता का अधिकार नहीं दिया गया. उसे घर की चहारदीवारी में ही रहने के लिए विवश किया गया. इस काल में उनका शोषण हुआ और बाल विवाह तथा बेमेल बहुविवाह का भी बोलबाला रहा.
वर्तमान युग की नारी- आजादी प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी की शिक्षा एवं रहन सहन पर भी ध्यान दिया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि नारी भी पुरुषों के समान डोक्टर, वकील, जज, मंत्री, अधिकारी, समाज सेविका एवं उद्यमी आदि क्षेत्रों में कुशलता से काम कर रही हैं.
वर्तमान में तो भारतीय नारियों ने विज्ञान, राजनीति और अन्य क्षेत्रों में भी अपना वर्चस्व स्थापित किया हैं. विज्ञान के क्षेत्र में कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, राजनीति में इंदिरा गांधी, मेनका गाँधी, सोनिया गांधी, पुलिस सेवा के क्षेत्र में किरण बेदी, ये सभी भारतीय नारी की क्षमताओं को दर्शाती हैं.
उपसंहार- आज आर्थिक बाजारवाद के इस युग में नारी सौदर्य प्रदर्शन और विज्ञापन के क्षेत्र में बहुत आगे हैं. फिर भी उसे अपनी नारी अस्तित्व की गरिमा को समझना चाहिए.
आज के दौर की नारी अबला नहीं सबला है
किसी भी प्रगतिशील समाज के लिए यह जरूरी है कि उस समाज की नारी शक्ति का सशक्तिकरण हो और उनकी समाज के विकास में पुरुषों के समान भागीदारी हो।
प्राचीन समय में भारतीय नारी:
भारतीय समाज में प्राचीन समय से ही नारी का अत्यधिक समान रहा है। वेदों में गार्गी और मैत्रीय जैसी कई विदुषी महिलाओं के उदाहरण हमें यह बताते हैं की प्राचीन समय में भारतीय महिलाएं समाज में पुरुषों के समान भागीदार और सम्माननीय थी।
उन्हें उच्च शिक्षा का अधिकार था और वह शिक्षित और सशक्त थी। भारतीय समाज में नारी के महत्व को इस बात से स्पष्ट किया जा सकता है कि यहां मां दुर्गा मां लक्ष्मी और मां सरस्वती जैसी देवियों की पूजा की जाती है।
मध्य काल में भारतीय नारी :
मध्यकाल आते आते हैं भारतीय नारी की सामाजिक स्थिति का पतन होना प्रारंभ हुआ, तत्कालीन समाज ने नारी को अबला स्वरूप दे दिया।
दिल्ली सल्तनत और मुगल काल के समय बहु-पत्नी विवाहित जैसी सामाजिक कुरीतियां अपने चरम पर थी। स्त्री को भोग विलास का एक साधन मात्र समझा जाने लगा। स्त्रियों पर अत्याचार बढ़ने लगे। उन्हें शिक्षा से वंचित किया गया।
वर्तमान में भारतीय नारी :
भारत की आजादी के बाद महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक प्रयास किए गए जिसके परिणाम वर्तमान में स्पष्ट देखे जा सकते हैं। उन्हें शिक्षा से जोड़ा गया।
भारतीय समाज में नारी के लिए जितने भी पुराने सामाजिक कुरूतियो वाले कानून थे उन्हें समाप्त करके नए कानून लाए गए। सती प्रथा, बाल विवाह, बहु विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाप्त किया गया।
महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार के लिए कठोर कानून बनाए गए, जिससे महिलाओं की स्थिति में बहुत सुधार हुआ। आज भारतीय महिला प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष के समान भागीदारी निभा रही है।
वर्तमान में भारतीय सेना मैं महिलाएं पुरुषों के समान हमारे देश की सीमाओं की सुरक्षा में तैनात है। वर्तमान में भारतीय महिलाएं भारतीय सेना में लड़ाकू विमान उड़ा रही है।
भारतीय महिलाएं डॉक्टर, वकील, न्यायधीश, वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी, व्यवसायी जैसे क्षेत्रों में पुरुषों के समान कर्तव्य निष्ठा के साथ कार्य करते हुए देश की प्रगति में अपना योगदान दे रही है जो हमारे भावी समाज के लिए एक शुभ संकेत है।
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