महिला सुरक्षा पर निबंध Essay on Women Safety in Hindi- भारत अपनी संस्कृति और परम्परागत रूप से चलता है. यहाँ की संस्कृति काफी प्रसिद्ध है. भारत में महिला सुरक्षा अन्य देशो की भांति काफी बेहतर है. यहाँ नारियो की देवी माना जाता है.और उन्हें ढेर सारा सम्मान दिया जाता है.
नारी/महिला सुरक्षा पर निबंध Essay on Women Safety in Hindi
नारियो को धन की देवी माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है. जिस कारण इन्हें पूजनीय माना जाता है. देश में नारियो को पुरुषो के समान अधिकार प्राप्त है. महिलाए हर कार्य करने में सक्षम है.
पर देश के कुछ बुरी सोच वाले लोगो के कारण महिलाओ पर अत्याचार, बलात्कार और अपहरण जैसे अपराध हो रहे है. जिससे देश की महिलाए असुरक्षित है.
जिस कारण कुछ स्वतन्त्र महिलाए खुद को असुरक्षित होने पर सवाल उठा रही है. अन्य नारिया अपने कष्टों के डर के कारण सहन कर रही है.
नारियो के बयान और उनकी स्थिति को देखकर लगता है, कि महिलाओ की स्थिति काफी दयनीय है. और उन्हें उत्पीडन का सहन करना पड़ रहा है. पर अधिकांश महिलाए आज स्वतन्त्र होकर अपने अधिकारों और नियमो का प्रयोग कर जी रही है.
कुछ अशिक्षित महिलाए ही अपने अधिकारों और सरकारी नियमो के बारे में नहीं जानती है. जिस कारण वह पूर्ण रूप से स्वतन्त्र नहीं है. आज की महिलाओ को स्वतंत्रता से जीने के लिए सरकार द्वारा अनेक नियम कानून कायदे बनाए गए है.
जिनका सहारा लेकर महिलाए खुद को स्वतंत्र बना सकती है. तथा देश के विकास में अपनी भूमिका अदा कर सकती है. आज की शिक्षित महिलाओ की स्थिति देखी जाए तो वह अपने अधिकारों का पूर्ण प्रयोग कर रही है.
और पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर हर कार्य में उनका सहयोग करती है. और प्रत्येक क्षेत्र में शिक्षा से लेकर व्यवसाय तक अपने जज्बातों का परिचय देकर महिलाए भी किसी से कम नहीं है. पुरुषो को आवगत कराती है.
हमारे देश में कुछ गंदे लोगो के कारण आए दिन महिलाओ के साथ अपराध हो रहा है. और कई महिलाए अपराधियों को सजा तक दिला देती है. पर अपराधी रुकने का नाम ही नहीं ले रहे है.
महिलाए जब दिनभर कार्य करती है. और रात को घर जाती है. उस समय उनके साथ सबसे अधिक अत्याचार होते है. जिस कारण सरकार महिलाओ को शाम होने से पूर्व घर जाने की अनुमति देती है.
बाहरी असुरक्षा को काफी हद तक आज नियंत्रण में बना लिया है, पर घरेलु हिंसा अभी भी उसी स्थिति में है. लोग महिलाओ के साथ हिंसा, सामाजिक परम्पराओ के अनुसार दहेज़ के लिए उत्पीडन करना, नारी शोषण आदि घरेलु हिंसा से नारियो को परेशान किया जाता है.
घरेलु हिंसा में सबसे अधिक दहेज़ के लिए नारियो को परेशान किया जाता है. ससुराल के लोग हमेशा नारियो को दहेज़ के लिए उत्पीडित करते है. कई बार इस मामले में नारियो की हत्या भी की जा चुकी है. जिस कारण सरकार ने दहेज़ प्रथा को पूर्ण रूप से बंद कर दिया है.
जो नारियो के लिए काफी सहायक है. अन्यथा कई लोग नारियो के दहेज़ देने की चिंता से मुक्त होने के लिए महिलाओ को जान से मार देते थे. हाल ही में लगभग-लगभग दहेज़ प्रथा से छुटकारा पाया जा चूका है.
बलात्कार जैसे घटनाए लगातार बढती जा रही है. आए दिन कोई न कोई बलात्कार का केश जरुर सामने आता है. इसी कारण हम नारियो को सुरक्षित नहीं कह सकते है. और बलात्कार जैसे कलंक हम भारतीयों पर लग रही है.
हम अपनी माँ बहन बेटियों की सुरक्षा के लिए तैयार हो जाते है. तो हम किसी अन्य महिलाओ की सुरक्षा क्यों नही कर सकते है. लोग जिस महिला पर अत्याचार करते है. आखिर वह भी किसी की माँ होगी, बहन होगी, बेटी होगी.
हम सभी भारतीय नागरिक एकताबद्ध होकर सभी नारियो की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते है. पुरुषो की जागरूकता से ही महिलाओ को पूर्ण रूप से सुरक्षित बनाया जा सकता है.
आज हम देखे तो हमारे देश की बोलीवुड के कारण लोग उन्हें देखकर उनका अनुसरण करते है, महिलाओ को परेशान करते है. मारपीट करते है. तथा बलात्कार जैसे अपराध करते है.
हमारे देश की बोलीवुड में अभी कुछ सामाजिक सुधार की जरुरत है. बोलीवुड से समाज में बुरा प्रभाव देखने को मिलता है. नारी अपराध का एक कारण इन्टरनेट की प्रधानता भी है,
जो लोगो को गलत और उत्तेजित दृश्य दिखाता है. जिससे लोग उनका अनुसरण करते है. और अपराध तक को अंजाम देने के लिए उत्सुक हो जाते है. और हमारी संस्कृति की देवियों का चीर हरण कर देश की संस्कृति को शर्मिंदा करते है.
नारी सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. इस पर सरकार कई कानून और अधिकार महिलाओ को विशेष रूप से दे चुकी है. पर स्वतंत्र नहीं होने के कारण महिलाए अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पाती है.
इसलिए महिलाओ को खुद आत्मनिर्भर बनना होगा. जिससे उनके साथ हो रहे अपराधो को कम किया जा सकता है. हमें नारियो की सुरक्षा के लिए उसे आत्मनिर्भर बनाना होगा. नारियो के प्रति जनजागृति का होना जरुरी है.
नारियो को अपनी ज़िम्मेदारी और अधिकार दोनों समझना होगा। आपको खुद केर पैरो पर खड़ा होकर आवाज लगाने की जरुरत है, पुरे देश महिलाओ के साथ है. अपनी सुरक्षा और अपने बच्चों के लिए खड़ा होना होगा.
आप अकेली नहीं है, ज़रुरत पड़ने पर आप कानून एवं पुलिस की भी मदद ले सकती हैं। लेकिन पहले आप अपने सारे कानूनी अधिकार को जानिये और अपनी ज़िम्मेदारी समझिए। जानकारी होना और सही लोगों से सम्पर्क होना आपकी ताकत बनेगी।
Nari suraksha par nibandh
हमारे देश की पवित्र संस्कृति में महिलाओ को देवी का रूप माना जाता है. जिस कारण उनकी पूजा की जाती है. तथा जन्मदिन को शुभ दिन माना जाता है.
महिलाए घरेलु तथ व्यापारिक रूप से कार्य करने में सक्षम होती है. महिलाए घरेलु कार्य को भी श्रेष्ठता से करती है. तथा दफ्तर के कार्यो को भी करती है.
प्राचीन समय में हमारे देश की अधिकांश महिलाओ अशिक्षित थी, पर समय के साथ साथ लोगो में समझ आने लगी तथा महिलाओ की शिक्षा के महत्व को समझाते हुए, उन्हें शिक्षा के क्षेत्र आगे लाया जा रहा है.
जिस कारण आज देश के बड़े से बड़े पद पर पुरुषो की भांति महिलाए भी कार्यरत है, जो नारियो के लिए प्रेरणा का साधन है. महिलाए हर कार्य में श्रेष्ठ योगदान देती है. जिस कारण वो बहुत आगे है.
पर पिछले कुछ सालो से महिलाओ के साथ निरंतर अपराध हो रहे है. महिलाओ की सुरक्षा में कमी नजर आ रही है. जिस कारण उनके साथ अपराध हो रहे है. जो देश के लिए कलंग के समान है.
नारी सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. इस पर हमे अम्ल करने की जरुरत है. तथा सभी को जागरूक होकर महिलाओ की सुरक्षा की जिम्मा उठाकर इस समस्या का समाधान करना होगा.
बढ़ते अपराधों के कारण महिलाओ को समाज में एक बुरी नजर से देखा जाता है. हंसी का पात्र बनाया जाता है. अपराधों के कारण महिलाओ को कार्यस्थल से घर जाने में असुरक्षा महसूस होती है. और घर जाने के लिए घबराती है.
इस समय सबसे अधिक अपराध होने की संभवना होने के कारण महिलाओ को रात होने से पहले ही घर रवाना कर दिया जाता है. और यदि कोई महिला कारणवश रात को कही से आती या जाती है.
तो उनके लिए हर समय पुलिस तैयार रहती है. हर जगह टोलफ्री नंबर होते है. जिन पर कॉल कर महिला पुलिस का सहारा ले सकती है. और खुद को सुरक्षित बना सकती है.
हमारे देश में नारियो को देवी का दर्जा दिया गया है, पर समाज में नारियो के प्रति नकारात्मक पहलुओं को भी देखा जाता है. जो नारियो को बुरी नजर से देखता है. ये नकारात्मक पहलु नारियो की महिमा और उनके सम्मान का शोषण कर रहे है.
आज के युवा लोग नारियो के पीछे लगे हुए है, युवाओ को देखकर कई बार ये हरकते बच्चे भी करते है. कई बार नाबालिग लडकियों के साथ कुव्यवहार किया जाता है. बलात्कार जैसे अपराध किये जाते है.
आज हर स्थल पर असामाजिक तत्वों का निवास है. जिस कारण महिलाए खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है. जो हमारे लिए चिंता का विषय है. तथा हमारे देश के लिए किसी कलंग से कम नहीं है.
आज के समाज में बालिकाओ की नई फैशन छोटे कपडे पहनना है, पर इन अपराधो के कारण बालिकाए इन कपड़ो का प्रयोग नहीं करती है. जो बालिकाओ की इज्जत को बचाता है.
कई बार ऐसी घटनाएँ देखी गई जहा एक नाबालिक लड़की पर अत्याचार किये गए. तेज़ाब फेंककर शरीर को जला दिया गया और अपहरण करना आज की समाज में आम बात है. जिस कारण अपराध बढ़ रहे है. इन अपराधो की संख्या इतनी है. कि हमारे देश में हर 20 मिनट बाद बलात्कार होता है.
शहरी क्षेत्रो में नारियो की सुरक्षा काफी बेहतर है, जहां कम अपराध होते है, पर गाँवो के इलाको में सबसे अधिक अपराध होते है, जिसमे कई बार घरेलु लड़ाईयां होती है. तो कई बार घरेलु व्यक्ति द्वारा बलात्कार इस प्रकार के केश में अपराधी बच जाता है.
जिस कारण अपराधी ओर अपराध के लिए तैयार हो जाता है. कई बार नारियो को दहेज़ के लिए उत्पीडन किया जाता है. जब दहेज़ के लिए मना किया जाता है, तो महिलाओ को जिन्दा जला दिया जाता है. ऐसी अनेक घटनाए घटित हो चुकी है.
महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध
प्राचीन समय में पर्दा प्रथा जैसी प्रथाओ के कारण महिलाओ को घर में ही रखा जाता था, तथा उन्हें किसी से मिलने या कोई कार्य करने का अधिकार नहीं था. जिस कारण महिलाए स्वतन्त्र नहीं थी, पर सुरक्षित थी.
वर्तमान में महिलाओ की सुरक्षा की स्थिति को देखा जाए तो काफी बदलाव देखने को मिला है. पिछले कुछ दशको से लगातार महिलाओ की सुरक्षा में कमी नजर आ रही है. जिसका मुख्य कारण बढ़ता अपराध है.
आज की महिलाए शिक्षित है, पर वे आत्मनिर्भर नहीं होने इ कारण खुद का संरक्षण नहीं कर पा रही है. यही कारण है, आज शिक्षित महिलाए भी असुरक्षित है. देश के हर बड़े से बड़े पेशे पर महिलाए अग्रसर है. देश के विकास से लेकर देश की राजनीती और जनसंख्या का आधा भाग महिला है.
हमारे देश में महिलाओ की साक्षरता पुरुषो की तुलना में कम होने के बाद भी महिलाए पुरुषो से अग्रसर है. इसी कारण महिलाओ को पुरुषो से श्रेष्ठ माना जा रहा है. महिलाए देश की हर मुश्किल से मुश्किल पेशे को हांसिल करने का हौसला रखती है.
भारतीय सविंधान में ये अंकित है, कि महिलाओ को पुरुषो के सामान अवसर प्राप्त है. पर आज के समाज में महिलाओ के इन अधिकारों का हनन किया जा रहा है. आए दिन नए अपराध हो रहे है.
महिलाओ के प्रति सबसे अधिक अपराध ग्रामीण इलाको में होते है. ग्रामीण इलाको में महिलाओ की साक्षरता भी बहुत कम है. तथा कई स्थानों पर प्रदा प्रथा आज भी लागू है. जिस कारण महिलाए स्वतन्त्र नहीं है.
महिलाओ की दुर्दशा को सुधारने के लिए खुद महिलाओ को आत्मनिर्भर बनकर होने बवाले अपराधो के खिलाफ आवाज लगानी चाहिए. ग्रामीण क्षेत्रो में सामाजिक भेदभाव, जातिवाद, लिंगभेद होते है. जो महिलाओ के विकासद के लिए बाध्य बन जाते है.
हमारे देश में महिलाओ के खिलाफ होने वाले अपराधो के अनेक नाम जिसमे तेज़ाब फेंकना, जबरदस्ती वैश्यावृति, यौन हिंसा, दहेज़ हत्या, अपहरण, ऑनर किलिंग, बलात्कार, भ्रूण हत्या, मानसिक उत्पीड़न आदि अपराधो से होकर महिलाओ को गुजरना पड़ता है. ये अपराध सहने पड़ते है.
महिलाए अपनी सुरक्षा कैसे करे?
- महिलाओ को आत्मरक्षा के लिए कुछ तकनीकीकरण कार्य सीखने चाहिए. जिससे वे किसी भी व्यक्ति का आसानी से मात दे सकें.
- महिलाओ को धैर्यवान बनाए जिससे हर परस्थिति में बिना घबराए समस्या का समाधान करें.
- आत्मरक्षार्थ के लिए खुद पर खतरे को देखकर ठोस कदम उठाए.
- किसी अनाम या बिना संबंधित लोगो के साथ कही नहीं जाए ये महिलाओ की सबसे बड़ी कमी है.
- किसी भी परस्थिति में आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए.
- खुद को शारीरिक तथा मानसिक रूप से मजबूती देनी चाहिए.
- किसी भी व्यक्ति को निजी क्रियाकलापों के बारे में न बताए.
- अपने किसी परिवारजन के साथ ही यात्रा करें.
- महिलाए कुछ ऐसे पदार्थ पास में रखे जिससे हर किसी को एक बार के लिए मात दी जा सकें.
- दुविधा आने पर हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर पुलिस का सहारा लें.
सरकार ने इन अपराधो को रोकने के लिए कई कानून बनाए है. जो महिलाओ के संरक्षण के लिए सहायक साबित होंगे. इस कानूनों से महिलाए अपना संरक्षण कर सकती है-
- बाल विवाह अधिनियम 1929
- स्पेशल विवाह अधिनियम 1954
- हिन्दू विवाह अधिनियम 1955
- हिंदू विडो रीमैरिज अधिनियम 1856
- इंडियन पीनल कोड 1860
- मैटरनिटी बेनिफिट अधिनियम 1861
- फॉरेन मैरिज अधिनियम 1969
- इंडियन डाइवोर्स अधिनियम 1969
- क्रिस्चियन मैरिज अधिनियम 1872
- मैरिड वीमेन प्रॉपर्टी अधिनियम 1874
- मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन अधिनियम 1986,
- नेशनल कमीशन फॉर वुमन अधिनियम 1990
- सेक्सुअल हर्रास्मेंट ऑफ़ वुमन एट वर्किंग प्लेस अधिनियम 2013
निष्कर्ष
आज महिलाओ की दुर्दशा काफी कमजोर है. जिस कारण सरकार उनकी सहायता कर रही है. फिर भी महिलाए कानूनों के बाद भी खुद को अपराधो से नहीं बचा पा रही है. और समाज में एक बुरी नजर से देखी जाती है. हम सभी को महिला सुरक्षा की ओर ध्यान देना होगा.
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